Saturday, 2 July 2016

कानून अधिकारियों के हाथ है या अपराधियों के हाथ ? बारे उत्तरप्रदेश !! जनता के दुःख दर्द भी कोई तो सुने !!!

     अधिकारी गाँधी जी के बंदरों के अनुयायी हैं वो समाज की बुराई देखना सुनना और बोलना  नहीं चाहते !नेताओं पर हर समय छाया रहता है चुनावी नशा !राजनैतिक शेयर मार्केट में गहमा गहमी का माहौल है कुछ लोग सरकारों से फेंके जा रहे हैं कुछ के मंत्रालय बदले जा रहे हैं कुछ को शर्मिंदा किया जा रहा है।  कुछ पार्टियों के हाथी पुरानी पार्टियों की जजीरें तोड़ कर घूम रहे हैं सूँड़ उठाए !मोलभाव करके बाँधे गए हैं कुछ तो कुछ घूम रहे हैं बिकने की तलाश में !
      नेता दूल्हे की तरह सजे घूम रहे हैं चिंता चुनाव जीतने की बाकी जनता जहन्नम में जाए !बारे जनसेवको !पार्टियों के पद बाँट दिए गए हैं और सबको समझाया जा रहा है कि ऐसे श्लोगन खोज कर लाओ जिससे ज्यादा से ज्यादा फँस सकें लोग !दलितों को आटा दाल चावल देने की बातें कह कर पटाओ!सवर्णों को सम्मान देने  नाटक करों पैरों से कमजोर होती हैं ये जातियाँ !महिलाओं को सुरक्षा की बातें बताओ ! घरों में अधिकार दिलाने के नाम पर भड़काओ ! सबके हाथ पैर जोड़ लो जितना मूर्ख बना सकते हो बनाओ ! दलितों को देखकर उन्हें सवर्णों के शोषण वाली घिसी पिटी बातें बताओ उनमें प्रतिशोध की भावना भड़काओ !जैसे सत्ता हथिया सकते हो हथियाओ जितना झूठ बोल सकते हो बोलो !खुली छूट है !
    कुलमिलाकर चुनावी बसंत ऋतु में नेताओं की नियत बिगड़ चुकी है चुनावी नशा सिर चढ़कर बोल रहा है । सरकारों को किसी के काम की कोई चिंता नहीं है आम आदमी का कोई बश नहीं है । नेताओं के आगे दुम हिलाना स्वीकार कर चुके हैं अधिकारी भी !अरे !माता सरस्वती के वरद पुत्र अधिकारियो !नेता लूटपाट  की राजनीति में बिजी हैं तो तुम्हीं बन जाते जनता का सहारा!इस लोकतान्त्रिक प्रणाली में कोई तो होता जनता का भी अपना !
     अपराधी किसी को भी चुनौती दे देते हैं "जाओ जो करना हो कर लो और डंके की चोट पर करते हैं अपराध !" ये सरकार शासन और प्रशासन के लिए शर्म की बात है क्योंकि ये चुनौती जनता को नहीं अपितु कानून और कानून के रखवालों के लिए होती है ये जिन्हें अपराधी या तो खरीद चुके होते हैं या खरीदने की ताकत रखते हैं या सोर्सफुल होते हैं या फिर शासन प्रशासन की परवाह ही  नहीं करते हैं सरकारी तंत्र इतना शिथिल है कि काम करना तो दूर जवाब देना जरूरी नहीं समझते हैं  लोकतंत्र के मक्कार प्रहरी !
     सत्ताधारी दल हों या विपक्ष !नेताओं का जनता के कार्यों से कोई संबंध नहीं रह गया है वो केवल अपने और अपनों के काम करते हैं बाकी सबको केवल आश्वासन देते हैं ।मंत्रालयों सरकारी आफिसों में जनता पत्र लिख लिख कर भेजती है उसमें ज्यादा से ज्यादा 'श्री' और 'जी' जैसे शब्द घुसाती है 'मान्यवर' 'महोदय' और 'श्रीमानजी' जैसे शब्द तो कहीं घुसा देती है लेकिन संवेदना शून्य लोग  ऐसे  शब्दों के अर्थ समझते भी हैं या नहीं !"भैंस के आगे बीन बाजे भैंस खड़ी पगुराय !"
