Monday, 28 November 2016

सैनिकों और बैंक कर्मचारियों की सेवाओं में इतना बड़ा अंतर क्यों ? बैंक वाले सैलरी नहीं लेते हैं क्या ?

    सैनिक सीमाओं की रक्षा के लिए यदि दिन रात लड़ सकते हैं तो बैंक क्यों नहीं खोले जा सकते थे दिन-रात !
   राष्ट्रसमर्पित सैनिकों के सामने आम सरकारी कर्मचारी कहाँ ठहरते हैं बन्दनीय वीर सैनिक तो देश देश सेवा के जिस काम के लिए जहाँ भी भेजे और लगाए जाते हैं वहाँ से जिम्मेदारी निभाकर और जंग जीतकर ही लौटते हैं अन्यथा उन प्रणम्य स्वाभिमानियों के शव लौटते हैं वे नहीं !उनकी तुलना में कहाँ ठहरते हैं ये आम सरकारी कर्मचारी !पता नहीं सरकार इनसे काम लेने में इतना डरती क्यों है !
    ईश्वर न करे आतंक वादियों जैसी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होने की जिम्मेदारी यदि हमारे आम सरकारी कर्मचारियों को निभानी हो तो इनके बनाए विस्फोटक न तो समय से  रखे जा सकेंगे और न टार्गेट पर रखे जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात यदि ऐसा कुछ हो भी जाए तो वो फूटेंगे ही नहीं ?
    हे प्रधान मंत्री जी ! सबके एकाउंट चेक कराने की धमकी तो बार बार दी जाती है किंतु बैंकों के अंदर लगे सीसी टीवी वीडियो भी चेक कराइए और देखिए काउंटरों वाले वीडियो भी !उनमें कुछ चेहरे ही चमकते मिलेंगे कई कई घंटों और कई कई दिनों तक दिखाई पड़ते रहेंगे  !उन्हीं की खुशामद करने में लगे रहते थे बैंक कर्मचारी !काले धन को सफेद करने और करवाने के बड़े कारोवार में ही ब्यस्त रहा करते थे बैंक !
       जनता आधी रात से बैंकों के आगे लाइनों में खड़ी हो जाती थी किंतु बैंक कर्मी 10 -11 बजे बैंकों में पहुँचते थे जनता आधी रात से भूखी प्यासी खड़ी होती थी बैंक कर्मचारी नास्ता करके आते थे और चाय पानी पिया ही करते थे इसी बीच लाइनों में खड़े भूखे प्यासे लोगों को दिखा दिखाकर बैंक कर्मचारी करने लगते थे लंच !जनता देखा करती थी उन्हें !
      महोदय ! सरकार यदि कोई  बड़ा बदलाव करना चाहती है तो परेशानियाँ तो होंगी ही किंतु उन परेशानियों से निपटने के लिए सरकारों  में सम्मिलित लोग ,सरकारी कर्मचारी और जनता बराबर बराबर जिम्मेदारी निभाए तब तो ठीक है किंतु सारी जिम्मेदारी का बोझ केवल जनता पर डाल दिया जाए सरकार और सरकारी कर्मचारी मौज मारते रहें संवेदना शून्य बने रहें और अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह ईमानदारी पूर्वक न करें जनता अकेली जूझती रहे तो सरकार के ऐसे आचरणों को सरकार और सरकारी कर्मचारियों के द्वारा जनता पर किया गया अत्याचार माना जाना चहिए !
    सरकार के ऐसे निर्णयों के लिए कुछ कुर्वानी सरकार और सरकारी कर्मचारी भी करें तब कुछ कुवानी की अपेक्षा जनता से भी की जाए तब तो ठीक है किंतु भ्रष्टाचार भगाने के नाम पर केवल जनता को शूली पर लटका देना कहाँ का न्याय है !
      सरकार का भरोसा सरकारी कर्मचारी होते हैं वही लोग सरकार के हाथ पैर होते हैं उन्हीं के बलपर सरकार बड़े बड़े निर्णय ले लेती है इसीलिए उन्हें आम आदमी की आमदनी की अपेक्षा कई कई गुना अधिक सैलरी भी देती है । सरकारी कर्मचारी ही यदि सरकारी योजनाओं को ईमानदारी पूर्वल लागू करने में गद्दारी करने लगेंगे तो जनता अकेले कहाँ तक जूझे !आखिर जनता को आश्वासनों के अलावा और दे ही क्या देती है सरकार !
     जनता लाइनों में भूखी प्यासी खड़ी थी सरकारों में बैठे लोगों को समय से भोजन पानी आदि सारी सुख सुविधाएँ मिल रही थीं और सरकारी कर्मचारियों को भी कहीं कोई दिक्कत नहीं थी उन्हें तो सैलरी मिलती ही थी जरूरत की चीजें उधार में भी मिल जाती हैं उन्हें ! वैसे भी उनके पास आम जनता की तरह धन की कमी कहाँ होती है जिससे उन्हें कोई बड़ी दिक्कत हो !इसलिए सरकार और सरकारी कर्मचारी तो आनंद भोगते हैं सारा दंड तो जनता ही झेलती है ! आखिर जनता का अपराध क्या था !यदि सरकार और उसके कर्मचारियों में यदि हिम्मत नहीं थी तो इतना बड़ा निर्णय केवल जनता पर क्यों थोपा  गया ! 
     अब भी सरकार के पास अवसर है सरकार चाहे तो अपनी ईमानदारी ,निष्पक्षता और पारदर्शिता का परिचय आम जनता को देने के लिए  बैंकों के कैस  काउंटरों के वीडियो चेक करवाए और घूसखोर भ्रष्टाचारी कालेधन को सफेद करने वाले दोषी बैंक कर्मचारियों का न केवल दण्डित करे अपितु उनके नाम और चित्र सार्वजनिक करे !वो वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करे ताकि जनता भी देखे कि कालेधन वाले रईसों की कितनी सेवा कर रहे हैं ये !अक्सर कालेधन वालों के ही चेहरे चमकते दिखेंगे बैंकों के कैस काउंटरों पर !उन्हें चाय नास्ता भी अंदर ही दिया जाता रहता है और उनका काम भी अपनेपन से किया जाता है !
     ये सारा अत्याचार लाइनों में खड़ी जनता अपनी आँखों से देखती रहती है कुछ कहती तो बैंक वाले उन्हें डाँट देते और पुलिस वाले उन पर शांति भंग करने का आरोप मढ़ कर भगा देते !बैंक कर्मचारियों से लेकर पुलिस वाले तक सब उन्हीं कालेधन वालों की सेवा भावना में लगे हुए थे !जनता बेचारी अकेले ही जूझ रही थी नोट बंदी अभियान से !
      कुल मिलाकर बैंक कर्मियों ने अपने और अपनों के काम खूब किए हैं देर देर रात तक कहीं कहीं तो आधी आधी रात में भी किए गए अपनों अपनों के काम !सरकार उनके इस भ्रष्टाचार में भी कर्तव्य निष्ठा सूँघती रही !सरकार चाहे तो बैंकों के अंदर के वीडियो चेक करवाए और देखे कि भ्रष्टबैंक कर्मचारी कितनी हमदर्दी से कालेधन वालों के कालेधन को सफेद करते हैं । भ्रष्टाचार के वास्तविक माता पिता ऐसे ही भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारी हैं इन पर अंकुंश लगाए बिना भ्रष्टाचार भगाने और कालाधन समाप्त करने का सपना देखना ही मृग मरीचिका से ज्यादा कुछ नहीं है !
     जनता तो केवल लाइनें लगाती थी पैसा तो किसी किसी भाग्यशाली को ही मिलता था !नोट बंदी के महान अभियान में तथा सरकार की भद्द पिटवाने में बैंक कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान है उन्होंने  जनता के साथ यदि ईमानदारी पूर्ण व्यवहार किया होता तो न इतनी लंबी लाइनें होतीं और न ही इतनी दुघटनाएँ घटतीं न विपक्ष को बोलने का मौका मिलता और न ही लोकसभा की कार्यवाही ही बाधित होती !
    क्या बैंक कर्मचारी सैलरी नहीं लेते हैं !भ्रष्टाचार भगाने के लिए सरकार के द्वारा चलाए गए नोट बंदी जैसे राष्ट्र हितकारी महान अभियान में सरकारी कर्मचारियों का सहयोग जैसा मिलना चाहिए था वैसा क्यों नहीं मिला !सरकार के द्वारा घोषित किए  गए किसी कार्यक्रम को ईमानदारी पूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी सरकारी कर्मचारियों की होती है उन्हें हर परिस्थिति में सरकार के साथ खड़ा होना होता है आखिर इसी बात की सैलरी और अन्य सुविधाएँ मिलती हैं उन्हें !
       सरकार ने नोट बंदी अभियान की अचानक घोषणा कर दी देश घबड़ा गया बिना पैसे तो एक कदम भी चलना मुश्किल था कई जरूरतें ऐसी थीं जिन्हें टाल पाना कठिन ही नहीं असंभव भी था इन्हीं कारणों से लाइनों में लगे कई लोगों की दुर्भाग्य पूर्ण मृत्यु भी हुई समय से उन्हें इलाज नहीं मिल सका कई लोग तो बैंकों की लाइनों में खड़े खड़े ही गिर कर मर गए !ऐसा न हो इसके लिए बैंककर्मचारियों ने अतिरिक्त सहयोग क्यों नहीं किया !बैंक वालों ने अपनी ड्यूटी भी कितनी ईमानदारी से बजाई ये उनकी आत्मा ही जानती होगी या फिर ईश्वर !जनता बैंक कर्मचारियों के पक्ष पात की शिकायत भी करे तो किससे उसकी आपबीती पर भरोसा करेगा कौन !
        मान्यवर मोदी जी !नए नोटों को बदलने की प्रक्रिया से पहले रात 12 बजे सारे बैंक कर्मियों को सेवा मुक्ति की घोषणा करते और अगले दिन सुबह से नए कर्मठ परिश्रमी योग्य और जरूरतमंद लोगों की नई नियुक्तियाँ करते धीरे धीरे जब बैंकों का काम काज सुचारू रूप  से चलने लगता तब हजार पाँच सौ के नोट बदलने का लेना चाहिए था निर्णय तो वो लोग सरकार की भद्द न पिटने देते और सरकार की आशाओं पर खरे उतरते ! आज तो उन्हीं काले धन वालों के चहेते बने हैं आपके कर्मचारी लोग !ग़रीबों की बड़ी बड़ी लाइनें लगी हैं बैंकों के सामने !
    महोदय !बन्दनीय सैनिकों को छोड़कर आम सरकारी कर्मचारियों के काम काज की गति और क्षमता से देश सुपरिचित है अधिकाँश सरकारी कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी एवं भ्रष्टाचार की भावना को सभी जानते  हैं फिर भी उनके सहारे आपने इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने का निर्णय ले कैसे लिया !देशवासियों  को आश्चर्य इस बात का है !आज कितनी कितनी लंबी लंबी लाइनें लगी हैं बैंकों डाकघरों एटीएमों के सामने और कैसे  दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है आम नागरिकों को !एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री का घर गृहस्थी वालों के साथ ये कैसा न्याय है ?     
     मान्यवर !  राष्ट्रसमर्पित साधक  सैनिकों के सामने आपके आम सरकारी कर्मचारी कहाँ ठहरते हैं वो बन्दनीय देश भक्त तो जिस काम के लिए जहाँ भेजे और लगाए जाते हैं वहाँ से जिम्मेदारी निभाकर या तो  जंग जीतकर लौटते हैं या फिर उन स्वाभिमानियों के शव लौटते हैं वे नहीं !यदि देश का आम सरकारी कर्मचारी वैसा ईमानदार और जन सेवाओं के लिए समर्पित होता तो नोट बदलने की आज  परिस्थिति ही पैदा क्यों होती !अब तो जाँच न हो तो और बात बाक़ी जिनकी जाँच होती है उन सरकारी बाबुओं के घरों से बिस्तरों से भी पकड़े जाने लगे हैं सैकडों करोड़ और हीरा  जवाहरात आदि तमाम बेनामी संपत्तियाँ !
    हे प्रधानमन्त्री जी ! देश के प्रति समर्पित राष्ट्र साधक सैनिकों से आम सरकारी कर्मचारियों की तुलना कैसे की जा सकती है जिन सैनिकों पर  एक सर्जिकलस्ट्राइक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्होंने दुनियाँ को दिखा दिया कि हम कमजोर नहीं हैं और आतंकवादियों को उनके घरों में घुस कर मारा किंतु मोदी जी !दूसरी सर्जिकलस्ट्राइक आपने जिनके भरोसे की है वो हाथ बहुत कमजोर हैं वहाँ दलाली चल रही है वो नहीं सिद्धकर पाए कि वे कामचोर नहीं हैं उनके ATM ख़राब हो रहे हैं हर प्रकार की लापरवाहियाँ होती देखी जा रही हैं अपने परिचितों के नोट भी बदले जा रहे हैं !इनके भरोसे भ्रष्टाचार समाप्त करने के सपने देख रहे हैं आप !क्या ऐसे लोगों पर भी नियंत्रण करने का कोई फार्मूला खोजेंगे आप !
