Wednesday, 24 December 2014

धर्मान्तरण हुआ क्यों ?और घरवापसी गलत कैसे है ?

  सम्राट भरत का देश भारत वर्ष है इस देश का मूल धर्म हिन्दू ही है फिर घरवापसी में इतना शोर शराबा क्यों ?

     सम्राट भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा , राजा भरत सनातनधर्मी हिंदू थे चूँकि  तब राजा और प्रजा का धर्म अलग अलग नहीं होता था इसलिए उनकी प्रजा भी सनातन धर्मी हिन्दू ही थी । इस दृष्टि से भारतवर्ष संपूर्ण  रूप से हिंदुओं का ही देश  है अब जो लोग कहते हैं कि वे हिंदू नहीं अपितु किसी और धर्म के हैं तो या तो कालांतर में उन्होंने अपना धर्म बदल  लिया है और या फिर बाहर से आए हैं !इसलिए उचित तो यही है कि जो बाहर से आए हैं वे बाहर जाएँ और  जिन्होंने  अपना धर्म बदल लिया है वे अपने धर्म में वापस आएँ ! अपनी अपनी सुविधानुशार इस देश की मूल संस्कृति के साथ खिलवाड़ करना ठीक आदत नहीं है । 

     इस प्रकार के सुधार से इस देश में धर्म संप्रदाय के नाम पर होने वाले  झगड़े समाप्त  जाएँगे सभी लोग अपने मूल धर्म में लौट कर अपने  पूर्वजों के अनुशार अपने स्वजनों में सम्मिलित हो जाएँगे !इससे दंगा मुक्त भारत बनेगा न केवल इतना अपितु धर्म और जातीय भेदभाव पैदा करने वाले राजनैतिक दलों को फिर राजनीति करने के लिए विकास करना ही होगा तब जाति और धर्म के नाम पर मंत्री नहीं बनाए जाएँगे अपितु सभी लोग अच्छे कर्म के आधार पर ही सम्मान पा  सकेंगे !     

    वैसे भी यह देश इंडिया नहीं है यह तो भारत है इसे इंडिया कहने की जरुरत क्या पड़ी थी जब इसका अपना ऐतिहासिक नाम भारत वर्ष था ही तो दूसरा नाम रखने की जरूरत  क्यों पड़ी ! जब हर देश का एक एक नाम है तो भारत वर्ष के नाम दो क्यों ? कहीं ये उसी तरह का तो नहीं हैं जैसे गरीब या बहुत सीधे  ग्लानि ग्रसित लोगों के बच्चों के नाम बड़े लोग अपनी अपनी सुविधानुशार बिगाड़ बिगाड़ कर रख लिया करते थे जैसे कलिका प्रसाद को को कलुआ कहने लगते थे। ऋषियों की भूमि पवित्र भारत वर्ष को उसी दृष्टि से तो इंडिया नहीं कहा जाने लगा है !आखिर इस इण्डिया शब्द का भारत वर्ष के प्राचीन इतिहास से सम्बन्ध क्या है ?कहीं भारत वर्ष की हिन्दू जैसी इसकी पहचान अंतरित करने लिए ही तो इसे इण्डिया नहीं कहा जाने लगा है !  भारत वर्ष में संस्कार मिले जबकि इण्डिया संस्कारों की दृष्टि से नंगा है । 

      मूलरूप से हमारे देश का नाम भारत है पर मुगलों ने इसका नाम 'हिन्दुस्तान' रख दिया और हमारा देश भारत से 'हिन्दुस्तान' बन गया। फिर अंग्रेज आए और उन्होंने हमारे देश का नाम 'इण्डिया' रख दिया और हमारा देश 'इण्डिया' कहलाने लगा।

    ये तो उसी तरह की बात हो गई जैसे किसी असहाय अबला को कोई अपने साथ रखकर अपनी टाइटिल दे दे इसके बाद वो छोड़ दे तो कोई और दूसरा रख ले वो अपनी टाइटिल दे दे !इस प्रकार का अपमान सहने के बाद जब उस  अपने बच्चे  जाएँ तो क्या  कर्तव्य नहीं बनता है कि वे  मूल धर्म में घर वापसी करें और अपने सक्षम इतिहास  के साथ गौरव पूर्ण जीवन जिएँ !अन्यथा इससे तो  स्पष्ट लक्षित होता है कि हमारे देश के नाम को कोई भी कभी भी बदल सकता है !आश्चर्य !!

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