नेता यदि किसी गंदे धंधे से जुड़े नहीं होते तो सैकड़ों रूपए के नेता बिना कुछ किए धरे करोड़ों अरबों के कैसे हो जाते हैं !
चुनावी सफलता मिलने पर अचानक कानून से ऊपर उठ जाने वाले नेताओं पर अंकुश लगाएगा आखिर कौन !नेता किसी पर भी अंकुश लगा सकते हैं किन्तु नेताओं पर कोई नहीं !और तो और सफल नेताओं का अनुगमन कानून स्वयं करने लगता है अपराधी नेताओं पर कार्यवाही शुरू होते ही बदले की राजनीति करने के आरोप लगने लगते हैं आखिर कैसे हो भ्रष्टाचार का उन्मूलन और ऐसा किए बिना कैसे रोके जा सकते हैं अपराध !
राजनीति में जाते समय समाज के चंदे से काम चलाने वाले नेताओं के पास करोड़ों अरबों रूपए आते आखिर कहाँ से हैं ऐसे स्रोतों का पता लगाए बिना बड़े बड़े अपराधियों तक पहुँच पाना केवल कठिन ही नहीं असंभव भी है !इसके बिना अपराध रोकने की बात करना सरासर झूठ है ।
सैकड़ों रूपए के नेता राजनीति
में घुसते ही करोड़ों अरबों रूपए के कैसे हो जाते हैं आखिर कैसे इसके लिए न वो
कोई धंधा व्यापार करते हैं और न ही अपने बिलासिता पूर्ण खर्चों में कोई कटौती
फिर भी इनके पास अकूत संपत्ति इकट्ठी होती आखिर कैसे है ! यदि ये किसी गंदे
धंधे में सम्मिलित नहीं रहे हैं तो बताएँ न अपना बिना कुछ किए धरे धन
इकट्टा करने का जादू !जनता भी वही कर लेगी धन इकट्ठा करने क्या आदमी
राजनीति में जाता किसलिए है ।
जनता के पैसे की बर्बादी करने वाले ऐसे सभी नेता उन लोगों से सीख ही लेने को तैयार नहीं हैं जो दस दस पंद्रह
पंद्रह वर्ष तक लगातार जनता का विश्वास कायम रखने में सफल रहते हैं । इन
राजनैतिक बीमारू राज्यों में तो जिस पार्टी की सरकार चुनी जाती है उससे
जनता पाँच वर्ष तो छोड़िए पाँच महीन में ही ऊभ जाती है किन्तु नेताओं की
सेहत पर कोई असर ही नहीं पड़ता ये इतने मक्कार हैं कि इन्हें दोष हमेंशा दूसरी पार्टियों और नेताओं के तो दिखते हैं किन्तु अपने कर्मों के विषय में कभी नहीं सोचते कि जनता का भरोसा आखिर हम क्यों नहीं जीत सके !
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