     श्रीमान प्रधानमंत्री जी !देश के अंदर घुसपाने वाले आतंकवादी कईबार हमारी सरकारी लापरवाहियों के कारण ही हमें चोट दे जाने में सफल होते हैं वो दृढ़ निश्चयी एवं अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं जबकि हमारे लोग ड्यूटी बजाने और मौका बरकाने की भावना से भावित होते हैं इसीलिए जिनका जैसा लक्ष्य उन्हें वैसी सफलता ?ईश्वर न करे आतंक वादियों जैसी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होने की जिम्मेदारी यदि हमारे आम सरकारी कर्मचारियों को निभानी हो तो इनके बनाए विस्फोटक क्या समय से  रखे जा सकेंगे !या टार्गेट पर रखे जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात क्या वो फूटेंगे भी ?
   सरकारी स्कूलों में जिन कक्षाओं को पढ़ाने के नाम पर सरकारें जिन शिक्षकों को भारीभरकम सैलरी देती जा रही हैं उन्हीं शिक्षकों को यदि उन्हीं कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया जाए खुद परीक्षा देने को और ईमानदारी पूर्वक उनकी कापियाँ जाँची जाएँ तो पास होने वाले शिक्षकों की संख्या इतनी कम होगी कि सरकारों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि पढ़ाने के नाम पाए ऐसे की सैलरी पर  पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं उनकी नियुक्तियों में सरकारों ने जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई तब तो घूस और सोर्स को महत्त्व दिया गया अब जो पढ़े ही न हों वो अचानक पढ़ाने कैसे लगेंगे !सरकार के हर विभाग का कमोवेश यही हाल है !
   हे प्रधानमन्त्री जी !कुलमिलाकर सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी एवं उनके नाते रिश्तेदार ही करते भ्रष्टाचार किंतु नेता लोग ईमानदार दिखने के लिए सताने लगते हैं आम जनता को और बरबाद करने लगते हैं व्यापार  लगते हैं आम जनता का जीना !सरकारों में बैठे नेताओं को चाहिए कि वो भ्रष्टाचार भागने के लिए सबसे पहले सरकारों एवं सरकारी कर्मचारियों के अंदर भरी पड़ी गन्दगी साफ करें जनता खुद भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन में सरकार की भावना की मदद करने लगेगी !आज व्यापारी लोग यदि ईमानदार जीवन जीना भी चाहें तो सरकार का कोई ऐसा जिम्मेदार विभाग नहीं है जो उन व्यापारियों की जरूरतों को समय से पूरा कर सके सरकारी कर्मचारियों पर न उनका कोई दबाव है और न ही वे अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते ही हैं उनसे समय पर जिम्मेदारी पूर्वक काम करवाने के लिए व्यापारियों को देनी पड़ती है सरकारी बाबुओं को घूस और होली दिवाली को पहुँचाने पड़ते हैं मजबूरी में महँगे महँगे गिफ्ट !व्यापारियों को सरकारी कर्मचारियों से यदि समय से काम लेना है तो उन्हें देनी पड़ती है घूस और उसके लिए उन्हें इकठ्ठा करना पड़ता है कालाधन जिसके बल पर सरकारी कर्मचारियों से वो समय पर करवाते हैं अपने काम और करते हैं व्यापारिक काम काज !यदि सरकारी कर्मचारियों को घूस देना वे बंद कर दें तो समय पर सरकारी काम काज करवाने की जिम्मेदारी कौन लेगा !सरकार का इस कौन जिन्दा विभाग है जो इतना एक्टिव हो कि सरकारी विभागों में बिना घूस के लेन  देन  के भी व्यापारियों के काम काज को समय पर करवा कर दे !
     अधिकारी कर्मचारी गलत काम करवाने के लिए लेते हैं पैसे और उपलब्ध करवाते हैं भ्रष्टाचार करने की सारी सुविधाएँ ! सरकारों एवं सरकारी अधिकारी कर्मचारियों का ये अघोषित ऑफर बिना परिश्रम के कम समय में रईस बनने की चाहत रखने वालों को पसंद आ जाता है और दोनों मिलकर लूटते हैं देश और जनता सहती है क्लेश !
   मिलावट का नारा लगा लगाकर स्वयंभू ईमानदार बाबा लोग अरबोंखरबों पति बन गए !
    इसमें मिलावट करनेवाले व्यापारी लोग यदि जिम्मेदार हैं तो वो लोग भी उससे कम जिम्मेदार नहीं हैं जिनकी जिम्मेदारी मिलावट खोरों को पकड़ने की है यदि वो ऐसा नहीं कर रहे हैं तो सरकार उन्हें लाखों रूपए की सैलरी देती आखिर किस बात के लिए है !ये भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारी कर्मचारियों और सरकारों की लापरवाही गैर जिम्मेदारी का नतीजा है !
        हे देशवासियो !अपने देश में भ्रष्टाचार भयंकर है ऐसी लूटमार में कैसे जिया जा सकता है हर सामान में मिलावट बता बता कर विज्ञापन करने वाले बाबा जी हजारों करोड़ के स्वयंभू ईमानदार उद्योगपति बन गए और बड़ी चालाकी से देश के अधिकाँश व्यापारियों को बेईमान सिद्ध कर दिया है इसी बहाने मोदी सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया क्योंकि मिलावट रोकने की जिम्मेदारी उनकी है बाबा पंडित पुजारी मुल्ला मौलवी लेखक पत्रकार नेता अभिनेता अधिकारी कर्मचारी यहाँ तक कि अपने अपने धंधे में धोखाधड़ी और मिलावट करने वाले  व्यापारी लोग भी मिलावट के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं । अब ये मिलावट और धोखाधड़ी से कमाया गया पैसा अगर पकड़ा नहीं जाएगा तो उन्हें सबक कैसे मिले और ये मिलावट रुकेगी  कैसे ?
भ्रष्टनेतालोग अपने कालेधन को बचाने के लिए फेल करना चाह रहे हैं मोदी जी का नोटबंदी अभियान !
  भ्रष्टाचारी नेता लोग आतंकवादियों को इसीलिए पालकर रखते रहे हैं ताकि जनता का ध्यान उधर भटका रहे और इधर ये भ्रष्ट लोग देश की संपत्तियाँ लूटते रहें ?
    बंधुओ ! जो नेता लोग जब राजनीति में आए थे तब कौड़ी जेब में नहीं थी आज करोड़ों अरबों के मालिक बने राज सुख भोग रहे हैं कहाँ से आता है ये पैसा !इन्होंने कभी कोई व्यापार किया नहीं! नौकरी की नहीं धन इनके पास था नहीं आखिर ये अपार संपत्तियाँ इनके पास आईं कहाँ से !ये कालाधन नहीं तो क्या है !
     समय समय पर सरकारों में रह चुके भ्रष्ट नेता लोगों ने सरकारों के भीतर से लेकर बाहर तक हर जगह अपने लोग पहले से ही फिट कर रखे हैं जो ईमानदार सरकारों का भ्रष्टाचार विरोधी कोई अभियान सफल ही नहीं होने देते हैं अंत में थक हार कर वो भी चुप बैठ जाते हैं !वही स्थिति आज है मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी महान प्रयास की हवा निकालने में जुटा है भ्रष्टाचार परिवार ! 
      इन भ्रष्ट नेताओं ने अपना धन सफेद करने के लिए अपने में से कुछ भ्रष्टलोगों को बाबा बना लिया उनके नाम से ट्रस्ट बना दिए और ट्रस्ट के पैसों पर टैक्स नहीं होगा के नियम बना लिए !इसी प्रकार से अपने कुछ भ्रष्ट लोगों को सरकारी नौकरियों में घुसा  रखा है वो वहाँ से इनकी सेवा कर रहे हैं जनता को तंग करके हवा निकाल रहे हैं  मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की !
   संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जा रही है बाहर जनता को आत्म हत्या करने हुल्लड़ मचाने झगड़ा करने के लिए उकसाया जा रहा है !भ्रष्ट बैंक कर्मियों की मदद से बैंकों में आम जनता का काम काज बहुत धीरे धीरे किया जा रहा है सेठों साहूकारों की सेवा में लगे हैं बैंक कर्मचारी लोग !जनता से लंबी लंबी लाइनें लगवाई जा रही हैं अंदर काम  बड़े लोगों का या बैंक कर्मियों के परिचितों एवं उनके नाते रिस्तेदारों का हो रहा है बाकी तो  केवल शोभा बढ़ा रहे हैं ! लंबी लंबी लाइनों के लिए मोदी सरकार  को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और जनता को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काया जा रहा है !यदि सरकारी मशीनरी भी सरकार की योजनाओं में निष्पक्ष साथ नहीं देगी तो प्रधानमन्त्री  जी अकेले क्या क्या कर लेंगे !
  ये हैं भ्रष्टाचारी नेताओं के भ्रष्टाचार परिवार के सम्मानित सदस्य !जो अंदर बाहर हर जगह से मदद कर रहे हैं भ्रष्टाचारी नेताओं और उनके सगे सम्बन्धियों की !
1.भ्रष्टनेता2.भ्रष्टबाबा3.भ्रष्टसरकारी कर्मचारी 
 सभी प्रकार के अपराधियों के जन्मदाता होते हैं ऐसे क्षेत्रों से जुड़े सफेदपोश दिखने वाले भ्रष्ट लोग !
   आज नोटबंदी में आम जनता की कठिनाइयों का बहाना ले लेकर हुल्लड़ मचा रहे हैं कालेधन वाले नेता लोग !तरह तरह के ट्रस्ट बनाए बैठे बाबा लोग काले धन को सफेद करने में लगे हैं उन्हें तो पैसे चाहिए कैसे भी मिलें अपने अपने व्यापार छोड़ अब बाबाओं ने इसी काम को धंधा बना लिया है !
   उधर बैंक कर्मचारियों को अपने नाते रिस्तेदारों परिचितों एवं बैंक से जुड़े बड़े व्यापारियों से फुरसत ही कहाँ है कि वे आम जनता की लगी लाइनों पर ध्यान दें    वे तो उन्हीं अपनों के ब्लैक को ह्वाइट करने में लगे हैं उनके पास थोड़ा बहुत समय बचता है तो लाइन में खड़े लोगों से भी बात कर लेते हैं अन्यथा आम जनता सुबह लाइन में खड़ी की जाती है और शाम को खदेड़ दी जाती है न ब्रेकफास्ट न लंच !
      ऐसे निराश हताश हैरान परेशान  जरूरत मंद लोगों के साथ घट रही हैं दुर्घटनाएँ ये काले धन और बैंक कर्मियों की आपसी साँठ गाँठ से जाम कर दिया जा रहा है बैंकों से जुड़ा आम जनता का जरूरी काम काज !इसीलिए बैंकों के सामने आम जनता की लाइनें घटने का नाम ही नहीं ले रही हैं ।
      कई बैंकों में तो कर्मचारी साढ़े दस ग्यारह बजे आते हैं साढ़े ग्यारह बजे काम शुरू करते हैं पहले जो अपनों का अपनी जेबों बैगों में डालकर काम लाए होते हैं वो निपटाते हैं फिर चाय पीते हैं तब जनता का नंबर आता है तब तक लंच हो जाता है !
    इसके बाद जनता से पहले बड़े लोगों की लेबर ही लाइनों में आगे खड़ी होती है बैंकों की मिली भगत से बाबू जी अंदर घुसा लिए जाते हैं वो अंदर ही अंदर निपटा रहे होते हैं करोड़ों का काम काज !आम जनता अपने जरूरी कामों के लिए हजार दो हजार रुपयों के लिए लाइनों में खड़ी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही होती है पौने तीन बजे लंच ख़त्म होता है फिर समय ही कितना बचता  है फिर शुरू होता है वही खेल फिर कुछ लोग अंदर भेज दिए जाते हैं बाकी लोगों के लिए 3 -4 बजे बंद कर दिया जाता है बैंक !फिर शुरू होता है अपना और अपनों का काम !
   ऐसे बैंक कर्मियों के द्वारा मोदी सरकार को करवाया  जा रहा है बदनाम ! 

