विजय दशमी के दिन किसी का भी देहांत हो जाए तो वो रावण जैसा कैसे हो सकता है !
आज कल कुछ साईं सदस्य साईं की तुलना रावण से करने लगे हैं कहते हैं कि साईं का देहांत भी तो विजय दशमी को ही हुआ था !
बंधुओ ! बराबरी ऐसे कैसे की जा सकती है साईं में रावण जैसे गुण भी तो होने चाहिए !ऐसे तो कल कोई रामनवमी को पैदा होगा तो वो अपने को श्री राम कहने लगेगा क्या ?और कहे तो कहे उसका मुख किन्तु ऐसी बिना शिर पैर की बातें कोई मान क्यों लेगा !विजय दशमीको मृत्यु होने से रावण के बराबर थोड़े हो गए साईं! रावण विद्वान तपस्वी पराक्रमी शिव भक्त आदि बहुत कुछ था जबकि बेचारे साईं रावण के सामने कहाँ ठहरते हैं ! किसी को बुरा लगे तो लगे सच्चाई है तो है ।
सच्चे सनातनधर्मी लोग अपने मंदिरों में रावण की प्रतिमालगाकर उसे तो पूज सकते हैं किन्तु साईं को नहीं !अमृतोपम गाय के दूध का स्वाद जिसे एकबार लग जाए वो गधी का दूध कैसे पी सकते हैं !किन्तु जिसे गाय के दूध का स्वाद ही न पता हो वो गधी का पिए या कुतिया का ये उसकी अज्ञानजन्य मजबूरी हो सकती है किन्तु किसी दिन उस पर भी यदि किसी शास्त्रीय संत की कृपा हो गई तो उसे भी गाय की महत्ता समझ में आ जाएगी किन्तु जब तक नहीं पता है तब तक वो किसी को पूजे ऐसे ज्ञान दुर्बल लोग विवश होते ही हैं !
रावण का वर्णन तो हमारे धर्म ग्रंथों रामायणों में मिलता है साईं का कहीं अता पता ही नहीं है ये भी नहीं पता कि साईं नाम का भ्रम डाला किसने क्योंकि इस नाम से कभी कहीं कोई व्यक्ति हुआ हो ऐसा तो बर्णन ही नहीं मिलता है इस नाम से कभी कोई संत भी नहीं हुआ अन्यथा संत इतिहास में तो इनका नाम होता ! किन्तु ये तो " मान न मान मैं तेरा मेहमान" !
कहाँ रावण कहाँ साईं ! गए तो दोनों विजय दशमी के दिन ही थे किन्तु रावण गया और साईं ले जाए गए !
बलिष्ठा कर्मणां गतिः (कर्मों की गति बड़ी बलवान होती है)
दशहरा पर्व शिर्ड़ी साईं बाबा और रावण बाबा दोनों का ही निर्वाण दिवस है
रावण भी अपने को पुजाना चाहता था और साईं भी अपने गिरोह के सदस्यों को
ऐसी ही सीख दे कर गए हैं अंतर इतना है रावण विद्वान था तपस्वी था पराक्रमी
था और भगवान शंकर का उपासक था इसलिए रावण को मुक्ति देने के लिए प्रभु
श्री राम स्वयं पधारे और उसपर कृपा की ,प्रभु ने उसका दाह संस्कार भी
करवाया ताकि भूत प्रेत बनकर साईं की तरह भटकता न घूमै ! किन्तु बेचारे साईं
जिन्हें कभी किसी मंदिर जाते देवी देवता की आराधना करते किसी ने नहीं देखा
उनपर कैसे हो सकती थी प्रभु की कृपा !इसलिए रावण के तपस्या आदि गुणों से
प्रभावित होकर प्रभु श्री राम के हाथों उसकी मृत्यु हुई किंतु उसी विजय
दशमी को साईं बेचारे अपने आप .……!
दशहरा पर्व के दिन ही रावण का भी निर्वाण दिवस है रावण के पास भी सोना
चाँदी का चढ़ावा बहुत आता था उसकी तो लंका भी धीरे धीरे सोने की बन गई थी
!रावण के अनुयायी भी बहुत थे धन संपत्ति उसके पास भी बहुत थी हमें ये नहीं
पता है कि रावण के यहाँ लड्डुओं का व्यापार होता था या नहीं हाँ मुकुट उसके
भी भक्तों ने उसे सोने का दे रखा होगा क्योंकि वो भी लगाता सोने का मुकुट
ही था उसने भी शास्त्रीय सनातन धर्मियों के साथ बड़ा उपद्रव किया था खैर जो
भी हो पहले तो रावण के अनुयायी भी बहुत जोर पड़ते रहे थे किन्तु जब से
हनुमान जी ने पूँछ घुमाई तो फिर सब धीरे धीरे धीरे ठंढे पड़ते चले गए अब
देखो कब दया करते हैं हनुमान जी !क्योंकि मंदिरों की मर्यादा और सनातन धर्म
की प्रतिष्ठा एक बार फिर धार पर लगी है !
"साईं संप्रदाय का सबसे बड़ा झूठ 'साईं डे ' अर्थात साईं बाबा का दिन "
बृहस्पति वार से साईं का सम्बन्ध क्या है ?इस दिन अनंत काल से बृहस्पति
देवता एवं भगवान विष्णु की पूजा होती चली आ रही है सारी दुनियाँ जानती भी
इस दिन को इसी नाम से है ये करोड़ों वर्षों
की शास्त्रीय संस्कृति भी है और परंपराओं में भी यही माना जाता रहा है और
अभी तक यही माना जा रहा है इसी बात के प्रमाण भी हैं किन्तु अभी कुछ वर्षों
से साईं के घुसपैठियों ने इस बृहस्पति वार में साईं बुड्ढे को जबर्दश्ती
घुसाना शुरू कर दिया है इसके पीछे इन लोगों के पास न कोई तर्क है न कोई
प्रमाण न और कोई आधार !है तो केवल निर्लज्जता !!see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/07/blog-post_31.html
जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईंवार कैसे हो सकता है?
साईं घुसपैठियों का बृहस्पतिवार को साईं वार कहने का ड्रामा !बृहस्पतिवार
को साईं वार कहना कितना सही है !आप स्वयं सोचिए कि ग्रहों के दिन वही हो
सकते हैं जिनके नाम के आकाश में ग्रह होते
हैं वो ग्रह अपने अपने दिनों में शुभ या अशुभ फल दिया करते हैं किन्तु
साईं वार का मतलब क्या है क्या इन्होंने साईं नाम का कोई ग्रह बनवाकर साईं
पत्थरों को मंदिरों में घुसाने की तरह ही आकाश में भी साईं पत्थर घुसा कर
टाँग रखा है क्या ?और यदि नहीं तो फिर ये धोखाधड़ी क्यों !आखिर क्यों मिस
गाइड किया जा रहा है समाज को ? जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईं
वार कैसे हो सकता है !फिर भी साईं घुस पैठियों के द्वारा शास्त्रीय
मान्यताओं से समाज को भटकाने का उद्देश्य आखिर क्या है इसकी जाँच होनी
चाहिए ! see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/07/blog-post_31.html
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