व्यापार में सफलता कब और किसको मिलती है ?
व्यापार जिसके नाम से है उसका अपना समय यदि अच्छा चल रहा हो, जिस काम से संबंधित व्यापार है वह काम यदि उसे फल रहा हो, जिस देश प्रदेश शहर आदि में वह काम होता है वह उसके लिए लाभ देने वाला हो ,जिस स्थान पर वह व्यापार हो वह जमीन जागृत हो |वह काम अच्छे समय में प्रारंभ किया गया हो |
ऐसी परिस्थिति में जो लोग पूरी लगन एवं परिश्रम पूर्वक व्यापार करते हैं वे सफल अवश्य होते हैं |
में वह काम है उस शहर कैसा चल रहा है
ज्योतिषियों की भी योग्यता का परीक्षण डॉक्टरों की तरह किया जाए !
डॉक्टरों की तरह ज्योतिषियों की भी योग्यता का परीक्षण करके उनसे ज्योतिष सेवाएँ ली जा सकती हैं ऐसा करने से ज्योतिष के प्रति टूटते विश्वास को बचाया जा सकता है अन्यथा अयोग्य ज्योतिषियों के द्वारा बताए गए झूठ साँच भविष्य पर विश्वास करके उनके द्वारा बताए गए ऊटपटाँग उपाय करने वालों को असफल होने के बाद ज्योतिष शास्त्र की निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों तक पहुँच ही नहीं पाए !इसलिए ज्योतिष संबंधी सेवाओं के लिए योग्य विद्वानों से विचार विमर्श करना अधिक लाभप्रद है |
ज्योतिष उपयोग करना आता हो तो निकल सकता है अनेकों समस्याओं का समाधान !
वस्तुतः कुंडली बनाना सीखने के लिए पंचांग बनाने की पढ़ाई पढ़नी पड़ती है उसके बाद कुंडली बनाना सीखना होता है इस प्रक्रिया में 8 से 10 वर्ष लग जाते हैं |
उपाय करने के लिए वेदमंत्रों का जप पाठ हवन आदि के द्वारा ग्रहशांति की प्रक्रिया का पालन करना होता है और किसी गुरू से पढ़े बिना वेदमंत्र पढ़ना संभव नहीं होता इसलिए गुरुकुल में रहकर 8 से 10 वर्ष तक वेदमंत्रों को पढ़कर उनका अभ्यास करना होता है |
कुछ लोग ज्योतिष न पढ़ पाने के कारण कुंडली बनाने के लिए कंप्यूटर रख लेते हैं और वेद न पढ़पाने के कारण उपायों के नाम पर नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज आदि धारण करने दान करने आदि की सलाह देते हैं कौवे कुत्ते गधे घोड़े पूजना सिखाते हैं गुड़ हल्दी कोयला उड़द मूंग मसूर आदि को खाने फेंकने प्रवाहित करने जैसे तरह तरह के आडंबर सिखाते हैं !
ऐसे लोगों से कुंडली दिखाने से या इनके बताए हुए उपाय करने से किसी को कोई लाभ तो होता नहीं है इसी बहाने समय जरूर बीत जाता है |
ज्योतिष के वास्तविक विद्वान् लोग आपके जीवन का महत्त्व समझते हैं इसलिए आपके जीवन से कभी खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं वो नग नगीना यंत्र तंत्र ताबीज की बातें करके आपको भटकाते नहीं हैं अपितु सही रास्ता दिखाते हैं | अच्छे ज्योतिष विद्वानों से ही आपका भला हो सकता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने लिए ज्योतिष वैज्ञानिकों की खोज करते रहनी चाहिए !
#astrosciencee
#drsheshnarayanvajpayee|
शिक्षा : कौन बच्चा किस समय में क्या पढ़ने में सफल होगा ?
भाग्य और समय के अनुसार बच्चे की शिक्षा निर्धारित होती है |कोई बच्चा किस विषय को पढ़ने में सफल होगा किसमें नहीं यह जाने बिना किसी बच्चे पर शिक्षा का बहुत अधिक दबाव डालने से बच्चा मानसिक रोगी होने लगता है |इसलिए देखना चाहिए कि किस बच्चे के भाग्य में किस प्रकार के विषयों की शिक्षा में सफलता मिलना संभव है उस विषय को पढ़ने में सफलता मिलेगी | दूसरी बात जिसका जब जैसा समय चल रहा होता है उसकी उस समय वैसे ही विषयों की शिक्षा में रूचि होती है उन्हीं विषयों की शिक्षा में सफलता मिलती है |
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने बच्चे की शिक्षा प्रारंभ होने से पूर्व उसके शिक्षा संबंधी भाग्य एवं समय की जानकारी अवश्य कर लेनी चाहिए |
#ज्योतिष बहुत बड़ा विज्ञान है लेकिन ज्योतिषियों में ज्योतिष वैज्ञानिक कितने हैं ?
