ये है ज्योतिष !
बंधुओ !14 -2-2015 को जब केजरी वाल सरकार बनी तो इस सरकार में आम आदमी पार्टी के लगभग 13 विधायक ऐसे थे जिनके नाम 'अ' अक्षर से प्रारंभ होते हैं इसका मतलब ये होता है कि ये एक साथ शान्ति पूर्वक नहीं रह पाएँगे ये कभी भी कोई क्रांति का विगुल फूँक सकते हैं और ये सरकार गिर सकती है जैसे अन्ना आंदोलन 4 'अ ' अक्षरों के ईगो के कारण ही टूटा था !अन्ना ,अरविंद ,अग्निवेश और अमित त्रिवेदी इसी प्रकार से हमने कई और उदाहरण लिख कर इसी ब्लॉग पर प्रकाशित किए जिनमें मेरे कहने का उद्देश्य था कि 'अ' अक्षर वाले इतने लोग एक साथ नहीं रह पाएँगे और ये सरकार गिर जाएगी !ऐसे लेख बार बार प्रकाशित करने पर एक दिन आम आदमी पार्टी के ही किसी व्यक्ति ने इसका उपाय जानने के लिए करीब आधा घंटे तक हमारे साथ फेस बुक पर चैट की जिन्हें मैं पहचान नहीं पाया था किंतु उन्होंने अपना परिचय आम आदमी पार्टी से संबंधित ही दिया था ये मुझे याद है !उनसे मैंने साफ साफ कह दिया था कि ये लोग पार्टी और सरकार के लिए कभी भी समय बन सकते हैं इसलिए इन्हें खुश रखा जाना नितांत आवश्यक है उधर इसी बात से संबंधित आर्टिकल बनाकर हमने मार्च के पूर्वार्द्ध में ही अपने ब्लॉग पर डाल दिया था !सम्भवतः इसीकारण से 13 मार्च 2015 को ही बनाए गए थे 21 संसदीय सचिव !
ब्लॉग पर वो लेख प्रकाशित करने के बाद अभी तक पुनः खोला नहीं गया है प्रमाण रूप में उसकी जाँच करवाई जा सकती है ! पढ़ें आप भी उस मूल लेख का ये अंश -
" आम आदमी पार्टी हो या अरविन्द केजरी वाल 'अ 'अक्षर ने कर रखा है सबका बुरा हाल !
आप स्वयं देखिए - आशुतोष ,अजीत झा, अलकालांबा, आशीष खेतान,अंजलीदमानियाँ ,आनंद जी, आदर्शशास्त्री,असीम अहमद इसी प्रकार से अजेश,अवतार ,अजय,अखिलेश,अनिल,अमान उल्लाह खान आदि और भी जो लोग हों 'अ'
से प्रारम्भ नाम वाले वो कब किस बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर
पार्टी के कितने बड़े भाग को प्रभावित करके कितनी बड़ी समस्या तैयार कर दें
कहना
कठिन होगा !इससे पार्टी तो प्रभावित होगी ही सरकार भी प्रभावित होगी
क्योंकि ये छोटी समस्या नहीं तैयार करेंगे !
अभी भी आम आदमी पार्टी को सुरक्षित रखने का पहला रास्ता तो ये है कि सहनशीलता पूर्वक अ नाम वाले आम
आदमी पार्टी के सभी महापुरुष एक दूसरे की टाँग खिंचाई करना बंद कर दें
और सबके क्षेत्र बाँटे जाएँ तथा किसी एक का महिमा मंडन न किया जाए ,सभी अ वालों के काम अलग अलग बाँटे जाएँ और सभी 'अ'
से प्रारम्भ नाम वालों को समान रूप से पूजा जाए !सबको महत्त्व देने का
प्रयास किया जाए और जिसको कुछ कम सम्मान भी मिले तो वो पार्टीहित को ऊपर
रखकर उतने से ही काम चलाने की आदत डालें तो अभी भी एक सीमा तक टाले जा सकते
हैं कई प्रकार के विवाद !दूसरा रास्ता एक और है जिसमें कुछ ज्योतिषीय
सावधानियाँ बरतनी होंगी और भी कुछ बात व्यवहार बदलने होंगे जो यहाँ लिखना
संभव नहीं है अन्यथा यदि सबको पता लग ही गया तो उसका उतना प्रभाव उन लोगों
पर पड़ना संभव नहीं होगा जिन पर पड़ना चाहिए "!
यह पूरा मूल लेख पढ़ने के लिए खोलें यह लिंक seemore...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/03/blog-post_61.html
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