Thursday, 21 July 2016

राहुलगाँधी के सो जाने पर तो शोर क्यों ?

   जो जग रहे थे उनमें कितने लोग बता पाएँगे आज किसने क्या बोला है संसद में !संसद में लिखा हुआ भाषण पढ़ने और रटा हुआ भाषण सुनाने आते हैं नेता लोग !किसी और का सुनता कौन है वैसे भी जिन्हें कल के लिए लिखकर देना होता है वे भाषण लेखक तो टीवी चैनलों पर सुन ही रहे होंगे ! 
रात रात  भर जगते रहते इतनी मेहनत इतना काम।
कहाँ भाग्य में बदी सभी के यह संसद सदनी आराम ॥                                                     संसद में आराम बहुत है काम नहीं कुछ अपने पास।
  शीतल मंद सुगंध पवन है अच्छे अवसर का एहसास ॥ 
  कोई कुछ भी भाषण बोले तीन वरस हैं अपने पास । 
 तब तक तो संतोष  हमें है फिर सोचेंगे क्या है ख़ास ॥
 संसद शयन सुरक्षित सुन्दर सुखद स्वप्न के सारे रंग ।                                                                                                      चिंता रहित मस्त यह जीवन संसद मेंअतुलित आनंद
    राहुलगाँधी संसद में सो नहीं रहे थे -काँग्रेस 
    किंतु ये बात अन्य कांग्रेसियों को कैसे पता लगी कि वो सो रहे थे या चिंतन कर रहे थे ये सफाई काँग्रेसी देते क्यों घूम रहे है इतनी बात तो राहुलगाँधी भी बोल सकते हैं । जनता से इतना पर्दा क्यों ?नींद तो किसी को भी आ सकती है वैसे भी संसद में आरोप प्रत्यारोप लगाने के अलावा होता क्या है !इसलिए माना कि गृह मंत्री जी का भाषण चल रहा था किंतु इससे किसी को क्या लेना देना !यदि राहुलगाँधी सो भी गए थे तो कौन पहाड़ टूट गया नींद खुलती और जब उनसे बोलने को कहा जाता तो जो उन्हें बोलना था वो घर से रट कर आए होंगे वही कि ये सूट  बूट की सरकार है दलितों  और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं कश्मीर में जो हुआ ठीक नहीं हुआ मोदी जी विदेश घूम रहे हैं महिलाएँ सताई जा रही हैं आदि आदि बातें यही बोल बोल कर काटने होंगे अभी तीन साल और !बोलना जब यही है तो इसके लिए नींद क्यों ख़राब करनी !

 आखिर क्यों ? बहस समझ में नहीं आ रही थी या बहस सुनना जरूरी नहीं समझ रहे थे,या सत्ता से हटने के बाद जिम्मेदारियाँ घटने से मन हल्का हुआ और नींद आ गई ,या कोई तनाव है जो घर में सोने नहीं देता संसदीय चर्चा में मन भटक गया और नींद आ गई,या अगले पाँच वर्ष तक खालीपन की निश्चिंतता का एहसास है कि कौन क्या कह रहा है कहने दो अभी से क्या चिंता जब चुनाव आएँगें तब फिर सुन लेंगे दो चार भाषण अभी से कौन मत्था मारने जाए ,या जो मैंने दस वर्ष किया है और हम लोगों ने बोला है मिलाजुला कर कर वही करना और वही बोलना मोदी जी को भी है इसलिए नया क्या होगा जो सुनें इसलिए नींद आ गई !                 


          

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