शरदयादव जी ! जातिगत आरक्षण भी तो जातिवाद ही है आरक्षण देने के लिए आखिर जातियों की जरूरत क्यों पड़ती है हिम्मत है तो जातिवाद समाप्त करने के लिए जातिगत आरक्षण का भी विरोध कीजिए अन्यथा जातिवाद का रोना मत रोइए !
दलितों का सबसे बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचारी
नेताओं के घरों में दबा पड़ा है जो बिना किसी रोजगार व्यापार के अरबोंपति हो गए हैं अाखिर कहाँ से आता है ये धन शरद यादव जी हिम्मत है तो ऐसे नेताओं के विरुद्ध बोलिए और उनके घरों से निकालिए दलितों के हिस्से का धन !
जिन लालू जी ने पशुओं तक का चारा न छोड़ा हो उन्होंने दलितों को बक्स दिया होगा क्या ?उनके साथ जिन बिंदुओं पर चुनाव लड़कर आए उन्हीं के विरुद्ध अब भाषण दे रहे हैं शरद जी !
लालू जी !जब राजनीति में आए थे तब कितनी संपत्ति थी? उनके पासऔर आज कितनी है आखिर ये विशाल धनराशि आई कहाँ से किस व्यापार से हुई इतनी मोटी कमाई !ऐसा कौन सा काम किया उन्होंने ?और यदि नहीं तो ये पिछड़ों ,
दलितों , वंचितों , गरीबों , पीड़ितों का हक़ ही तो नहीं है आखिर दलितों के हिस्से का धन गया कहाँ ! जिस
पर ऐस कर रहे हैं नेता जी !
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