कोरोना जैसी महामारी के बिषय में वास्तविक वैज्ञानिककारण खोजने के बजाए सरकार कभी मन की बात करती है तो कभी तन की बात करती है और कभी धन की बात करती है |कोरोना से निपटने के लिए तरह तरह के उपाय बताए जाते हैं जो किसी जादू टोने की तरह लगते हैं |ऐसा कर लो तो कोरोना नहीं होगा वैसा कर लो तो कोरोना नहीं होगा आदि आदि !जबकि ऐसा वैसा करने को बताने वालों के पास ऐसी कोई वैज्ञानिक रिसर्च नहीं थी जिसके बलपर उसे प्रमाणित किया जा सके कि कैसा कर लेने से कोरोना नहीं होगा !
मध्यप्रदेश में एक साधूबाबा बाहर से आए उनके आश्रम से जुड़े होने के कारण उनके अनुयायी काफी थे साधू बन जाने के कारण लोग उनका सम्मान भी करते थे !एक दिन वहाँ के किसी स्कूल का कोई उत्सव था उसमें साधू बाबा को बुलाकर सम्मान किया गया उनकी तारीफ में एक से एक बढ़ चढ़ कर बातें विभिन्न वक्ताओं के द्वारा बोली गईं अंत में बाबा जी से आशीर्बचन बोलने को कहा गया वे कुछ पढ़े नहीं थे न कुछ बोल पाते थे और न साधू ही थे मुख्यमहंत जी की मृत्यु हो जाने के कारण उन्हें आश्रम सौंप दिया गया था तो उन्होंने भी साधुओं जैसा वेषबना लिया था यद्यपि सज्जन थे |बोलने की बात सुनते ही बाबा जी धर्म संकट में पढ़ गए कुछ देर वे मौन बैठे रहे समाज उनके मुख की ओर बड़ी आशा से ताकता रहा !वे लज्जित होकर चुप बैठे रहे उन्हें अचानक याद आया कि कार में कुछ इलायची दाने रखे हैं तो बड़ी ठसक में चिल्लाते हुए बोले बचवा गाड़ी से प्रसाद लेते आऊं इन लोगों को बाँट दो किसी तरह बाबा जी पीछा छोड़ाकर बनारस वापस लौटे !मैं भी उनके साथ था | कोरोना काल में मुझे वो घटना याद आ गई कि इतनी बड़ी महामारी से निपटने के लिए सरकार को अपनी वैज्ञानिक अक्षमताओं की चिंता करनी चाहिए थी इतनी बड़ी महामारी के कारण निवारण लक्षण और पूर्वानुमान खोजवाने चाहिए थे !ऐसा न कर पाने के कारण सरकार ताली थाली बजवाती रही उन्हीं बाबा जी की तरह सरकार कुछ लोगों को पैसे देती रही कुछ को राशन उपलब्ध करवाती रही कुछ को भोजन पैकेट दिलवाती रही किंतु इतनी महामारी पैदा होने से पूर्व इसके बिषय में पूर्वानुमान क्यों नहीं लगाया जा सका !इसपर कोई काम नहीं किया जा सका !थोड़े दिन बाद महामारी स्वयं ही समाप्त हो जाएगी !लोग भूल भाल जाएँगे !यही वैज्ञानिक अपनी वैक्सीन के द्वारा महामारी को कंट्रोल कर लेने का दावा ठोंकने लगेंगे !
वास्तविक समस्याओं से निपटने के लिए कितनी गंभीर है को कभी तन की बात कभी मन की बात कभी धन की बात करके अपना समय तो पास कर लेती है किंतु जनता क्या करे क्योंकि बातों से पेट नहीं भरता !
विपक्ष न होने के कारण किसी एक पक्ष की सरकार बनाना जनता हैं की मजबूरी है किंतु सत्तासीन नेता लोग ऐसा न समझें कि जनता हमेंशा उन्हीं के हाथ जोड़ती रहेगी !मजबूर होकर जनता भी नया नेतृत्व खड़ा कर सकती है |
भारत सरकार कोरोना महामारी से निपटने के लिए गंभीर क्यों नहीं है ?
जनता जूझ रही थी कोरोना से और सरकार ताली और थाली बजाने की सलाह देती रह गई !
आखिर किस काम आएँगे
कोरोना से जूझती रही जनता अफवाहें फैलाते रहे वैज्ञानिक और ताली थाली बजवाती रही सरकार !
