आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी
आपको सादर नमस्कार !
बिषय :कोरोना जैसी महामारियों से संबंधित वैज्ञानिकअनुसंधानों को उपयोगी बनाने के बिषय में -
महोदय,
आपको सादर नमस्कार !
बिषय :कोरोना जैसी महामारियों से संबंधित वैज्ञानिकअनुसंधानों को उपयोगी बनाने के बिषय में -
महोदय,
जहाँ एक ओर कोरोना महामारी से प्रभावित देशवासियों को आत्मीयता पूर्वक खाद्यान्नों की मदद पहुँचाने में आपकी संवेदनशीलता की प्रशंसा की जा रही है |वहीं इसी महामारी से कई ऐसे प्रश्न भी खड़े हुए हैं जिनका उत्तर खोजा जाना भी अतीव आवश्यक है |
ये सभी को अच्छी तरह से पता है कि कोरोना महामारी को समझने एवं इससे निपटने आदि में वैज्ञानिकअनुसंधानों की कोई भूमिका नहीं रही है | कोरोना जैसे अपने शुरू हुआ था उसी प्रकार से अपने समय से ही 24 सितंबर के बाद स्वतः समाप्त होने लग जाएगा !जिसमें किसी औषधि या वैक्सीन आदि की कोई भूमिका नहीं होगी |
मान्यवर!वैज्ञानिकअनुसंधानों के असहयोग के कारण ही महामारी से संबंधित प्रत्येक बिषय में केवल कल्पनाएँ की जा रही हैं अंदाजे लगाए जा रहे हैं आशंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं |जिनके गलत होने की पर्याप्त संभावनाएँ हैं इसके बाद भी उन्हीं के आधार पर सरकारों का ध्यान भटकाने के लिए उन्हें लॉकडाउन सोशलडिस्टेंसिंग और मास्क लगवाने की प्रक्रिया में ठीक उसी तरह उलझा कर रख दिया गया है जैसे डेंगू से ध्यान भटकाने के लिए सरकारों को सफाई करवाने एवं मच्छर मुक्त मेदिनी बनाने में व्यस्त कर दिया जाता है |
श्रीमान जी !कई देश समूह घनीबस्तियाँ या भारत में श्रमिकों का पलायन जैसे ऐसे अनेकों उदाहरण हैं जहाँ सोशलडिस्टेंसिंग मास्क सैनिटाइजिंग या तो संभव नहीं था और या फिर किया ही नहीं गया इसके बाद भी उन क्षेत्रों में भी उस अनुपात में कोरोना संक्रमण बढ़ते नहीं देखा गया है ऐसा होने के पीछे का कारण नहीं खोजा जा सका है |
वैज्ञानिकअनुसंधानों से इतना भी सहयोग नहीं मिल सका है कि महामारी प्रारंभ होने से पूर्व इसके बिषय में पूर्वानुमान ही लगाया जा सका होता |संक्रमण की संख्या तथा रिकवरी आदि कब कितनी बढ़ने या घटने की संभावना है !यह महामारी समाप्त कब होगी आदि बातों का पूर्वानुमान लगा लिया गया होता |
कोरोनामहामारी का जन्म प्राकृतिक है या मनुष्यकृत है !कोरोना स्पर्श से होता है या हवा में व्याप्त है ?संक्रमण केवल मनुष्यों में है या पशुओं पक्षियों पेड़पौधों आदि सभी जगह व्याप्त है !इसका प्रभाव पृथ्वी के केवल बाहरीतल पर ही है या पृथ्वी की गहराई और आकाश की सुदूर ऊँचाई में भी है | फलों सब्जियों के केवल बाहरी हिस्से में है या उसके अंदर भी है !एक
मार्च से आठ सितंबर तक 413 बार भारत में भूकंप आये !जून महीने तक वर्षात
होती रही !टिड्डियों का प्रकोप बढ़ा एवं देश की सीमाओं पर तनाव बढ़ता रहा आदि
हर वर्ष न घटित होने वाली घटनाओं का भी कोरोना संक्रमण के साथ कोई संबंध था या नहीं ! ऐसे आवश्यक प्रश्नों के उत्तर अभी तक नहीं खोजे जा सके हैं | वैज्ञानिकअनुसंधानों के नाम पर जिसे जो समझ में आ रह है वो बोल दे रहा है |
कोरोना संक्रमित रोगियों में उभरने वाले लक्षण न खोज पाने के कारण कोरोना को स्वरूप बदलने वाला बता दिया गया है!इसका संदेश है कि ऐसे मायावी कोरोना की वैक्सीन बनाना संभव नहीं है |इस महामारी को कुछ समय बाद उसीतरह जलवायुपरिवर्तन से जोड़कर अपना पीछा छुड़ा लिया जाएगा !