सरकार एवं समाज की उपेक्षा के कारण कोई सक्षम माता पिता अपने बच्चे को ज्योतिष पढ़ाना नहीं चाहता है इसी कारण बच्चे ज्योतिष पढ़ना नहीं चाहते | प्रायः जिन बच्चों के माता पिता गरीबी के कारण अपने बच्चों को सामान्य विद्यालयों में पढ़ाने में सक्षम नहीं होते वे अपने बच्चों को ज्योतिष पढ़ने के लिए भेज देते हैं या फिर जो बच्चे सामान्य विद्यालयों में कई बार फेल हो चुके होते हैं उनका पास होना संभव नहीं होता है ऐसे बच्चों को ज्योतिष पढ़ाई जाती है चूँकि ये विषय अत्यंत कठिन है इसलिए उनकी समझ में नहीं आता है |इसके अतिरिक्त अपने रोजी रोजगार में फेल लोग अपने को ज्योतिषी सिद्ध करने के लिए गोल्डमैडल खरीद लाते हैं या किसी नेता अभिनेता के साथ फोटो खिंचवाकर अपने को ज्योतिषी सिद्ध कर लेते हैं कुछ लोग अत्यंत आडंबर झूठ लप्फाजी आदि के आधार पर अपने को ज्योतिषी सिद्ध कर देते हैं | ऐसी परिस्थिति में अच्छे ज्योतिषी तैयार कैसे हों ?ज्योतिष वैज्ञानिकों के अभाव में ऐसे वैसे लोगों ने ज्योतिष के प्रति समाज के विश्वास को तोड़ा है ! ऐसी परिस्थिति में अच्छे ज्योतिषी की खोज किसी वैज्ञानिक अनुसंधान से कम नहीं है जो हर किसी को करनी चाहिए |
#astrosciencee
#drsheshnarayanvajpayee|
ज्योतिष मानने वालों के साथ अक्सर धोखा होता है ! जानिए क्यों ?
ज्योतिषविद्वानों को खोजने में लोग अक्सर आलस करते हैं इसीलिए धोखा खाते हैं जानकारी के अभाव में वे हर व्यक्ति को ज्योतिषी मान लेते हैं इनमें पढ़े लिखे ज्योतिषियों के संख्या एक प्रतिशत भी नहीं होती है बाकी अधिकाँश लोग अपनी अपनी बुरी परिस्थितियों के कारण ज्योतिषी बने होते हैं !पति पत्नी में संबंध बिगड़े तो उन दोनों में से एक तो ज्योतिषी बन ही जाता है इसके अतिरिक्त जिसका रोजगार ठप हुआ वो ज्योतिषी बन जाता है | ऐसे ही और भी हैरान परेशान लोग बनावटी ज्योतिषियों के पास चक्कर लगाते लगाते धोखा खाते खाते थक हार के ऐसे लोग ज्योतिषी जरूर बन जाते हैं !कुछ नशापत्ती के शौकीन आराम पसंद लोग धन इकठ्ठा करने के लिए ज्योतिषी तांत्रिक आदि बन जाते हैं |कुछ लोग अपनी ज्योतिष जरूरतों के लिए ऐसे लोगों के पास भी पहुँचते हैं जिनसे उन्हें धोखा मिलता है तब ऐसे लोग ज्योतिषशास्त्र एवं ज्योतिषियों की निंदा करते हैं जबकि वे जिनके पास गए वे ज्योतिषी थे ही नहीं !ऐसी परिस्थिति में जो व्यक्ति ज्योतिष को विज्ञान मानता है या ज्योतिष के द्वारा अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहता है ऐसे प्रत्येक स्त्री पुरुष को ज्योतिषविद्वानों की पहचान रखनी चाहिए !
#astrosciencee
#drsheshnarayanvajpayee|
डॉक्टरों की तरह ही लिया जा सकता है ज्योतिष विद्वानों का भी लाभ !
