Sunday, 21 May 2017

भूकंपों का संपूर्ण प्रकृति से संबंध - SEEn

भूकंपों का संपूर्ण प्रकृति से संबंध - (समय विज्ञान 4)
ब्रह्मांड हो या शरीर इन दोनों का ही निर्माण पाँच तत्वों से हुआ है पृथ्वी ,जल ,अग्नि,वायु और आकाश ये पाँच ही हैं जिनके द्वारा इस सारे चराचर जगत की उत्पत्ति हुई है !सृष्टि में हुए सभी प्रकार के निर्माण कार्यों में इन पाँच तत्वों की  उपस्थिति एवं इनका अनुपात निश्चित होता है उससे घट बढ़ नहीं सकता है अनावश्यक रूप से घटने बढ़ने पर उस तत्व से संबंधित विकार जागृत होने लग जाते हैं जिससे शरीरों में रोग होने लगते हैं और प्रकृति में प्राकृतिक दुर्घटनाएँ घटने लग जाती हैं !
इन पाँच में से किसी एक  में विकार आने का मतलब होता है पाँचों का विकारवान  हो जाना !जैसे किसी चार पाई का एक पावा यदि गड्ढे में हो तो बाकी तीन पावे बराबर पर रखे हों तो भी वो तीनों चार पाई को सँभालकर नहीं रख सकते !ठीक इसी प्रकार से किसी कुर्सी का एक पावा यदि  गड्ढे में पड़ जाए तो उन तीनों का भी संतुलन बिगड़ जाता है !इसी प्रकार से पञ्च तत्वों में से किसी एक में विकार आ जाएँ तो पाँचों विकारित हो जाते हैं !इसमें विष रूप से अग्नि वायु और जल में ये सक्रियता अधिक देखी जा सकती है|
प्रकृति का सिद्धांत है कि दो परस्पर विरोधी चीजों में से एक चीज बढ़ेगी तो दूसरी घटेगी ही इसलिए जो चीज जहाँ बढ़ या घट रही होती है उसका विरोधी गुण स्वभाव आकार प्रकार आदि वहीं उसके विरुद्ध बढ़ या घट रहा होता है | इसलिए किसी वस्तु की वृद्धि का ठीक ठीक अध्ययन करने के लिए उसकी विलोम वस्तु गुण स्वभाव आदि के ह्रास का भी मूल्यांकन करना उससे कम आवश्यक नहीं होता है |
इसी सिद्धांत से धरती पर आने वाली भूकंप आदि आपदाओं के लिए धरती का तो अध्ययन होना ही चाहिए इसके साथ ही धरती के विलोम आकाश की भी तलाशी ली जानी चाहिए !भूकंप आने के कुछ समय(महीने) पहले से धरती पर प्राकृतिक दृष्टि से क्या चल रहा था मनुष्यों पशुओं अन्य जीवों एवं वृक्षों और बनस्पतियों में लगभग 60 दिन पहले से कैसे कैसे बारीक बदलाव अचानक देखने को मिलने लगे थे!सामूहिक रूप से कैसी बीमारियाँ अचानक प्रकट होने लगी थीं विभिन्न वर्ग एवं व्यवसाय से संबंधित लोगों के स्वभावों में किस किस प्रकार के बदलाव देखे जाने लगे थे |विभिन्न प्रजाति के पशुओं पक्षियों एवं जीव जंतुओं में किस किस प्रकार के आचार व्यवहार एवं परिवर्तन दिखने लगे थे | भूकंप पीड़ित क्षेत्र में कोई अपशकुन दिखने लगे थे क्या ? हवाओं का रुख कैसा था आकाश की ओर देखने से कोई विशेष बदलाव दिखने लगे थे क्या ?
भूकंप बनने से प्रकृतिसात होने तक में सामान्यतौर पर एक वर्ष तो लग ही जाता है भूकंप घटित होने के 6 महीने पहले से लेकर 6 महीने बाद तक किंतु ये प्रकृति की अत्यंत सूक्ष्म प्रक्रिया होती है सामान्य रूप से इसके सूक्ष्म लक्षणों का संग्रह करके उनका अध्ययन करना अत्यंत कठिन होता है क्योंकि इसके अध्ययन के लिए अनेकों प्रकार के संसाधनों सहयोगियों की आवश्यकता होती है दूसरा ऐसे भूकंपों लक्षण तीव्र गति से आने वाले भूकंपों में विशेष अनुभव किए जा सकते हैं सामान्य भूकंपों में इनकी परख कर पाना अत्यंत कठिन होता है इसलिए भूकंप निर्माण की दूसरी समयावधि पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जिसमें एक भूकंप लगभग 75 दिनों में बनकर तैयार होता है इसके बनने की प्रक्रिया आरोही क्रम में होती है इसके बाद वो विस्फोट करता है विस्फोटन के बाद उस भूकंपीय घटक द्रव्यों के भग्नावशेष उस भूकंप पीड़ित भूभाग को 45 से 50 दिन तक पीड़ित करते हैं ये उस भूकंप के अवरोही क्रम से पिघलने अर्थात प्रकृति में पुनः सहज सम्मिलित हो जाने की स्वाभाविक प्रक्रिया है इतना समय तो लग ही जाता है कुल मिलाकर एक भूकंप के बनने से लेकर प्रकृतिसात होने तक की संपूर्ण प्रक्रिया में लगभग 110 दिन से लेकर 120 दिन तक लग जाते हैं | भूकंप बनने से लेकर प्रकृतिसात होने तक की संपूर्ण प्रक्रिया चक्रवात की तरह होती है जो इसी वायु मंडल से गुप्त रूप से वायु संचय करके और इसी वायु मंडल में बिलीन हो जाता है |
जैसे नदी के बाढ़ के दिनों में जल में पड़ने वाली भँवर वहीँ से जल संग्रह करती है वहीँ घूमती है इसके बाद वहीँ उसी जल में मिल जाती है | यही भूकंप के निर्माण से लेकर प्रकृतिसात होने की प्रक्रिया है |


