भ्रष्टाचार युक्त राजनीति ही भारत को शूट करती है और भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति से बिगड़ जाता है हाजमा !
लोकतंत्र की रक्षा करने का दंभ भरने वाले भ्रष्टाचारी नेता लोग भ्रष्टाचार रूपी माँ का दूध पीकर ही बलवान हो रहे हैं उसी माँ के दूध की सौगंध है कि वो माता भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकते क्योंकि माँ का सम्मान भारत के संस्कारों की पहचान है ।
जो नेता लोग भ्रष्टाचार समाप्त करने की बात करते है जब राजनीति में आते हैं तब उनकी थी उसके बाद उन्होंने पैसे कमाने के लिए किस समय क्या क्या प्रयास किए उसके लिए उनके पास समय कहाँ था और पैसे कहाँ से आए और आज संपत्ति कितनी है और यदि उनके द्वारा सार्वजनिक किए गए स्रोतों से अधिक है तो आई कहाँ से इन सभी बातों की यदि ईमानदार जाँच हो तो नेताओं और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों का एक बहुत बड़ा वर्ग जीवन भर जेलों में चाकी पीसेगा !
सरकारों में सम्मिलित भ्रष्ट लोगों के कमाऊ पूत होते हैं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी !अपनी कमाई के मजबूत स्रोतों पर कार्यवाही कौन करे !कुछ लोग खुद भ्रष्ट हैं इसलिए कार्यवाही किसी और पर क्या करें और जो खुद भ्रष्ट नहीं हैं वो अपने भ्रष्टाचारी मित्रों पर कैसे करें कार्यवाहीऔर जो खुद भी ईमानदार हैं और उनके साथ सरकारों में सम्मिलित उनके मित्र भी ईमानदार उनकी पहले वाली सरकारों में हुआ भ्रष्टाचार उनके लिए चुनौती बना हुआ हैभ्रष्टाचार का दंड केवल जनता ही नहीं सरकारी अधिकारी कर्मचारी भी भोग रहे हैं किंतु मन है कि मानता नहीं !
भी भोगते हैं अपने घूसखोर गद्दार अधिकारियों कर्मचारियों के !
जिसकी बुराई करके जीते जाते हैं चुनाव
की और भ्रष्ट का दंड अधिकारी भी भोगते हैं
ठीक करने के लिए सरकार कर क्या रही है को करने के लिए सरकार ने किया क्या है
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