बंधुओ !एक बार इस लेख को आप जरूर पढ़ें खोलें यह लिंक -
    'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !'दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार करे सरकार अन्यथा सारी कवायद कम असरदार !   सरकार और सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना हो ही नहीं सकता है भ्रष्टाचार ! see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_67.html                                 

'भारत बंद' का मतलब कालेधन वालों का शोर !सत्ता की चाभी अपने पास ही क्यों रखना चाहता है विपक्ष !

   अपने अनुशार सरकार चलाना क्या इस सरकार में बैठे लोगों का लोकतान्त्रिक अधिकार नहीं है क्या ?क्या इन्हें जनता ने चुनकर नहीं भेजा है !ये विपक्ष से आज्ञा माँग माँग कर काम करें क्या ? इमरजेंसी हो या नसबंदी अभियान उन सरकारों को जनता ने सहा है तो इस सरकार को भी सहेगी !और इन्हें भी काम करने का  पूरा अवसर देगी ताकि इनसे भी जवाब माँगा जा सके ! अरे भारत बंद करने वाले नेताओ !निजी स्वार्थों के चक्कर में संविधान भावना की उपेक्षा क्यों ?
  जनता को बुरा लगा तो उनसे लोकतांत्रिक ढंग से जनता ने ही निपटा था इस सरकार के आचरण भी बुरे लगेंगे तो इनसे भी उसी ढंग से जनता स्वयं निपटेगी किंतु इस सरकार में बैठे लोगों पर शक कर कर के उन्हें कुछ करने क्यों नहीं देना चाहता है विपक्ष !विपक्षी नेता वर्तमान सरकार को अपनी इच्छा का गुलाम बनाकर क्यों रखना चाहते हैं
   क्या ये वर्तमान सरकार का लोकतान्त्रिक अधिकार नहीं है कि ये अपनी इच्छा से कार्य कर सके !आखिर अपने काम काज का जनता को जवाब इन्हें देना है न कि विपक्ष को !विपक्षी नेता वर्तमान सरकार को अपनी इच्छा का गुलाम बनाकर क्यों रखना चाहते हैं कि जैसे ये कहें वैसे सरकार चले अन्यथा ये संसद नहीं चलने देंगे !ये राजनैतिक गुंडागर्दी नहीं तो क्या है !आखिर जनता के द्वारा चुनी गई है ये सरकार भी इनके भी कुछ अधिकार होने चाहिए या नहीं !चंद्रशेखर ,देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल जी की सरकारें इसी आदत के कारण ही तो गिराई  गई थीं इसीलिए तो जनता ने अबकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है तब भी सत्ता की चाभी अपने पास रखना चाहता है विपक्ष !इस कैसे होने दिया जा सकता है !  
 संसद के गतिरोध को आम जनता के पैसे की बर्बादी क्यों न माना जाए !
 तरह तरह के हथकंडे अपना कर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की हवा निकालने में लगे हैं कालेधन वाले लोग !सरकार ऐसे लोगों की संचित संपत्तियों और उनके आय स्रोतों की जाँच करवाए और उनसे पूछे कि यदि उनका कालेधन से लगाव नहीं है तो उन्हें सरकार के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार निरोधक निर्णय से सहमत होने में आखिर उन्हें आपत्ति क्या है !रही बात जनता की तो जनता अपनी बात  नेताओं को मनवाने में सक्षम है उसे कालेधन के समर्थक नेताओं की मदद की आवश्यकता नहीं है उन्हें और उनकी चल अचल संपत्तियों एवं उनके राजसी रहन सहन को भी जनता देख रही है जो ईमानदारी से अर्जित किया गया होगा इसकी संभावनाएँ बिलकुल न के बराबर हैं !
  भ्रष्टनेतालोग अपने कालेधन को बचाने के लिए फेल करना चाह रहे हैं मोदी जी का नोटबंदी अभियान !
  भ्रष्टाचारी नेता लोग आतंकवादियों को इसीलिए पालकर रखते रहे हैं ताकि जनता का ध्यान उधर भटका रहे और इधर ये भ्रष्ट लोग देश की संपत्तियाँ लूटते रहें ?
    बंधुओ ! जो नेता लोग जब राजनीति में आए थे तब कौड़ी जेब में नहीं थी आज करोड़ों अरबों के मालिक बने राज सुख भोग रहे हैं कहाँ से आता है ये पैसा !इन्होंने कभी कोई व्यापार किया नहीं! नौकरी की नहीं धन इनके पास था नहीं आखिर ये अपार संपत्तियाँ इनके पास आईं कहाँ से !ये कालाधन नहीं तो क्या है !
     समय समय पर सरकारों में रह चुके भ्रष्ट नेता लोगों ने सरकारों के भीतर से लेकर बाहर तक हर जगह अपने लोग पहले से ही फिट कर रखे हैं जो ईमानदार सरकारों का भ्रष्टाचार विरोधी कोई अभियान सफल ही नहीं होने देते हैं अंत में थक हार कर वो भी चुप बैठ जाते हैं !वही स्थिति आज है मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी महान प्रयास की हवा निकालने में जुटा है भ्रष्टाचार परिवार ! 
      इन भ्रष्ट नेताओं ने अपना धन सफेद करने के लिए अपने में से कुछ भ्रष्टलोगों को बाबा बना रखा है कुछ ने ट्रस्ट सोसायटी आदि टैक्स मुक्ति माध्यम बना रखे हैं और ट्रस्ट के पैसों पर टैक्स नहीं होगा के नियम बना रखे हैं !लंबे समय से सत्ता में रहने के कारण इन्हीं लोगों ने उस समय अपने कुछ भ्रष्ट लोगों को सरकारी नौकरियों में घुसा  रखा है वो उन उन विभागों से ऐसे लोगों के अपने ऊपर किए गए एहसान का बदला  चुकाने में लगे उनकी सेवा कर रहे हैं वो उन्हीं लोगों की सेवा खुशामद में व्यस्त हैं में व्यस्त हैं आम जनता का काम कौन करे बैंकों एटीएमों के आगे लंबी लंबी लाइनें लगती जा रही हैं वो कर्मचारी आम जनता जनता को तंग करके हवा निकाल रहे हैं  मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की ! 
   ऐसे नेताओं के द्वारा संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जा रही है बाहर जनता को आत्म हत्या करने हुल्लड़ मचाने झगड़ा करने के लिए उकसाया जा रहा है !कुछ भ्रष्ट बैंक कर्मियों की मदद से बैंकों में आम जनता का काम काज बहुत धीरे धीरे किया जा रहा है सेठों साहूकारों की सेवा में लगे हैं बैंक कर्मचारी लोग !जनता से लंबी लंबी लाइनें लगवाई जा रही हैं अंदर काम  बड़े लोगों का या बैंक कर्मियों के परिचितों एवं उनके नाते रिस्तेदारों का हो रहा है बाकी तो  केवल शोभा बढ़ा रहे हैं ! लंबी लंबी लाइनों के लिए मोदी सरकार  को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और जनता को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काया जा रहा है !यदि सरकारी मशीनरी भी सरकार की योजनाओं में निष्पक्ष साथ नहीं देगी तो प्रधानमन्त्री  जी अकेले क्या क्या कर लेंगे !
  ये हैं भ्रष्टाचारी नेताओं के भ्रष्टाचार परिवार के सम्मानित सदस्य !जो अंदर बाहर हर जगह से मदद कर रहे हैं भ्रष्टाचारी नेताओं और उनके सगे सम्बन्धियों की !
1.भ्रष्टनेता2.भ्रष्टबाबा3.भ्रष्टसरकारी कर्मचारी 
 सभी प्रकार के अपराधियों के जन्मदाता होते हैं ऐसे क्षेत्रों से जुड़े सफेदपोश दिखने वाले भ्रष्ट लोग !
   आज नोटबंदी में आम जनता की कठिनाइयों का बहाना ले लेकर हुल्लड़ मचा रहे हैं कालेधन वाले नेता लोग !तरह तरह के ट्रस्ट बनाए बैठे बाबा लोग काले धन को सफेद करने में लगे हैं उन्हें तो पैसे चाहिए कैसे भी मिलें अपने अपने व्यापार छोड़ अब बाबाओं ने इसी काम को धंधा बना लिया है !
   उधर बैंक कर्मचारियों को अपने नाते रिस्तेदारों परिचितों एवं बैंक से जुड़े बड़े व्यापारियों से फुरसत ही कहाँ है कि वे आम जनता की लगी लाइनों पर ध्यान दें    वे तो उन्हीं अपनों के ब्लैक को ह्वाइट करने में लगे हैं उनके पास थोड़ा बहुत समय बचता है तो लाइन में खड़े लोगों से भी बात कर लेते हैं अन्यथा आम जनता सुबह लाइन में खड़ी की जाती है और शाम को खदेड़ दी जाती है न ब्रेकफास्ट न लंच !
      ऐसे निराश हताश हैरान परेशान  जरूरत मंद लोगों के साथ घट रही हैं दुर्घटनाएँ ये काले धन और बैंक कर्मियों की आपसी साँठ गाँठ से जाम कर दिया जा रहा है बैंकों से जुड़ा आम जनता का जरूरी काम काज !इसीलिए बैंकों के सामने आम जनता की लाइनें घटने का नाम ही नहीं ले रही हैं । 
      कई बैंकों में तो कर्मचारी साढ़े दस ग्यारह बजे आते हैं साढ़े ग्यारह बजे काम शुरू करते हैं पहले जो अपनों का अपनी जेबों बैगों में डालकर काम लाए होते हैं वो निपटाते हैं फिर चाय पीते हैं तब जनता का नंबर आता है तब तक लंच हो जाता है !
    इसके बाद जनता से पहले बड़े लोगों की लेबर ही लाइनों में आगे खड़ी होती है बैंकों की मिली भगत से बाबू जी अंदर घुसा लिए जाते हैं वो अंदर ही अंदर निपटा रहे होते हैं करोड़ों का काम काज !आम जनता अपने जरूरी कामों के लिए हजार दो हजार रुपयों के लिए लाइनों में खड़ी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही होती है पौने तीन बजे लंच ख़त्म होता है फिर समय ही कितना बचता  है फिर शुरू होता है वही खेल फिर कुछ लोग अंदर भेज दिए जाते हैं बाकी लोगों के लिए 3 -4 बजे बंद कर दिया जाता है बैंक !फिर शुरू होता है अपना और अपनों का काम !
   ऐसे बैंक कर्मियों के द्वारा मोदी सरकार को करवाया  जा रहा है बदनाम !
बंधुओ !एक बार इस लेख को आप जरूर पढ़ें खोलें यह लिंक -
    'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !'दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार करे सरकार अन्यथा सारी कवायद कम असरदार !   सरकार और सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना हो ही नहीं सकता है भ्रष्टाचार ! see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_67.html                                 

