Saturday, 11 June 2016

अधिकारी बेंच रहे हैं अपराध और अपराधी खरीद रहे हैं यही भ्रष्टाचार न होता तो कैसे होते अपराध ?

    सरकारों में सम्मिलित लोग ,सरकारी कर्मचारी और अपराधी ही सभी प्रकार के अपराधों के जन्मदाता हैं !इसके अलावा अपराध की गुंजाइस ही बहुत कम रह जाती है ! 
    सरकार ने अपने अधिकारियों कर्मचारियों के लिए तो आफिसों में AC लगा रखे हैं लाखों रूपए महीने की सैलरी उसके ऊपर दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ोत्तरी, ऊपर से सातवें वेतन आयोग की सुविधाएँ इतनी सारी दौलत उड़ेले जा  रही है सरकार !फिर भी सरकार उन अपने दुलारों को अपराध करने से रोक नहीं पा रही है देखिए बिहार का टॉपरकांड या मथुरा का महाभारत बिना अधिकारियों की मिली भगत के घटित हो सकते हैं ऐसे कांड क्या ?सरकार इन्हें रोकती नहीं है इसमें सरकार का होगा कोई स्वार्थ भगवान जाने !अपराध करना सरकारी कर्मचारियों की मजबूरी नहीं है किंतु अपराधियों की तो मजबूरी है!
      सरकार उन अपराधियों पर अंकुश लगाने की बात  किस मुख से करती है जिन्हें सैलरी नहीं देती है क्या उनके पेट नहीं हैं क्या उन्हें भूख नहीं लगती है क्या वे इस देश के नागरिक नहीं हैं क्या उनका पेट भरना सरकार की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिेए क्या !आखिर वे लोग अपराधी क्यों और घूसखोर सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपराधी क्यों नहीं !
    सरकारी अधिकारी कर्मचारी तो सरकार के अधिकाँश विभागों में काम करने की योग्यता न होने के कारण बेइज्जती करवा रहे हैं  अधिक क्या कहें ये सरकारी अधिकारी कर्मचारी भ्रष्टाचारयुग में ही तो नियुक्त हुए हैं इसलिए ये जिन जिन पदों पर बैठे या बैठाए गए हैं या जो जो जिम्मेदारी इन्हें सौंपी गई है किसी का तो निर्वाह नहीं कर पा रहे हैं!सरकारी डॉक्टर ,डाक कर्मचारी ,दूरसंचार विभाग ,शिक्षा विभाग आदि से जुड़े लोगों की थू थू मची हुई है वहीँ उनसे चौथाई या उससे भी कम सैलरी लेकर भी प्राइवेट वाले डॉक्टर, कोरियर ,मोबाईलकंपनियाँ  और शिक्षक कितनी अच्छी सेवाएँ देते हैं कितने प्रेम से बातें करते हैं ।
  ये इसी रेट पर मार्केट में आसानी से उपलब्ध भी हैं इनके मन में इनके काम की कदर भी है फिर भी इनके सारे  गुण नजरंदाज करके सरकार उन लोगों पर ही अंधाधुंध सैलरी क्यों लुटाती जा रही है उतने पैसों में ये अधिक कर्मचारी क्यों नहीं रख लेती और अपने पुराने वालों की परीक्षा ले वो जिन पदों पर बैठे हैं उस लायक हैं भी या नहीं न हों तो उनसे अभी तक की सैलरी वसूले और निकाल बाहर करे !
   अजीब सी अंधेर है कि जो जनता के लिए रखे गए हैं किंतु जनता ही उनसे संतुष्ट नहीं है फिर भी सरकार उनसे खुश है न जाने क्यों ?जबकि उन्होंने आज तक अपने काम की जिम्मेदारी समझी ही नहीं है और समझें भी क्यों ?जनता का मन जीतने की उन्हें जरूरत भी क्या है जब सरकार ऐसे ही उन पर मेहरवान है!ये जानते हुए भी कि काम करना उनकेवश का है ही नहीं !
      घूस लेने का उनका अपना स्वैच्छिक अधिकार है !ये लाखों रूपए पाकर भी घूस लेने का अपराध करते हैं तो वो अपराधी यदि अपराध करते हैं तो इसमें गलत क्या है ! पेट तो उनके भी लगा है और धंधा उनके पास क्या है !
    अपराधों पर अंकुश लगाना सरकारों के बश का ही नहीं है क्योंकि सरकार अपने जिन अधिकारियों कर्मचारियों को  इतनी मोटी मोटी सैलरी देती है फिर भी यदि उन अधिकारियों कर्मचारियों के पेट नहीं भरते और वो घूस लेकर अपराध करवाते हैं तो जिन अपराधियों को सरकार कोई सैलरी नहीं देती है उनसे ये उम्मींद कैसे करती है कि वे अपराध न करें क्या वे इस देश के नागरिक नहीं हैं क्या उनका पेट भरने की जिम्मेदारी सरकारों की नहीं होनी चाहिए !
      आम जनता  यदि अपराध करना भी चाहे तो इतना महँगा अपराध अफोर्ट ही नहीं कर सकती है आम जनता! इन सरकारी अधिकारियों  कर्मचारियों के लटकों झटकों से परेशान आम जनता इनसे लीगल काम करवाने की तो हिम्मत नहीं कर पाती है उस जनता के अनलीगल काम ये अधिकारी आखिर कैसे कर देंगे !