कंप्यूटर से बनाई जाने वाली कुण्डलियाँ चूँकि उतनी सही नहीं होती हैं इसलिए किसी डेट ऑफ बर्थ को लेकर जन्म के वर्ष के पंचांग से कुंडली बनानी पड़ती है कुंडली बनाने के लिए पहले वाल समय जो आपने दिया है वो सही है कि नहीं इसकी जाँच करनी पड़ती है इसके बाद उससे कुंडली बनाई जाती है | कुंडली विद्वान ज्योतिषी ही बना पाते हैं दूसरी बात कुंडली बनाने में समय अधिक लगता है विद्वानों की संख्या कम है इसलिए ज्योतिष विद्वानों के पास समय कम होना स्वाभाविक ही है फिर भी जिसे जरूरत है वो अच्छे चिकित्सकों की तरह अच्छे ज्योतिषियों से भी खोज कर अपना काम अच्छी तरह से करवा ही लिया करते हैं |इसमें थोड़ी कठिनाई अवश्य होती है | इसीलिए पुराने ज़माने में बच्चों के जन्म के समय एक बार ही अच्छी कुंडली बनवा कर लोग रख लिया करते थे जो सारे जीवन काम देती थी |आज भी यदि ऐसा किया जाए तो कुंडली के द्वारा अपने जीवन में आने वाली बड़ी बड़ी समस्याओं का पूर्वानुमान लगाकर उनका समाधान खोजा जा सकता है प्रयत्नपूर्वक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है इस प्रक्रिया से कुछ बड़ी समस्याओं से बचाव हो सकता है |
आजकल कुछ लोग किसी को अपनी डेट ऑफ बर्थ देकर अपनी समस्याओं का समाधान पूछने लग जाते हैं कोई टीवी वालों को या कोई फेसबुक वालों को अपना डेट ऑफ बर्थ बता रहे होते हैं ! ऐसे लोग भी उम्मींद पाल लेते हैं कि कोई विद्वान् ज्योतिषी पहले उनकी कुंडली बनाएगा फिर उनकी समस्या का समाधान खोजकर उन्हें बताएगा !क्या किसी चिकित्सक के साथ चिकित्सा सेवाओं के लिए भी ऐसा किया जाता है १यदी नहीं तो ऐसे लोगों को ज्योतिष शास्त्र से कोई आशा भी नहीं करनी चाहिए क्योंकि उन्हें कोई विद्वान् ज्योतिषी मिलेगा नहीं जो मिलेगा वो धोखा देगा ही !कोई विद्वान् ज्योतिषी ऐसे उसकी कुंडली बनाएगा क्यों और उसकी समस्याओं का समाधान खोजेगा क्यों ? आखिर उसकी गरज क्या है ?
घर भी जीवित होते हैं !
देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा की तरह ही भवन अर्थात घर की भी
प्राणप्रतिष्ठा होती है !जिस घर की प्राणप्रतिष्ठानहीं की जाती है वह
निर्जीव घर कभी किसी को सुख नहीं दे पाता है ऐसे घरों में रहने वाले दुखी
होकर घरेलू कलह से जूझते रहते हैं स्वास्थ्य खराब रहता है तनाव बना रहता
है | घरों में डर
का वातावरण बना रहता है लोग एक दूसरे से बात करने में डरा करते हैं ऐसे
घरों में उनके परिचित ,नाते रिस्तेदार एवं मित्रलोग आने से कतराने लगते हैं
| ऐसे घरों में धन प्रवेश नहीं करता और यदि कर भी जाए तो उस धन में
बढ़ोत्तरी नहीं होती वो बीमारी आदि कारणों में खर्च हो जाता है | इसलिए आपको भी पता होना चाहिए कि आपका घर सजीव है क्या ?कहीं आपकी समस्याओं के बढ़ने का कारण आपका घर ही तो नहीं है |
किचन या रसोई ?
