कुछ लोग मानते हैं कि ज्योतिष को नहीं मानना चाहिए !
बंधुओ ! ऐसे लोग हमें भी जब मिले मैंने उनसे पूछा कि ज्योतिष आप जानते हैं आपने पढ़ी है क्या ?तो बोलते हैं कि पढ़ी नहीं है और न ही ज्योतिष जानता हूँ किंतु ज्योतिष अंध विश्वास है ये मानता हूँ !इस पर पैसे और समय बर्बाद नहीं करना चाहिए !
बंधुओ ! ऐसा कहने वाला निंदनीय एवं वैचारिक नपुंसक वर्ग है जो बिना कुछ जाने समझे बिना किसी आधार सबूत प्रमाण के किसी को भी चोर चरित्रहीन आदि कुछ भी कह देता है जिसके तर्क उसके पास कुछ भी नहीं होते हैं।इसलिए जिन लोगों ने जो विषय सब्जेक्ट रूप में पढ़ा न हो उसे बिना किसी आधार के गलत सिद्ध नहीं कर देना चाहिए !
जो समझदार लोग ज्योतिष को विज्ञान इसलिए नहीं मानते हैं कि ज्योतिष गलत है उनसे निवेदन !
ऐसे लोगों को इसके लिए प्रयास करके ऐसा कोई आयोजन करना चाहिए जिसमें सौ दो सौ पाँच सौ अपरिचित लोगों की शुद्ध जन्मपत्रियाँ लेकर बैठा जाए और यदि उन लोगों के विषय में बताई गईं उनसे संबंधित ज्योतिष की बातों में से 70 प्रतिशत तक सच निकल जाए तो ज्योतिष को विज्ञान मानने में किसी को क्यों आपत्ति होनी चाहिए !
यदि ज्योतिष विज्ञान होता तो 70 प्रतिशत क्यों सौ प्रतिशत सच क्यों नहीं बताया जा सकता ?
बंधुओ !विज्ञान भी किसी चीज की सौ प्रतिशत गारंटी नहीं देता है रोगी के इलाज से लेकर यंत्र निर्माण तक हर कुछ आधा अधूरा ही है किंतु अंतर इतना है कि वहाँ उन विषयों में जिसके पास जो डिग्रियाँ हैं वही प्रमाण माने जाते हैं उन्हीं की बातें सुनी जाती हैं और उन्हीं के विचारों पर भरोसा किया जाता हैं किन्तु ज्योतिष में झोलाछाप लोगों पर किसी कठोर कार्यवाही का प्रावधान न होने से दुनियाँ का बहुत बड़ा अशिक्षित वर्ग ज्योतिषी होने का लेवल लगा कर जो ज्योतिष के सैद्धांतिक पक्ष में भी टाँग अड़ाए खड़ा है ये वर्ग ज्योतिष का सच समाज के सामने आने ही नहीं दे रहा है क्योंकि इससे उस वर्ग के बेनकाब होने का खतरा है !
कुछ भी ज्योतिष के विषय में कुछ भी बोलने लगता है को
ज्योतिष एवं धर्म के विषय में जिन लोगों ने किसी भी विश्व विद्यालय से जो डिग्रियाँ ली ही नहीं होती हैं ऐसे लोगों की प्रशंसा में वे भी बोला करते हैं ये टी.वी.वाले !
ज्योतिष को गलत कहने वाले लोग प्रायःपढ़े लिखे तथा ज्योतिष के विषय में शून्य एवं अहंकारी होते हैं !
ये अपने बीबी बच्चों को अपने अहंकार के दायरे से बाहर निकलने ही नहीं देते हैं जो ये जानते हैं उसकी तो किस्से कहानियाँ झूठ साँच बना बनाकर सुनाया करते हैं झूठ मूठ में बताया समझायाकरते हैं कि कहाँ कितने कलट्टरों मंत्रियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उन्होंने ये स्वीकार ही नहीं किया कि ज्योतिष विज्ञान है क्योंकि ऐसे लोग अपने को इस दुनियाँ का अंतिम पढ़ा लिखा एवं अंतिम वैज्ञानिक मान चुके होते हैं किन्तु इनकी ऐसी धारणाओं के पीछे ज्योतिष शास्त्र की कोई गलती नहीं होती है प्रत्युत वो स्वयं ही मनोविकार के शिकार होते हैं ।
जो लोग अपने अज्ञान,लापरवाही एवं कंजूसी की आदत के कारण कभी किसी ज्योतिषाडंबरी के नाटक में फँसाए जा चुके होते हैं ऐसे लोग बिना किसी कारण के अपनी भड़ास ज्योतिष शास्त्र पर निकाला करते हैं !
ऐसे लोग कई बार ऐसे लोग किसी के द्वारा उसके विषय में कही गई किसी ज्योतिष कर्मी की कोई बात पकड़े बैठे होते हैं कि उसने मेरे विषय में ऐसा कहा था किन्तु हुआ नहीं !
बंधुओ ! ऐसे अकर्मण्य और कंजूस लोग ज्योतिष के लिए कहीं जाना न पड़े किसी को कुछ देना न पड़े इस भावना से रास्ते चलते अपनी डेट ऑफ बर्थ बाँटा करते हैं यह सोच कर कि ये हमारा भविष्य बताएगा !मित्रो !ऐसे दरिद्र वर्ग को भविष्य बताने वाले भी उसी की तरह के मिलते हैं ईश्वर ने हर किसी का जोड़ा बना रखा है वो कुंडली तो जानते नहीं होते हैं वो कभी प्लेयिंग कार्ड देखकर,कभी चड्ढी बनियान जूते मोज़े आदि देख सूँघकर भविष्य बताने के नाम पर अच्छीखासी बटरिंग करके ऐसे वर्ग के मुख से अच्छा खासा धन निकाल लेते हैं अब बारी आती है उपाय बताने की तो ऐसे लोग वेद मंत्र पढ़े नहीं होते इसलिए ये नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीजों को बनाने बेचने या कुछ लोग इसकी दलाली करके इकठ्ठा करते हैं अच्छा खासा धन !ने के पास काफी के नाम
सरकारी संस्कृतविश्वविद्यालय 12 वर्ष ज्योतिष पढ़ाने के बाद ज्योतिषाचार्य (ज्योतिष एम.ए.)की डिग्री देते हैं किंतु मीडिया बिना पढ़े लिखे लोगों को डायरेक्ट बना देता है "ज्योतिषाचार्य"!
ऐसे लोग सोचते हैं कि मुझे मुख भगवान ने दिया ही गंदगी बकने को है इतना गन्दा वर्ग है किंतु ये वो एक प्रश्न का उत्तर नहीं क्या ज्योतिष को मानना अंध विश्वास
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