मोदी जी आज देश के प्रधानमंत्री हैं इस गौरव की रक्षा भी उन्हें करनी थी!
एक ओर अपने देश में 26 जनवरी जैसे महान पर्व को मनाने का हर्षोल्लास पूर्ण माहौल था जिसमें मोदी जी के आमंत्रण पर विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक हजारों करोड़ खर्च करके आ रहा था तो दूसरी ओर ऐसे अतिथि का स्वागत करने की जिम्मेदारी हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी पर थी आज वो चाय बेचने वाले मोदी जी नहीं थे आज वो सवा सौ करोड़ भारतीयों के गौरवपुंज प्रधानमंत्री हैं और जब बात भारतीय प्रधानमंत्री की हो तो क्या देशवासी अपने प्रधान मंत्री दस लाख का सूट भी नहीं पहना सकते ! और यदि हम ऐसी ही दरिद्रता धारण करते रहे तो फिर विदेशों से सम्मान पाने की लालषा क्यों ! हमारे देश के मंत्री ,अभिनेता आदि सम्माननीय लोगों की भी तलाशी ली जाती रही है विदेशों में ! और हम केवल नाराजगी जता कर चुप बैठ जाते रहे, क्या हमें इससे ऊपर उठने का प्रयास नहीं करना चाहिए !और यदि वास्तव में दुनियाँ के सामने हमें भी अपना वजूद बना और बचा कर रखना है तो ऐसे नहीं चलेगा कि हमारे राष्ट्र के पर्व में सम्मिलित होने के लिए आनेवाला अतिथि तो हजारों करोड़ खर्च करके आ रहा है और हमारे प्रधान मंत्री जी लँगोटी लगाकर बैठ जाएँ !आखिर ऐसे मेहमान को भी अपनी जनता को जवाब देना होता होगा कि देश का इतना धन खर्च करके आप गए तो आपका स्वागत कैसा हुआ और स्वागत इससे भी आँका जाता है कि उस देश और देश के प्रधान मंत्री में आपको लेकर उत्साह कैसा था !ऐसे तो बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना !ऐसे कहीं बात बनती है क्या ?
अब बात दस लाख के शूट की -
महँगाई के इस समय में शादी समारोहों के समय दूल्हा और दुलहन को सजाने सँवारने में लाखों रूपए खर्च हो जाते हैं क्या हमारे प्रधानमंत्री की इतनी भी हैसियत नहीं होनी चाहिए! प्रधान मंत्री जी यदि गरीबों के प्रतिनिधि हैं तो रईसों के प्रतिनिधि भी तो वही हैं । यदि वो पहले कभी चाय बेचते रहे तो इतने लंबे समय तक प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं !दूसरी बात जबतक चाय बेचते रहे तब तक तो नहीं पहना दस लाख का कोट जब प्रधानमंत्री बने तब पहना है वो भी केवल प्रधानमंत्री होने के कारण नहीं पहना है अपितु अतिथि का स्वागत करने के लिए पहना था दस लाख का कोट न कि अपनी शौक के लिए ! वो भी विशेष अवसर पर पहना था वो तथाकथित दस लाख का कोट !
राहुल गाँधी जी ऐसा क्यों सोचते हैं कि मोदी जी उनसे पूछकर पहनते कोट !
सुना जाता है कि मनमोहन सिंह जी पर इनका ऐसा ही दबाव था इसीलिए तो लोग मजाक करते थे कि मनमोहनसिंह जी आज किस रंग की पगड़ी पहनें यह भी यही लोग डिसाइड करते हैं खैर ऐसा हो या न हो किन्तु ऐसा तो जरूर था कि इनकी आज्ञा लिए बिना बनाया गया बिल इन्होंने फाड़ दिया था ये तो सारी दुनियाँ ने देखा है और बेचारे मनमोहन सिंह जी की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी आखिर क्या बीती होगी उन पर ! राहुल कितने छोटे हैं उनसे और वो योग्यता ,अनुभव आदि में भी राहुल से बहुत आगे हैं और यह निर्णय उनके मंत्रिमंडल का था फिर भी यदि कोई बात कहनी भी थी तो उनसे विनम्रता पूर्वक भी कही जा सकती थी इससे इज्जत नहीं घट जाती ! और आज ऐसी आज्ञाकारिता की उम्मींद उन्हें मोदी जी से नहीं करनी चाहिए।मोदी जी स्वतंत्र भारत के स्वतन्त्र प्रधान मंत्री हैं । ये अधिकार उन्हें देश की जनता ने दिया और उन्हें जवाब भी देश की जनता को देना होगा तो वो दे लेंगे ।
आम आदमी पार्टी को भी अखरा मोदी का दस लाख का कोट !आखिर क्यों?
मोदी जी को उस समय उस विषय में जो उचित लगा उन्होंने वो किया इसके लिए आम आदमी पार्टी क्या चाहती है कि कोट के विषय में मोदी जी पहले जनमत संग्रह कराते बाद में कोट पहनते तब तक ओबामा चले जाते !जनमत संग्रह भी आप वालों का इनके हिसाब का ही होता है जो करना होता है वो पहले करके रख लेते हैं बाद में उसी विषय में जनमत संग्रह करने का नाटक करते हैं।
मोदी जी के कोट पर प्रश्न-
कुलमिलाकर मोदी जी के कोट पर प्रश्न उठने बंद होने चाहिए अन्यथा अमेरिकी क्या सोचेंगे कि गणतंत्र दिवस भारत में था वहाँ जाने में हजारों करोड़ हमने खर्च कर दिए उसका कुछ नहीं दसलाख का कोट वहाँ के प्रधान मंत्री ने पहन लिया तो भारतीय लोग आजतक रो पीट रहे हैं !
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