जो हिंदू अपने मंदिरों में रखे इस्लाम धर्मानुयायी साईं पत्थरों को रखकर पूजने लगा हो उससे इतनी बड़ी
उम्मींद कैसे की जा सकती है जोगी जी !
मौका मिला तो हर मस्जिद में लगाएंगे गणेश की मूर्ति:योगी आदित्यनाथ !IBN-7
किंतु योगी जी जनता से कैसा मौका चाहते हैं आप !आपकी इस इच्छा की पूर्ति
के लिए हमारे जैसे आम लोगों के लिए भी कोई सेवा हो तो बताइए !
आदरणीय योगी जी !यदि गणेश जी की मूर्ति बिना प्राण प्रतिष्ठा के रखनी है
तो उससे हिन्दुओं का क्या लाभ !और यदि वास्तव में गणेश जी की प्राण प्रतिष्ठा पूर्ण मूर्तियाँ
लगाने का विचार है तो सोचना यह पड़ेगा कि क्या हम कहीं भी देवी देवताओं की
इस प्रकार की प्रतिष्ठा कर सकते हैं क्या ?क्या वो वास्तुभूमि और वहाँ की
संस्कृति इस योग्य होती है कि उन मस्जिदों में भगवान गणेश जी को बैठा दिया
जाए !जिन मस्जिदों में नेताओं को छोड़कर कभी कोई हिन्दू जाता ही नहीं है वहाँ गणेश
जी को कैसे बैठा दिया जाएगा क्या वो हिंदुओं के यहाँ इफरात हैं जो उन्हें रख आवें
मस्जिदों में !
योगी जी !यदि यही करना है तो दूसरी सरकारों में
जो 3000 मस्जिदों की वो लिस्ट जो आपलोग जनता को पढ़ पढ़ कर सुनाया करते थे
कि मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई गई हैं कहाँ गई वो लिस्ट लाइए और शुरू कीजिए
उसपर काम !यदि उन बातों में साहस और सच्चाई न हो न हो तो बाक़ी छोड़िए वो 3000 न सही तीन तो बना ही लीजिए
जिनके लिए जनता को खूब कसमें खिलाई गई हैं अब तो आपकी सरकार भी है -
अयोध्या मथुरा विश्वनाथ ,तीनों लेंगे एक साथ ॥
कब लेंगे ये तीनों जोगी जी जनता को वो भी तो बताइए !या केवल कहते ही रहेंगे !और तो छोड़िए जो सरकारें ऐसा करेंगी जिनसे आशा थी जिन्होंने आश्वासन दिए थे उनके मुखिया प्रधानमंत्री जी पचासों हजार किलोमीट की विदेशी यात्रा तो कर आते हैं किन्तु अयोध्या जाने का समय उनके पास भी नहीं है या फिर साहस नहीं है उन श्री रामलला से आँखें मिलाने का जिन्हें भाजपा सरकार बनवाने के लिए वर्षा गरमी शर्दी सहते हुए चबूतरे पर आना पड़ा तब जाकर बनी है भाजपा सरकार !अन्यथा कौन पहचानता था भाजपा को !किन्तु आज न कहीं 'जय श्री राम' है और न ही श्री राम मंदिर की चरचा !
अरे !उनसे इतना ही कह देते कि प्रभु श्री राम लला के दर्शन करने न जाना हो तो एक बार दर्शन दे ही आते !बाट जोह रहे हैं श्री रामलला कि हमारे राम भक्त मंत्री प्रधानमंत्री आदि बन कर कैसे लग रहे होंगें क्या देखने की उन्हें इच्छा नहीं होती होगी इससे और होता सो तो होता ही कम से कम हमारे जैसे छोटे लोगों को आम जनता यह प्रश्न पूछकर निरुत्तर तो न कर पाती कि ये लोग मंदिर क्या बनाएँगे जिन्हें दर्शन करने जाने में ही डर लगता है !
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