बाबा करें व्यापार और व्यापारी जाएँ हरिद्वार ! सारे देश में भयंकर भ्रष्टाचार ! केवल बाबा बचे हैं ईमानदार !

मिलावट जब रोक नहीं पाई सरकार !इसलिए बाबाओं को करना पड़ा व्यापार !
     चालाक बाबा लोग इसी समाज से कालाधन माँग माँग कर अपना बहुत बड़ा व्यापार फैला लेते हैं अपने लिए बड़ी बड़ी संपत्तियों के ढेर लगा लेते हैं उसी काले धन से अपने लिए सारी सुख सुविधा के सारे साधन जुटा लेते हैं !जब अपना पेट काले धन से भर जाता है खुद हजारों करोड़ के मालिक बन जाते हैं तब उन्हें दिखाई पड़ने लगता है 'कालाधन' जब अपना पेट भर जाता है   "चोर मचाए शोर " !जो धन जब तक ब्यापारियों या आम जनता के पास होता है तब तक उसे कालाधन कहा जाता है  बाबाओं और नेताओं के पास पहुँचते ही उसी कालेधन का कलर(रंग)  अचानक बदल जाता है और वही काला धन बाबाओं और नेताओं का सत्संग पाते ही  अचानक सफेद हो जाता है ! 
    वैसे भी दस बीस वर्षों में हजारों करोड़ ईमानदारी से भी कमाए जा सकते हैं क्या वो भी बाबा बनकर वो भी चैरिटी करते हुए !यदि हाँ तो ये बाबाओं वाली बुद्धि व्यापारियों के पास नहीं होती है क्या ?
   नेताओं ,बाबाओं और सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की संचित संपत्तियों की जाँच की जाए वो संपत्तियाँ उगलेंगी कालाधन !अन्यथा कैस कोई  कितना रख लेगा अपने घर !सारा काला धन चल अचल अवैध संपत्तियों में कन्वर्ट कर लिया जा चुका है उसे निकालने के लिए कठोरता बरती जाए !
    जो नेता जब से चुनाव जीता हो ,जो बाबा जब से बाबा बना हो और जिस सरकारी कर्मचारी की जब से सरकारी नौकरी लगी हो उस समय से लेकर आज तक के संपत्ति समूहों और उनके आयस्रोतों की ईमानदारी पूर्वक जाँच और दोषियों पर कार्यवाही हो तो समाप्त हो सकते हैं काले धन के बड़े बड़े स्रोत और घट सकते हैं सभी प्रकार के अपराध !
    इनके सहयोग (सोर्स)के बिना कोई अपराधी व्यक्ति अपराध कम ही कर पाता है आखिर अपनी सुरक्षा का रास्ता तो वो भी खोज कर चलता ही है और नेताओं बाबाओं सरकारी कर्मचारियों की पहुँच मंत्रियों तक सीधी होती है इसलिए अपराधी लोग भी मदद के लिए ऐसे लोगों की ही शरण पकड़ते हैं !इसलिए ऐसे आकाओं की जाँच करते समय ध्यान इस दृष्टि से भी जाँच की जानी चाहिए कि इन्होंने किसी अपराधी की मदद तो नहीं की है और की है तो आज तक किन किन अपराधियों की मदद की है उसके लिए इनकी संपत्तियों एवं आय स्रोतों का मिलान करते ही सारा लेख जोखा खुल जाएगा !
   पक्षपाती कानूनों से भेदभाव पैदा होता है इसलिए  ऐसे कानून रद्द करके सबके साथ समानता   का व्यवहार करना सबको क्यों न सिखाया जाए और जप्त की जाएँ दोषी बाबाओं, नेताओं और भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की संग्रहीत संपत्तियाँ !
      जनता यदि ढाई लाख से ज्यादा रखे तो बेईमान किंतु  नेताओं  और बाबाओं पर कोई कानून लागू नहीं होता है क्या या इनकी भी कोई लिमिट है !
     नेता लोग 5 सौ करोड़ की शादी करें और बाबालोग10 वर्षों में हजारों करोड़ इकट्ठे कर लें उन्हें कानून इतनी छूट देता है क्या !जीवन में कोई व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 40 साल काम कर लेगा ढाई लाख साल के हिसाब से तो वो भी 40 सालों में ज्यादा से ज्यादा एक करोड़ ही कमा पाएगा किंतु नेताओं के यहाँ तो शादी काम काजों में सैकड़ों करोड़ खर्च होते देखे जाते हैं वो कैसे !इसीप्रकार से जो बाबा योगी लोग दस बीस वर्ष पहले दो दो कौड़ी के लिए भटकते देखे जाते रहे होते हैं वो अचानक हजारों करोड़ की संपत्तियों के मालिक बन बैठते हैं किंतु कैसे !क्या ऐसे लोगों पर आम जनता वाले कानून लागू नहीं होते यदि हाँ तो क्यों ?यदि ईमानदारी की यही परिभाषा है तब तो सारा देश ही नेता और बाबा बनकर संपत्तियाँ इकट्ठी करने लगेगा !जब अपना कोटा पूरा हो जाएगा तब वो भी दूसरों के कालेधन के लिए हो हल्ला मचाएगा !चोर लोग प्रायः ऐसा ही करते देखे जाते हैं जहाँ कहीं चोरी हुई होती है वहाँ चोरों को पकड़ने खोजने का सबसे ज्यादा शोर मचाने वाले लोग ही प्रायः चोर और चोर से संबंधित पाए जाते हैं
   बंधुओ ! ढाई लाख साल के हिसाब से आम आदमी तो अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा 40 वर्ष काम करके एक करोड़ ही कमा पाएगा !उसी में उसको जीवन चलाना घर खर्च बीमारी ,बच्चों के कामकाज से लेकर सबकुछ और नेता अपने बच्चों की शादी में सैकड़ों करोड़ खर्च करें बाबा हजारों करोड़ इकट्ठे करें आखिर इन्हें इतनी छूट क्यों है !इससे तो अच्छा सारा देश ही बाबा और नेता बन जाए सबको बिना कमाए खाने को मिलेगा !और कितना भी इकठ्ठा करते जाएँ कोई पूछेगा नहीं !नेताओं बाबाओं और सरकारी कर्मचारियों की संगृहीत संपत्तियों की पिछले तीस वर्षों से जाँच करा ली जाए तो देश का अधिकाँश कालाधन इन्हीं के पास मिलेगा !     
    जनता के पास ढाईलाख से ज्यादा मिलें तो जनता बेईमान ! नेताओं और बाबाओं के पास ढाई करोड़ भी मिलें तो भी वे ईमानदार ! ये कैसा व्यवहार !!आखिर एक देश में दो दो प्रकार के कानून क्यों ?
    आमआदमी ढाई लाख रूपए साल के हिसाब से 40 वर्षों तक काम करके जीवन में एक करोड़ जोड़ सकता है इससे ज्यादा रूपए मिले तो बेईमान किंतु कोई नेता यदि अपनी बेटी की शादी में पाँच सौ करोड़ भी खर्च करे तो भी वो ईमानदार !
    अरे कानून बनाने वालो ! अपने लिए स्पेशल सुविधाएँ क्यों आरक्षित कीं ?राजनीति यदि सेवा है तो सैलरी क्यों ?राजसी सुख सुविधाएँ क्यों और अपार संपत्तियों के समूह कैसे ?
    आम जनता ढाई लाख से ज्यादा जमा करे तो हिसाब दे किंतु नेताओं  और बाबाओं के आयस्रोतों एवं उनकी अपार संपत्तियों का लेखा जोखा आम जनता को क्यों न बताया जाए ?
    प्रायः सामान्य घरों में पैदा होनेवाले नेताओं और बाबाओं के पास दस बीस वर्षों में अरबों खरबों रूपयों की संपत्तियाँ कैसे इकट्ठी हो जाती हैं ?
    राजनेता यदि समाजसेवक और बाबालोग यदि धर्मसेवक हैं तो सेवकों के पास संपत्तियों के अंबार कैसे और कहाँ से ! ये सेवा है या व्यापार या फिर भ्रष्टाचार !आखिर इनके वास्तविक रहस्य क्या हैं ?
      अपराधी ,गुंडे और भूमाफिया लोग प्रायः किसी नेता या बाबा के कृपापात्र होने के कारण ही फूलते फलते रहते हैं और उनकी सेवाओं से नेताओं और बाबाओं के पास लगे रहते हैं संपत्ति समूहों के अंबार फिर भी वे ईमानदार !किंतु जनता पर बेईमान होने का संदेह ! क्यों ?
    नेताओं और बाबाओं पर कानूनी शिकंजा कसने पर अपराधों की अनेकों बरायटियाँ पहले भी मिलती रही हैं फिर भी वे ईमानदार !बेचारी जनता पर संदेह !क्यों उनकी आमदनी के स्रोतों को सार्वजानिक क्यों न किया जाए !
    बाबा और नेता लोग अक्सर अपनी गलतियों को छिपाने के लिए एक दूसरे से संपर्क बढ़ाने लगते हैं इससे बाबा जी ताकतवर लगने लगते हैं एवं नेता जी धार्मिक दिखने लगते हैं ऐसे प्राणियों के व्यवहार में अचानक आने वाले इन बदलावों की जाँच क्यों नहीं की जानी चाहिए !आखिर अपराध घटित होने की प्रतीक्षा क्यों ?
    "जो जैसी पढ़ाई करेगा वो वैसी कमाई करेगा"किंतु अपारसंपत्तियाँ इकट्ठी करने वाले नेता और बाबा प्रायः अल्प शिक्षित होते हैं फिर भी उनकी भयंकर कमाई फिर भी वे ईमानदार और जनता की कमाई पर शंका !आखिर क्यों ?
      " जिसकी जितनी मेहनत होगी उसे उतनी सफलता और संपत्ति मिलेगी " किंतु नेता और बाबा प्रायः परिश्रम करने में कच्चे होते हैं इसलिए इनकी संपत्तियाँ इनके परिश्रम का फल नहीं हो सकती !फिर ऐसे लोगों की अपार  संपत्तियों के स्रोत क्या हैं ?
      व्यापार धन से होता है जितना धन उतना बड़ा व्यापार !किंतु अधिकाँश नेताओं और बाबाओं का जन्म सामान्य परिवारों में होने के कारण इनके पास अपना धन होता नहीं है सरकार से लोन लेते नहीं हैं फिर बिना पैसों के व्यापार से भी लग सकते हैं क्या अपार संपत्तियों के अंबार !ये व्यापार है या चमत्कार !
    ऐसी परिस्थिति में  जिन बाबाओं और नेताओं के पास ब्यापार करने के लिए अधिक पैसा न हो उच्च शिक्षा न हो और कठोर परिश्रम करने का अभ्यास भी न हो ऐसा करने के लिए उनके पास समय भी न हो उन्हें ऐसा करते किसी ने कभी देखा भी न हो फिर उन नेताओं और बाबाओं के पास ईमानदारी पूर्वक कमाई करने के लिए स्रोत आखिर बचते कौन हैं जिनसे वो अरबों खरबों रुपयों की संपत्तियाँ इकट्ठी कर लेते हैं करोड़ों रुपए विज्ञापन पर भी खर्च कर लेते हैं आखिर कैसे ?
