काँग्रेस को सत्ता दिलाने के लिए जो फाँसी पर लटकने को तैयार हो वो काँग्रेस का अपना भगतसिंह !
'कन्हैयापूजन' में लगी काँग्रेस को सत्ता की सुगंध आ रही है कन्हैया
से!आखिरअपने देश से गरीबों की बलिप्रथा का अंत कब होगा !बलिपशुओं पीठ
सहलाकर मुख मीठा करवा कर उन्हें भी पहले खुश कियाजाताहै ।
काँग्रेस में मंत्रियों की संख्या तो बहुत है किसी को भी बना दो सब ने शपथ लेने के लिए पोशाकें सिला रखी हैं किंतु भगतसिंह तो ये गरीबों के घरों में ही खोजते हैं ,यदि ऐसा न होता तो श्रद्धेय भगतसिंह जी से कन्हैया की क्या तुलना ! भगत सिंह जी के कौन से गुण देखे गए कन्हैया में !केवल यही न कि भगत सिंह जी जैसे आजादी के उपासकों ने देश के लिए बलिदान दिए उससे आजादी देश को मिली किंतु काँग्रेस को सत्ता मिली !यही सत्ता पुनः पाने के लिए काँग्रेस को चाहिए एक नया भगत सिंह।अपना विश्वास खो चुकी काँग्रेस अब औरों को शूली पर चढाने को तैयार है । ने कर्मों पर भरोसा न होने के कारण सत्ताविहीन काँग्रेस घूम रही है फिर कोई नया भगत सिंह जो काँग्रेस को सत्ता दिलाने के लिए फाँसी पर चढाने को तैयार हो !इसी सत्ताभावना से काँग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दर दर भटक रहा है आधुनिक भगतसिंह को खोजते !
आतंकवादियों की याद में मनाए जा रहे उत्सवों के हीरो कलियुगी कन्हैया में काँग्रेस देखने लगी है भगतसिंह की छवि !और आशाएं भी वैसी ही सजा रखी हैं ।भगवान उसकी रक्षा करें । ये सत्तालु लोग कब किसको कहाँ से लटका दें क्या भरोस !
माना कि सत्ता विहीन काँग्रेस आज दर दर की ठोकरें खाती फिर रही है अखलाक के यहाँ हो या हैदराबाद जहाँ जहाँ शीर्ष नेतृत्व धूल फाँकता घूम रहा है किंतु उन लोगों ने काँग्रेस की मनसूबे सफल नहीं होने दिए तब अब जाकर JNU पर टिकी हैं निगाहें !और सत्ता स्वार्थ की दृष्टि से काँग्रेस को पसंद आ गया है कन्हैया ! आजादी का नारा कन्हैया ने दिया तो काँग्रेस की बाँछें खिल गईं ! जिस किसी के भी बलिदान के बदले काँग्रेस को सत्ता मिले उसके लिए वो भगतसिंह !
फाँसी पर कोई लटके या लटकाया जाए किंतु उसके बदले सत्ता काँग्रेस को ही मिले !ऐसा व्यक्ति भले कुछ हो या न हो किंतु काँग्रेस के लिए तो वही भगत सिंह है ?
काँग्रेस में मंत्रियों की संख्या तो बहुत है किसी को भी बना दो सब ने शपथ लेने के लिए पोशाकें सिला रखी हैं किंतु भगतसिंह तो ये गरीबों के घरों में ही खोजते हैं ,यदि ऐसा न होता तो श्रद्धेय भगतसिंह जी से कन्हैया की क्या तुलना ! भगत सिंह जी के कौन से गुण देखे गए कन्हैया में !केवल यही न कि भगत सिंह जी जैसे आजादी के उपासकों ने देश के लिए बलिदान दिए उससे आजादी देश को मिली किंतु काँग्रेस को सत्ता मिली !यही सत्ता पुनः पाने के लिए काँग्रेस को चाहिए एक नया भगत सिंह।अपना विश्वास खो चुकी काँग्रेस अब औरों को शूली पर चढाने को तैयार है । ने कर्मों पर भरोसा न होने के कारण सत्ताविहीन काँग्रेस घूम रही है फिर कोई नया भगत सिंह जो काँग्रेस को सत्ता दिलाने के लिए फाँसी पर चढाने को तैयार हो !इसी सत्ताभावना से काँग्रेस का शीर्ष नेतृत्व दर दर भटक रहा है आधुनिक भगतसिंह को खोजते !
आतंकवादियों की याद में मनाए जा रहे उत्सवों के हीरो कलियुगी कन्हैया में काँग्रेस देखने लगी है भगतसिंह की छवि !और आशाएं भी वैसी ही सजा रखी हैं ।भगवान उसकी रक्षा करें । ये सत्तालु लोग कब किसको कहाँ से लटका दें क्या भरोस !
माना कि सत्ता विहीन काँग्रेस आज दर दर की ठोकरें खाती फिर रही है अखलाक के यहाँ हो या हैदराबाद जहाँ जहाँ शीर्ष नेतृत्व धूल फाँकता घूम रहा है किंतु उन लोगों ने काँग्रेस की मनसूबे सफल नहीं होने दिए तब अब जाकर JNU पर टिकी हैं निगाहें !और सत्ता स्वार्थ की दृष्टि से काँग्रेस को पसंद आ गया है कन्हैया ! आजादी का नारा कन्हैया ने दिया तो काँग्रेस की बाँछें खिल गईं ! जिस किसी के भी बलिदान के बदले काँग्रेस को सत्ता मिले उसके लिए वो भगतसिंह !
फाँसी पर कोई लटके या लटकाया जाए किंतु उसके बदले सत्ता काँग्रेस को ही मिले !ऐसा व्यक्ति भले कुछ हो या न हो किंतु काँग्रेस के लिए तो वही भगत सिंह है ?
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