'पुरस्कार बांटने से बच्चे पैदा नहीं होंगे। बच्चे पैदा करने के लिए मर्दानगी की जरूरत होती है' - आजम  खान (पंजाब केशरी ) 
     किन्तु आजमखान साहब !ऐसी मर्दानगी किस काम की जो केवल बच्चे पैदा करने के ही काम आवे !उनकी परवरिश के लिए अपना नाम गरीबी रेखा में लिखाता घूमे !          
     आजमखान ये क्यों नहीं सोचते हैं कि ज्यादा संतानों को जन्म देने के लिए  आज के युग में केवल मर्दानगी से
 ही काम नहीं चलता है  यदि ऐसा होता तो हिन्दू भी पीछे नहीं रहते क्योंकि 
हिंदुओं के धर्म ग्रंथों  एवं परंपराओं में भी "बहु पुत्रवान भव"  का 
आशीर्वाद दिया जाता है !किन्तु हिंदुओं ने देश काल परिस्थिति के अनुशार इस पर नियंत्रण किया है !यही
 कारण है कि देश की जनसंख्या नियंत्रण अभियान  को वर्तमान समय देश की 
आवश्यकता  समझकर जो लोग देश को अपना मान रहे हैं वे जनसंख्या पर नियंत्रण  
कर रहे हैं किन्तु जिनके मन में ऐसा भाव नहीं हैं वो कुछ भी करें !   
   किन्तु जो लोग ऐसा नहीं मानते  उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि अधिक बच्चे पैदा करने वालों को  आज के इस महँगाई युग में बेशर्मी और गैर जिम्मेदारी की सोच से भी  देश और समाज पर बोझ बनकर जीना 
 पड़ता है और बाद में सरकारों से आरक्षण  माँग माँग कर जिंदगी काटनी पड़ती है
 पेट भरने के लिए जीवन भर गिड़गिड़ाते रहना पड़ता है फिर भी आजम की मर्दानगी 
की बातें समझ में आने वाली नहीं हैं   
    
 
No comments:
Post a Comment