     प्रायः कम पढ़े लिखे एवं प्रायः मेहनत करने से जी चुराने वाले ये लोग दस बीस वर्षों अरबों खरबोंपति बनकर हजारों करोड़ विज्ञापनों और चुनावों में खर्च करके भी राजाओं की तरह देश की सर्वोत्तम सुख सुविधाओं को भोगते हुए भी ये लोग ईमानदार हैं और आम जनता ढाई लाख से ज्यादा कमाए तो दोषी !बीस वर्ष पहले जिन बाबाओं और जिन नेताओं के पास कुछ नहीं था आज वो अरबोंपति हो हजारों करोड़ रूपए विज्ञापनों पर या चुनाव लड़ने पर खर्च कर देते हैं उन्होंने क्या ढाई लाख रूपए साल में ही कमाए होते हैं इन्होंने ?हे प्रधानमंत्री जी !नेताओं ,बाबाओं और सरकारी कर्मचारियों की संपत्तियों की भी जाँच करवाइए धर्म और राजनीति को बदनाम होने से बचा लीजिए  !    मोदी जी !  भ्रष्टाचार मिटाना ही है तो जड़ से मिटाइए और जनता को दिखा दीजिए कि भ्रष्टाचार के इस भयानक युग में भी कुछ नेता ईमानदार हैं जिनकी राष्ट्र भक्ति के भरोसे पर टिका है देश ! वो आज भी समाज को ईमानदार और अपराध मुक्त बनाने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्वानी देने  तैयार हैं ।राजनीति  सेवा के लिए है स्वार्थ के लिए नहीं अब तो सिद्ध कर दीजिए !
      महोदय !  बाबाओं और नेताओं पर प्रायः अपराध निरोधक कोई भी अधिकारी हाथ लगाने से डरता है इसीलिए इन पर  कहाँ हो पाती है कोई कार्यवाही !जब ये सत्तापक्ष से दुश्मनी लेते हैं तब शुरू होते हैं इनके बुरे दिन किंतु ये चालाक इतने होते हैं कि सरकारों को प्रायः पटाए रहते हैं और इकट्ठी करते रहते रहते हैं संपत्तियाँ !चुनावों से कुछ पहले ये चालाक लोग पहले जनता का मूड भाँपते हैं फिर जिधर सत्ता खिसकते दिखती है उसके समर्थन में रथयात्राएँ ले लेकर निकलपड़ते  हैं और करने लगते हैं धुँआधार रैलियाँ !जब उस पार्टी की सरकार बनती है तब उसका आनंद लेते हैं !इसप्रकार से सरकार किसी भी पार्टी की बने किंतु सत्ता इन्हीं लोगों के हाथों में रहती है  इनका कभी वाल भी बाँका नहीं हो पाता  है इनकी इसी ताकत के कारण बड़े बड़े अपराधी भ्रष्टाचारी आदि इनके अनुयायी और समर्थक बनकर देश सेवा और समाज सेवा के नाम पर करते  रहते हैं समाज से उगाही !और बाकायदा CA लगे होते हैं जो पैसों को कहाँ कैसे खपाना है ये जुगत भिड़ाया करते हैं इस प्रकार से ये महाबली बाबा और नेता लोग अपार संपत्तियों के बड़े बड़े हाथी घोड़े निगल जाते हैं डकार तक नहीं लेते !दस बीस वर्षों में हजारों करोड़ के मालिक बन जाते हैं !ऊपर से अपने को विरक्त और देश सेवक बताते हैं !हे मोदी जी !इन  झूठों से निपटने की तरकीब सोचिए और इन्हें बेनकाब कीजिए !तब लग पाएगी भ्रष्टाचारियों पर लगाम क्योंकि अधिकाँश अपराधी और कालेधन वाले लोग इन्हीं के चरणों में चिपके होते हैं जिनके बलपर इनकी संपत्तियाँ बढ़ती जा रही होती हैं।
    दस पाँच वर्षों में संपत्तियों का अंबार लगा लेने वाले प्रायः ये लोग कम पढ़े लिखे होते हैं इसीलिए ये अपनी शिक्षा से ज्यादा अपने समाज सेवा कार्यों को ऊपर उछाला करते हैं किंतु जब किसी सक्षम पार्टी नेता या सरकार से इनकी बात बिगड़ती है तब इनके यहाँ कसता है कानूनी शिकंजा और होती है तलाशी तब इनके यहाँ से लगभग वो सारी चीजें मिलती हैं जिनके लिए बड़े बड़े अपराधी लोग जेलों में पड़े वर्षों से सड़ रहे होते हैं !तब अरबों खरबों के स्वामी नेताओं और बाबाओं के यहाँ से हथियारों से लेकर सेक्स सामग्रियों तक सब कुछ निकलता है !इनकी इसी ताकत का लाभ लेते रहने के लिए इनके  आस  पास आर्थिक अपराधियों से लेकर सभी प्रकार के लोगों का जमावड़ा  लगा रहता है।
     अपने देश में बहुत नेता और साधूसंत चरित्रवान होते रहे हैं और आज भी हैं जिनके बल पर भारतीय समाज न केवल टिका हुआ है अपितु उन महापुरुषों नें चरित्र सदाचरण और संवेदना  ज्योति जलाने में कोई कोताही नहीं बरती है उनके प्रयासों ने कितने परिणाम दिए हैं ये और बात है किंतु उनके प्रयासों में कहीं कोई कमी नहीं दिखती है !उनकी संख्या कम है इसलिए असर भी कम दीखता है ये बात और है ।आदरणीय नेता लोग त्याग वैराग्य पूर्वक समाज सेवा पूर्वक समाज को सांसारिक सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराते रहे हैं और बंदनीय साधुसंतों ने त्याग वैराग्य पूर्वक समाज को हमेंशा सींचा है इसी भावना से देश में धर्मतंत्र और लोकतंत्र हमेंशा से काम करता चला आ रहा है !
      'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !' दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !
 भ्रष्टाचार परिवार के सदस्यों संख्या - 3
   1. नेतालोग  2. बाबालोग 3.सरकारी कर्मचारी
              इन्हीं तीनों के दुष्कर्मों से पैदा होते हैं सभी प्रकार के अपराधी !
       नेता और बाबा लोग प्रायः गरीबों और किसानों के परिवारों में पैदा होते हैं नेतागिरी और बाबागिरी शुरू करते समय दोनों भूखे नंगे होते हैं उस समय धंधा शुरू करने के लिए दोनों लोग सामाजिक सेवाकार्यों के लिए चंदा माँग माँग कर फंड इकठ्ठा करते हैं बाबा ईश्वर भक्ति के नाम पर और नेता लोग देश भक्ति के नाम पर ! अपनी अपनी ताकत दिखाने के लिए दोनों बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं । बाबालोग प्रवचन दे देकर तथा नेता लोग भाषण दे देकर ,बाबा लोग गीता - पुराणों की और नेता लोग संविधान की दुहाई दे देकर पहले जनता में जोश भरते हैं स्वदेशी और स्वाभिमान की बातें कर कर के जनता को धिक्कारते और उनकी आत्माओं को आंदोलित करते हैं जब जनता पेन्हा जाती है तो उनसे धनसंपतियाँ रूपी दूध दुह लिया करते हैं इस प्रकार से सबसे माँग माँग कर इकठ्ठा किया करते हैं काला नीला हरा गुलाबी बैगनी बसंती आदि सभी प्रकार का धन !उस समय ये दोनों प्रकार के भ्रष्टाचारी पाखंडी लोग धन इकठ्ठा करने की भावना में इतने अंधे हो रहे होते हैं कि तब इन्हें लूटने के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा होता है !
       इस प्रकार से सभी पाप प्रकारों द्वारा धन इकठ्ठा हो जाने के बाद इन पापियों को अपने पाप याद कर कर के डर लगने लगता है !तब इन दोनों को अपने उस काले धन के अंबार को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए तरह तरह के सामाजिक कार्यों के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं ताकि जनता का ध्यान उनके पापों से हटकर उनके कार्यक्रमों में भटक जाए !इसी कारण से नेतालोग  धार्मिक और ईमानदार  दिखने के लिए किसी बाबा के साथ चिपकने लगते हैं और उनके आश्रम में आने जाने एवं उनके धर्म कार्यों में भाग लेने लगते हैं इसी प्रकार से भ्रष्टाचारी बाबा लोग सोर्स फुल दिखने के लिए किसी नेता से चिपकने लगते हैं और उनके राजनैतिक कार्यक्रमों में दुम हिलाने लगते हैं !
      भ्रष्ट बाबा और भ्रष्ट नेता लोग अपने  कलरफुल धन को सफेद करने के लिए टैक्स माफी हेतु  झूठ मूठ का ट्रस्ट बना लेते हैं और अपने सारे काले धन को उसी ट्रस्ट रूपी फैक्ट्री में डालकर सफेद कर लेते हैं इस प्रकार से अपने सारे काले धन का बंदोबस्त कर लेने के बाद ये पापी निकलते हैं उन कालेधन वालों के पास जिनके दरवाजे पहले कभी माँगने गए थे और उन्होंने दुद्कार कर अपने दरवाजे से भगा दिया था।  उनसे बदला लेने के लिए बाबाओं और नेताओं को खड़ा करना पड़ता है कालेधन के विरुद्ध भारी भरकम जनांदोलन जिसके लिए आम जनता को स्वदेश प्रेम और स्वाभिमान की दुहाई दे देकर ललकारते हैं उत्तेजित करते हैं और स्थापित सरकारों को न केवल चुनौती देते हैं अपितु उखाड़ फेंकते हैं । अपने को सत्ता में स्थापित करके फिर निकालते हैं उन धनवान  लोगों की लिस्ट जिन्होंने पहले कभी इन लोगों को धन देने से मना कर दिया  होता है !इसके बाद शुरू होता है उनसे बदला लेने का खेल और उन बेचारों को सभी प्रकार से कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है ।
     बंधुओ !यदि ऐसे नेता और बाबा लोग वास्तव में ईमानदार होते तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे पहली कार्यवाही भ्रष्ट नेताओं ,भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियों ,भ्रष्ट बाबाओं एवं भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की सबसे पहले पहचान की जानी चाहिए थी और उनके ऊपर की जानी चाहिए थी कठोर कार्यवाही इसके बाद में जनता का नंबर आता !तब तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठाए गए किसी भी काम से कितनी भी परेशानी होती जनता हॅंसते हॅंसते झेल जाती किंतु जनता व्यापर करे तो भ्रष्टाचार और बाबा या नेता करे तो ईमानदार बारी सरकार !!

