Friday, 24 June 2016

  महोदय , 
  मैंने  भारतसरकार  के  प्रमाणित सपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय से ज्योतिष शास्त्र में आचार्य अर्थात (M. A.)किया है इसके बाद "बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी"  से Ph.D की है ।ज्योतिष आयुर्वेद सहित वेदों और पुराणोंआदि में वर्णित  प्राचीनविज्ञान के आधार पर समयविज्ञान की दृष्टि से कई महत्त्वपूर्ण शोधकार्य किए हैं| 
   विश्व की सभी चिकित्सा पद्धतियों का मानना है कि जिसका समय खराब होगा उसे योग या आयुर्वेद के द्वारा स्वस्थ नहीं किया जा सकता आयुर्वेद भी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस सच्चाई को स्वीकार करता है यही सही है ।
     अभी कुछ दिन पूर्व फरीदाबाद के एक योगशिविर में योगगुरु रामदेव ने अपने योग की प्रशंसा करते हुए राहु, केतु, शनि ,साढ़ेसाती, रत्नधारण आदि विषयों की न केवल निंदा की है अपितु ज्योतिषियों को पाखंडी भी कहा है जिसका प्रसारण बहुत सारे टीवी चैनलों में हुआ अखवारों में भी ये खबर प्रकाशित की गई। चूँकि रामदेव प्रिद्धि प्राप्त बाबा हैं इसलिए उनकी बातों का समाज पर असर पड़ना स्वाभाविक है । 
        महोदय !काशी  हिंदू विश्व विद्यालय जैसे बड़े शिक्षण संस्थानों में ज्योतिष के डिपार्टमेन्ट हैं जहाँ अन्य विषयों की तरह ही छात्र सरकारी पाठ्यक्रम के रूप में ज्योतिष  पढ़कर छात्र ज्योतिषाचार्य (MA ) Ph .D. आदि  डिग्रियाँ हासिल करते हैं !उसी के आधार पर उन्हें नौकरी मिलती है । 
         श्रीमान जी !वेदों का नेत्र कहे जाने वाले ज्योतिष जैसे सम्मानित विषय की निंदा रामदेव अपने अज्ञान के कारण कर रहे हैं या फिर जैसे अपने उत्पाद बेचने के लिए दूसरे के उत्पादों की निंदा करने के आदती रामदेव ने अपने व्यायामी योग का विज्ञापन करने की दुर्भावना से ज्योतिष शास्त्र की निंदा की है । 
        महोदय ! मेरा निवेदन है कि रामदेव के ऐसे उपदेशात्मक गलत एवं भ्रामक विज्ञापनों पर अंकुश लगाया जाए !

 का दिवस की तैयारी के शिविर में  

तीक्षा इसके आधार पर   समय ही जिसका खराब हो उसे कैसे स्वस्थ कर लगा   आयुर्वेद या विश्व की कोई भी चिकित्सा पद्धति !समय जिसका पूरा  हो चुका हो उसे कैसे बचा लेगी विश्व की कोई भी चिकित्सा पद्धति !समय अच्छा है या बुरा इसे बताने वाला आयुर्वेद नहीं अपितु ज्योतिष है व्यायाम और आयुर्वेद की सामर्थ्य अत्यंत सीमित है चिकित्सा पद्धति स्वस्थ होने लायक रोगी को ही स्वस्थ कर सकती है हर रोगी को नहीं किंतु स्वस्थ होने लायक रोगी और न स्वस्थ होने लायक रोगियों के अंतर को स्पष्ट तो ज्योतिष ही करेगा !ये आयुर्वेद के बश की बात ही नहीं है !
      जिन पाखंडियों ने आयुर्वेद भी नहीं पढ़ा है वे ज्योतिष की निंदा करके मूर्ख  समाज को !आयुर्वेद ही पढ़ा होता तो भी पता होता ज्योतिष एवं वास्तु आदि का महत्त्व !मैं 'सुश्रुतसंहिता' और और 'चरकसंहिता' जैसे ग्रंथों में दिखा दूँगा ज्योतिषशास्त्र का खुला प्रयोग ! ज्योतिष शास्त्र के बिना विकलांग है आयुर्वेद !
    ज्योतिष शास्त्र समय संबंधी पूर्वानुमान का सबसे बड़ा विज्ञान है !

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