Tuesday, 7 June 2016

घूस हमेंशा गलत आदमी देता है घूसखोरी का मतलब है अपराध को बढ़ावा !

            शिक्षित  सजीव  एवं समझदार स्त्री पुरुष अगर चाहें तो अभी भी हो सकता है समाज में बड़ासुधार ! 

 किस अपराध को करके बचने के लिए कितने पैसे लगते हैं !नेताओं अधिकारियों कर्मचारियों पर ये सबसे बड़ा आरोप है इसके विरुद्ध उन्हें स्वयं देना होगा कठोर संदेश !
   घूस खोरी रोकने के लिए कठोर से कठोर सजा का प्रावधान किया जाए !सभी प्रकार के अपराधों की जड़ में है घूस !
      सरकारों और प्रशासन से समाज सुधार की उम्मींद तब तक नहीं की जा सकती जब तक घूसखोरी , भ्रष्टाचार आदि बिलकुल बंद न हो !क्योंकि सरकार हो या सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार से मिला पैसा उनकी पहली पसंद बन चुका है सैलरी तो उन्हें और उनके घरवालों को जन्म सिद्ध अधिकार दिखती है जैसे बरसात में पानी बरसेगा ही ,ठंड में शर्दी पड़ेगी ही ,गरमी में मौसम गर्म होगा ही  उसी तरह लोग सोचते हैं सैलरी तो मिलेगी उसके लिए क्या खुश होना !घर वालों में भी सैलरी के प्रति कोई उत्साह ही नहीं होता है साथ ही सरकारी नौकरियों में आराम ज्यादा है कि घर वाले कभी ये मानते भी नहीं हैं कि ये कुछ काम करके आए हैं उनसे ज्यादा घरों में वो अपने को बिजी समझते हैं घर के काम के लिए नौकर रखे हुए हैं और आफिस में क्या काम !वहां तो दस किलो बोझा उठाना हो तो करें विभाग को एप्लीकेशन भेज दी जाएगी !इसलिए वो आफिस में खाली वो घर में शाम को  या तो पिकनिक या फिर आखिर शाम पर कैसे हो !इसीलिए और भी तमाम प्रकार के सूझते हैं खुराफात !आत्म ह्त्या की घटनाएँ नशाखोरी या आराम पसंदगी की देन  है ! 


ज्योतिष की जरूरतें कैसे पूरी हों !
     विवाह, संतान, व्यापार, मकान, दुकान या बीमारी आदि से संबंधित नैतिक जरूरतों के लिए तो ज्योतिष जरूरी है ही

No comments:

Post a Comment