महामारियों और मौसम संबंधी प्राकृतिक विषयों से संबंधित वैज्ञानिकअनुसंधानों की असफलता के लिए प्रायः जलवायुपरिवर्तन को जिम्मेदार ठहराकर अपने को बचा लिया जाता है |
मानसून आने जाने की तारीखों का अनुमान लगातार गलत होते जाने का कारण हो या आँधी तूफान वर्षा बाढ़ आदि का पूर्वानुमान न लगा पाने या पूर्वानुमानों के गलत हो जाने पर जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार दिया जाता है |
जलवायु परिवर्तन के लिए बढ़ते प्रदूषण को जिम्मेदार बता दिया जाता है बढ़ते प्रदूषण के लिए जीवन से जुड़े आवश्यक अनेकों कार्यों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है जिन्हें पूरी तरह रोक पाना सरकार के लिए संभव ही नहीं है यदि ऐसा कर भी दिया जाए तो भी प्रदूषण रुकेगा क्या इसकी कोई गारंटी नहीं है न रुका तो कुछ और कारण बता दिए जाएँगे कुछ और रडार स्थापित करने की बातें कर दी जाएँगी कुछ सुपर कंप्यूटर और मँगाने की सलाह दी जाएगी !कुछ और पेड़ पौधे लगवाने में सरकारों को व्यस्त कर दिया जाएगा !आदि किंतु ये नहीं बताया जाएगा कि इनसे समय पास करने के अतिरिक्त और होगा क्या ?क्योंकि महामारियों और मौसम के स्वभाव को समझने की प्रक्रिया विकसित किए बिना ऐसे यंत्रों का ढेर लगाने से क्या होगा ?
महोदय !आपसे मेरा विनम्र निवेदन है कि मैं भी पिछले 25 वर्षों से ऐसे ही प्राकृतिक बिषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ मेरी अनुसंधान प्रक्रिया बिलकुल अलग है मैंने महामारी के बिषय में जो पूर्वानुमान बिस्तार आदि लगाए थे वे बिलकुल सही हुए हैं जिसके मेरे पास पर्याप्त प्रमाण हैं | आगे भी 24 सितंबर तक कोरोना बढ़ेगा उसके बाद यह संख्या घटने और कोरोना क्रमशः समाप्त होने लगेगा !समाप्त होने की इस प्रक्रिया में 25सितंबर से 50 दिनों का समय लगेगा !मैं विश्वास से कह सकता हूँ कि मेरा यह पूर्वानुमान भी सच होगा !
मेरा सुझाव है कि बादलों की जासूसी को मौसम विज्ञान मानने की अपेक्षा महामारी एवं प्राकृतिक घटनाओं के स्वभाव के समझने के विज्ञान की खोज की जाए उस सक्षम विज्ञान से ही मौसम एवं महामारियों से संबंधित सार्थक अनुसंधानों को प्रोत्साहित किया जा सकता है !इसमें मेरी भी अनुसंधान विधा काफी सहयोगी सिद्ध हो सकती है |
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