Saturday, 7 May 2016

जिम्मेदारी न निभा पाने की पीड़ा क्या होती है अधिकारी कर्मचारी सीखें आत्महत्या करने वाले किसानों से !

     सरकारी भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों की तरह वो चाहें तो भ्रष्टाचार पूर्वक  भी जीवन जी सकते थे किंतु
इसके लिए उनकी आत्मा ही नहीं मानी होगी ! उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह घूस आदि मक्कारी का पैसा भले ही न मिलता किंतु अपराध करके तो भी जुटा सकते थे पैसा और पूरी कर सकते थे अपनी जिम्मेदारियाँ किंतु ऐसा नहीं किया उन्होंने आत्महत्या करने वाले किसानों से सरकारी अधिकारी कर्मचारी  सीख सकते हैं और भी बहुत कुछ !                 अधिकारियों कर्मचारियों एवं सरकारों में सम्मिलित लोगों के दिए हुए घाव ही तो सहला रहा है देश !अन्यथा ये तो सोने की चिड़िया था इसे लूटने के नाम पर अंग्रेजबेचारे  तो केवल बदनाम होकर भाग गए हैं बाकी लुटेरे नेताओं और उस लूट में हिस्सा बटाने वाले    अधिकारियों कर्मचारियों ने !राजनीति और सरकारी कर्मचारियों ने  लूटा  है इसे !देशवासियों के पास इसके मजबूत प्रमाण हैं किंतु ऐसे पापियों के विरुद्ध न वो जाँच कर सकते हैं और  सजा सुना सकते हैं इसलिए केवल सहते हैं


देश में कमी क्या थी इनके द्वारा किया गया शोषण सह रहा है देश ! द्वारा दिया गया धोखा पचा नहीं पा रहा है देश !
 अधिकारियों  कर्मचारियों को बहुत कुछ सीखना चाहिए आत्महत्या करने वाले गरीबों किसानों मजदूरों से !बिचारों  के कितने धनी होते हैं वे !



   अधिकारियों कर्मचारियों को देश के गरीबों किसानों से मजदूरों से जिम्मेदारी न निभा पाने  की बेदना सीखनी चाहिए ,शर्म और ईमानदारी सीख सकते हैं शर्म सीख
 देश का गरीब मजदूर  किसान उठना बैठना बोलना यहाँ कि जीना सिखा सकता है सरकारी अधिकारियों को !
     वातानुकूलित आफिसों में बैठकर मोटी मोटी सैलरी लेकर भी काम न करने वालों को ईमानदारी सहनशीलता और शर्म और देश सेवा करने  ढंग सिखा सकता है वो गरीब मजदूर  किसान उठना !

सरकार के


  सरकार केवल इतना कर दे - अपने अधिकारियों कर्मचारियों के शोषण से जनता को बचा ले बस !

 न्याय नीलाम करने वाले और जनता के अधिकारों को हड़पने वाले अधिकारियों कर्मचारियों से जनता की रक्षा हेतु  मुहिम छेड़े सरकार ! सरकार यदि इतना कर सकती है तो कर दे ! यदि कोई साहसी ईमानदार  कर्मठ  और जनसेवी सरकार केवल इतना कर दे कि सरकारों में सम्मिलित लोगों और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों
ने आफिसों को अपना रुतबा दिखाने का स्थान बना लिया है

सरकार से प्रयास को जनता जनता बस इतने में जी लेगी किसान मजदूर गरीब वर्ग बस इतने  में ही  लेगी !


अधिकारियों री हों या 

जनता को मुक्त करे सरकार

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