जैसे शरीर में एक ब्रण बनता है फिर बिना फूटे अंदर ही अंदर पिघल कर माँस में मिल फोड़ा जैसे इसी वायु

आकाशीय परिस्थितियाँ कैसी बनी या बिगड़ी थीं ग्रहों नक्षत्रों के आकार प्रकार रंग रूप में क्या कोई बदलाव हुए थे ! चाल युति आदि ज्योतिष प्रक्रियाओं का भी पूर्ण अध्ययन किया जाना चाहिए


बाक़ी दो तो कम सक्रिय होते हैं


Saturday, 20 May 2017

EDMC के भ्रष्टाचार को भाजपा रोक पाएगी क्या ? जनता के भरोसे के प्रति कितनी गंभीर है पार्टी !

    EDMC वाले भ्रष्टाचारियों को सरकार यदि फ्री में भी रखे सैलरी न भी दे तो भी बहुत महँगे पड़ रहे हैं ये समाज को !सरकार यदि उन्हें सैलरी देकर रखती है तो सरकार को उनके कामकाज की जिम्मेदारी लेते हुए जनता को उनके काम काज से संतुष्ट करना चाहिए और ये बताना चाहिए कि उन्हें सैलरी किस काम के लिए दी जा रही है !
      अधिकारियों कर्मचारियों को सरकार ने जो अधिकार या जिम्मेदारियाँ दी हैं यदि वे उनके अनुरूप ईमानदार आचरण नहीं कर रहे हैं अपितु उन्हीं अधिकारों का दुरुपयोग कर घूसखोरी से कमाई कर रहे हैं तो उन पर क्यों नहीं की जानी चाहिए कठोर कार्यवाही !ऐसे लोगों को क्यों दी जाए सैलरी और उन्हें क्यों रहने दिया जाए उनके पदों पर ! EDMC के जिम्मेदार लोग यदि अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रहे हैं तो सरकार को अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए !अन्यथा उनके द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार में सरकार को भी संलिप्त माना जाना चाहिए !
  निगम की जमीनों पर कब्ज़ा करना हो या रिहायसी इलाकों में उन उन चीजों की दुकानें खोलनी हो जिन्हें उन्हीं के नियमों के अनुशार गलत माना  जा चुका हो ,ऐसी बिल्डिंगें जिनमें अनेकों फ्लैट होने के नाते छत सामूहिक हो उनकी छतों पर बाहरी लोगों के द्वारा मोबाईल टॉवर लगा दिए गए हों !जिनकी सहमति न EDMC ने दी हो और न ही बिल्डिंग में रहने वाले फ्लैट मालिकों ने रेडिएशन का भय होता है दूसरी बात टॉवर पर आने जाने वाले अपरिचित लोगों से सभी प्रकार का खतरा हो सकता है इसके बाद भी ऐसे अवैध मोबाईल टावरों समेत सभी कामों को बंद करवाना EDMCकी जिम्मेदारी होती है किंतु इस जिम्मेदारी को न निभा पाने वाले अधिकारीयों कर्मचारियों की छुट्टी क्यों नहीं की जानी चाहिए और उन्हें सैलरी क्यों दी जानी चाहिए ?यदि दी जाती है तो इसे जनता के धन का दुरुपयोग माना जाना चाहिए या नहीं ?

