भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को न सफलता मिलती है और न ही सुख ! विवाह, विद्या ,मकान, दुकान ,व्यापार, परिवार, पद, प्रतिष्ठा,संतान आदि का सुख हर कोई अच्छा से अच्छा चाहता है किंतु मिलता उसे उतना ही है जितना उसके भाग्य में होता है और तभी मिलता है जब जो सुख मिलने का समय आता है अन्यथा कितना भी प्रयास करे सफलता नहीं मिलती है ! ऋतुएँ भी समय से ही फल देती हैं इसलिए अपने भाग्य और समय की सही जानकारी प्रत्येक व्यक्ति को रखनी चाहिए |एक बार अवश्य देखिए -http://www.drsnvajpayee.com/
Monday, 25 August 2014
संत यदि साईं भक्त को बोलवाना न चाहते तो उसे मंच और माइक देते ही क्यों ?
हमें किसी से सूचना मिली कि अपने को साईं भक्त कहने वाले वे लोग इतने भी होश में नहीं थे कि यह धर्म संसद आयोजित किस मुद्दे पर की गई है और हम बोल क्या रहे हैं और जो कुछ उनके मन में आया सो बकने बोलने लगे !यह किसी के लिए भी शोभा नहीं देता है साईं ट्रस्ट को यदि सम्मिलित होना ही था तो सीधे तौर पर होते अन्यथा ये सब करना ठीक नहीं कहा जा सकता है वैसे भी कई नकली बाबाओं का आर्थिक पूजन करके साईं वालों ने प्रभावित कर रखा है आज वो सनातन धर्मियों की भाषा न बोलकर साईंयों की भाषा ही बोलते हैं मुझे आशंका है की ये भगदड़ी भी कहीं नकली बाबाओं की तरह ही अर्थलोभ के ही शिकार न हों !
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