जिस घर में भोजन बनाने को लेकर किच किच होती रहे वो किचन और जिस घर में रस पके वो रसोई !किचन का भोजन स्वादिष्ट नहीं होता है इसीलिए प्रायः भूखे प्यासे रहने वाले लोग होटलों शादियों पार्टियों में ही पेट भर के भोजन कर पाते हैं अन्यथा महीनों भूखे प्यासे घूमा करते हैं |
जिस रसोई में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई हो वो रसोई शून्य होती है | शून्य रसोई में किसी को काम करने की तो छोड़िए घुसने का मन नहीं होता है वहाँ खड़े होने में घबड़ाहट होती है | भोजन में कितना भी अच्छा घी तेल मसाले आदि का प्रयोग क्यों न किया जाए किंतु भोजन स्वादिष्ट नहीं बनता है ऐसी रसोई में पका भोजन खाने वाले लोग स्वाद के लालच में होटलों खोमचों रेड़ियों पटरियों पर बाजारू भोजन खाकर अपनी जिंदगी के दिन पार किया करते हैं |तिथि त्यौहार जन्मदिन आदि मनाने की पार्टियों के बहाने होटलों में भोजन करने का मौका खोजा करते हैं | यह जानते हुए भी कि होटलों में बहुत अच्छी सामग्री नहीं प्रयोग की जाती है बहुत शुद्धि सफाई नहीं रहती है भोजन ताजा ही होगा ऐसा कुछ निश्चित नहीं होता है इसके बाद भी वह भोजन पसंद आता है घर की रसोई का निर्मित नहीं | प्राण प्रतिष्ठा के अभाव में मृत रसोई रसहीन हो जाती है | इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसकी रसोई शून्य तो नहीं है |
जिस घर में भोजन बनाने को लेकर किच किच होती रहे वो किचन और जिस घर में रस पके वो रसोई !किचन का भोजन स्वादिष्ट नहीं होता है इसीलिए प्रायः भूखे प्यासे रहने वाले लोग होटलों शादियों पार्टियों में ही पेट भर के भोजन कर पाते हैं अन्यथा महीनों भूखे प्यासे घूमा करते हैं |
जिस रसोई में प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई हो वो रसोई शून्य होती है | शून्य रसोई में किसी को काम करने की तो छोड़िए घुसने का मन नहीं होता है वहाँ खड़े होने में घबड़ाहट होती है | भोजन में कितना भी अच्छा घी तेल मसाले आदि का प्रयोग क्यों न किया जाए किंतु भोजन स्वादिष्ट नहीं बनता है ऐसी रसोई में पका भोजन खाने वाले लोग स्वाद के लालच में होटलों खोमचों रेड़ियों पटरियों पर बाजारू भोजन खाकर अपनी जिंदगी के दिन पार किया करते हैं |तिथि त्यौहार जन्मदिन आदि मनाने की पार्टियों के बहाने होटलों में भोजन करने का मौका खोजा करते हैं | यह जानते हुए भी कि होटलों में बहुत अच्छी सामग्री नहीं प्रयोग की जाती है बहुत शुद्धि सफाई नहीं रहती है भोजन ताजा ही होगा ऐसा कुछ निश्चित नहीं होता है इसके बाद भी वह भोजन पसंद आता है घर की रसोई का निर्मित नहीं | प्राण प्रतिष्ठा के अभाव में मृत रसोई रसहीन हो जाती है | इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसकी रसोई शून्य तो नहीं है |
ज्योतिषी भी झोलाछाप हो सकते हैं !
ऐसी परिस्थिति में भी यदि पढ़े लिखे विद्वान डॉक्टर खोजे जा सकते हैं तो
ज्योतिषी क्यों नहीं ? डॉक्टरों की योग्यता उनके डिग्री प्रमाणपत्रों को
देखकर आँकी जाती है तो ज्योतिषियों के विषय में भी ऐसा किया जा सकता है
|जो लोग ऐसा नहीं करते हैं ये लापरवाही उनकी अपनी है किंतु वे ज्योतिष
शास्त्र और ज्योतिष विद्वानों को झूठा सिद्ध करने में लगे रहते हैं ! see more...http://www.drsnvajpayee.com/
ज्योतिषशास्त्र अथाह समुद्र है !
जिस प्रकार से
समुद्र से जल लेने के लिए आपके पास वर्तन जितना बड़ा होगा आप उतना ही जल
समुद्र से ले सकते हैं इसी प्रकार से ज्योतिषशास्त्र समुद्र है इससे आप
अपने ज्योतिषी की योग्यता के अनुशार ही लाभ ले सकते हैं उससे अधिक नहीं ! see more...http://www.drsnvajpayee.com/ज्योतिष में योग्यता का ही खेल है !
आपका वकील यदि कम पढ़ा लिखा हो तो आपको मुकदमा हारना पड़ सकता है इसी प्रकार से आपका ज्योतिषी यदि कम पढ़ा लिखा है तो भाग्य और जीवन से संबंधित लाभ की जगह नुक्सान उठाना पड़ सकता है | see more...http://www.drsnvajpayee.com/
मकान सुख !
मकान धन से ख़रीदा जा सकता है लेकिन मकान का सुख जिसे है उसी को मिलता है अन्यथा नहीं !कई बड़ी बड़ी कोठियों में ऐसे लोग बस गए जिन्हें घर का सुख बदा ही नहीं था इसलिए अच्छे माकन खंडहर हो गए !आपको भी पता रखना चाहिए कि आपको मकान सुख बदाहै या नहीं ?see more...http://www.drsnvajpayee.com/
ज्योतिषशास्त्र बिजली की तरह है !