   ऐसे अवैध कामों को वो EDMC के लोग स्वयं तो हटाते नहीं हैं वहीँ इनसे पीड़ित लोग यदि शिकायत करते हैं तो बजाए उन अवैध कामों को बंद करने के अपितु EDMC उन्हें उनके विरुद्ध शिकायत की सूचना देती है इससे अवैध कार्य करने वाले प्रायः दबंग लोग शिकायतकर्ता के विरुद्ध गुंडा गर्दी की सारी सीमाएँ लाँघ जाते हैं ताकि शिकायत कर्ता दोबारा ऐसा न कर पावे !फिर भी यदि वो शिकायत करता है तो EDMCवाले उसे स्टे दिला देते हैं और खुद पैरवी नहीं करते हैं ऐसे दसों बीसों वर्षों तक खींचते चले जाते हैं और वे अवैध काम वैध से ज्यादा मजबूती के साथ चला करते हैं !
  पीड़ित पक्ष जब EDMC वालों से दोबारा पूछता है कि ये अवैध काम कब बंद होगा तो वो EDMCवाले उससे कहते हैं जब तक अदालत का स्टे रहेगा और अदालत का स्टे तब तक रहेगा तो जब तक अवैध काम करने वाले लोग जज को घूस देते रहेंगे !चूँकि अवैध कामों से जो लोग कमाई कर रहे हैं वे तो घूस दे सकते हैं किंतु पीड़ित पक्ष घूस क्यों देगा उसका स्वार्थ क्या है किंतु उससे भी पैसे माँगते हैं EDMC के कुछ बेशर्म लोग वो भी लाखों में अन्यथा स्टे हटेगा ही नहीं और न अवैध काम बंद ही हो पाएँगे फिर वो अवैध क्यों और कैसे ?सरकार को टैक्स मिले इसके लिए अवैध और अपने को घूस जब तक मिलती रहे तब तक चलते रहेंगे ! ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है क्यों ?

