Tuesday, 5 April 2016

जीवित समाज का सृजन !

 धर्म से लेकर राजनीति तक !  ज्योतिष से लेकर चिकित्सा तक ! तंत्र से लेकर अंध विश्वास तक ! 
योग से लेकर भोग तक ! वैरागियों से लेकर ब्यापारियों तक !ईमानदार लोगों से लेकर नेताओं तक ! प्यार से लेकर बलात्कार तक !महिलाओं से लेकर अत्याधुनिक महिलाओं तक ! शासकों से लेकर सेवकों तक !सरकारी कर्मचारियों से लेकर परिश्रमी लोगों तक ! अपनों से लेकर  परायों तक !अपने से लेकर औरों तक ! छूट न जाए कहीं कोई समाज शत्रु !सब पर रखें निगाह सबकी करें चौकसी !ये समाज अपना है इसे अपनापन देना हम सबका कर्तव्य !
                        हमारा संकल्प : जीवित समाज का सृजन !!आओ !समाज को कुछ बेहतर बनाएँ -
                                                          राजेश्वरी प्राच्य विद्या शोध संसथान

No comments:

Post a Comment