Friday, 8 August 2014

संदेश

                         गौ गंगा गीता एवं समस्त सनातन शास्त्रों की गौरव रक्षा हेतु 

         राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान (रजि.)

                                                                                                                दिनांक - 08-08-2014  

      बंधुओ !वर्तमान समय में समाज अनेकों प्रकार की धार्मिक भ्रांतियों से जूझ रहा है शास्त्रीय मान्यताओं का तेजी से ह्रास होता जा रहा है चारों और कल्पित मान्यताएँ स्थापित की जा रही हैं  इसका एक पक्ष तो यह है कि अज्ञानी एवं पाखंडी लोगों ने धर्म के विषय में अपने कल्पित विधि विधानों को घुसा रखा है दूसरी ओर धर्म जागरण की शास्त्रीय प्रक्रिया अत्यंत शिथिल होती जा रही है ऐसी परिस्थिति में सनातन धर्मी समाज में भटकाव आना बहुत ही स्वाभाविक है भ्रमित होते जा रहे स्वसमाज को पुनः अपने शास्त्रीय धर्म पथ पर अग्रसर  करने की आवश्यकता है इस दिशा में अनेकों लोग अपने अपने स्तर से यत्र तत्र सर्वत्र प्रयास कर रहे हैं उसका उतना असर भी हो रहा है । 
        मुझे इस बात की असीम प्रसन्नता है कि इसी दिशा में अपने विविध प्रयासों के द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मेरे मित्र श्री अजीत तिवारी जी 'धर्मप्रहरी'नाम से एक मासिक पत्रिका प्रकाशित करने जा रहे हैं मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इस दिशा में किए जा रहे उनके  प्रयास सफल हों एवं 'धर्मप्रहरी' वास्तव में 'धर्मप्रहरी' प्रहरी की भूमिका का सफल निर्वाह कर पाने में सक्षम हो !

                                               - डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                                                                     संस्थापक -  राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान

    

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