Tuesday, 14 June 2016

पार्टी के पदों पर अपनों को बैठाकर वोटर को बेवकूफ बनाने निकलते हैं नेता वोट माँगने या झख मराने !

   अरेपार्टीपतियो!आम जनता में आपकी पार्टी के पदाधिकारी और प्रत्याशी बनने लायक समझदार लोग नहीं होते हैं क्या ?आखिर टिकटें बेचनी जरूरी क्यों हैं और यदि ऐसा नहीं है तो जो नेता और पार्टियाँ वास्तव में ईमानदार हैं वो आम जनता से क्यों नहीं माँगती हैं अपने क्षेत्र का पार्टी पदाधिकारी और प्रत्याशी ?
     इसीलिए तो पार्टियों के प्रत्याशी और पदाधिकारी आम जनता को कुछ समझने मानने को तैयार नहीं हैं क्योंकि जनता को बेवकूफ समझने की ट्रेनिंग से ही तो उनकी कमाई होती है जनता से अच्छा बोले और उसके साथ बुरा करे यही तो पार्टी वर्कर की पहचान है आम जनता को ये बेईमानी शूट नहीं करती इसलिए वो राजनैतिक पार्टियों को शूट नहीं करते हैं !
   अपने  चुनावी क्षेत्रों में दामाद बनकर जाते हैं जनसेवक होने का मुखौटा ओढ़े नेता लोग !
   जैसे बड़े लोग अपने अपने कार्यस्थलों पर एक कटोरी में फुटकर पैसे रख लेते हैं कि कोई भिखारी आवे तो एक उठाकर पकड़ा दिया जाएगा !ऐसे ही नेता सांसदों विधायकों के यहाँ महीने या हफते में एक बार एक दो किलो लेटर बना कर रख दिए जाते हैं दुःख तकलीफ से व्यथित व्याकुल जनता विविध आफिसों के भ्रष्टाचार से पीड़ित होकर पहुँचती है नेता जी से मदद माँगने !तो भिखारियों की तरह उसी से एक लेटर निकालकर उन्हें पकड़ा दिया जाता है काम हो न हो उनकी बला से ।
    ऐसे नेताओं के लेटरों की सरकारी आफिसों में कोई मान्यता नहीं होती आखिर वहाँ के अधिकारी कर्मचारी भी तो नेताओं के लेटर देने की मजबूरी को समझते हैं । 
    बंधुओ !ईमानदार और जवाबदेय राजनेताओं की कमी से जूझ रहा है देश !
   इसके लिए सबसे ज्यादा दोषी है जनता !ये बेईमान भ्रष्ट नेताओं को मुख लगाती  क्यों है अपने अपने क्षेत्रों से ईमानदार निर्दलीय उमींदवारों को जनता आपसी सहमति से चुनावों में क्यों नहीं उतारती है !उसी का दण्ड भोग रहा है सारा समाज !
   हे देशवासियो ! यदि तुम अभी भी नहीं सुधरे तो तुम्हारी पीढ़ियाँ इन्हीं नेताओं के बेटा बेटियों की गुलामी करेंगे और इन्हीं की जूठन खिलाकर अपने बच्चे पालने पर मजबूर हो जाएँगे !तब तक देश की सारी संपत्ति पर केवल नेताओं की संतानों का ही अधिकार हो जाएगा !
     बंधुओ ! कभी हिसाब लगाकर तो देखिए जो लोग जब राजनीति में आए थे तब जिनके पास  बस  का किराया देने को पैसे नहीं होते थे ऐसे गरीब गुरवा बेरोजगार लोग जब नेता बने तब बिना कुछ कार्य व्यापार किए ही अरबो खरबोपति हो गए !
   किसी ने दलितों के नाम पर लूटा किसी ने मुशलमानों के नाम पर किसी ने महिलाओं वृद्धों विकलांगों के नाम पर तो कोई चारा के नाम पर लूट ले गया !उसी बलपर तो आज उनकी अनपढ़ औलादें राजकर रही हैं देशों प्रदेशों पर आखिर और क्या विशेषता है उनमें यही न कि आपके पिता आदि पूर्वजों में राजनैतिक माफिया बनने और देश वासियों को धोखा देने की काबिलियत नहीं थी अन्यथा तुम भी आज मंत्री होते !