    नेता केवल इतना काम  करने में लगे हैं कि अगले पाँच वर्ष बाद अपनी ही सरकार बने इसका इंतजाम करते हैं ।किसके भरोसे  चल  रहा है भारत का लोकतंत्र !हर सरकार अपनी अपनी पीठ थपथपा रही है । बड़ी बड़ी योजनाएँ बनाई जा रही हैं चुनाव जिताने का मतलब जनता को मूर्ख बनाने के लिए अब तो बकायदा ठेके पर उठने लगी हैं पार्टियाँ !प्रशांत किशोर जैसे लोग जनता को भ्रमित करने के लिए इस रिसर्च में लगाए गए हैं कि जनभावनाओं का अधिक से अधिक दोहन कैसे किया जाए !सरकारों को किसी के काम की कोई चिंता नहीं हैविपक्ष कुंठा ग्रस्त है जनता ट्रस्ट है बारे लोक तंत्र !
     बंधुओ !हमारे घर की दीवार तोड़ देने की हमें भी धमकी दी गई है किंतु इस गहमा गहमी में हम किससे कहें अपनी ब्यथा !
       कंप्लेन किससे करें घूस देने को पैसे नहीं हैं सोर्स है नहीं !दलालों ने बताया कि दीवार रोकने के लिए किस विभाग में किसको कितने रूपए देने पड़ेंगे सब के रेट खुले हुए हैं उन्होंने कहा कि घूसके बल पर निचले स्तर से मदद मिलने की सम्भावना है और सोर्स के बल पर ऊपर वाले लोग सुनते हैं ऐसा सिद्धांत है इसलिए या तो घूस दो या सोर्स निकालो !मैंने कहा ये दोनों नहीं हैं मेरे पास ।इसलिए मैं अधिकारियों को अपनी  समस्या लिखूँगा !इस पर एक  दलाल ने कहा कि आजकल अधिकारी लोग आपकी तो छोड़िए अपनी आत्मा की भी नहीं सुनते केवल शक्तिशाली नेताओं का अनुगमन करते हैं वे ! मैंने फिर भी कहा -
      कई मौकों पर अधिकारियों ने मुझे निराश नहीं किया है इसलिए उन्हीं तक अपनी आवाज पहुँचाने की एक कोशिश  मैं करूँगा !इसलिए मैंने  कई विभागों में कंप्लेनके एप्लिकेशन भेज दिए हैं केवल पुलिस थाने को छोड़कर ! 
      पुलिस थाने से न्याय की उम्मींद के विषय में मेरा निजी अनुभव बहुत ख़राब है !उसे हम झुठला नहीं सकते ! 
    एक बार इसी कानपुर में रास्ता चलते अपराधियों ने हम पर हमला कर दिया था जिसमें हमारे भाई साहब के सिर में 16 टाँके आए थे !लोगों की सलाह मानकर गलती से थाने चले गए थे हम दोनों भाई !वहाँ दरोगा जी ने समझाया कि अगर आप कुछ खर्च कर सकते हैं  ठीक है अन्यथा आपस में समझौता  कर लो !मैंने उनकी सलाह नहीं मानी अंत में गुस्साए दरोगा जीने हम लोगों को बंद कर दिया !रात भर सिर से बहा था खून !सुबह दरोगा जी ने कहा अभी भी समझौत कर लो और अपने सिर का इलाज कराओ जाकर !मैंने उनकी सलाह मान ली और समझौता कर लिया तब से भरोसा नहीं होता है पुलिस विभाग पर !हो सकता है उसमें भी कुछ लोग ईमानदार हों किंतु उनके विषय में मेरा अपना अनुभव ऐसा है और अनुभव बदलने में कोई किसी दूसरे की मदद नहीं कर सकता !अनुभव तो खुद करना पड़ता है । हमारी दीवार तोड़ने और हमारी ओर नियम विरुद्ध गेट  लगाने की धमकी दी गई है हमें उसे रोकने हेतु !
      हमसे कहा गया है कि हम कुछ भी कर लें किसी भी  अधिकारी से कह दें अपने समर्थन या न्याय की बात करने के लिए किसी को भी बुला लें किंतु वो मानेंगे नहीं वो हमारी दीवार तोड़कर  अपना दरवाजा  रख देंगे !जो सरकारी जमीन के स्वयंभू मालिक हैं और हम आफिस आफिस अप्लिकेशनें देते घूमरहे हैं हमने लीगल तौर पर जमीन खरीदी हैइसलिए ! 
  ऐसे उड़ाई जाती हैं कानून की धज्जियाँ !
    इसीलिए तो कानून का डर समाप्त होता जा रहा है लोगों में   भूमाफिया लोग सरकारी जमीनें बेच बेच कर करोड़ों अरबों पति हो जाते हैं सरकारी लापरवाही या मदद से -


