"तिलक तराजू औ तलवार ,सब कोई देखौ भ्रष्टाचार "! उत्तरप्रदेश के हाथी तोड़ने लगे हैं अनुशासन कीरस्सी !
ये तो राजनीति है यहाँ कोई किसी का नहीं होता है इसमें जिसका जैसा आपराधिक कद उसको उतना बड़ा पद !साफ सी बात है किसी को बुरा लगे तो क्या ? दलितों
के शोषण के नाम पर सवर्णों को गालियाँ देकर दो दो कौड़ी के लोग विधायक
सांसद मंत्री मुख्यमंत्री आदि बहुत कुछ बन जाते हैं !ये है सवर्णों का गौरव
!राजनीति
ऐसा तालाब है जहाँ गधे नहाएँ तो घोड़े बनकर निकलते हैं बगुले हंस बन जाते
हैं !दो दो चार रूपए किराए के लिए तरसने वाले लोग कब अरबपति बन जाते हैं
ये उन्हें भी अखवारों से पता चलता है !हर दल का
हर नेता दलितों का विकास करने पर आमादा है किंतु कर नहीं पा रहे हैं बेचारे
! उनके जीवन की सबसे बड़ी पीड़ा या दुविधा ये है कि नेता अपना घर भरें या
दलितों का !इसलिए घर तो अपना भरते हैं गालियाँ सवर्णों को देते हैं जबकि
सवर्ण तो वर्षों से भारत में प्रवासियों जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं कहीं
पूछ लिया जाता है तो चले जाते हैं बाक़ी चौपट तो वही कर रहे हैं जिनके
पूर्वज सिखा कर गए हैं कि सवर्ण न होते तो हम तीर मार देते !खैर देखो इस
गलतफहमी में कब तक जीते हैं वो लोग !
नेताओं की नीलामी सीटों की नीलामी पदों की नीलामी बारी राजनीति ! अब अनुशासन की रस्सी तोड़ तोड़ कर भागने लगे हैं कहते महावत को मायामोह हो रहा है !
राजनीति में यदि खरीद फरोख्त और बंशवाद की प्रथा न होती गुंडागर्दी का बोलबाला न होता और अपराधियों का आदर न होता तो शिक्षित सेवक सदाचारी और ईमानदार लोगों को भी राजनीति में स्थान मिल सकता था किंतु भले लोगों के पास जो नहीं होता है उसी की जरूरत पड़ती है राजनीति में !
राजनैतिक पार्टियों में भी किन्नरों जैसा जीवन जी रहे हैं कई प्रतिभा संपन्न बहुमूल्य अच्छे खासे लोग !अपने को पार्टी के अनुशासित सिपाही बता बता कर अपना दिल बहलाया करते हैं पार्टियों में उपेक्षित जिंदगी जीने के लिए मजबूर लोग !नारे रिस्तेदारों के बीच उपहास करवाया करते हैं बहुमूल्य जीवन का एक एक स्वाँस पार्टी कार्यक्रमों के नाम पर ब्यर्थ में बिताया करते हैं कुछ लोगों से माँगे हुए पैसों का नास्ता कर जाते हैं कुछ लोग !मीटिंग का मतलब किसी की चाय फोकट में पीने के लिए इकठ्ठा होना यही तो हैं पार्टी के कार्यक्रम !कभी कभी जिंदाबाद मुर्दाबाद हैजाबाद फैजाबाद हो जाता है कभी कभी मुट्ठी भर पुआल में आग लगाकर पुतला जला दिया जाता है ऐसी ही ऊटपटाँग हरकतों को कहा जाता है पार्टी कार्यक्रम !उसमें कुछ न नया सोचना होता है और न होना होता है बस अपना अपना परिचय देना होता है इस समय बड़ी शालीन भाषा बोलते हैं नेता !चाय की चुसकियों के साथ सारा डिसकस पूरी तरह इंसानी भाषा में होता है । उपेक्षित नेताओं के विषय में हर कोई जानना चाहता है कि आपके अंदर ऐसा कौन सा दुर्गुण है कि आपकी पार्टी आपको कोई पद नहीं देती !किंतु बेचारे वे भले लोग ये कैसे बतावें कि कोई दुर्गुण ही तो नहीं हैं तभी तो पार्टी ने हासिए पर धकेल रखा है अन्यथा एक दो दर्जन यदि दबंगई टाइप के मुकदमे होते तो छोटे मोटे पद छोड़िए प्रदेश का अध्यक्ष बना देतीं !
अध्यक्ष बनते ही अतीत की सारी गुंडागर्दी के केस राजनैतिक केस कहे जाने लगते हैं और प्रशासन कार्यवाही करता है तो बदले की कार्यवाही मानी जाती है ! यही तो राजनीति का आनंद है ।
अरे बन्धुओ !राजनैतिक पार्टी में किन्नर बनकर रहने से अच्छा है कि आप जनसेवा व्रती बनें और अपनी जीवंतता सिद्ध करें !see more... http://sahjchintan.blogspot.in/2016/06/blog-post_1.html
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