Thursday, 28 August 2014

साईं व्यापारियों ने साईं की बिक्री बढ़ाने के लिए बड़े सारे भ्रमात्मक विज्ञापन फैला रखे हैं !

     धर्मशास्त्र कहते हैं कि पाप करोगे तो परेशान होगे पुण्य करोगे तो सुखी रहोगे !इसलिए पुण्य करो !! 

      साईं कहते हैं पाप करो या पुण्य हमारे यहाँ आओगे तो मौज करोगे !इसलिए कुछ भी करो !!

    ऐसी परिस्थिति में भीड़ और चढ़ावा दोनों साईं का ही बढ़ेगा स्वाभाविक है ! 

    इसके विरुद्ध साईं वालों ने नारा दिया  कि पाप करो या पुण्य साईं सबपर कृपा करेंगे सबको माफ कर देंगे सबकी तरक्की करेंगे !इसलिए साईं के यहाँ सामान्य लोगों की भीड़ थी पर बहुत अधिक नहीं थी किन्तु साईँ के इस विज्ञापन का ही कमाल है कि जितने घूस खोर ,भ्रष्टाचारी ,मिलावट खोर आदि सारे पापी लोग भी साईं के यहाँ ही जाने लगे और अपनी भ्रष्ट कमाई में साईं का हिस्सा भी निकालने लगे !बलात्कारी जो पहले लुकछिप कर डरे सहमे रहते थे वो अब डंके की चोट पर करने लगे बलात्कार !और ये सारे अपराध दिनोदिन बढ़ने लगे या यूँ कह लें कि जैसे जैसे साईं का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है वैसे वैसे अपराध भ्रष्टाचार और बलात्कार बढ़ते जा रहे हैं हर कोई यही सोच रहा है कि कितने भी अपराध करो साईं तो माफ कर ही देंगे भ्रष्टाचारी अपनी पाप की कमाई में से साईं का हिस्सा निकालकर खुलके कर रहे हैं भ्रष्टाचार ,ले रहे हैं घूस ,कर रहे हैं खाने पीने वाली चीजों में मिलावट और सबको एक ही विज्ञापन पर भरोसा है कि साईं तो माफ कर ही देंगे !इस सारे पाप से पैदा कमाई में साईं का हिस्सा भी मोटा बन जाता है तो साईं का चढ़ावा करोड़ों क्या अरबों में भी हो सकता है!और ये क्या ग़रीबों के बश की बात है कि वो साईं को सोने चाँदी के बड़े बड़े महँगे मुकुट खड़ाऊँ आदि साईँ को भेंट करे ! ये सब को पता है कि इसयुग में पुण्य करने वालों की अपेक्षा पाप करने वाले अधिक बढ़ रहे हैं वो धर्म स्थानों में जाते हैं तो वहाँ उनके पापों की निंदा की जाती है और समझाया जाता है कि पाप मत करो अन्यथा परेशान होगे और उनकी मजबूरी ये है कि उनके धंधे का आधार ही पाप है मिलावट करते हैं सेक्स रैकेट चलाते  हैं तो बंद कैसे कर दें जब धंधा उनका वाही है !तो उन्हें ऐसा देवता चाहिए जो उनके इसी पाप में प्रशासन की तरह अपना भी हिस्सा ले किन्तु उनके पाप को पाप न कहे और पापों के दंड की बात न करे  इन्हें ऐसा देवता चाहिए था किन्तु गलत काम का समर्थन कोई देवता क्यों करेगा उसे सोने चाँदी के मुकुट खड़ाऊँ पहनने की इतनी शौक कहाँ होती है वो तो गलत को गलत ही कहेंगे और गलत कार्यों का दंड भी देंगे !जब देवताओं के पास पापियों की दाल नहीं गली तो देव  मंदिरों से निराश होकर साईँ मंदिरों में जाने लगे !और बढ़ने लगी साइयों की भीड़ !इसमें साईंयों का वह विज्ञापन काम कर रहा है जिसमें   साईं विक्रेताओं ने जो यह भ्रम फैलाया है कि बाबा सारे पापों को माफ करके सारे काम बना  देते हैं ये सबसे बड़ा भ्रमात्मक विज्ञापन है इसका दुष्प्रभाव आज समाज पर यह पड़ रहा है कि जो सफल है वो तो अपनी सफलता का श्रेय साईं जैसे बुड्ढों को  देने लगा किन्तु जो असफल है वो अपनी गरीबी के लिए अपराधी किसे  माने ! यदि साईं दे सकते थे  तो गरीबों को भी देते अन्यथा समुद्र में वर्षा हो तो उस वर्षा का क्या महत्त्व इसलिए देवी देवता तो आध्यात्मिक सहायता करते हैं जो साईं के बश की बात नहीं है क्योंकि वो भी साधारण मनुष्य थे या नहीं भी थे क्योंकि साईं नामका कोई व्यक्ति हुआ भी है या नहीं इसके भी कोई स्पष्ट प्रमाण अभी तक किसी को नहीं मिले हैं अभी तक साईं के नाम से केवल भ्रम ही भ्रम है सच्चाई कुछ भी नहीं है।  

       ये हमारा भ्रम है कि देवी देवता अपने आपसे हमारी तरक्की कर रहे हैं तरक्की अपने सत्कर्मों से होती है जिनका फल देवी देवता या भगवान हम सबको देते हैं यदि ऐसा न होता तो कोई गरीब क्यों होता और हमें सत्कर्म क्यों करने पड़ते !तरक्की सबकी बराबर हो रही होती !

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