बिजली में बहुत शक्ति होने पर भी बल्व जितने बॉड का लगाया जाता है प्रकाश भी उतना ही मिलता है उससे अधिक नहीं | इसलिए बल्ब आपको लगाना है अच्छा लगा लो तो प्रकाश भी अच्छा मिलेगा अन्यथा नहीं | उसी प्रकार से ज्योतिषशास्त्र में तो भविष्य में देखने की अथाह शक्ति है किंतु जितना योग्य आपका ज्योतिषी होता है लाभ आपको उतना ही हो पाता है इसमें इसमें ज्योतिष शास्त्र का क्या दोष !योग्य ज्योतिषी को खोजकर उससे सेवाएँ लेना आपकी अपनी जिम्मेदारी है न कि ज्योतिष शास्त्र की |इसलिए आपको भी चिकित्सकों की तरह ज्योतिषियों की योग्यता का आकलन भी उनकी डिग्री प्रमाणपत्रों के आधार पर किया जाना चाहिए | जिन विश्व विद्यालयों से उन्होंने ज्योतिष विषय से संबंधित डिग्री प्रमाणपत्र आदि प्राप्त किए हैं उनकी विश्वसनीयता कितनी है !डिग्री हैं या डिप्लोमा आदि बातों के द्वारा ज्योतिषयों की योग्यता का परीक्षण करके ऐसे लोगों को अपने घर का ज्योतिषी बनाना चाहिए | जो पहले से किसी ज्योतिषी के संपर्क में हैं उन्हें भी चाहिए कि वे अपने ज्योतिषी का योग्यता परीक्षण करें यदि ऐसी जिम्मेदारी नहीं निभा पाते हैं तो ज्योतिष शास्त्र को दोष देने का अधिकार ही नहीं है see more...http://www.drsnvajpayee.com/
मानसिक तनाव बढ़ने का कारण क्या है ?
कई बार परिस्थितियों के कारण तनाव होता है तो कई बार अपने समय के कारण तनाव होता है | कई बार देखा जाता है जिन परिस्थितियों में जो व्यक्ति सुखी रह रहा होता है उन्हीं परिस्थितियों के रहने पर भी उसे अचानक तनाव होने लगता है इसका कारण उसके ऊपर पड़ने वाला उसके बुरे समय का प्रवाह होता है | बुरा समय आने पर व्यक्ति को किसी के नमस्ते न करने का तनाव तो होता ही है उसे नमस्ते करने वाले पर भी क्रोध आने लगता है | ऐसे लोग प्रत्येक परिस्थिति में अपने को तनाव में रखने के आदि हो जाते हैं !ऐसे लोगों के मन में हमेंशा बुरे बिचार या नकारात्मक भाव ही बने रहते हैं | ऐसी परिस्थितियों को सह रहे लोगों को चाहिए कि वे हमारे यहाँ संपर्क करें !
संतान न होने का कारण !
प्रायः प्रत्येक व्यक्ति का विवाह तभी होता है जब उसका अच्छा समय चल रहा होता है इसलिए उस अच्छे समय में संतान भी हो सकती है किंतु ऐसे कुछ लोग कुछ काल्पनिक कारणों से हठ कर बैठते हैं कि हम अभी बच्चों को जन्म नहीं देंगे उसके लिए तरह तरह के कृत्रिम संसाधनों का उपयोग करते हुए संतान होने के समय को टालते जाते हैं !इसके बाद जब वो संतान को जन्म देना चाहते हैं तब तक या तो उनका समय निकल चुका होता है या फिर उनकी पत्नी का | ऐसी परिस्थितियों में तमाम यत्न करने के बाद भी संतान लाभ नहीं होने पाता है किया करते हैं |
विवाह होने के बाद भी वैवाहिक सुख न मिलने का कारण !
कई बार प्रेम संबंधों से वैवाहिक सुखों की सुविधाएँ लेते रहने वाले लोगों का जब अपना विवाह होता है तब तक उनके भाग्य में बदे वैवाहिक सुखों को भोगने का भाग्यभण्डार खर्च हो चुका होता है| ऐसी परिस्थिति में या तो वे रोगी हो जाते हैं या आपस में कलह बढ़ जाता है ऐसी कोई भी घटना घटित होती है कि उन्हें एक दूसरे से वैवाहिक सुख नहीं मिल पाता है |इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने वैवाहिक भाग्यकोश की जानकारी चाहिए !
कई बार कुछ लड़के या लड़कियाँ विवाह होने से पहले ही ऐसे संबंधों में संलिप्त हो जाते हैं जिनसे वे विवाह न होने पर भी वैवाहिक सुख भोगते देखे जाते हैं इसके बाद जब विवाह होता है तब वैवाहिक सुख उस सीमा में नहीं मिल पाता है उसके लिए कारण कुछ भी क्यों न हों !इसका मुख्यकारण उनके अपने वैवाहिक भाग्यकोशका विवाह पूर्व क्षय होना होता है |
जीवन साथी से दूर
कई बार कुछ लड़के या लड़कियाँ विवाह होने से पहले ही ऐसे संबंधों में संलिप्त हो जाते हैं जिनसे वे विवाह न होने पर भी वैवाहिक सुख भोगते देखे जाते हैं इसके बाद जब विवाह होता है तब वैवाहिक सुख उस सीमा में नहीं मिल पाता है उसके लिए कारण कुछ भी क्यों न हों !इसका मुख्यकारण उनके अपने वैवाहिक भाग्यकोशका विवाह पूर्व क्षय होना होता है |
जीवन साथी से दूर
विवाह न होने का कारण !
