सीएम ऑफिस के खर्चों का हिसाब-किताब नहीं है -केजरीवाल सरकार के पास
किंतु अपने खर्चे का हिसाब सरकार अाखिर रखे भी क्यों खर्चों का हिसाब तो हमेंशा कंजूस लोग रखते हैं या फिर वो लोग रखते हैं जिनकी आमदनी कम होती है या फिर जिनके यहाँ कमाने वाले कम होते हैं उसे हिसाब किताब रख कर खर्च करना होता है किंतु जिसके लिए सारी दिल्ली कमाती हो वह भी हिसाब किताब रख कर खर्च करे तो फिर सरकार किस बात की !और फिर अपनी सरकार का मतलब ही क्या यदि उसका खुल कर भोग न किया जा सके !वैसे भी दिखावटी मुख्यमंत्री तो कोई नहीं बनाना चाहेगा !
दिल्ली के लोगों का स्तर उठाने के लिए दिल्ली सरकार कर रही है कुछ कठोर निर्णय !
दिल्ली सरकार के प्रयास से अब आवश्यक चीजों के दाम बढ़ाए जाएँगे जिससे पता लगे कि पहले की सरकारों की अपेक्षा इस सरकार में दिल्ली का कितना विकास हुआ है । बंधुओ ! यदि बढ़ी हुई कीमतों में भी दिल्ली की जनता के पास पर्चेजिंग क्षमता बनी रहती है लोग खरीदने खाने की स्थिति में बने रहते हैं इसका मतलब है कि 'आप' की सरकार के प्रयासों से दिल्ली वालों का विकास हुआ है ! ऐसा माना जाएगा !!
केजरीवाल जी ने जनता की मुसीबत अपने गले डाल ली ।
जनता बिजली बिल घटाया तो अपना बढ़ गया ! यही तो है किसी को आशीर्वाद देने से उसका पाप तो अपने शिर लेना ही होता है ये प्रायश्चित्त तो करना ही पड़ेगा !
दिल्ली के CM केजरीवाल के घर का बिजली बिल 91,000 रुपये!- एक खबर बंधुओ ! क्या मुख्यमंत्री बनने के पहले केजरी वाल जी के घर का बिल इतना ही आता था और यदि नहीं तो सादगी के सपने दिखाकर जनता के पैसे से खुद तो कर रहे हैं मौज और जनता के लिए महँगाई ! यदि यही होना था तो पहले की सरकारें भी तो यही करती थीं !केजरी वाल जी !ध्यान रखना ऐसे आचरणों पर
गोस्वामी तुलसी दास जी ने लिखा है कि -
जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी । सो नृप अवस नरक अधिकारी ॥
No comments:
Post a Comment