   देखो उत्तर प्रदेश जहाँ ऐसे भी नेता परिवार हैं जिनके यहाँ बच्चा गर्भ में बाद में आता है उसके लिए सांसद विधायक मंत्री मुन्त्री आदि बनाने के लिए सीट पहले खाली करके रख दी जाती है !
   ऐसे सभी संदिग्ध नेताओं की आय के स्रोतों की जाँच करने वाला कोई ईमानदार साहसी ईश्वरवादी व्यक्ति यदि  इस देश का शासक बने तो संभव है दूर हो ये राजनैतिक गंदगी !या फिर जनता जागे और जनता ही खदेड़े लुटेरे नेताओं को जनता ही पूछे इनसे कि तुम्हारे पास कहाँ से आता है इतना धन !हम काम करते करते मरे जा रहे हैं तो भी हमें तो रोटी दाल पूरी करना मुश्किल होता जा रहा है तुम हमारे हिस्से के पैसों से जहाजों पर चढ़े घूमते हो तुम्हें धिक्कार है !ऐसा कहकर इन पाखंडी जन सेवकों का बहिष्कार करे जनता !राजनीति  का शुद्धीकरण अब अपरिहार्य हो गया है ।    
     इसके लिए हम आप लोगों को ये करना चाहिए कि जो नेता वोट माँगने आवे जनता को उससे पूछना चाहिए कि आखिर तुम्हें ही वोट क्यों दें जिसे मन आएगा उसे देंगे नहीं मन आएगा तो किसी को नहीं देंगे आखिर तुम्हें वोट क्यों दें तुममें ऐसी अच्छाई क्या है ? और हममें ऐसी खराबी क्या है कि जब टिकट मिलनी थी या पद बँट रहे थे तब आपने हमारा नाम आगे क्यों नहीं किया अपना क्यों कर लिया !तुम अपने को ज्यादा काबिल समझते हो और जनता को मूर्ख !जनता से अपेक्षा करते हो कि वो तुम्हें अपना विधायक सांसद बनाकर अपने शिर पर बैठा ले !ऐसा कहकर ऐसे प्रत्याशियों को दुत्कार देना चाहिए  जिनकी सेवाभावना पर थोड़ा भी संदेह लगे !
   जिन्हें पार्टियों ने पैसा लेकर टिकट दिया उनके पिठलग्गू बनकर कर उन्हें हम अपना बहुमूल्य वोट क्यों दें !इस प्रकार से जनता जिस दिन अपने बहुमूल्य वोट की कीमत समझने लगेगी उसी दिन से सुधार होना शुरू हो जाएगा !
    लोकतंत्र में अब तो जनता के अधिकार जीरो हैं वोट देते समय मतदाता कुआँ और खाई के बीच खड़ा होकर करता है मतदान !उसके ऊपर क्या बीतती है ये वही जानता है पार्टी प्रत्याशी समझकर किसी भ्रष्ट नेता के लिए बटन दबाने में मतदाता के हाथ काँप रहे होते हैं वोटर को भ्रष्ट और महाभ्रष्ट के बीच संतुलन बनाकर करना होता है मतदान ! 
   ईमानदार नेता कहाँ और कितने रह गए हैं समाज में !और जिन पार्टियों में हैं भी वहाँ सुनता उनकी कौन है चलती उनकी कितनी है ! 
     आम जनता के बीच भी बहुत बड़ा वर्ग शिक्षित है सदाचारी है  ईमानदार है  अनुभवी है समाजसेवी है कर्मठ है  देश के गौरव के प्रति समर्पित है मातृभूमि पर मर मिटने के भाव वो भी सँजोए हुए है किंतु उस सदाचारी वर्ग के लिए इन भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियों सरकारों में कोई पद इसलिए खाली नहीं है क्योंकि वो भ्रष्ट नहीं हैं मूर्ख नहीं है धूर्त नहीं है वो गाली गलौच नहीं कर सकते वो घपले घोटाले नहीं कर सकते !वो फिरौती नहीं माँग सकते वो भ्रष्टाचार में सहायक नहीं हो सकते !