कोरोना जैसी इतनी बड़ी महामारी की मुसीबत से जूझती जनता को उन वैज्ञानिक अनुसंधानों से नहीं मिल सकी कोई मदद !
ऐसे अनुसंधानों पर क्यों खर्च की जाती है टैक्स के नाम पर जनता से नोची गई खून पसीने की कमाई !देश और समाज की मुसीबत में जो काम न आ सकें ऐसे वैज्ञानिकअनुसंधान किस काम के ?इन पर क्यों खर्च किया जाता है जनता के खून पसीने की कमाई से टैक्स रूप में लिया गया धन !पाई पाई और पल पल का हिसाब देने की कसमें खाने वाली सरकार क्या इस बिषय में भी किसी की जवाब देही तय करेगी !
वैज्ञानिकअनुसंधानों के अभाव में कोरोना को समझा ही नहीं जा सका कि ये है क्या बला !कोरोना के खतरों और सावधानियों के बिषय में पूर्वानुमानों के बिषय में उपायों के बिषय में औषधियों वैक्सीनों के बिषय में जिसे जो मन आया सो बकता रहा !चतुर लोग महामारी को भुनाने में लगे रहे !सरकार मूकदर्शक बनी रही और उन वैज्ञानिक लोगों की निराधार अवैज्ञानिक बातों को मानने के लिए जनता को बाध्य करती रही !
वैज्ञानिक सलाहों के नाम पर केवल अफवाहें फैलाई जाती रहीं !पहले कहा गया कि कोरोना छूने से फैलता है इसे लेकर ऐसी अफवाहें फैलाई गईं
ये न छुएँ वो न छुएँ किसी को न छुएँ कहीं न जाएँ किसी से न मिलें किसी का
छुआ न खाएँ !किंतु घनी बस्तियों में फैक्ट्रियों में एक एक कमरे में कई कई
लोग रहते रहे सोते जागते खाते पीते रहे !गरीब लोगों के लिए बच्चे पालना
मुश्किल था वे सैनिटाइजर और मास्क कैसे खरीद पाते !मजबूरी में खाने उन्हें का इंतजाम करने के लिए दर दर भटकते रहे !
उन्हें कोरोना नहीं हुआ !जिनके पास पैसा था उन्होंने घर से निकलना बंद कर दिया नौकरों से सामान मँगाने खाने लगे फिर भी उनमें से बहुतों को कोरोना हुआ किंतु सभी जगह घूमने वाले सभी से मिलने जुलने वाले नौकरों सब्जी वालों ग़रीबों को नहीं हुआ !यहाँ तक कि दिल्ली मुंबई सूरत आदि से लाखों श्रमिक अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ अपने अपने घरों के लिए पैदल ही निकल पड़े छोटे छोटे बच्चे भी साथ थे कई महिलाओं को रास्ते में प्रसव भी हुए !उनके द्वारा कोई सावधानी नहीं बरती जा सकी जहाँ जिसने जैसे हाथों से जो कुछ जैसा भी दे दिया वही खुद कहते रहे बच्चों को खिलाते रहे सभी लोग साथ साथ रहते रहे सोते जागते खाते पीते रहे !उन्हें किसी को कुछ नहीं हुआ !इसी प्रकार पहले कहा गया कि अधिक उम्रवालों को कोरोना
से ज्यादा खतरा है बाद में एक से एक बूढ़े लोग भी स्वस्थ होते देखे गए कुछ
ऐसे स्त्री पुरुष भी थे जिनकी उम्र 100 वर्ष से भी अधिक थी वे भी स्वस्थ हुए !
यह देखकर कोरोना की अफवाहें फैलाने वाले लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि उनका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत था इसलिए उन्हें कोरोना नहीं हुआ या वे स्वस्थ हो गए !अरे !जो रईस लोग जीवन भर काजू बादाम खाते रहे सारे टीके समय पर लगवाते रहे जिनके अपने खुद के फैमिली डाक्टर हैं उनके कहने पर टैंकरों टानिकें पी गए होंगे !न जाने कितनी आयरन और बिटामिन की गोलियाँ खा गए होंगे | उनका इम्युनिटी सिस्टम कैसे कमजोर बना रहा ?अमितशाह, अमिताभबच्चन, दिल्ली के स्वास्थ्यमंत्री और भी केंद्रीय या प्रांतीय कई मंत्री लोग तथा कई और भी बड़े बड़े धनवान लोग कोरोना संक्रमित हुए आखिर क्या कमी थी इनके पास !जिसके कारण इन्हें कोरोना हुआ अनुसंधानों के अभाव में ऐसा होने के पीछे का कारण पता नहीं लगाया जा सका !
