Friday, 6 February 2015

बारे जीतन राम माँझी साहब !वाह कमाल कर दिया !!कैसे माना जा सकता है कि दलितों का शोषण कर पाया होगा कभी कोई !!!

  मनुस्मृति को गलत बताने वालों को भी माँझी जी ने समझा दिया कि मनुस्मृति की बातें गलत नहीं हो सकतीं किसी को समझ में भले ही देर से आवें  !मनुस्मृति को कोसने वाले अब भोगें ! भाजपा ने यू. पी.में भोगा  था अब जदयू वाले भोगें बिहार में !  

       अब तो मनुस्मृति उन्हें भी समझ में आ गई होगी जो आज तक महर्षि मनु को ही दोष देते रहते ! अब एक बात सबको समझ आ जानी चाहिए कि मांझी ने नितीश कुमार और अपनी पार्टी के द्वारा किए गए विश्वास का जिस प्रकार से मजाक उड़ाया है धोखा दिया है उन्होंने , उससे अब कोई उनके पास भी नहीं खड़े होगा तब चिल्लाते घूमेंगे कि हमें दलित होने के कारण लोग छूना नहीं चाहते हैं !हमारे कहने का मतलब हर  जाति से नहीं जोड़ा जा सकता !तुम किसी को धोखा देते रहो तो चालाकी या राजनीति और तुम्हें कोई देने लगे तो दलित होने का आरोप मढने लगो !ये कौन सी बात है ?

  नितीश और लालू जैसे लोग जो जातिवादी राजनीति के विरोध में खड़े होकर बड़े बड़े भाषण देते थे ।आज भोग रहे हैं वही ! वारे माँझी साहब ! जो विश्वास करे उसी को डस  लो बड़ी अच्छी राजनीति करते हैं आप !दूसरा कोई करे तो जातियों के नाम पर छाती कूटना !जब मांझी सवर्णों की निंदा करते रहे तब जनतादल यूनाइटेड का नेतृत्व मौन सुनता रहा और जब उसे डसना शुरू किया तब हाय तोबा क्यों ? 

  मांझी भाई! अब हम भी आपके साथ हैं आप खूब सवर्णों को दोषी ठहराइए और आप ऐसे ही उन्हें सबक सिखाइए !धन्य हैं आप !यू. पी.भाजपा को भी ऐसे ही सबक सिखाया गया था तब से आजतक नहीं जीत पाए चुनाव ! निकले थे मनुस्मृति को झुठलाने खुद पड़गए 99 के चक्कर में !  

      माँझी साहब !ब्राह्मणों और सवर्णों को गाली देना आसान है किन्तु कभी कभी आत्मचिंतन और मंथन करना भी आवश्यक होता है कि आज जिसने विश्वास किया यदि उसकी रक्षा नहीं हो सकी तो कल कौन करेगा विश्वास ! हर अच्छाई बुराई में जातियाँ ही मत खोजा  कीजिए किसी व्यक्ति का सम्मान और अपमान उसकी जातियों से नहीं अपितु आचरणों गुणों और दुर्गुणों से होता है पार्टी के विश्वास की रक्षा की जानी चाहिए और कुछ हो या न हो कम से काम पार्टी के अंदर की बातों का मीडिया आना बिलकुल अविश्वसनीयता को बढ़ावा देना है !see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2014/12/blog-post_27.html

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