कल एक टी.वी.चैनल पर बहस में भाजपा के एक अच्छे कार्यकर्ता साईं के समर्थन में न केवल वकालत सी कर रहे थे अपितु उनकी भाषाशैली भी सनातन धर्मियों के लिए अनुकूल नहीं थी जिसे सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ ! और उन कार्यकर्ता महोदय की बातों पर मैं अपने मन ही मन में काफी देर तक मनन करता रहा कि यह क्या इतना बदलाव !
बंधुओ ! क्या भाजपा वास्तव में इतना बदल जाएगी !
बंधुओ ! क्या भाजपा वास्तव में इतना बदल जाएगी !
इसका मतलब कहीं ये तो नहीं है कि प्राचीन संस्कृति एवं भारतीय धर्म शास्त्रीयता आदि पुराना पुराना सब कुछ भुला कर नया नया लाया जाएगा !
जैसे पुरानी पार्टी काँग्रेस की जगह सरकार में नई पार्टी भाजपा लाई गई !
जैसे चुनावों में प्रचार की पुरानी पद्धतियों की जगह नए हाईटेक चुनाव प्रचार को श्रेय मिला !
- पार्टी के आदर्श पहले श्री राम जी थे क्या अब साईं राम माने जाएँगे अर्थात श्री राम पुराने हो गए !
श्री राम मंदिर निर्माण की जगह क्या अब साईंराम मंदिर निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा क्या !क्योंकि श्री राम मंदिर निर्माण का मुद्दा अब पुराना हो गया !
काशी विश्वनाथ जी की जगह सिरडीसाईं नाथ लेंगे क्या ?
श्री कृष्ण की जगह साईं कृष्ण लेंगे क्या ?
श्री कृष्ण की नगरी द्वारिका की जगह 'द्वारिका माई'(साईं का निवास) मानी जाएगी क्या ?
श्री राम नवमी की जगह साईं राम नवमी मनाई जाएगी क्या !
श्री रामचरित्रमानस की जगह साईंरामचरित्र लेगा क्या ?
जगद्गुरु शंकराचार्य की जगह साईं मंदिर के ट्रस्टी लेंगे क्या?
क्या मोदी जी की जीत का श्रेय अब काशी विश्वनाथ जी की जगह सिरडीसाईंनाथ को दिया जाएगा क्या ? जैसा कि कहा जा रहा है कि चुनावों से पूर्व मोदी जी शिर्डी आए थे और विजय का आशीर्वाद लिया था !
भगवान विष्णु के चरणों से गंगा जी निकली हैं तो क्या अब साईं के पैरों को धोकर कोई नई गंगा बहाई जाएँगी क्या ?क्योंकि पुरानी गंगा जी तो अब मैली हो गई हैं !
मुझे नहीं पता है कि मोदी जी को शिरडी बुलाया गया है या नहीं, मोदी जी शिरडी स्वयं जा रहे हैं या बुलाए जा रहे हैं अथवा मोदी जी शिरडी जा भी रहे हैं या नहीं, मोदी जी को प्रधानमन्त्री होने के नाते बुलाया जा रहा है या वो साईं पर श्रद्धा होने के कारण साईं का पूजन भजन करने के लिए शिरडी जा रहे हैं और यदि ऐसा भी करने के लिए जाना चाहते हैं तो जाएँ उन्हें कोई कैसे रोक सकता है उसके कई कारण हैं पहली बात तो देश के हर नागरिक की तरह वो भी स्वतन्त्र हैं दूसरी बात वो प्रधानमंत्री हैं इसलिए भी वो जो चाहें वो कर सकते हैं इसलिए भी जा सकते हैं !किन्तु यदि साईं पर श्रद्धा होने के कारण साईं का पूजन भजन करने के लिए वे शिरडी जा रहे हैं तो उन्हें भी जगद्गुरु शंकराचार्य जी के साईं विषयक धर्म शास्त्रीय विचारों को ध्यान अवश्य देना चाहिए !उचित तो यह होगा कि उन्हें भी "धर्म संसद (साईं भगवान नहीं हो सकते )" में बुलाया जाना चाहिए उन्हें भी सबके शास्त्रीय विचार सुनने चाहिए और साईँ विषयक शास्त्रीय विचार अपने भी रखने चाहिए ताकि साईँ के विषय में शास्त्रीय सच समाज के सामने लाया जा सके !
वैसे भी धार्मिक अंधविश्वास को दूर करने के लिए शास्त्रार्थ के अलावा और दूसरा विकल्प क्या है साईं वालों को भी उसका सम्मान करना चाहिए ! यदि साईं वाले लोग शास्त्रीय समाज को अपने शास्त्रीय तर्कों से प्रभावित कर पाते हैं तो उनका पक्ष प्रोत्साहित होगा अन्यथा साईं के भगवान होने के समर्थन में यदि वे शास्त्रीय तर्क नहीं दे सके तो साईं षडयंत्र का गुब्बारा अपने आप ही फूट जाएगा !
No comments:
Post a Comment