Saturday, 26 November 2016

नोटबंदी प्रकरण में कटघरे में सरकार !किंतु क्यों ?काश ! बैंककर्मियों का भी मिला होता सहयोग !

 सरकारी तंत्र की गद्दारी सह रही है सरकार !
क्या एक साहसी कार्यक्रम सरकार की भद्द पीती या पिटवाई गई

Thursday, 24 November 2016

भ्रष्टनेतालोग अपने कालेधन को बचाने के लिए फेल करना चाह रहे हैं मोदी जी का नोटबंदी अभियान !

  भ्रष्टाचारी नेता लोग आतंकवादियों को इसीलिए पालकर रखते रहे हैं ताकि जनता का ध्यान उधर भटका रहे और इधर ये भ्रष्ट लोग देश की संपत्तियाँ लूटते रहें ?
    बंधुओ ! जो नेता लोग जब राजनीति में आए थे तब कौड़ी जेब में नहीं थी आज करोड़ों अरबों के मालिक बने राज सुख भोग रहे हैं कहाँ से आता है ये पैसा !इन्होंने कभी कोई व्यापार किया नहीं! नौकरी की नहीं धन इनके पास था नहीं आखिर ये अपार संपत्तियाँ इनके पास आईं कहाँ से !ये कालाधन नहीं तो क्या है !
     समय समय पर सरकारों में रह चुके भ्रष्ट नेता लोगों ने सरकारों के भीतर से लेकर बाहर तक हर जगह अपने लोग पहले से ही फिट कर रखे हैं जो ईमानदार सरकारों का भ्रष्टाचार विरोधी कोई अभियान सफल ही नहीं होने देते हैं अंत में थक हार कर वो भी चुप बैठ जाते हैं !वही स्थिति आज है मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी महान प्रयास की हवा निकालने में जुटा है भ्रष्टाचार परिवार ! 
      इन भ्रष्ट नेताओं ने अपना धन सफेद करने के लिए अपने में से कुछ भ्रष्टलोगों को बाबा बना लिया उनके नाम से ट्रस्ट बना दिए और ट्रस्ट के पैसों पर टैक्स नहीं होगा के नियम बना लिए !इसी प्रकार से अपने कुछ भ्रष्ट लोगों को सरकारी नौकरियों में घुसा  रखा है वो वहाँ से इनकी सेवा कर रहे हैं जनता को तंग करके हवा निकाल रहे हैं  मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की !
   संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जा रही है बाहर जनता को आत्म हत्या करने हुल्लड़ मचाने झगड़ा करने के लिए उकसाया जा रहा है !भ्रष्ट बैंक कर्मियों की मदद से बैंकों में आम जनता का काम काज बहुत धीरे धीरे किया जा रहा है सेठों साहूकारों की सेवा में लगे हैं बैंक कर्मचारी लोग !जनता से लंबी लंबी लाइनें लगवाई जा रही हैं अंदर काम  बड़े लोगों का या बैंक कर्मियों के परिचितों एवं उनके नाते रिस्तेदारों का हो रहा है बाकी तो  केवल शोभा बढ़ा रहे हैं ! लंबी लंबी लाइनों के लिए मोदी सरकार  को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और जनता को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काया जा रहा है !यदि सरकारी मशीनरी भी सरकार की योजनाओं में निष्पक्ष साथ नहीं देगी तो प्रधानमन्त्री  जी अकेले क्या क्या कर लेंगे !
  ये हैं भ्रष्टाचारी नेताओं के भ्रष्टाचार परिवार के सम्मानित सदस्य !जो अंदर बाहर हर जगह से मदद कर रहे हैं भ्रष्टाचारी नेताओं और उनके सगे सम्बन्धियों की !
1.भ्रष्टनेता2.भ्रष्टबाबा3.भ्रष्टसरकारी कर्मचारी 
 सभी प्रकार के अपराधियों के जन्मदाता होते हैं ऐसे क्षेत्रों से जुड़े सफेदपोश दिखने वाले भ्रष्ट लोग !
   आज नोटबंदी में आम जनता की कठिनाइयों का बहाना ले लेकर हुल्लड़ मचा रहे हैं कालेधन वाले नेता लोग !तरह तरह के ट्रस्ट बनाए बैठे बाबा लोग काले धन को सफेद करने में लगे हैं उन्हें तो पैसे चाहिए कैसे भी मिलें अपने अपने व्यापार छोड़ अब बाबाओं ने इसी काम को धंधा बना लिया है !
   उधर बैंक कर्मचारियों को अपने नाते रिस्तेदारों परिचितों एवं बैंक से जुड़े बड़े व्यापारियों से फुरसत ही कहाँ है कि वे आम जनता की लगी लाइनों पर ध्यान दें    वे तो उन्हीं अपनों के ब्लैक को ह्वाइट करने में लगे हैं उनके पास थोड़ा बहुत समय बचता है तो लाइन में खड़े लोगों से भी बात कर लेते हैं अन्यथा आम जनता सुबह लाइन में खड़ी की जाती है और शाम को खदेड़ दी जाती है न ब्रेकफास्ट न लंच !
      ऐसे निराश हताश हैरान परेशान  जरूरत मंद लोगों के साथ घट रही हैं दुर्घटनाएँ ये काले धन और बैंक कर्मियों की आपसी साँठ गाँठ से जाम कर दिया जा रहा है बैंकों से जुड़ा आम जनता का जरूरी काम काज !इसीलिए बैंकों के सामने आम जनता की लाइनें घटने का नाम ही नहीं ले रही हैं । 
      कई बैंकों में तो कर्मचारी साढ़े दस ग्यारह बजे आते हैं साढ़े ग्यारह बजे काम शुरू करते हैं पहले जो अपनों का अपनी जेबों बैगों में डालकर काम लाए होते हैं वो निपटाते हैं फिर चाय पीते हैं तब जनता का नंबर आता है तब तक लंच हो जाता है !
    इसके बाद जनता से पहले बड़े लोगों की लेबर ही लाइनों में आगे खड़ी होती है बैंकों की मिली भगत से बाबू जी अंदर घुसा लिए जाते हैं वो अंदर ही अंदर निपटा रहे होते हैं करोड़ों का काम काज !आम जनता अपने जरूरी कामों के लिए हजार दो हजार रुपयों के लिए लाइनों में खड़ी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही होती है पौने तीन बजे लंच ख़त्म होता है फिर समय ही कितना बचता  है फिर शुरू होता है वही खेल फिर कुछ लोग अंदर भेज दिए जाते हैं बाकी लोगों के लिए 3 -4 बजे बंद कर दिया जाता है बैंक !फिर शुरू होता है अपना और अपनों का काम !
   ऐसे बैंक कर्मियों के द्वारा मोदी सरकार को करवाया  जा रहा है बदनाम !
बंधुओ !एक बार इस लेख को आप जरूर पढ़ें खोलें यह लिंक -
    'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !'दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार करे सरकार अन्यथा सारी कवायद कम असरदार !   सरकार और सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना हो ही नहीं सकता है भ्रष्टाचार ! see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_67.html                                 
 

Wednesday, 23 November 2016

'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !'दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !

भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार करे सरकार अन्यथा सारी कवायद कम असरदार !
   सरकार और सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना हो ही नहीं सकता है भ्रष्टाचार !                                  

ये हैं भ्रष्टाचार परिवार के सम्मानित सदस्यगण -
1.भ्रष्टनेता2.भ्रष्टबाबा3.भ्रष्टसरकारी कर्मचारी 
 सभी प्रकार के अपराधियों के जन्मदाता होते हैं ऐसे क्षेत्रों से जुड़े सफेदपोश दिखने वाले भ्रष्ट लोग !इन्हें खोजने में परिश्रम करे ईमानदार सरकार तब घटेगा भ्रष्टाचार !
       नेता और बाबा लोग प्रायः गरीबों और किसानों के परिवारों में पैदा होते हैं नेतागिरी और बाबागिरी शुरू करते समय दोनों प्रायः भूखे नंगे अर्थात गरीब होते हैं उस समय धंधा शुरू करने के लिए दोनों लोग सामाजिक सेवाकार्यों के लिए चंदा माँग माँग कर पहले तो फंड इकठ्ठा करते हैं बाबा ईश्वर भक्ति के नाम पर और नेता लोग देश भक्ति के नाम पर !फिर  अपनी अपनी ताकत दिखाने के लिए दोनों बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं । बाबालोग प्रवचन दे देकर तथा नेता लोग भाषण दे देकर ,बाबा लोग गीता - पुराणों की और नेता लोग संविधान की दुहाई दे देकर पहले जनता में जोश भरते हैं स्वदेशी और स्वाभिमान की बातें कर कर के जनता को धिक्कारते और उनकी आत्माओं को आंदोलित करते हैं जब जनता पेन्हा जाती है तो उनसे धनसंपतियाँ रूपी दूध दुह लिया करते हैं इस प्रकार से सबसे माँग माँग कर इकठ्ठा किया करते हैं काला नीला हरा गुलाबी बैगनी बसंती आदि सभी प्रकार का धन !उस समय ये दोनों प्रकार के भ्रष्टाचारी पाखंडी लोग धन इकठ्ठा करने की भावना में इतने अंधे हो रहे होते हैं कि तब इन्हें लूटने के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा होता है कि काला धन है या पीला !!
    ऐसे सभी प्रकार के पापों के द्वारा धन इकठ्ठा हो जाने के बाद इन पापियों को अपने पाप याद कर कर के डर लगने लगता है !तब इन दोनों को अपने उस काले धन के अंबार को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए तरह तरह के सामाजिक कार्यों के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं ताकि जनता का ध्यान उनके पापों से हटकर उनके कार्यक्रमों में भटक जाए !इसी कारण से नेतालोग  धार्मिक और ईमानदार  दिखने के लिए किसी बाबा के साथ चिपकने लगते हैं और उनके आश्रम में आने जाने एवं उनके धर्म कार्यों में भाग लेने लगते हैं इसी प्रकार से भ्रष्टाचारी बाबा लोग सोर्स फुल दिखने के लिए किसी नेता से चिपकने लगते हैं और उनके राजनैतिक कार्यक्रमों में दुम हिलाने लगते हैं !
      भ्रष्ट बाबा और भ्रष्ट नेता लोग अपने  कलरफुल धन को सफेद करने के लिए टैक्स माफी हेतु  झूठ मूठ का ट्रस्ट बना लेते हैं और अपने सारे काले धन को उसी ट्रस्ट रूपी फैक्ट्री में डालकर सफेद कर लेते हैं इस प्रकार से अपने सारे काले धन का बंदोबस्त कर लेने के बाद ये पापी उन कालेधन वालों से बदला लेने के लिए निकलते हैं जिनके दरवाजे पहले कभी माँगने गए थे और उन्होंने दुद्कार कर अपने दरवाजे से भगा दिया था।
   उन्हीं से खुंदक निकालने और बदला लेने के लिए  बाबाओं और नेताओं को खड़ा करना पड़ता है कालेधन के विरुद्ध भारी भरकम जनांदोलन जिसके लिए आम जनता को स्वदेश प्रेम और स्वाभिमान की दुहाई दे देकर ललकारते हैं उत्तेजित करते हैं और स्थापित सरकारों को न केवल चुनौती देते हैं अपितु उखाड़ फेंकते हैं । अपने को सत्ता में स्थापित करके फिर निकालते हैं उन धनवान  लोगों की लिस्ट जिन्होंने पहले कभी इन लोगों को धन देने से मना कर दिया  होता है !इसके बाद शुरू होता है उनसे बदला लेने का खेल और उन बेचारों को सभी प्रकार से कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है ।
     बंधुओ !यदि ऐसे नेता और बाबा लोग वास्तव में ईमानदार होते तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे पहली कार्यवाही भ्रष्ट नेताओं ,भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियों ,भ्रष्ट बाबाओं एवं भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों पर करते उनकी सबसे पहले पहचान की जानी चाहिए थी और उनके ऊपर की जानी चाहिए थी कठोर कार्यवाही इसके बाद में जनता का नंबर आता !तब तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठाए गए किसी भी काम से कितनी भी परेशानी होती जनता हॅंसते हॅंसते झेल जाती किंतु जनता व्यापार करे तो भ्रष्टाचार और बाबा या नेता करे तो ईमानदार !बारी सरकार !!
      बाबा लोग अपने व्यापारिक सामानों का विज्ञापन करते समय  कहते हैं कि देश में सब कुछ मिलावटी बिक रहा है इसलिए उन पर भरोसा करो और उनके यहाँ से सब कुछ खरीदो !इस पर मेरा कहना है कि बाबा जी पर ही क्यों भरोसा किया जाए तथा उन्हें ही क्यों दूध का धुला मान लिया जाए !मिलावट रोकना सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए सरकार को ही क्यों न जगाया जाए और मिलावट रोकने के लिए सरकार को ही क्यों न बाध्य किया जाए !
     नेताओं और साधू संतों ने अपने पदों का दुरुपयोग करके लगे हैं अबैध संपत्तियों के अम्बार !ऊपर से अपने काम को चैरिटी बताते हैं !चैरिटी में कमाई होती है क्या और जहाँ कमाई वहाँ चैरिटी कैसी !
     अपने देश में बहुत नेता और साधूसंत चरित्रवान होते रहे हैं और आज भी हैं जिनके बल पर भारतीय समाज न केवल टिका हुआ है अपितु उन महापुरुषों नें चरित्र सदाचरण और संवेदना  ज्योति जलाने में कोई कोताही नहीं बरती है उनके प्रयासों ने कितने परिणाम दिए हैं ये और बात है किंतु उनके प्रयासों में कहीं कोई कमी नहीं दिखती है !उनकी संख्या कम है इसलिए असर भी कम दीखता है ये बात और है ।आदरणीय नेता लोग त्याग वैराग्य पूर्वक समाज सेवा पूर्वक समाज को सांसारिक सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराते रहे हैं और बंदनीय साधूसंतों ने त्याग वैराग्य पूर्वक समाज को हमेंशा सींचा है इसी भावना से देश में धर्मतंत्र और लोकतंत्र हमेंशा से काम करता चला आ रहा है !
   