विवाह का मतलब वैवाहिक सुख होता है !विवाह होने के समय का मतलब वैवाहिक सुख मिलने का समय !
विवाह का समय जिसका जब आ जाता है उस समय उसे विवाह संबंधी सुख मिलना आसान हो जाता है | अपने पति या पत्नी से तो विवाह सुख मिलता ही है यदि ऐसे समय में थोड़ा भी संयमित नहीं रहा गया तो विवाहेतर संबंध बहुत आसानी से बनते देखे जाते हैं |
युवा अवस्था में यदि वैवाहिक सुख मिलने का समय आ जाता है उस समय यदि ऐसे लोगों का विवाह किसी कारण वश नहीं हो पाता है तो समय के प्रभाव से ऐसे लोगों को किसी अन्य प्रकार से वैवाहिक सुख मिलने लग जाता है | इससे उनका वह समय तो मौजमस्ती से निकल जाता है किंतु वैवाहिक सुख मिलने का समय बीत जाने के बाद उनका विवाह होना कठिन हो जाता है उसके अतिरिक्त जो वैवाहिकसुख मिलने के अन्य साधन बनाए गए होते हैं वे भी छूट जाते हैं |
इसलिए ऐसे लोगों को चाहिए या तो वैवाहिक समय में विवाह करें या फिर संयम पूर्वक वह समय पार करके वैवाहिक सुख प्राप्त होने के दूसरे समय की प्रतीक्षा करें !जिससे उनका वैवाहिक जीवन व्यवस्थित बना रहे !इसलिए प्रत्येक बच्चे के वैवाहिक समय प्राप्त होने का समय कौन है यह प्रत्येक माता पिता को पता रखना चाहिए !
जो समय आता है उसमें
आने पर जो लोग विवाह न करके किसी अन्य विधि से वैवाहिक सुखों को प्राप्त करते हुए अपने विवाह के समय को यूँ ही निकाल दिया करते हैं इसके बाद उनका विवाह तो होता नहीं है और अन्य विधि से मिलने वाले वैवाहिक सुख भी छूट जाते हैं क्योंकि तब तक विवाह का समय निकल चुका होता है | ऐसे लोग अपने विवाह संबंधी स्थिति को जानने के लिए कर सकते हैं हमारे यहाँ संपर्क |
विवाह का समय जिसका जब आ जाता है उस समय उसे विवाह संबंधी सुख मिलना आसान हो जाता है | अपने पति या पत्नी से तो विवाह सुख मिलता ही है यदि ऐसे समय में थोड़ा भी संयमित नहीं रहा गया तो विवाहेतर संबंध बहुत आसानी से बनते देखे जाते हैं |
युवा अवस्था में यदि वैवाहिक सुख मिलने का समय आ जाता है उस समय यदि ऐसे लोगों का विवाह किसी कारण वश नहीं हो पाता है तो समय के प्रभाव से ऐसे लोगों को किसी अन्य प्रकार से वैवाहिक सुख मिलने लग जाता है | इससे उनका वह समय तो मौजमस्ती से निकल जाता है किंतु वैवाहिक सुख मिलने का समय बीत जाने के बाद उनका विवाह होना कठिन हो जाता है उसके अतिरिक्त जो वैवाहिकसुख मिलने के अन्य साधन बनाए गए होते हैं वे भी छूट जाते हैं |
इसलिए ऐसे लोगों को चाहिए या तो वैवाहिक समय में विवाह करें या फिर संयम पूर्वक वह समय पार करके वैवाहिक सुख प्राप्त होने के दूसरे समय की प्रतीक्षा करें !जिससे उनका वैवाहिक जीवन व्यवस्थित बना रहे !इसलिए प्रत्येक बच्चे के वैवाहिक समय प्राप्त होने का समय कौन है यह प्रत्येक माता पिता को पता रखना चाहिए !
