Thursday, 4 September 2014

साधू संत पंडे पुजारियों को भ्रष्ट मानकर साईं को पूजना ही एक मात्र विकल्प है क्या ?


 धर्म के विषय में आखिर कैसी कैसी दलीलें दे रहे हैं वे लोग जिन्होंने धर्म शास्त्रों को कभी खोल कर भी नहीं देखा है !

    बंधुओ ! यदि कानून बनाने वाले नेता ही भ्रष्ट हो जाएँ तो क्या कानून को मानना बंद  कर देना चाहिए, अदालतों के अंदर भ्रष्टाचार है तो क्या अपनी मनगढंत अदालतें बना लेनी चाहिए ! यदि डाक्टर ठीक वर्ताव न करने लगें तो क्या मोची से आपरेशन करा लेना चाहिए क्या ? मैं केवल यह पूछना चाहता हूँ कि श्री राम कृष्ण शिव दुर्गा आदि देवताओं के सम्मुख कहाँ ठहरते हैं साईं ? सनातन धर्म  की स्थिति आज यह है कि  धार्मिक दृष्टि से एक से एक बड़े अँगूठाटेक लोग भी धर्म के विषय में बड़े बड़े धर्मशास्त्रियों की तरह बहस करने लगते हैं !और कोई  पूछ दे कि धर्म शास्त्रों के विषय में आपका अध्ययन क्या है ?तो बोले मैं डॉक्टर हूँ , इंजीनियर  हूँ आदि आदि !आखिर ये कहाँ की सभ्यता है कि जिस चीज के विषय में आप का ठीक ठीक स्वाध्याय ही नहीं  है उस विषय को प्रमाणित रूप से रख सकने के लिए आप अधिकृत कैसे हो सकते हैं कुछ  इधर उधर से पढ़ लेने का मतलब विद्वत्ता नहीं हुआ करती  जब तक उसे सांग और सविधि   न पढ़ा जाए !

   मेरा निवेदन हर प्रबुद्ध व्यक्ति से है कि यदि स्वास्थ्य  के विषय में चिकित्सक प्रमाण माने जाते हैं , कानून  के विषय में कानूनविद  प्रमाण माने जाते हैं इतिहास के विषय में इतिहासविद प्रमाण माने जाते हैं तो धर्मशास्त्रों के विषय में धर्मशास्त्रविद क्यों नहीं ?  धर्मशास्त्रों के विषय को भी अन्य विषयों की  तरह संस्कृत विश्व विद्यालयों में सरकार पढ़वा रही है तो धर्म शास्त्रों के विषय में बहस करने की रूचि   रखने वाले हर व्यक्ति  पढ़ना चाहिए और फिर शास्त्रीय आधार पर बहस भी की जाए तर्क भी दिए जाएँ तो अच्छा भी लगता है और उचित भी है!अन्यथा कानून की पढ़ाई यदि हमने नहीं पढ़ी तो  कानून के विषय में अपनी टाँग हम नहीं अड़ाते ऐसी ही अपेक्षा और लोगों से भी है ।  

     वैसे भी  साईं पूजा का समर्थन करने वाला कोई भी व्यक्ति यदि योग्य है तो शास्त्रार्थ करे अयोग्य है तो चुप बैठे !अन्यथा  बेकार में निराधार बहस क्यों करनी !
    साईं पूजा के समर्थन में हर किसी ऐरे गैरे व्यक्ति के काल्पनिक तर्क प्रमाण कैसे माने जा सकते हैं इस विषय में हम हर उस शिक्षित समझदार व्यक्ति की सलाह मानने को तैयार हैं जिसने किसी भी संस्कृत यूनिवर्सिटी से धर्मं शास्त्रों के विषय में कोई अध्ययन किया हो और जो शिक्षित होगा उसे यह बात अपने आप समझ में आ जाएगी कि साईं को भगवान मानकर क्यों नहीं पूजा जा सकता और जिन्होंने किसी संस्कृत यूनिवर्सिटी से न भी पढ़ा हो फिर भी उन्हें प्रूफ तो करना होगा कि उनकी धार्मिक विषयों में अपनी योग्यता क्या है अन्यथा साईँ  के विषय में फ़ोकट की सलाह देने वाले एवं पण्डे पुजारियों की निराधार आलोचना करने वाली  बीमार मानसिकता  से चोंच लड़ाना अपना कर्तव्य नहीं है हम किसी भी ऐसे व्यक्ति के कुतर्कों के जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं जो धार्मिक दृष्टि से अशिक्षित हो ! जिसको जो कुछ समझना हो समझे !किन्तु शिक्षित व्यक्ति से किसी भी मंच पर खुली बहस के लिए तैयार हैं कि साईं पूजा अशास्त्रीय है इसलिए नहीं की जा सकती !


No comments:

Post a Comment