ढाई लाख से ज्यादा जनता जमा करे तो बेईमान ! नेताओं और बाबाओं के लिए अलग संविधान है क्या !

बाबाओं नेताओं भूमाफियाओं और भ्रष्ट एवं  लापरवाह अधिकारियों कर्मचारियों के विषयों में भी अपनी कुछ सोचा है क्या !वर्तमान समय समाज की वागडोर प्रायः इन्हीं लोगों नें छीन ली है क्या इन पर भी कोई अंकुश  लग सकता है या सरकारें भी इनसे डरती हैं ! 
    यदि जनता ढाई लाख से ज्यादा रखे तो बेईमान किंतु  नेताओं  और बाबाओं पर कोई कानून लागू नहीं होता है क्या या इनकी भी कोई लिमिट है !
  5 सौ करोड़ की शादी करें और बाबालोग10 वर्षों में हजारों करोड़ इकट्ठे कर लें उन्हें कानून इतनी छूट देता है क्या !जीवन में कोई व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 40 साल काम कर लेगा ढाई लाख साल के हिसाब से तो वो भी 40
सालों में ज्यादा से ज्यादा एक करोड़ ही कमा पाएगा किंतु नेताओं के यहाँ तो शादी काम काजों में सैकड़ों करोड़ खर्च होते देखे जाते हैं वो कैसे !इसीप्रकार से जो बाबा योगी लोग दस बीस वर्ष पहले दो दो कौड़ी के लिए भटकते देखे जाते रहे होते हैं वो अचानक हजारों करोड़ की संपत्तियों के मालिक बन बैठते हैं किंतु कैसे !क्या ऐसे लोगों पर आम जनता वाले कानून लागू नहीं होते यदि हाँ तो क्यों ?यदि ईमानदारी की यही परिभाषा है तब तो सारा देश ही नेता और बाबा बनकर संपत्तियाँ इकट्ठी करने लगेगा !जब अपना कोटा पूरा हो जाएगा तब वो भी दूसरों के कालेधन के लिए हो हल्ला मचाएगा !चोर लोग प्रायः ऐसा ही करते देखे जाते हैं जहाँ कहीं चोरी हुई होती है वहाँ चोरों को पकड़ने खोजने का सबसे ज्यादा शोर मचाने वाले लोग ही प्रायः चोर और चोर से संबंधित पाए जाते हैं ।
   बंधुओ ! ढाई लाख साल के हिसाब से आम आदमी तो अपने जीवन में ज्यादा से ज्यादा 40 वर्ष काम करके एक करोड़ ही कमा पाएगा !उसी में उसको जीवन चलाना घर खर्च बीमारी ,बच्चों के कामकाज से लेकर सबकुछ और नेता अपने बच्चों की शादी में सैकड़ों करोड़ खर्च करें बाबा हजारों करोड़ इकट्ठे करें आखिर इन्हें इतनी छूट क्यों है !इससे तो अच्छा सारा देश ही बाबा और नेता बन जाए सबको बिना कमाए खाने को मिलेगा !और कितना भी इकठ्ठा करते जाएँ कोई पूछेगा नहीं !नेताओं बाबाओं और सरकारी कर्मचारियों की संगृहीत संपत्तियों की पिछले तीस वर्षों से जाँच करा ली जाए तो देश का अधिकाँश कालाधन इन्हीं के पास मिलेगा !
      जो नेता जब से चुनाव जीता हो ,बाबा जब से बाबा बना हो और जिस सरकारी कर्मचारी ने जब से सरकारी नौकरी पाई हो उस समय से लेकर आज तक के संपत्ति समूहों और उनके आयस्रोतों की ईमानदारी पूर्वक जाँच और दोषियों पर कार्यवाही हो तो समाप्त हो सकते हैं काले धन के बड़े बड़े स्रोत और घट सकते हैं सभी प्रकार के अपराध !
   इनके सहयोग (सोर्स)के बिना कोई अपराधी व्यक्ति अपराध कम ही कर पाता है आखिर अपनी सुरक्षा का रास्ता तो वो भी खोज कर चलता ही है और नेताओं बाबाओं सरकारी कर्मचारियों की पहुँच मंत्रियों तक सीधी होती है इसलिए अपराधी लोग भी मदद के लिए ऐसे लोगों की ही शरण पकड़ते हैं !इसलिए ऐसे आकाओं की जाँच करते समय ध्यान इस दृष्टि से भी जाँच की जनि चाहिए कि इन्होंने किसी अपराधी की मदद तो नहीं की है और की है तो आज तक किन किन अपराधियों की मदद की है उसके लिए इनकी संपत्तियों एवं आय स्रोतों का मिलान करते ही सारा लेख जोखा खुल जाएगा !