पीड़ित पक्ष से ये बेशर्म लोग कहते हैं कि तुम पार्टी बन जाओ और केस करो किंतु वो ऐसा करे तो सीधी दुश्मनी उसकी होती है दूसरा केस करने में कम पैसे खर्च होते हैं क्या ?आखिर पीड़ित पक्ष ये खर्च क्यों बहन करे वो केस क्यों लड़े वो वकील क्यों करे !अगर उसे ही सारी जिम्मेदारियाँ निभानी हों तो EDMC अपने अधिकारी कर्मचारी बैठ कर फालतू की सैलरी लेंगे क्या ?यदि EDMC के वकील योग्य नहीं हैं तो उन्हें खदेड़ बाहर क्यों न किया जाए उनकी जगह योग्य लोगों को क्यों न! नियुक्त किया जाए !और यदि EDMCके अधिकारी कर्मचारी ईमानदार नहीं हैं तो सरकार उन्हें  निकाल बाहर क्यों नहीं करती है !और ऐसे भ्रष्टाचारियों के रहते सरकार भ्रष्टाचार मुक्त स्वच्छ प्रशासन कैसे दे सकती है फिर स्वच्छता अभियान का आडम्बर क्यों ?और काहे का योगा डे !अपने कर्तव्य का पालन करने में फिसड्डी और योग के नाम पर नाक भौं सिकोड़ने का क्या लाभ !झाड़ू लिए घूम रहे हैं सफाई के लिये जबकि  आचरण इतना गन्दा जिसकी सफाई का न कोई अभियान और न किसी का ध्यान ! सरकार कहती है भ्रष्टाचार कहाँ है ?
    सत्ता में बैठे लोगों को एवं अधिकारियों कर्मचारियों को भ्रष्टाचार पकड़ने की या तो समझ नहीं है या फिर वे खुद भी उसी में संलिप्त होते हैं ऐसे भ्रष्टाचारियों को घूस खोरी दिखाई नहीं पड़ती हैं क्योंकि उसका हिस्सा शायद उन्हें भी मिलता होगा !इसीलिए वे लोग घूसखोरी की भयावह सच्चाई से मुख मोड़ लेना चाहते हैं !सरकारी कामकाज में घूस खोरी से जनता न केवल परेशान है अपितु तिल तिल मर रही है और सत्तासीन लोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि उनकी सरकार काम अच्छा कर रही है !सच्चाई तो यही है कि सरकारी कामकाज की शैली को जितनी गालियाँ दी जाएँ उतनी कम हैं !
       EDMC  को घाटा क्यों होता है!जिन कामों को जहाँ व्यापारी करना चाहते हैं या जिन सरकारी जमीनों पर लोग कब्ज़ा करके कुछ काम करना चाहते हैं या मोबाईल टॉवर लगाना चाहते हैं तब EDMC उन्हें परमीशन नहीं देती है जिससे सरकार को टैक्स मिले इसके बाद उन्हीं अवैध कामों को उन्हीं जगहों पर बिना परमीशन लिए हुए लोग करते देखे जाते हैं उससे घूस वसूलते हैं कर्मचारी लोग !
    EDMC के कुछ कानून माफिया अधिकारियों कर्मचारियों एवं घूस के द्वारा EDMC का बशीकरण करके अवैध काम करने वालों पर भी होनी चाहिए शक्त कार्यवाही !भ्रष्टाचार की काली इमेज वाली EDMCकी घूस खोर छवि अब बदली जानी चाहिए ! 
 जनता को ही इस भ्रष्टाचार से दिन रात जूझना पड़ता है उसे अधिक समय तक आश्वासनों का ग्लूकोस देकर भ्रमित नहीं किया जा सकता ! कुछ अधिकारियों की अकर्मण्यता और भ्रष्टाचार देखकर अब न उन्हें अधिकारी मानने का मन करता है और न ही सम्मान देने का !
     EDMC के जिम्मेदार लोग नियम विरुद्ध कार्यों को करने की परमीशन न देकर घूस लेकर खुली छूट देते हैं वही काम उन्हीं जगहों पर उसी तरह से करने की !यदि कुछ लोग ईमानदार हैं भी तो उन्हें रोकना चाहिए किन्तु वे भी उसी में सम्मिलित हो जाते हैं !घूस ले चुके होने के कारण अवैध कामों को EDMC के लोग खुद तो रोकते नहीं हैं किंतु यदि कोई उन कामों से पीड़ित होकर उनके विरुद्ध कंप्लेन करे तो उनसे भी रोकने के लिए पैसे माँगते हैं अन्यथा रोकते तो हैं ही नहीं ऊपर से कंप्लेन करने वाले की कुटाई जरूर करवा देते हैं !
      इनमें कानून का भी मिसयूज किया जाता है EDMC के घूसखोर लोग गलत  काम करने वालों को नोटिश दे कर उससे कह देते हैं कि कोर्ट से स्टे ले लो !बाद में घूस देकर स्टे आगे बढ़ाते जाना ! हम तुम्हारे विरुद्ध पैरवी नहीं करेंगे !स्टे और कोर्ट का नाम सुनकर और कोई अधिकारी कुछ बोलेगा नहीं और तुम अपने नियम विरुद्ध काम को भी नियमानुसार की तरह ही करते चले जाना !यही हो रहा है | 
