मनोरोग बहुत बड़ी बीमारी है निकट भविष्य में इसकी भयंकरता और अधिक बढ़ने के ही अंदेशे लगाए जा रहे हैं विभिन्न संस्थाओं के द्वारा समय समय पर किए गए ऐसे कई सर्वे देखने सुनने को मिलते रहे हैं वर्तमान समय में मानसिक तनाव से वैवाहिक संबंध टूट रहे हैं परिवार छिन्न भिन्न होते जा रहे हैं समाज बिखरता जा रहा है असहन शीलता बढ़ती जा रही है छोटे छोटे बच्चों में नशे की लत लगती जा रही है उन्हें आपराधिक कार्यों में सम्मिलित होते देखा जा रहा है अधेड़ उम्र के लोग भी छोटी छोटी बच्चियों से बलात्कार जैसे जघन्य कृत्यों में सम्मिलित देखे जा रहे हैं हत्याएँ और आत्म हत्याएँ तो आम तौर पर अक्सर देखी सुनी जाने लगी हैं बहन बेटियों का घरों से निकलना दिनोंदिन मुश्किल होता जा रहा है भाई और पिता जैसे लोगों से भी बहनों बेटियों को भय पैदा होता जा रहा है बूढ़े माता पिता को ठुकराया जा रहा है ।
ऐसी परिस्थिति में चिकित्सा पद्धति दावे चाहें जो करे किंतु मानसिक तनाव पर नियंत्रण करने की कोई कारगर विधा नहीं है !रही बात योग जैसी प्राचीन विधाओं की इसका भी प्रभाव आम समाज पर बहुत कम है उसके दो कारण है पहला तो योग के द्वारा मनोवृत्तियों पर नियंत्रण करने जैसी उच्च स्थिति तक आम लोग इतनी आसानी से पहुँच नहीं सकते !रही बात योग के नाम पर समाज जो व्यायाम कर रहा है उसका अधिक से अधिक इतना असर हो पाता है कि उससे कुछ हद तक पेट साफ रहता है इससे कब्ज से उत्पन्न होने वाली बीमारियों पर तो एक हद तक नियंत्रण हो सकता है किंतु मानसिक तनाव रोकने का इसमें भी कोई तर्क संगत कारगर रास्ता नहीं दिखता है !
ऐसी परिस्थिति में समय - विज्ञान के द्वारा की गई हमारी रिसर्चकार्यको भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो मनोरोग और मानसिक तनाव नियंत्रण के क्षेत्र भूमिका निभा सकता है ।
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