पहले कहा गया कहा गया कि हृदयरोगियों को कोरोना से ज्यादा खतरा है बाद में एक खबर प्रकाशित हुई कि कोरोनाकाल में 60 प्रतिशत कम हार्टअटैक हुए हैं !
पहले कहा गया कि शुगर रोगियों को कोरोना से ज्यादा खतरा है बाद में कहा गया कोरोना होने के बाद बढ़ जाता है शुगर !इसीप्रकार कोरोना काल में अधिकाँश प्रसव घरों में हुए जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ बने रहे !
पहले कहा गया कोरोना के कारण बहुत मौतें हो रहीं हैं !एक दिन दिल्ली के
बिषय में खबर छपी कि इन तीन महीनों में पिछले वर्ष 37हजार लोगों की थी
जबकि इस वर्ष की तिमाही में मात्र 31 हजार लोगों की ही मृत्यु हुई है पिछले वर्ष से 6 हजार कम !ऐसी और भी बहुत सारी घटनाएँ घटित हुई हैं |जिनका कारण नहीं जा सका ! व्यंगकार ने कहा कि कोरोना के कारण लोग अस्पतालों में नहीं जा सके अपने फैमिली डॉक्टर से नहीं मिल सके इसलिए हुआ ऐसा चमत्कार !
कहा गया फल और सब्जियों को अच्छे ढंग से धोकर खाओ नहीं कोरोना संक्रमण फैलेगा !दूसरी खबर आई कि तंजानियाँ में फलों को काटकर उनका परीक्षण किया गया तो उसके अंदर भी कोरोना निकला !
परीक्षण संसाधनों की बात की जाए तो जो लोग कोरोना जाँच कई जगहों से करवा लेते थे उनमें से कुछ की रिपोर्टों में वह व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकलता था और कुछ में संक्रमण मुक्त होता था !दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के साथ भी ऐसा ही हुआ था !इससे वैज्ञानिक तैयारियों का अनुमान लगाया जा सकता है कि महामारी से निपटने की हमारी वैज्ञानिक तैयारियाँ कितनी दमदार थीं !
यहाँ तक कि पशुओं में कोरोना पक्षियों में कोरोना नदी के पानी में कोरोना हवा में कोरोना फिर सभी जगह कोरोना ही कोरोना संक्रमण होने के समाचार मिलने लगे !स्पेन जैसे देशों ने तो बड़ी संख्या में पशुओं का बध करने का भी बिचार बना डाला किंतु संक्रमित पशु केवल उतने ही तो नहीं थे और केवल एक देश में ही नहीं थे !
जो सरकारें सोशल डिस्टेंसिंग सैनिटाइजर मॉस्क एवं लॉकडाउन लगाने के बलपर कोरोना को नियंत्रित कर लेने का दंभ भरती हैं !उन्हें सोचना चाहिए कि ऐसे सभी नियमों का पालन पशु पक्षियों ने तो नहीं किया और न ही संभव था !इसलिए उनमें कोरोना संक्रमण घटने की उम्मींद ही नहीं की जानी चाहिए थी | पाकिस्तान जैसे कुछ देशों में परिस्थितिबशात उतनी सावधानी नहीं बरती जा सकी फिर भी वहाँ संक्रमण पर आसानी से नियंत्रण हो गया |
चिकित्सा संबंधित संसाधनों सावधानियों से यदि कोरोना जैसी महामारी पर नियंत्रण करना संभव होता तो अमेरिका जैसे चिकित्सकीय संसाधनों से संपन्न देशों में कोरोना संक्रमण इतना बढ़ने नहीं पाता !
कुल मिलाकर वैज्ञानिक अनुसंधानों के बलपर कोरोना महामारी से निपटने की कोई मदद नहीं मिल सकी ! महामारी के प्रारंभ होने का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका और न ही ये बताया जा सका कि कोरोना संक्रमण कब कितना बढ़ेगा और कब कम होगा न ये बताया जा सका कि कोरोना प्राकृतिक है या मनुष्यकृत !यह भी नहीं बताया जा सका कि कोरोना हवा में है या नहीं !कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने के लिए वैक्सीन बनाते भी रहे और बार बार खंडन भी करते रहे कि वैक्सीन बनाना कठिन है क्योंकि कोरोना स्वरूप बदल रहा है | दोनों बातें बोलते रहे कोई तो निकलेगी ही |
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