Thursday, 5 May 2016

रामदेव जी मिलने पहुँचे लालू जी के घर ये अचानक प्रेम उमड़ा था या था कोई डर !

   यदि लालू जी चाहते हैं कि साधू संतों की संपत्तियों की जाँच हो तो जाँच कराने में बुराई क्या है ?उसमें इतनी घबड़ाहट कैसी ?

"साधु-संतों की संपत्ति की जांच की जाये : लालू "

"भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर राजद के प्रदेश मुख्यालय में आज आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए  लालू जी ने यह कहा था !"

  

    रामदेव जी को ठग कहने वाले लालू जी का अचानक हृदय परिवर्तन हुआ या डरा धमका कर किया गया !कुछ तो ऐसा हुआ ही है जो समाज से छिपाया जा रहा है आखिर  लालू जी अचानक डर कैसे गए !"साधु-संतों की संपत्ति की जांच की जाये : यह सुनकर वास्तव में घबड़ा गए बाबा जी या कुछ और सुन कर डर गए लालू जी !अब तो जाँच इसकी भी निष्पक्ष होनी चाहिए कि  लालू जी डरे आखिर कैसे !

    वस्तुतः रामदेव जी के साथ संपूर्ण धार्मिक समाज की भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है इसलिए ईश्वर न करे उनकी बदनामी हो किंतु  यदि होती है तो संपूर्ण धार्मिक समाज इसमें सम्मिलित माना जाएगा जब तक वो अपने को अभी से अलग करके नहीं चलता है क्योंकि रामदेव जी केवल एक व्यापारी ही नहीं अपितु वे थोड़े बहुत धार्मिक भी दिखते हैं उनकी बातें वेष भूषा आदि इस विषय में प्रमाण हैं । रामदेव जी भले व्यापारी ही हों और सारा विश्व उन्हें जनता भी एक व्यापारी के रूप में ही रहे तो ये कोई बुरी बात भी नहीं है सधुअई करके धन कमाना और बाद में अपनी अधूरी व्यापारिक इच्छाएँ पूरी करने में गलत क्या है ! कई लोग तो सधुअई से धन कमाकर जब चार पैसे हाथ में हो जाते हैं तब शादी भी कर लेते हैं तो कुछ करने में बुराई नहीं है बशर्ते !जब कभी मन धर्म और संन्यास से भटककर कुछ अलग से करने का सा होने लगे तो धर्म और संन्यास की प्रतिष्ठा को दाँव पर नहीं लगने देना चाहिए क्योंकि इसके सहारे बहुत लोग जी ले रहे हैं !अन्यथा उन सभी धार्मिक लोगों को भी लोग उसी व्यापारिक दृष्टि से देखने लगते हैं या व्यापारी मानने लगते हैं जिससे  आदर्शवान साधू संन्यासी अपना अपमान समझते हैं क्योंकि वो शास्त्रीय जीवन शैली अपना चुके होते हैं । शास्त्र कभी भी किसी संन्यासी को व्यापार करने जैसे प्रपंचों में फँसने की अनुमति नहीं देंगे !व्यापार करना कोई बुरीबात नहीं है और न ही लालू जी के घर जाना कोई बुरी बात है किंतु लालू जी ने साधू संतों की संपत्ति की जाँच की माँग की इससे डर कर उनके घर चले जाना और उनकी हाँ में हाँ मिलाने लगना ये व्यवहार विश्वनीयता को संदिग्ध बनाता है । 

   व्यापार करने के लिए समाज का विश्वास जीतना सबसे पहले जरूरी होता है  इसमें कई लोगों की तो कई कई पीढ़ियाँ बीत जाती हैं तब कहीं बन पता है विश्वास और बिना विश्वास के व्यापार कैसा !

    यही विश्वास जीतने के लिए कई लोग अपनी दुकानों प्रतिष्ठानों कंपनियों में धार्मिक पूजा पाठ का वातावरण बनाकर रखते हैं ताकि लोग उन्हें प्रत्यक्ष रूप से धार्मिक और  अप्रत्यक्ष रूप से ईमानदार समझें !कई व्यापारिक संस्थानों में लोग मंदिर बना देते हैं इसका कतई मतलब नहीं है कि वे धार्मिक हैं किंतु वो धार्मिक दिखें इसलिए देखने वाले उन पर व्यापारिक भरोसा करें ये भावना तो होती ही है ! 

     व्यापार करने के लिए साधू संतों जैसी धार्मिक वेषभूषा बनाकर रहना और व्यापार करने के लिए ही पतंजलि जैसे धार्मिक महामुनि के नाम एवं उनके प्रति बने जन विश्वास का उपयोग करना एवं व्यापार करने के लिए ही  हरिद्वार जैसी धार्मिक नगरी में अपने व्यापारिक पैर पसारना आदि ये सबकुछ समाज के धार्मिक भावदोहन का लक्ष्य लेकर ही किया गया है !इससे समाज का विश्वास जीतने में बहुत बड़ा लाभ मिला इतना करने के लिए तो लोग कई कई पीढ़ियाँ गुजार देते हैं ।

    रामदेव जी का तो  सारा व्यापार  ही संन्यास,पतंजलि और हरिद्वार की महिमा पर टिका हुआ है अन्यथा समाज अन्य व्यापारियों की श्रेणी में ही इन्हें भी समझता !इनमें अलग क्या था !इसीलिए व्यापारियों से पतंजलि की कोई तुलना भी नहीं है क्योंकि वो ईमानदारी पूर्वक केवल व्यापार करते हैं वो व्यापार करने के लिए धर्म की आड़ नहीं लेते हैं । 

    संन्यास,पतंजलि और हरिद्वार ये तीनों नाम 'धर्म' से सम्बंधित हैं इस लिए इनकी जिम्मेदारी भी अधिक है जैसे आशाराम जी के साथ भी था बाद में जब कानूनी कार्यवाही हुई तब आशाराम जी की तो जो दुर्गति हुई सो हुई ही साथ ही सम्पूर्ण धार्मिक समाज ही कटघरे में खड़ा कर दिया गया था !मीडिया ने महीनों तक चलाया था धर्म और धार्मिक लोगों का ट्रायल !उससे सतर्क रहना चाहिए धार्मिक समाज को और सावधानी तो बरतनी ही चाहिए !लालू जी के कहे अनुसार यदि संदेह हुआ है तो साधू संतों की संपत्ति की जाँच तो होनी चाहिए ही किंतु ऐसे लोगों के विरुद्ध जाँच करेगा कौन !और क्यों करेगा !आदि आदि और भी  बहुत कुछ !  पढ़ें हमारा यह पूरा लेख योग दिवस  के दिन -

No comments:

Post a Comment