       सरकारों में सम्मिलित नेताओं की अत्यधिक कमाई का स्रोत है अपराध ! पैतृकसंपत्ति + आमदनी - खर्च के  बराबर होनी चाहिए नेताओं की वर्तमान संपत्ति किंतु उससे कई गुना अधिक हैं वो अधिक वाली आती कहाँ से है उसके स्रोत क्या हैं इसका कोई हिसाब किताब ही नहीं है वो पता लग जाए तो सारी पोल खुल जाए ये सार रहस्य अधिकारियों को पता होता है तो उनका मुख बंद करे के लिए या तो उन्हें भी कमाई करवाते हैं या फिर उनकी सैलरी बढ़ा दी जाती है सब कुछ मिलजुल कर सलाह पूर्वक चल रहा नेताओं और सरकारी कर्मचारियों की कमाई का काला बाजार !
        सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की  सैलरी इतनी भारी भारी !ऊपर से सातवाँ बेतन आयोग ! इतने  भी जिसे सैलरी कम लगती है सो भ्रष्टाचार का सहारा ले रहे हैं !केवल जनता पिस रही है उसकी चिंता किसी को नहीं है ,बारी सरकार ! बारे लोकतंत्र !
    लोकतंत्र के नाम पर सरकारों में सम्मिलित लोगों का और सरकारी अधिकारी कर्मचारियों को देश और देश की संपत्ति भोगने के सारे अधिकार प्राप्त हैं और काम की जिम्मेदारी जीरो परसेंट भी नहीं है !
      ये लोग आफिसों में जाएँ या न जाएँ या कितनी भी देर के लिए जाएँ जाकर भी काम करें या न करें कभी भी बता दें नेट नहीं आ रहा है कम्प्यूटर खराब है प्रिंटर काम नहीं कर रहा है जुकाम है घर से फोन आ रहा है सब्जी लेकर जाना है साढ़ू आ गए हैं कुत्ता बीमार है पड़ोसी के बच्चे का जन्म दिन है अमेरिका में भूकम्प आया है बच्चे घबा रहे हैं इसलिए घर जाना है आदि आदि कभी भी कुछ भी बोलकर आफिस छोड़कर चल दें और बता दें कि आफिस के काम से कहीं भेजा जा रहा है या मीटिंग में जा रहे हैं कुल मिलाकर आफिसों में काम न करने के हजार बहाने खोज लिए  जाते हैं और बहाने कोई न कोई मिल ही जाते हैं !कुछ नहीं तो आफिस में चूहा मर मिल जाता है तो वोमिटिंग लगने का बहाना बंद सारी  आफिस का काम काज !हाँ ,केवल घूस देने वालों के काम तो महीने के तीसों दिन चैबीसो घंटे कभी भी हो सकते हैं।  कम्प्यूटरों पर नाचती अँगुलियों की गति बता देती है कि ये काम प्राइवेट घूस की ताकत से चल रहा है या सरकारी सैलरी के बलपर !
     लगता है कि जैसे भ्रष्टाचार और  अपराध भी सरकारी योजनाओं के अंग हों !क्योंकि ईमानदार सरकारें अपनी ईमानदारी प्रचारित करने के लिए पोस्टर नहीं छपवाती हैं अपितु भ्रष्टाचार समाप्त करती हैं और भ्रष्टाचार घटते ही अपराध मुक्त हो जाता है समाज !किंतु भारत के भाग्य में ईमानदार  सरकारें लगता है लिखी ही नहीं है जो अपने शासन से जनता को एहसास करा सकें कि वे ईमानदार हैं !
      जब एक बात निश्चित है कि सारे भ्रष्टाचार की जड़ सरकार और उसके अधिकारी कर्मचारी ही हैं हो सकता है कि कुछ लोग उनमें  ईमानदार भी हों किंतु उनकी संख्या बहुत ही कम होगी ये बात इसलिए विश्वास पूर्वक कही जा सकती है कि यदि सरकारों और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों में ईमानदार लोग अधिक होते तो अपराधों पर अंकुश लगता दिखता किंतु अभी तक ऐसा कुछ कहीं होता दिख नहीं रहा है जबकि अपराध दिनोंदिन बढ़ते जरूर देखे जा रहे हैं इसका सीधा सा मतलब है कि सरकार और उसके अधिकारी कर्मचारी अपनी सैलरियों से संतुष्ट नहीं हैं तभी तो भ्रष्टाचारके माध्यम से उस कमी को पूरा  करने का प्रयास करते रहते हैं ।
   ऊपर से सातवाँ वेतन आयोग सरकार सरकारी लोगों को तो भोगवा रही है सारे राजभोग !जनता का भला करने का केवल भाषण केवल ढोंग !
       जनता से पर्दा करके योजनाबद्ध ढंग से लूटा जा रहा है देश ! वर्तमान पक्षपात पूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किसी की कोई जवाबदेही नहीं है ! सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार है इसीलिए हर विभाग अपने अपने विभागों से संबंधित अपराध एवं अपराधियों के प्रोडक्सन के लिए जिम्मेदार है !


No comments:

Post a Comment