      दोनों ओर से मिल रहे एरो के पास बनी हरी रेखा हमारे और दीगर भूमि वालों के बीच की बाउंड्री वाल है इस दीवाल के उधर से हमारा कोई मतलब नहीं है और इधर से उनका कोई मतलब नहीं होना चाहिए इस सिद्धांत का पालन पिछले 19 वर्षों से होता चला आ रहा है । आपसी शर्तों को तोड़ते हुए अब दीगर भूमि वाले लोग इस रोड को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तो बीच रोड में दीवार खडी किए हैं इस अस्थाई निर्माण का उद्देश्य ही इस रोड को आगे न बढ़ने देना है । आप स्वयं देखिए -



A-  यह  मेरे घर का गेट है ।
B-दीगर भूमि वालों की काफी लंबी बाउंड्री वाल के साथ साथ बनी छज्जे के नीचे हमारी सफेद सी दीवार !इसे तोड़कर बिलकुल हमारे दरवाजे पर गेट रखना चाह रहे हैं दीगर भूमि वाले लोग !
C- ये  रोड आगे न बन और बढ़ सके इसलिए बीच रोड में किया गया अस्थाई निर्माण !इसके लगभग 25 फिट बाद पनकी रोड का लिंक रोड है जो सीधे पनकी रोड में मिलता है और पनकी रोड जीटी रोड में मिलता है । 
इस  रोड आगे बढ़ने से जबर्दस्ती रोका गया है दोनों तरफ से आए रोडों के आपसी गैप को आप स्वयं देखिए -

 यदि ये रोड आर पार आपस में मिला दिया जाए तो यहाँ रहने वाला बहुत बड़ा वर्ग इससे लाभान्वित हो सकता है यहाँ कितनी घनी बस्ती है आप स्वयं देखिए -


      यह बात लगभग सारे पुराने लोगों को पता है कि जहाँ ये रोड बनने से रोका गया है वो जगह गाँव समाज की होने के नाते सरकारी है । बताया जाता है कि यहाँ कोई तलाब  था उसे बंद करके वो जगह धीरे धीरे घेर ली गई है पहले बाउंड्री बनाई गई फिर  सरकार से डरते डरते अस्थाई निर्माण किए गए अब स्थाई निर्माण किए जाने लगे हैं थोड़े दिन बाद यहाँ बिल्डिंगें खड़ी दिखेंगी !कोई क्या कर लेगा । इसलिए सरकार अभी जाँच करवावे यदि ये जमीन वास्तव में सरकारी है तो फिर क्या दिक्कत है फिर तो दोनों रोडों को आपस में मिला दे । 
       केवल यहीं नहीं भूमाफिया लोग कहीं भी सरकारी जमीनों को अपनी  समझकर घेर लेते हैं बना लेते हैं बेच देते हैं ये तो आम बात है । किसी के  कब्ज़ा कर लें किसी की दीवारें तोड़ दें इन्हें कैसे रोका  जा सकता है ।  इसलिए उचित होगा कि ऐसी जगहों की सरकार जाँच करवावे और अवैध जमीनों को चिन्हित करे और उन्हें  अभी मुक्त करवा ले अन्यथा बड़ी बड़ी बिल्डिंगें बन जाने के बाद भूमाफिया लोग तो तेज मद्द बेचकर भाग लेते हैं बाद में गरीब लोग फँस जाते हैं जिन्होंने खरीदी होती है ।
       सरकार की यदि यही लापरवाही रही तो ऐसे ही सरकारी जमीनें घेर घेर कर बेच लेंगे लोग !लापरवाही सरकार की फँसेंगे खरीदने वाले !सरकार से लेकर सरकारी मशीनरी तक सबकी लापरवाही से संम्भव हो पाते हैं ऐसे काम !स्थानीय कर्मचारी हो सकता है कि आर्थिक रूप से कुछ लाभान्वित हो जाते हों किंतु समस्या तब  कितनी विकराल हो जाती है जब बड़ी बड़ी बिल्डिंगें बन जाने के बाद उन्हें अवैध सिद्ध करके तोड़ा जाता है । 
        ऐसी जगहों पर कब्ज़ा करते समय कई लोग तोड़े जाने की आशंका से भू माफिया लोग इतनी घटिहा सामग्री लगा कर बिना पिलर की पाँच पाँच इंच की चौड़ी दीवारों पर चार चार मंजिले मकान खड़े कर देते हैं डेंटिंग पेंटिंग ठीक ठाक करके उठा देते हैं किराए पर !जब तक बिल्डिंग रहेगी तब तक किराया आएगा कब्ज़ा शो होगा !अगर मकान गिरता है तो मरेंगे बेचारे वे निर्दोष लोग जिनका कोई दोष नहीं है । जिसमें नै बस्तियों में ऐसे भूमाफिया लोग बहुत एक्टिव हैं जिसमें कल्याणपुर जैसी जगहों में किराए वाले छात्रों की संख्या बहुत होती है ऐसे होन हार छात्रों के जीवन के साथ प्रशासन की लापरवाही से हो रहा है खिलवाड़ !


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