     उधर उन अवैध कामों को रोकने की जो शिकायत करे उससे भी पैसे माँगते हैं ये लोग !कहते हैं ऊपर देने पड़ेंगे तब वो स्टे खोलेंगे !और दूसरी पार्टी से ज्यादा देने पड़ेंगे अन्यथा उससे कम दोगे तो वो क्यों सुनेंगे तुम्हारी बात !घूस के इस घिनौने खेल में वे जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्यरक्षा जैसी चीजों से भी समझौता करते देखे जाते हैं |
   ऐसा ही एक प्रकरण पूर्वीदिल्ली के कृष्णा नगर की  16 फ्लैटों वाली एक बिल्डिंग का है इसकी छत पर लगभग बारह वर्ष पहले एक अवैध मोबाईल टावर लगाया गया था जिसमें निगम से अनुमति नहीं ली गई है फ्लैट मालिकों से कोई NOC नहीं ली गई है | 50 फिट से अधिक ऊंचाई नहीं होने का नियम है तो 50 फिट ऊँची बिल्डिंग की छत पर तीस फिट ऊँचा टॉवर कैसे कानून सम्मत था !यदि नहीं था तो EDMC  के जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को इस टॉवर को हटवाकर लगाने वाले पर धोखा धड़ी की कार्यवाही तुरंत करनी चाहिए थी ये उनका कर्तव्य था !उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन क्यों नहीं किया ये या तो लापरवाही है या फिर घूस खोरी !इनसे पूछा जाना चाहिए और इसके लिए दोषी लोगों पर कार्यवाही की जानी चाहिए !
टावर लगाते समय फ्लैट वालों से कहा गया था कि टावर से मिलने वाले किराए से बिल्डिंग का मेंटिनेंस किया जाएगा !किंतु बिगत 12 वर्षों में ऐसा कुछ नहीं किया गया !आज तक बिल्डिंग के मेंटिनेंस में एक भी पैसा नहीं लगाया गया है पैसा कहाँ जाता है क्यों जाता है पता नहीं !मोबाईल टॉवर का किराया जिस व्यक्ति को दिया जाता है वो  बिल्डिंग में रहता नहीं है उसका कोई फ्लैट नहीं है जबकि टॉवर से होने वाली सभी प्रकार की परेशानियाँ झेल रहे हैं बिल्डिंग में रहने वाले और किराया ले रहे हैं माफिया लोग !
  यहाँ तक कि पिछले कुछ वर्षों से इसी बिल्डिंग के वेसमेंट में पानी भरा रहता है !पानी सड़ता है कीड़े मच्छर पैदा होते हैं बीमारियाँ फैल रही  हैं बिल्डिंग गिर सकती है फिर भी यह अवैध मोबाईल टॉवर केवल भ्रष्टाचार के बल पर चलाए जा रहे हैं कानून माफिया लोग !बिल्डिंग में रहने वाले लोग टावर हटने से पहले नहीं करवाएँगे मेंटिनेंस !ऐसे में यदि ये बिल्डिंग गिरी  तो इस जन हानि के लिए पूरी तरह  सरकारी भ्रष्टाचार जिम्मेदार है
      इस रिहायसी बिल्डिंग में कोई चौकीदार नहीं है मोबाईल टावर के कारण रात में भी बिल्डिंग के मेनगेट में ताला नहीं लगाया जाता है बिल्डिंग के बीच से सीढियाँ छत पर जाती हैं उनसे चढ़कर अपरिचित टावर मैकेनिक छत पर जाया आया करते हैं इस रिहायसी बिल्डिंग में यदि वे कहीं कोई वारदात कर देते हैं किसी पर हमला या  हत्या कर देते हैं या मैकेनिक के वेष में आकर कोई आतंक वादी विस्फोटक आदि ही रखकर चले जाते हैं तो ऐसी सभी दुर्घटनाओं के लिए केवल सरकार और उसकी घूस खोर मशीनरी ही जिम्मेदार होगी !ये है सुरक्षा व्यवस्था !
    ये मोबाईल टावर निगम के द्वारा 2013 में बुक किया जा चुका है किंतु अवैध टावर मालिक स्टे बढ़वाता जाता है घूस देते हैं इसलिए निगम भी पैरवी में लापरवाही करता है ! अवैध मोबाईल टावर हटवाने के लिए भी घूस माँगी जाती है |कहते हैं कि आजकल इसके लिए भी अधिकारियों पूजना पड़ता है जो जैसा पूजता है उसके पक्ष में वैसा फैसला आता है !बिल्डिंग में रहने वाले लोग EDMC और न्याय व्यवस्था  से जुड़े लोगों को पूजने के लिए पैसे कहाँ से लावें !और मोबाईल टावर हटवा कर कैसे अपनी सुरक्षा करें !
  बिल्डिंग में रहने वाले लोगों ने सरकार के प्रायः सभी जिम्मेदार विभागों अधिकारियों को बार बार कम्प्लेन की है किंतु कहीं कोई सुनवाई  नहीं है  फिर तीन चार महीने आगे की तारीख मिल जाएगी !आगे आने वाली बरसात में फिर वेस्मेंट में पानी भरेगा कोई अनहोनी होती है तो उसके लिए केवल सरकार और सरकारी की भ्रष्ट मशीनरी को ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए ! 
      
