Monday, 25 August 2014

साईं समर्थकों ravan

सनातन धर्मियो ! साईं सम्प्रदायी धार्मिक लुटेरों से सावधान !

     सनातनधर्मियों को साईं प्रकरण से एक बड़ी सीख मिली है और आयु के  पड़ाव पर आकर भी श्रद्धेय शंकराचार्य जी की सतर्कता एवं साहस से सनातन धर्म के साथ किए जा रहे एक बड़े षड्यंत्र का न केवल पर्दाफास हो सका है अपितु सनातन धर्मियों के साथ घटित हो रहे साईँहादसे को बिलम्ब से ही सही टालने के प्रयास तो किए जा पा रहे हैं । श्रद्धेय शंकराचार्य जी के साथ खड़े समस्त धर्माचार्य,विद्वान एवं अपने धर्म की रक्षा के लिए मर मिटने का संकल्प सँजोए उमड़ते आम भारतीयों की भारी भीड़ ने साईंधार्मिक तस्करों तक यह सन्देश पहुँचाने में सफलता हासिल की है ! 

    सनातन धर्म के प्रबल प्रहरियों के प्रखर प्रयासों से मुझे विश्वास है कि अब आसानी से खदेड़े जा सकेंगे साईं सम्प्रदायी धार्मिक लुटेरे ! 

 

 

 

       संत जैसा वेष धारण करके  रावण  ने सीता जी को छला था और  भगवंत जैसा वेष धारण करके साईं ने शास्त्रीय संस्कृति को छला है !

   साईं समर्थकों की भारी संख्या से भयभीत होकर क्या हमें भुला देनी चाहिए अपनी शास्त्रीय संस्कृति ?

    रावण के समर्थक भी बहुत थे और साईं के भी बहुत हैं रावण के समर्थक भी बहुत बड़े बड़े लोग थे और साईं के भी हैं रावण के पास भी संपत्ति बहुत अधिक थी ,सोने की लंका रावण के पास थी साईं के पास भी संपत्ति बहुत है इनके पास भी सोना चांदी से भंडार भरे हैं रावण स्वयं राजा था साईं चेले बड़े बड़े मंत्री संत्री होते हैं यदि साईं के प्रति लोगों की बहुत आस्था है तो रावण के प्रति भी तो लोगों की आस्था बहुत थी किन्तु  रावण के समर्थक अधिक हैं यह सोचकर  श्री राम जी को क्या करना चाहिए था !क्या सीता  जी को लंका में ही छोड़कर वापस अयोध्या आ जाना चाहिए  था ?

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