भगवान परशुराम जी ने क्यों किया था उन्मत्त राजाओं का संहार ?इसी विषय में ये मेरी लिखी हुई किताब है -
आप सभी भगवान परशुराम जी के भक्तों को बहुत बहुत शुभ कामनाएँ ,प्रणाम आभार साथ ही आचार्य कौडिन्य जी के चाचा जी के द्वारा लिखित भगवान परशुराम जी के विषय में यह श्लोक उपलब्ध करने के लिए भूयशः नमन !
ब्रह्मद्रुहाे ह्यवनिकण्टकराजबन्धून् त्रिःसप्तकृत्व इह भूमिमटन् प्रमन्युः ।
चिच्छेद निर्घृणमुदग्रपरश्वधेन तं चाेग्रशक्तिकमनुस्मर जामदग्न्यम् ॥
बंधुओ ! "ब्रह्मद्रुहाे अवनिकण्टकराजबन्धून् चिच्छेद" अद्भुत है यही वस्तु स्थिति थी किंतु लोग इस बात को न समझकर परशुराम जी पर ही प्रश्न उठाने लगते हैं !
No comments:
Post a Comment