       

Tuesday, 16 May 2017

  ज्योतिषियों तांत्रिकों बाबाओं एवं कथावाचकों का भी कराया जाए नार्कोटेस्ट !
  अपराध करके धर्म का चोला  ओढ़  लेने वाले या धार्मिक वेष भूषा बनाकर अपराध करने वाले या धार्मिक लोगों की छत्र छाया में रहकर अपराध करने वाले लोगों के गिरोह पकड़े जा सकते हैं यहाँ से !
    अब आप स्वयं सोचिए कोई व्यापारी कितनी भी मेहनत करके  व्यापार प्रारंभ करे प्रायः पीढ़ियाँ लग जाती हैं व्यापार को ज़माने में वही व्यापार बाबा लोग करने लगें तो मिनटों में करोड़ों अरबों खरबों पति बन जाते हैं कैसे !ऐसे बाबाओं की राजनैतिक अच्छी पकड़ होती है इसलिए प्रशासन उनकी हनक मानता है अपराधियों के लिए इससे सुरक्षित एवं सुख सुविधा संपन्न स्थान और कहाँ मिल सकता है !जहाँ रहकर कमाई करेंगे उन्हें कुछ देंगे नहीं तो वो पकड़वा नहीं देंगे क्या ?  और देते रहेंगे तो ऐसे अपराधियों की रक्षा बाबा लोग स्वयं करते रहेंगे !भ्रष्ट बाबाओं के राजनैतिक लिंक अच्छे होते हैं ऐसे ही भ्रष्ट नेताओं के बाबाओं से ...!एक को सोर्स फुल दिखना होता है और दूसरे को धार्मिक !यद्यपि सभी लोग ऐसे नहीं होते हैं किंतु अभी तक जो पकड़े गए वे तो ऐसे निकले जो नहीं पकड़े गए वे कैसे निकलें !
       ऐसी आपराधिक आमदनियों से रईस होने वाले लोग असली साधू संतों कथा वाचकों 
   
    

से भी पूछा जाए कि जो पढ़ा नहीं वो ज्योतिषी कैसा !जो योग्य है उसे परीक्षा देकर ज्योतिष डिग्री प्रमाण पत्र लेने में क्या आपत्ति है और यदि आप ज्योतिष नहीं पढ़े तो क्यों कर रहे हैं लोगों की जिंदगियों के साथ खिलवाड़ !कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद की है कितने विवाहित जोड़ों का तलाक कराया है कितने लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर किया है !कितने लोगों का शारीरिक शोषण किया है कितने  गरीबों को ठगा है कितनी बच्चियों के बलात्कारों के लिए आप दोषी है http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_35.html

Friday, 12 May 2017

अधिकारियों कर्मचारियों और नेताओं की बेहिसाब संपत्तियों की जाँच करे और जब्त करे सरकार ! तब बंद होगा भ्रष्टाचार !!