       समाज में कई लोग तो बहुत योग्य होते है उनके बहुमूल्य अनुभवों से जनता में मरती संवेदनाएँ फिर से जगाई जा सकती हैं किंतु वे अपने अपने स्तर से सीमित दायरे में जो कर पा रहे हैं सो कर रहे हैं जबकि कि देश और समाज हित  में उनका बड़ा लाभ लिया जा सकता था ।
       ऐसे भले लोगों के पास धन होता नहीं हैं राजनीति में भले लोगों को पूछता कौन है !
    ऐसी  परिस्थिति में जनता के बीच जो भी नेता वोट माँगने जाए जनता को चाहिए कि उसका बहिष्कार करे उसे खदेड़ कर भगा दे अपने दरवाजे से !उसे इस बात के लिए धिक्कारे कि जब आपकी पार्टी में अध्यक्ष उपाध्यक्ष आदि बनाए जा रहे थे तब तुम खुद बन बैठे तब जनता की याद क्यों नहीं आई आज क्यों मरने आए हो हमें दरवाजे पर !ऐसा कहकर जनता को चाहिए कि ऐसे कुटिल नेताओं का सामूहिक बहिष्कार करे !
   ऐसे विधान सभा लोकसभा क्षेत्रों की जनता अपने अपने क्षेत्रों में आपसी सहमति के आधार पर अपने पराए की भावना से ऊपर उठकर भले इंसानियत और सादगी पसंद शिक्षित एवं राजनीति से विरक्त लोगों को निर्दलीय प्रत्याशी बनावे और उनकी अगुआई उस क्षेत्र की जनता मिलजुलकर स्वयं करे । वही उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ा करे और वही जनता उन्हें विजयी बनावे !तब होगा असली लोकतंत्र आखिर उनके उठने बैठने बोलने चालने में जानवरपन तो नहीं होगा !कम से कम वो आपको भी इंसान तो समझेंगे आपके सुख दुःख में आपके साथ हृदय से खड़े होंगे आपके सुख दुःख की संवेदनाएँ उनके चेहरों पर भी झलकेंगी तो ! ऐसे तो किसी के परिजन के जीवन के साथ कोई हादसा हो जाता है तो ये नेता मुआबजा बोलने जाते हैं जैसे वो मुआबजे के लिए ही मरा हो !उनके चेहरों पर दुःख की कोई संवेदनाएँ नहीं होती हैं !
  लोकतंत्र के नाम पर हृदय विहीन जिन प्लास्टिक के आर्टीफीशियल नेताओं को आप पर थोप रही हैं पार्टियाँ आप उनका बहिष्कार कीजिए !उनका आपसे और आपके क्षेत्र से कोई लगाव नहीं दिखता है और न ही आपके विकास से उनका कोई लेना देना ही नहीं होता है ये तो केवल अपने और अपनों को राजनैतिक ऊँचाइयों पर पहुँचाने एवं आपके क्षेत्र के विकास के लिए पास किए गए धन से अपना घर भरने के लिए आते हैं राजनीति में !
   राजनैतिकपार्टी मालिकों के मुख फटे पड़े हैं वो जितने माँगते हैं ये उतने भर देते हैं उनके मुख में  ये टिकट दे देते हैं उन्हें !अरबों खरबों की प्रापर्टियाँ बना लेते हैं बाद में वो !  
 विशेष - राजनीति के आरोपों प्रत्यारोपों के माध्यम से भ्रष्टाचारी चालाक नेता अपनी चोरी छिपाना चाहते हैं इसीलिए किया करते हैं बिना सिर पैर की बकवास !और ज्यादा बकवास करने वाले नेता प्रायः ईमानदार नहीं होते !








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