Saturday, 30 April 2016

अधिकारियों कर्मचारियों का पेट नहीं भर पा रही है सरकार तभी तो है भ्रष्टाचार !

   सरकारों और सरकारी अधिकारियों की भ्रष्टाचार की भूख निगले  जा रही है आम लोगों की जिंदगियाँ ! सरकारों में सम्मिलित लोग कहते हैं भ्रष्टाचार घटा है ये नीचता निर्लज्जता  नहीं तो क्या है ?किंतु भ्रष्टाचार घटाने के लिए उन्होंने किया क्या है ये किसी को नहीं बताते !
    सरकारी कर्मचारी केवल अपने अधिकारियों की चमचागिरी किया करते हैं और अधिकारी केवल सरकारों की सुनते हैं उन्हीं के पीछे दुम हिलाते हैं ! जनता की कोई नहीं सुनता उन्हें अपनी बात सुनाने और मनाने के लिए जनता के पास केवल एक अधिकार है घूस दो काम करवाते रहो अन्यथा चिल्लाते रहो !
   ये घूस नेताओं के चहरे की चमक है उनकी खांसी दूर करने की दवा है उनके घरों की रौनक है उनकी अकर्मण्य निकम्मी संतानों के भरण पोषण का साधन है ये घूंस ही उन नेताओं के जीवन की संजीवनी है । अन्यथा  नेताओं के पास क्या था जब वो राजनीति में आए थे और आज क्या नहीं है उनके पास !संपत्तियों के लगे हैं अंबार इनका कोई नहीं है कारोबार आखिर कैसे हो रहा है ये इतना बड़ा चमत्कार !जब तक इस पर नहीं होगा प्रहार तब तक नहीं दूर होगा भ्रष्टाचार !
       हर चुनाव भ्रष्टाचार के विरोध के नारे लगाकर लड़ा जाता है किंतु भ्रष्टाचार के प्रति समर्पित अधिकारियों कर्मचारियों को अपने भ्रष्टाचार का इतना बड़ा जरूर होता है कि जब मैं बंडल लेकर पहुँचूँगा तो ये नेता आँखें झुकाकर रख लेगा !इस प्रकार से भ्रष्टाचार के प्रति समर्पित सरकारी गुर्गे उस भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगाने वाले नेता को मिनटों में मुर्गा बना देते हैं इसके  बाद ऐसे बेईमान नेताओं  की हिम्मत कहाँ पड़ती है कि वो अपने उन कमाऊपूत अधिकारियों कर्मचारियों से आँख मिलाकर बात कर सकें !जनता सोचती है कि हमारे ईमानदार नेता जी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएँगे जबकि वो खुद भ्रष्टाचारी हो जाते हैं ये खेल बहुत वर्षों से चला आ रहा है और भारत भ्रष्टाचार के दलदल में फँसता जा रहा है । 
    ऐसे आत्मबल चरित्र बल संस्कार बल से बिहीन लोग भ्रष्टाचार भगाएँगे उनसे ये उम्मींद नहीं की जानी चाहिए !क्योंकि चरित्रवान ईमानदार नेता अधिकारी अपनी सैलरियों से केवल अपनी जरूरतें ही पूरी कर सकते हैं अकूत संपत्तियाँ नहीं जुटा सकते !ईमानदार नेता हों या अधिकारी कर्मचारी उनकी ईमानदारी और चरित्रवत्ता का बखान वो स्वयं नहीं करते उनका चेहरा चरित्र और वाणी का ओज और संयम करता है !
       अब इस देश को जरूरत है वास्तव में किसी ईमानदार चरित्रवान निडर प्रशासक की है जो देश की जनता के सामने ईमानदारी की चुनौती स्वीकार करने के लिए तैयार हो !उसके लिए उसकी कसौटी होगी कि आजादी के बाद आज तक के नेताओं की संपत्तियाँ और उनके स्रोत पता करके जनता के सामने रखे कि जब वो नेता लोग राजनीति में आए थे तब उनके पास क्या था और आज जो है वो कहाँ से  आया !साथ ही उसके लिए उन्होंने प्रयास क्या क्या किए और क्या उन प्रयासों से उतनी संपत्तियाँ बना पाना संभव था यदि नहीं तो सरकार ऐसी संपत्तियों प्रापर्टियों को जनहित में जब्त करे !
      ऐसा कर पाना आम नेताओं के लिए अत्यंत कठिन काम है इसके लिए कोई जीवित व्यक्ति चाहिए क्योंकि इसमें जिस साहस चरित्र त्याग और बलिदान की जरूरत है वो सबके बश की बात  नहीं है । उसकी अपेक्षा वर्तमान समय में राजनैतिक फलक पर विराजमान मोदी जी जैसे नेताओं से की जा सकती है उनके अलावा इस समय जो नेता लोग होंगे भी उन्हें या तो मैं जानता नहीं हूँ या वो विभिन्न कारणों से सत्ता के समीप पहुँचने की स्थिति में ही नहीं हैं चूंकि मोदी जी हैं दूसरा उन्हें जनता के सामने ईमानदार साहस की कसौटी पर कसा नहीं जा सका किंतु मोदी जी इतने दिन से मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं फिर भी उनका जीवन खुली किताब है उनकी संपत्तियाँ और उनके आश्रितों की संपत्तियाँ सादगी और सरल सहज जीवन शैली इस का प्रमाण हैं !इसलिए मोदी जी से आशा है कि वो भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए कुछ करेंगे !
   
    

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