   सभी प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जिन  अधिकारियों  कर्मचारियों और नेताओं की संचित संपत्तियाँ बेहिसाब हों उनके उद्गम के स्रोतों का पता न चल पा रहा हो ऐसी संपत्तियों की सघन जाँच हो वहाँ से जुड़े मिल सकते हैं अपराध  के सूचना स्रोत ! ईमानदार कर्मचारियों आदि को तंग न किया जाए !
  सरकार के जिस विभाग के जिस अधिकारी कर्मचारी के काम काज से जनता संतुष्ट न उन्हें आज तक दी गई सैलरी वापस ले सरकार !काम नहीं तो पैसा किस बात का ?
   सरकार हर जिले में शिकायतें सुनने के लिए शिविर लगवावे जिस जिले के जिस विभाग के जिस अधिकारी कर्मचारी  से संबंधित शिकायतें अधिक मिलें उन्हें प्रभाव से तुरंत सस्पेंड किया जाए और उनके स्थान पर नई नियुक्तियाँ की जाएँ !उनसे आज तक की सैलरी वसूली जाए !!
     जिस क्षेत्र में जिन कामों को करने की अनुमति नहीं दी जाती है उन्हीं क्षेत्रों में उसी तरह के काम यदि किए जाते देखे जाते हैं ऐसे कामों की सूची बनवावे सरकार और जब से वे अवैध काम उन जगहों पर संचालित हो रहे हैं या अवैध जमीनों पर कब्जे किए गए हैं  तब से लेकर आज तक ऐसे अवैध कामों या अवैध कब्जों को रोकने के लिए तैनात किए गए अलापरवाह अधिकारियों कर्मचारियों को दी गई सैलरी वापस ले ली जाए ऐसे लोग रिटायर्ड हों तो भी उन्हें गैर जिम्मेदार अथवा घूसखोर मानते हुए उन्हें आज तक दी गई सैलरी उनके संचित कोष से या उनकी सम्पत्तियों से वसूली जाए !
    जिस अधिकारी कर्मचारी को जब जो नौकरी मिली थी उस समय सरकारी कागजों में उसकी जितनी जो भूसंपत्तियाँ या संचित धन था उसके बाद जो सैलरी मिलती रही उससे मासिक खर्च काटकर उसके अलावा जो भी बढ़ी हुई संपत्तियाँ बनती  हैं उन्हें सरकार उनसे छीन कर सरकारी कोष में जमा करे !जप्त करे 
      जिन नेताओं ने जिस सन में पहला चुनाव लड़ा उस समय उनके नाम सरकारी कागजों में जितनी जो भूसंपत्तियाँ या संचित धन था उसके बाद जो सैलरी मिलती रही उससे मासिक खर्च काटकर उसके अलावा जो भी बढ़ी हुई संपत्तियाँ नेताओं के पास हैं वो सारी  उनसे छीन कर सरकारी कोष में जमा की जाएँ !
    सरकार ईमानदार है तो उसे अपनी ईमानदारी का बखान नहीं करना चाहिए अपितु अपने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को सफल बनाकर दोषियों को दण्डित करके अपनी मानदारी के प्रति जनता के मन में भरोसा पैदा करे !

Tuesday, 9 May 2017

ज्योतिष को बिना पढ़े ही कितनी बेशर्मी से गलत बता रहे हैं पाखंडी !

ज्योतिष को बिना पढ़े ही कितनी बेशर्मी से गलत बता रहे हैं पाखंडी !
    जिसने जो विषय पढ़ा ही न हो वो उस विषय में झूठी लप्फाजी हांकने लगे ऐसी मूर्खता कोई पढ़ा लिखा व्यक्ति कर सकता है क्या !किसी मोची को लगने लगे कि वो काट भी लेता है और सिल भी लेता है इसका मतलब वो सर्जन हो गया मूर्खतावश वो सर्जनों को गालियाँ देने लगे ये उस मोची की बेशर्मी हो सकती है किंतु विद्वत्ता नहीं !जो ज्योतिष को पाखंड कहता हो उसे शास्त्रार्थ की खुली चुनौती !यदि हिम्मत है तो स्वीकार करे अन्यथा बकवास बंद करे !see more....
https://www.youtube.com/watch?v=BF6W-xzUS_c

 https://www.youtube.com/watch?v=kVnIgSj5rcU

https://www.youtube.com/watch?v=_23-vojHqr0

https://www.youtube.com/watch?v=Q6l6Lhf83SI

https://www.youtube.com/watch?v=EAATpU66CSE 

https://www.youtube.com/watch?v=z7pFGWmt7VY

https://www.youtube.com/watch?v=u1uptyMioIA

https://www.youtube.com/watch?v=ReP7zu_6uL0
 'सलवार वाले बाबा को ज्योतिष पता होती तो दिल्ली के रामलीला मैदान में दुर्दशा नहीं होती !