राजनैतिक दलों के पास संस्कारित नेताओं अभाव आखिर क्यों ?
नेता विहीन दिल्ली अब अन्ना हजारे के चेलों के हवाले!अन्ना हजारे की पाठशाला के भूतपूर्व विद्यार्थियों ने सँभाली दिल्ली चुनावों की कमान ! वहाँ तो कुछ कर नहीं पाए यहाँ कुछ कर पाएँगे क्या ?
राजनीति से हमेंशा दूर रहने वाले अन्ना अब दिल्ली की राजनीति में अन्ना ही अन्ना हैं !अन्ना आंदोलन के समय राजनेताओं की निंदा करने वाले लोग उतरे राजनीति में ये वही लोग हैं जो नेताओं को अपने मंचों पर नहीं बैठने देते थे किन्तु आज ये राजनीति में खुशी खुशी नहा धो रहे हैं अब इनको कोई दिक्कत नहीं है राजनीति से ! इतना ही नहीं अब राजनीति में जाने के कारण पार्टित्वात् एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप भी करेंगे । कुल मिलाकर अब दिल्ली की राजनीति में पक्ष में अन्ना विपक्ष में अन्ना ,सरकार में अन्ना असरकार में अब सब जगह अन्ना ही अन्ना दिखेंगे ।
संघ विषय में तो अक्सर सुना जाता रहा है कि वो परदे के पीछे रहकर राजनीति करता है किन्तु अन्ना के विषय में कोई ऐसा नहीं सोचता था कि अन्ना जी के संस्कार दिल्ली को इतना प्रभावित कर जाएँगे !
और कुछ हो न हो किन्तु इतना तो तय है कि आगामी चुनावों में दिल्ली में अब जिस किसी भी पार्टी को बहुमत मिलेगा वो अन्ना हजारे की ही होगी अर्थात दिल्ली के आगामी चुनावों से पहले ही अन्ना जी को बधाई !
No comments:
Post a Comment