जो समय आता है उसमें
आने पर जो लोग विवाह न करके किसी अन्य विधि से वैवाहिक सुखों को प्राप्त करते हुए अपने विवाह के समय को यूँ ही निकाल दिया करते हैं इसके बाद उनका विवाह तो होता नहीं है और अन्य विधि से मिलने वाले वैवाहिक सुख भी छूट जाते हैं क्योंकि तब तक विवाह का समय निकल चुका होता है | ऐसे लोग अपने विवाह संबंधी स्थिति को जानने के लिए कर सकते हैं हमारे यहाँ संपर्क |
विवाह में रुकावट क्यों आती है ?
कुछ लोग अपना कैरियर बनाने या रोजी रोजगार सेट करने या पढ़ाई पूर्ण करने या नौकरी लगने आदि के इंतजार में विवाह टालते जाते हैं और जब वो तरक्की कर पाते हैं तब तक उनके विवाह का समय निकल चुका होता है इसके बाद उन्हें विवाह के लिए ऐसे सदस्यों या परिस्थितियों से समझौता करना पड़ता है जिन्हें वे स्वप्न में भी नहीं पसंद किया करते थे !ऐसी ही परिस्थितियों से कुंठित कुछ अधिकारी उद्योगपति नेता आदि विवाहेतर संबंधों में सम्मिलित होते देखे जाते हैं see more....http://www.drsnvajpayee.com/
आपका आपके नाते रिश्तेदारों मित्रों आदि से संबंध बिगड़ने का कारण क्या है ?
ऐसी परिस्थिति में या तो आपका समय खराब चल रहा होता है आपके सगे संबंधी का या फिर आप दोनों का | बुरे समय के प्रभाव से आप दोनों परेशान अपने अपने समय से होते हैं किंतु समय का ज्ञान न होने से आप दोनों अपनी अपनी परेशानी का कारण एक दूसरे को समझने लग जाते हैं | यदी आपके साथ भी कुछ ऐसा हुआ है या होने की संभावना है तो उसे समझने के लिए आप कर सकते हैं हमारे यहाँ संपर्क !
समय के साथ साथ सोच भी बदलने लगती है |
आपके जीवन में जब अच्छा समय आता है तब आप अपने और दूसरों के विषय में सबकुछ अच्छा अच्छा सोचने और करने लग जाते हैं | अच्छे समय के कारण आपका जिन लोगों से फायदा होना होता है या जिस प्रकार के काम से फायदा होना होता है आप उसे ही पकड़ते चले जाते हैं और आपकी तरक्की होते चली जाती है | बुरा समय आने पर सब कुछ उलटा होते चला जाता है | जो आपको ज्ञानी समझते थे वही बुद्धू समझने लगते हैं जो आपके सहारे रहते थे आपको उनके आधीन होना पड़ता है आदि और भी बहुत कुछ | यदि आप भी ऐसी किसी परिस्थिति से जूझ रहे हैं तो कर सकते हैं हमारे यहाँ संपर्क |
नाम का पहला अक्षर कितना महत्त्वपूर्ण ?
यदि आप किसी परिवार में, व्यापार में, कंपनी में, संस्था में ,राजनैतिक दल में या सरकार हैं वहाँ आपको कुछ लोगों के साथ मिलकर बड़े छोटे पदों पर काम करना करना पड़ता है !उनमें से कुछ लोग आपको पसंद नहीं करते हैं और कुछ लोगों को आप नहीं पसंद कर रहे होते हैं | ऐसे में वहाँ कलह तनाव या विवाद होने लगता है जिसका असर आप पर उस पर और उस काम पर पड़ता है जिससे आप दोनों जुड़े होते हैं |इसमें न आप गलत होते हैं और न ही वो अपितु आप दोनों के नाम के पहले अक्षर एक दूसरे अच्छे नहीं होते हैं | इसलिए यदि आप भी कहीं ऐसी समस्या से परेशान हैं या किसी का नाम रखना या बदलना चाहते हैं या कुछ लोगों के विषय में जानना चाहते हैं कि इनका आपस में एक दूसरे के साथ कैसा व्यवहार रहेगा तो संबंधित लोगों का नाम बता कर पूछ सकते हैं कि इन लोगों का एक दूसरे के प्रति व्यवहार कैसा रहेगा see more.. http://www.drsnvajpayee.com/index.php/relation/55-2018-09-18-07-10-46
यह जानने के लिए आप कर सकते हैं मेरे यहाँ संपर्क !
यह जानने के लिए आप कर सकते हैं मेरे यहाँ संपर्क !
समय के अनुशार संबंध बनते हैं !
जिसका समय जब अच्छा होता है तक उसके साथ मित्र नाते रिस्तेदार घर परिवार के सदस्य पति या पत्नी आदि सभी सगे संबंधी लोग अच्छा व्यवहार करने लगते हैं और उसी व्यक्ति का समय जब बुरा आ जाता है तो वही सारे लोग बुराई करने लगते हैं और बुरा व्यवहार करने लगते हैं अच्छे समय अच्छे मित्र मिलते हैं बुरे समय में बुरे !आपका समय कैसा चल रहा है यह जानने के लिए कीजिए हमारे यहाँ संपर्क !
