पीएम का भाषण जीरो इफेक्ट वाला: कांग्रेस
किन्तु मोदी जी तो हमेंशा जीरो से ही हीरो बने हैं !
बुलेट प्रूफ शीशे की दीवार भी नहीं लगी ।
किन्तु जो लोग किसी से अपनेपन के सम्बन्ध बनाते हैं और खुद तो बुलेट प्रूफ शीशे की दीवार की सुरक्षा में छिपकर खड़े हो जाते और जनता खुले में खड़ी होती है क्या उसकी जान और जीवन की कोई कीमत नहीं है ?और ऐसा करने वालों के मन में जनता के प्रति अपनापन कैसे माना जा सकता है !ये तो वही दशा हुई कि ' हमारा हाथ गरीब आदमी के साथ ' किन्तु जब कोई बीमारी आरामी आवे तब आप तो इलाज कराने के लिए जहाज पर बैठकर विदेश चले जाएँ किन्तु गरीब आदमी इलाज के अभाव में घुटघुट कर मरता रहे !और जब चुनाव फिर आवें तो फिर कहने लगो कि ' हमारा हाथ गरीब आदमी के साथ 'ऐसे नेताओं पर भरोसा कैसे किया जाए !इसीलिए मोदी जी ने ठीक किया जैसे जनता खड़ी थी वैसे स्वयं भी !ऐसे लोग गर्व से कह सकते हैं कि ' हमारा हाथ गरीब आदमी के साथ '!
मोदी जी ने लाल किला की प्राचीर से बिना लिखा हुआ भाषण अपने मन से दिया !
बंधुओ
!इसमें बड़ी बात क्या है अपनों से बात करते समय हर कोई ऐसा ही करता है
क्या आप अपने माता पिता भाई बहन पत्नी पुत्र पुत्रियों से बाते करते समय लिखकर ले जाते हैं और पढ़कर चले आते हैं इसीप्रकार से नाते रिश्तेदारों बंधु बांधवों मित्रों से बात करते समय क्या कोई लिखकर ले जाता है !और यदि कोई लिखकर ले जाए तो क्या उन बातों में अपनापन होगा क्यों वो बातें अपने हृदय की होंगी !बंधुओ ! क्या उन बातों का समाज पर उतना प्रभाव पड़ पाएगा !सच्चाई तो यह है कि वो जस्ट लाइक टेपरिकार्डर की तरह होगा !इसलिए अपनी बातें अपने शब्दों में अपने भावों एवं अपनी इच्छानुशार अपनी भाव भंगिमाओं के साथ जब आप कहते हैं तो उनसे सामने वाले के मन में भी अपनापन प्रकट होता है और वो आपको अपना मानने लगता है यदि कोई गलती भी हुई तो जब हृदय पथ पर संबंध बन रहे होते हैं तो किसी को कहाँ होता है गलतियों का एहसास ?वही मोदी जी ने किया है अपनी बात अपनों को बताने के लिए इतना तामझाम क्यों सीधी बात रख दी मोदी जी जनता ने भी उसी भावना से समझ लिया है किन्तु कुछ हृदय शून्य लोगों को ये भाव पक्ष की बातें समझ में ही नहीं आ रही हैं !आखिर देश के प्रधानमंत्री को अपने देशवासियों के साथ अपनेपन से बातें क्यों नहीं करनी चाहिए !
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा दिए गए भाषण को प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने जीरो इफेक्ट वाला बताया है। कांग्रेस ने कहा कि पीएम के भाषण में कुछ भी नया नहीं था।कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने इसे पीएम की जीरो इफेक्ट स्कीम बताते हुए कहा कि पीएम की ओर से किसी नए विचार, नई पहल या फिर नई योजना की घोषणा नहीं की गई।
किंतु शकील साहब ! जिसके भाषण को आप जीरो इफेक्ट वाला बता रहे हो वो ऐसे ही भाषणों के बल पर हीरो बन गया और आज भी आपको उसमें और उसके भाषणों में ही जीरो का आभाष हो रहा है और आप अपने को हीरो न जाने किस बल पर मान बैठे हैं आपकी पार्टी में किसी एक ऐसे नेता का नाम बताओ जो अच्छा भाषण दे लेता हो सोनियाँ जी, राहुल जी,मनमोहन जी,या स्वयं आप और आप जैसे लोग !
पार्टी प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि,"पीएम के पहले भाषण से कुछ नए की उम्मीद थी, उम्मीद थी कि वो अगले पांच साल का खाका पेश करेंगे लेकिन अफसोस पीएम असफल रहे।मोदी का भाषण भविष्य की रूपरेखा पेश नहीं कर पाया "
विपक्ष ये तो है मनीष जी! मोदी जी के भाषण में भ्रष्टाचारियों का भविष्य क्या होगा उसकी अनदेखी की गई है आखिर ये बताया तो जाना चाहिए कि कोयला घोटाला खेल घोटाला आदि जितने भी प्रकार के घोटाले हुए हैं उन घोटालों का अब क्या होगा और उन्हें करने वालों का क्या होगा! वो अब कैसे कमाएँगे खाएँगे या सरकार उनके लिए कोई फंड अलाट करेगी । आखिर पिछले दस वर्षों में भ्रष्टाचार की मंडी बन चुके सरकारी तंत्र का कारोबार ठप्प न पड़ने दिया जाए उसके लिए क्या कुछ कर रही है सरकार !
राहुल की वजह से नहीं हारी कांग्रेस: एंटनी (श्री न्यूज़ )
किन्तु एंटनी साहब ये बात तो सबको पता है कि काँग्रेस के हारने की वजह राहुल हो ही नहीं सकते वो केवल जीतने की वजह ही हो सकते हैं क्योंकि अच्छे सारे काम उस परिवार के खाते में और बुरे बुरे सारे काम पार्टी जनों पर डाल कर खुद सफेद पोश बने रहो काँग्रेस की
ये कौन सी नीति है ! इसका एक पक्ष ये भी है कि राहुल सरकार में तो थे नहीं
और गलतियाँ सरकार से हुई हैं जिसके परिणाम स्वरूप हार हुई है किन्तु जब
सरकार भ्रष्टाचार के कारोबार में सम्मिलित थी तब राहुल थे कहाँ और क्यों
नहीं निभा रहे थे अपनी जिम्मेदारियाँ आखिर जनता से वोट वो माँ बेटे अपने विश्वास पर माँग कर लाते थे उस विश्वास पर उनकी सरकार खरी क्यों नहीं उतरी और तब राहुल मौन क्यों बने रहे ?
कांग्रेस की हार के सहायक कारणों’ में से मीडिया भी एक था क्योंकि उसका सारा ध्यान एक व्यक्ति पर केंद्रित था।-गुलाम नवी आजाद
किन्तु आजाद साहब !मीडिया एक व्यक्ति के साथ नहीं अपितु जनसमूह के साथ था
सरकार की लीला मंडली से देश तंग था देश भी और मीडिया भी !जहाँ सच दिखाई
दिया वहाँ मीडिया ने उसका साथ दिया ! ये तो है मोदी जी के भाषण में भ्रष्टाचारियों का भविष्य क्या होगा उसकी
अनदेखी की गई है आखिर ये बताया तो जाना चाहिए कि वो अब कैसे कमाएँगे खाएँगे
या सरकार उनके लिए कोई फंड अलाट करेगी । आखिर पिछले दस वर्षों में
भ्रष्टाचार की मंडी बन चुके सरकारी तंत्र का कारोबार ठप्प न पड़ने दिया जाए उसके लिए क्या कर रही है सरकार !
No comments:
Post a Comment