- बंधुओ ! अर्जी हमारी मर्जी आपकी -
पत्नी से बहुत स्नेह करो क्योंकि उसका जीवन आपके लिए समर्पित होता है
किन्तु बहनों के प्रेम का अकाउंट इतना अलग अवश्य रखो ताकि बहनें भी कभी
अपना दुःख दर्द आपसे और केवल आपसे कह कर अपना मन हल्का कर सकें !अन्यथा
अपनी भाभी के संकोच में वे नहीं बता पाती हैं अपने मन की बातें ! ननद और भाभियों के
सम्बन्ध तो गिफ्ट लेन देन का व्यापार मात्र बनते जा रहे हैं,जिसका
गिफ्ट जितना बहुमूल्य उसका स्नेह उतना प्रगाढ़ !गरीब बहनों का स्नेह कमजोर !जबकि उन्हें और अधिक अपनेपन की आवश्यकता होती है ।
भाइयों ! तुम्हें पता
है क्या कि अपने बूढ़े माता पिता की छवि आपमें देखती हैं आपकी बहनें, कोई
भी बड़ी से बड़ी परेशानी आपके बल पर सह लेती हैं ,ससुराल की स्वाभाविक
कठिनाइयों से तंग आकर आपके स्नेह की याद करके एकांत में जी भर रो लेती
हैं आपकी बहनें ! आपकी निंदा करने वाले अनेक ससुरालियों से उन्हीं के घर
में रहकर आपके लिए अकेली लड़ती हैं आपकी बहनें !यह जानते हुए भी कि जीवन उनके साथ
गुजारना है कमाई उस घर की खानी है कपड़े उनके पहनने हैं फिर भी लड़ना आपके लिए ! आपके यहाँ कोई कामकाज पड़ने पर उपहार भी
उन्हीं से लेकर आना होता है फिर भी उपहारों का मायके में मूल्यांकन! भाइयों के छोटे से छोटे स्नेह की बातें ससुराल में कितने बार कितने स्वजनों को कितनी बढ़ा चढ़ाकर बताई गई होती हैं यह सुनकर
कितना कष्ट होता है कि आपकी बहनें आपकी पत्नी के ताने इसलिए सहती हैं कि
उन्हें आपसे लगाव होता है और इसलिए सहती हैं कि उन्हें अपने बचपन के घर की
दीवारें देखने का मन होता है!
बंधुओ!आपने कभी कल्पना की है क्या कि बचपन की खेली हुई
अँगनाई ससुराल के घर में स्वप्न में देखकर सिसक उठती हैं आपकी बहनें !अपने भाइयों पर कितना
गर्व करती हैं बहनें इसका एहसास काश !भाइयों को भी होता !कई बार ऐसी घटनाएँ
सामने आती हैं जब मानसिक दबाब में आकर बहनें जीवन छोड़ देती हैं यदि भाइयों
पर भरोसा होता तो कह सकती थीं उनसे अपने मन की पीड़ा और हल्का कर सकती थीं
अपने मन का बोझ !और बचाया जा सकता था उनका बहुमूल्य जीवन !
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