समय को समझो !
समय से पेड़ पौधे सफल होते हैं अर्थात फूलते फलते हैं और मनुष्य भी समय से ही सफल होते हैं !
किसी वृक्ष को कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु वो वृक्ष तब तक फूलता फलता नहीं है जब तक उसके फूलने फलने का समय अर्थात ऋतु नहीं आती है उसी प्रकार से कोई व्यक्ति कितना भी परिश्रम कर ले किंतु वह समय आने से पहले सफल नहीं हो पाता है | इसलिए आपके जीवन में आपकी सफलता का समय क्या है यह जानने लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ?
किसी वृक्ष को कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु वो वृक्ष तब तक फूलता फलता नहीं है जब तक उसके फूलने फलने का समय अर्थात ऋतु नहीं आती है उसी प्रकार से कोई व्यक्ति कितना भी परिश्रम कर ले किंतु वह समय आने से पहले सफल नहीं हो पाता है | इसलिए आपके जीवन में आपकी सफलता का समय क्या है यह जानने लिए आप हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं ?
भाग्य और कर्म में अंतर !
किसी के जीवन में भाग्य उस रोड की भूमिका अदा करता है जिस पर कर्म रूपी कार दौड़ाई जाती है |जिस प्रकार से जहाँ तक रोड या रास्ता होगा वहीँ तक गाड़ी दौड़ाई जा सकती है उससे अधिक नहीं !उसी प्रकार से भाग्य जितना होगा कर्म के द्वारा उतना ही लाभ लिया जा सकता है भाग्य से अधिक नहीं | जो लोग भाग्य के विषय में जाने बिना केवल कर्म किया करते हैं ऐसे लोगों के भाग्य में जो सुख जितना बदा होता है उतने तक किए गए कर्म सफल होते जाते हैं और जो सुख भाग्य में नहीं बदा होता है उससे संबंधित किए गए कर्म असफल होते जाते हैं | अतएव सफल होने के लिए हमें हमारे भाग्य की सीमाओं की जानकारी रखनी चाहिए |
#astrosciencee
#drsheshnarayanvajpayee|
समय से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है !
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि उसे सफलता किस आयु (समय) में मिलेगी के लिए यह व्यक्ति किस समय (आयु) में सफल हो सकता है किस काम में सफल हो सकता है | आप भी यदि ऐसी किसी समस्या से परेशान हैं तो ले सकते हैं हमारी सेवाओं से लाभ !
समय से सब कुछ होता है मनुष्य को सफलता और असफलता भी समय से ही मिलती है !
वृक्ष समय से फूलते फलते हैं उसी प्रकार से मनुष्य भी समय से ही सफल होते हैं जैसे बिना ऋतु के किसी वृक्ष को कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु वह वृक्ष अपने समय(ऋतु) आने से पहले फूलता फलता नहीं है !ऐसे ही कितना भी परिश्रम क्यों न किया जाए किंतु जब तक आपका अपना समय अच्छा नहीं आता है तब तक सफलता नहीं मिलती है | इसलिए अपने समय के विषय में समझने के लिए आप कर सकते हैं |इसलिए आपको भी अपने समय के विषय में जानकारी रखनी चाहिए !
#समय से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है !
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि उसे सफलता किस आयु (समय) में मिलेगी के लिए यह व्यक्ति किस समय (आयु) में सफल हो सकता है और किस काम में सफल हो सकता है see more...http://www.drsnvajpayee.com/
#astrosciencee
#drsheshnarayanvajpayee|
#संबंधों के बनने बिगड़ने का कारण क्या है ?
किन्हीं दो लोगों के आपसी संबंध जब बनते हैं तब दोनों को दोनों अच्छे लगते हैं जब उन दो में से किसी एक का अपना समय ख़राब आता है तो वह अपने ख़राब समय के कारण परेशान रहने लगता है लेकिन उसके लिए दोषी वो अपने आस पास के लोगों को मानने लगता है ऐसे समय उसका जो जितना घनिष्ठ प्रेमी होता है उसे वो उतना बड़ा शत्रु समझने लगता है |यदि उन दोनों का ख़राब समय एक साथ आ जाए तो उनके संबंध टूट जाते हैं क्योंकि अपने अपने समय के प्रभाव से वे दोनों एक दूसरे को बुरा समझने लगते हैं !
#astrosciencee
#drsheshnarayanvajpayee|
No comments:
Post a Comment