Friday, 24 April 2015

केजरी वाल जी ! सत्ता मिलते ही तुम इतना बदल गए ! तुमसे ऐसी तो उम्मीद नहीं थी !

अरविंद जी !एक किसान फड़फड़ाता रहा तुम मुख्यमंत्री बने बैठे रहे ऐसे पद को धिक्कार है जो इंसान को इंसान न रहने दे !
    अरविन्द जी !जिस दिल्ली की जनता ने तुम्हें इतना दुलार दिया है कि जो दिल्ली के चुनावी इतिहास में किसी दूसरे पार्टी और नेता को नहीं मिला है जनता ने बीसों बर्ष पुरानी पार्टियों एवं उनके अनुभवी और चिर परिचित नेताओं के विश्वास को दरकिनार करते हुए अरविंद तुम्हारी सरलता सहजता ईमानदारी विनम्रता एवं भाषाई शालीनता पर अपने को न्योछावर कर दिया है !समाज जिस समय सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचारों से रौंदा जा रहा है जब बड़े बड़े पढ़े लिखे लोगों का जीवन केवल अनपढ़ नेताओं मंत्रियों की चाटुकारिता के लिए जाना जाने लगा था उस समय शिक्षित और सामान्य समाज की आशा की किरण बनकर अरविन्द तुम प्रकट हुए जिन्हें देखकर शिक्षित समाज को आशा बँधी  कि मैं भी कुछ कर सकता हूँ इसलिए अरविंद जी शिक्षित और लेखक होने के नाते मैं निजी तौर पर आपसे आशान्वित हूँ कि आप अपने उद्देश्यों में सफल हों और यदि आप असफल हुए तो हमारे जैसे हजारों हृदय यह सोचकर हताश हो जाएँगे कि जो सपना आपने दिखाया था वो टूट गया !
   इसलिए अरविन्द जी ! अभी भी तुम्हें सुधारना चाहिए और अपने आचार व्यवहार पर उठने वाली अँगुलियों की भाषा समझनी चाहिए !राजनीति में केवल सच्चा होना आवश्यक नहीं होता है अपितु ईमानदार दिखाना भी पड़ता है श्री राम ने सीता को निर्वासन इसलिए नहीं दिया था कि वो गलत थीं अपितु इसलिए दिया था कि कुछ लोग उन पर प्रश्न करने लगे थे !इससे हमें भी कुछ सीखना चाहिए !आपके चारों और रहने वाले उद्दंड लोग राजनैतिक उतावलेपन में इतना कुछ बोल जाते हैं कि उससे न केवल आपकी साख बिगड़ी है अपितु अन्ना हजारे जी भी लपेटे में आ गए हैं जो ठीक नाहीं है । 
     हे अरविन्द ! तुम कुछ कर पाओ या न कर पाओ वो आपकी परिस्थितियाँ हो सकती हैं जिन्हें जनता सह जाएगी किंतु जनता आपके गाली गलौच एवं तड़पते किसान को देखते हुए भी आपका मुख्यमंत्री बनकर बैठा रहना उसके बाद भाषण देना जनता से पच नहीं रहा है !आप ने माफी माँग ली अच्छा किया इससे अधिक अब और कुछ कर भी नहीं सकते थे ! अरविन्द जी !जनता आज भी आपके साथ है किन्तु आप भी जनता का साथ दीजिए ।
    मीडिया में ख़बरें आ रही हैं कि मीटिंग में तुम रोने लगे थे गिर पड़े थे आशुतोष और अंजली दमानियाँ जैसे लोगों ने आपको सँभाला था !इतनी बड़ी बड़ी बातें  हो गईं दिल्ली की जनता को कुछ पता ही नहीं लगा !जरा जरा सी बात जनता के सामने बताने वाले तुम इतनी बड़ी बात छिपा गए रामलीला मैदान से आंदोलन के समय कपिल सिब्बल से बात करने आप लोग गए थे वहाँ  जिस उपेक्षात्मक ढंग से आप से व्यवहार किया गया था वो बिना संकोच के आपने मंच से जनता के सामने बताया था किंतु …!और जनता ने आप लोगों के अपमान को अपना अपमान समझा था इसीलिए न केवल आपका साथ दिया अपितु उन  अहंकार मूर्च्छित लोगों से बदला भी ले लिया । अरविन्द जी !आप दिल्ली की सरकार छोड़कर गए थे जनता के मन में आक्रोश था किंतु आपने जनता से माफी माँगी जनता ने आपको न केवल माफ किया और न ही केवल गले लगाया अपितु गोद उठा  लिया तुम्हें !कितना दुलार दिया है तुम्हें दिल्ली वालों ने !इतना बड़ा विश्वास जीत पाना अरविन्द !एक जन्म के पुण्यों का प्रभाव नहीं है इसलिए वह आपके लिए विश्वास सबसे अधिक मूल्यवान होना चाहिए !
   अतएव आपसे से एक ही निवेदन है कि आप मीडिया में आकर अपने मुख से बोलिए कि आपकी मजबूरी आखिर क्या है क्यों पार्टी में नित नूतन विवाद जन्म ले रहे हैं !और हर विवाद से निपटने में पार्टी न केवल असफल या बेइज्जत हुई है अआपका व्यक्तित्व भी विवादित हुआ है !आप कोशिश कीजिए ताकि पार्टी की निर्विवादिता बचाई जा सके अन्यथा बहुत देर हो चुकी होगी !
                                                                                                              भवदीय -
 डॉ.शेष नारायण वाजपेयी  

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