    पक्षपाती कानूनों से भेदभाव पैदा होता है इसलिए  ऐसे कानून रद्द करके सबके साथ समानता   का व्यवहार करना सबको क्यों न सिखाया जाए और जप्त की जाएँ दोषी बाबाओं, नेताओं और भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की संग्रहीत संपत्तियाँ !
सरकार और आयकरविभाग से जनताके ज्वलंत प्रश्न !
    जनता के पास ढाईलाख से ज्यादा मिलें तो जनता बेईमान ! नेताओं और बाबाओं के पास ढाई करोड़ भी मिलें तो भी वे ईमानदार ! ये कैसा व्यवहार !!आखिर एक देश में दो दो प्रकार के कानून क्यों ?
    आमआदमी ढाई लाख रूपए साल के हिसाब से 40 वर्षों तक काम करके जीवन में एक करोड़ जोड़ सकता है इससे ज्यादा रूपए मिले तो बेईमान किंतु कोई नेता यदि अपनी बेटी की शादी में पाँच सौ करोड़ भी खर्च करे तो भी वो ईमानदार !
    अरे कानून बनाने वालो ! अपने लिए स्पेशल सुविधाएँ क्यों आरक्षित कीं ?राजनीति यदि सेवा है तो सैलरी क्यों ?राजसी सुख सुविधाएँ क्यों और अपार संपत्तियों के समूह कैसे ?
    आम जनता ढाई लाख से ज्यादा जमा करे तो हिसाब दे किंतु नेताओं  और बाबाओं के आयस्रोतों एवं उनकी अपार संपत्तियों का लेखा जोखा आम जनता को क्यों न बताया जाए ?
    प्रायः सामान्य घरों में पैदा होनेवाले नेताओं और बाबाओं के पास दस बीस वर्षों में अरबों खरबों रूपयों की संपत्तियाँ कैसे इकट्ठी हो जाती हैं ?
    राजनेता यदि समाजसेवक और बाबालोग यदि धर्मसेवक हैं तो सेवकों के पास संपत्तियों के अंबार कैसे और कहाँ से ! ये सेवा है या व्यापार या फिर भ्रष्टाचार !आखिर इनके वास्तविक रहस्य क्या हैं ?
      अपराधी ,गुंडे और भूमाफिया लोग प्रायः किसी नेता या बाबा के कृपापात्र होने के कारण ही फूलते फलते रहते हैं और उनकी सेवाओं से नेताओं और बाबाओं के पास लगे रहते हैं संपत्ति समूहों के अंबार फिर भी वे ईमानदार !किंतु जनता पर बेईमान होने का संदेह ! क्यों ?
    नेताओं और बाबाओं पर कानूनी शिकंजा कसने पर अपराधों की अनेकों बरायटियाँ पहले भी मिलती रही हैं फिर भी वे ईमानदार !बेचारी जनता पर संदेह !क्यों उनकी आमदनी के स्रोतों को सार्वजानिक क्यों न किया जाए !
    बाबा और नेता लोग अक्सर अपनी गलतियों को छिपाने के लिए एक दूसरे से संपर्क बढ़ाने लगते हैं इससे बाबा जी ताकतवर लगने लगते हैं एवं नेता जी धार्मिक दिखने लगते हैं ऐसे प्राणियों के व्यवहार में अचानक आने वाले इन बदलावों की जाँच क्यों नहीं की जानी चाहिए !आखिर अपराध घटित होने की प्रतीक्षा क्यों ?
    "जो जैसी पढ़ाई करेगा वो वैसी कमाई करेगा"किंतु अपारसंपत्तियाँ इकट्ठी करने वाले नेता और बाबा प्रायः अल्प शिक्षित होते हैं फिर भी उनकी भयंकर कमाई फिर भी वे ईमानदार और जनता की कमाई पर शंका !आखिर क्यों ?
      " जिसकी जितनी मेहनत होगी उसे उतनी सफलता और संपत्ति मिलेगी " किंतु नेता और बाबा प्रायः परिश्रम करने में कच्चे होते हैं इसलिए इनकी संपत्तियाँ इनके परिश्रम का फल नहीं हो सकती !फिर ऐसे लोगों की अपार  संपत्तियों के स्रोत क्या हैं ?
      व्यापार धन से होता है जितना धन उतना बड़ा व्यापार !किंतु अधिकाँश नेताओं और बाबाओं का जन्म सामान्य परिवारों में होने के कारण इनके पास अपना धन होता नहीं है सरकार से लोन लेते नहीं हैं फिर बिना पैसों के व्यापार से भी लग सकते हैं क्या अपार संपत्तियों के अंबार !ये व्यापार है या चमत्कार !
    ऐसी परिस्थिति में  जिन बाबाओं और नेताओं के पास ब्यापार करने के लिए अधिक पैसा न हो उच्च शिक्षा न हो और कठोर परिश्रम करने का अभ्यास भी न हो ऐसा करने के लिए उनके पास समय भी न हो उन्हें ऐसा करते किसी ने कभी देखा भी न हो फिर उन नेताओं और बाबाओं के पास ईमानदारी पूर्वक कमाई करने के लिए स्रोत आखिर बचते कौन हैं जिनसे वो अरबों खरबों रुपयों की संपत्तियाँ इकट्ठी कर लेते हैं करोड़ों रुपए विज्ञापन पर भी खर्च कर लेते हैं आखिर कैसे ?      प्रायः कम पढ़े लिखे एवं प्रायः मेहनत करने से जी चुराने वाले ये लोग दस बीस वर्षों अरबों खरबोंपति बनकर हजारों करोड़ विज्ञापनों और चुनावों में खर्च करके भी राजाओं की तरह देश की सर्वोत्तम सुख सुविधाओं को भोगते हुए भी ये लोग ईमानदार हैं और आम जनता ढाई लाख से ज्यादा कमाए तो दोषी !बीस वर्ष पहले जिन बाबाओं और जिन नेताओं के पास कुछ नहीं था आज वो अरबोंपति हो हजारों करोड़ रूपए विज्ञापनों पर या चुनाव लड़ने पर खर्च कर देते हैं उन्होंने क्या ढाई लाख रूपए साल में ही कमाए होते हैं इन्होंने ?हे प्रधानमंत्री जी !नेताओं ,बाबाओं और सरकारी कर्मचारियों की संपत्तियों की भी जाँच करवाइए धर्म और राजनीति को बदनाम होने से बचा लीजिए  !    मोदी जी !  भ्रष्टाचार मिटाना ही है तो जड़ से मिटाइए और जनता को दिखा दीजिए कि भ्रष्टाचार के इस भयानक युग में भी कुछ नेता ईमानदार हैं जिनकी राष्ट्र भक्ति के भरोसे पर टिका है देश ! वो आज भी समाज को ईमानदार और अपराध मुक्त बनाने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्वानी देने  तैयार हैं ।राजनीति  सेवा के लिए है स्वार्थ के लिए नहीं अब तो सिद्ध कर दीजिए !
      महोदय !  बाबाओं और नेताओं पर प्रायः अपराध निरोधक कोई भी अधिकारी हाथ लगाने से डरता है इसीलिए इन पर  कहाँ हो पाती है कोई कार्यवाही !जब ये सत्तापक्ष से दुश्मनी लेते हैं तब शुरू होते हैं इनके बुरे दिन किंतु ये चालाक इतने होते हैं कि सरकारों को प्रायः पटाए रहते हैं और इकट्ठी करते रहते रहते हैं संपत्तियाँ !चुनावों से कुछ पहले ये चालाक लोग पहले जनता का मूड भाँपते हैं फिर जिधर सत्ता खिसकते दिखती है उसके समर्थन में रथयात्राएँ ले लेकर निकलपड़ते  हैं और करने लगते हैं धुँआधार रैलियाँ !जब उस पार्टी की सरकार बनती है तब उसका आनंद लेते हैं !इसप्रकार से सरकार किसी भी पार्टी की बने किंतु सत्ता इन्हीं लोगों के हाथों में रहती है  इनका कभी वाल भी बाँका नहीं हो पाता  है इनकी इसी ताकत के कारण बड़े बड़े अपराधी भ्रष्टाचारी आदि इनके अनुयायी और समर्थक बनकर देश सेवा और समाज सेवा के नाम पर करते  रहते हैं समाज से उगाही !और बाकायदा CA लगे होते हैं जो पैसों को कहाँ कैसे खपाना है ये जुगत भिड़ाया करते हैं इस प्रकार से ये महाबली बाबा और नेता लोग अपार संपत्तियों के बड़े बड़े हाथी घोड़े निगल जाते हैं डकार तक नहीं लेते !दस बीस वर्षों में हजारों करोड़ के मालिक बन जाते हैं !ऊपर से अपने को विरक्त और देश सेवक बताते हैं !हे मोदी जी !इन  झूठों से निपटने की तरकीब सोचिए और इन्हें बेनकाब कीजिए !तब लग पाएगी भ्रष्टाचारियों पर लगाम क्योंकि अधिकाँश अपराधी और कालेधन वाले लोग इन्हीं के चरणों में चिपके होते हैं जिनके बलपर इनकी संपत्तियाँ बढ़ती जा रही होती हैं।
    दस पाँच वर्षों में संपत्तियों का अंबार लगा लेने वाले प्रायः ये लोग कम पढ़े लिखे होते हैं इसीलिए ये अपनी शिक्षा से ज्यादा अपने समाज सेवा कार्यों को ऊपर उछाला करते हैं किंतु जब किसी सक्षम पार्टी नेता या सरकार से इनकी बात बिगड़ती है तब इनके यहाँ कसता है कानूनी शिकंजा और होती है तलाशी तब इनके यहाँ से लगभग वो सारी चीजें मिलती हैं जिनके लिए बड़े बड़े अपराधी लोग जेलों में पड़े वर्षों से सड़ रहे होते हैं !तब अरबों खरबों के स्वामी नेताओं और बाबाओं के यहाँ से हथियारों से लेकर सेक्स सामग्रियों तक सब कुछ निकलता है !इनकी इसी ताकत का लाभ लेते रहने के लिए इनके  आस  पास आर्थिक अपराधियों से लेकर सभी प्रकार के लोगों का जमावड़ा  इसीलिए लगा रहता है।


Wednesday, 16 November 2016

मीडिया में सरकार का दखल हो या न हो किंतु आत्मसंयम तो होना चाहिए !

गधों को घोड़ा सिद्ध करने की आदत छोड़ दे मीडिया !
   मीडिया के आचरणों से अक्सर झलकने लगता है पक्षपात !जहाँ स्वार्थ वहाँ शुभ समाचार बाक़ी सब भ्रष्टाचार !
      मीडिया को राजनैतिक मोहमाया से दूर रहना चाहिए ज्ञानवान होना चाहिए हर समाचार पर तर्क और प्रमाणों की तह तक जाना चाहिए ! जिम्मेदार मीडिया को स्वधर्म पालन पर खरा उतरना चाहिए अन्यथा जिनके घर शीशे के बने होते हैं उन्हें दूसरे के घरों में कंकड़ नहीं फेंकने चाहिए किंतु यदि आप मीडिया से जुड़े हैं तो आपको कंकड़ फेंकने ही दूसरों के घरों में होते हैं इसलिए अपने घर तो ठीक रखने ही चाहिए !
   मीडियागाँधी जी के तीनों बंदरों का अनुगामी होकर चुप नहीं बैठ सकता !उसे तो बुराई सुननी भी पड़ेगी करनी भी पड़ेगी और देखनी भी पड़ेगी इसलिए अपने को ठीक रखना चाहिए । 
      मीडिया अंततः देश की आम समाज का अघोषित प्रतिनिधि होता है उसे चाहिए कि वो सच और हितकर बचनों को स्वीकारे और असत्य एवं अहितकर बचनों को नकारे !देशहित एवं जनहित के बिचारों को सर्वोपरि महत्त्व दे !वह बात कोई छोटा कहे या बड़ा किंतु महत्त्व इस बात का नहीं होना चाहिए अपितु महत्त्व बिचारों का महत्व होना चाहिए !
    पिछले कुछ दशकों में बढ़े भ्रष्टाचार के लिए मीडिया कम जिम्मेदार नहीं रहा  है इसका मुख्यकारण तर्क और निष्पक्षताविहीन मीडिया नेताओं और अभिनेताओं की दृष्टि से अपने देश और समाज को देखने लगा उसने अपनी दृष्टि की परवाह नहीं की । 
       मीडिया की विज्ञापन नीति तो इतनी तथ्यहीन तर्क विहीन एवं अर्थ लोलुप है कि पैसे देकर कोई कितना भी बड़ा दावा कर सकता है कसरतें सिखाने वाले नट नागरों ने अपने को योगी कहना शुरू कर दिया और टीवी चैनलों पर बैठ बैठ कर सारी  बड़ी बीमारियों की लिस्टों को पढ़ पढ़कर सारी बड़ी बीमारियों को ठीक करने के दावे ठोकने लगे लोग ,वो भी कसरतों से !किंतु यदि उनके दावों में दस  प्रतिशत भी दम होता तो अबतक अस्पतालों में ताले लग जाते !मीडिया उनसे ये पूछने की हिम्मत नहीं जुटा सका कि यदि ये योग है तो कसरत और व्यायाम क्या होते हैं या उन्हीं की पदोन्नति हो गई है !
      टीवी पर बकवास करने वाले 99 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो न तो ज्योतिष जानते हैं और न ही ज्योतिष पढ़ने कभी किसी सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय में ही गए !जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं उन्हें ज्योतिष के विषय में ब्यर्थ की बकवास करने का अवसर ही क्यों देता है मीडिया !
        ज्योतिष में कालसर्प दोष से लेकर प्रतिदिन बताए जाने वाले राशिफल एवं वास्तु के विषय में बके जाने वाले तरह तरह के हथकंडे एवं उपायों के नाम पर कौवे कुत्ते तीतर बटेर हल्दी चावल कोयले कंकणों आदि के उपायों की ज्योतिष शास्त्र में कहीं कोई चर्चा ही नहीं है किंतु जब ऐसी बातें टीवी चैनलों से बोली और अखवारों में लिखी जाती हैं तब आम जनता उसे सच मानने लगती है ये मीडिया पर जनता के भरोसे को दर्शाता है !किंतु ये भरोसा टूटने से पहले मीडिया को सुधर जाना चाहिए !
     ज्योतिष एवं धर्म कर्म के क्षेत्र में प्रचलित प्रत्येक सब्जेक्ट सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों  में पढ़ाया जाता है इनके स्वतंत्र डिपार्टमेंट हैं सिलेबस है रीडर प्रोफेसर हैं सबकुछ बिलकुल सामान्य विषयों की तरह परीक्षाएँ और डिग्रियाँ भी होती हैं किंतु मीडिया को जब जब इन विषयों से जुड़े विद्वानों की आवश्यकता होती है तब तब मीडिया उन्हीं 99 प्रतिशत अनपढ़ों को बैठाकर बकवास करवा लेता है किंतु विद्वानों के पास तक नहीं पहुँचता है आखिर ये लापरवाही क्यों ?यदि यही करना था तो किस लिए बनाए गए हैं ये सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालय क्यों इन पर खर्च किए जाते हैं करोड़ों रूपए !
        इसी प्रकार से अबकी बार योगदिवस से दो दिन पहले एक अघोषित सरकारी बाबा ने ज्योतिषियों एवं ज्योतिषशास्त्र को पाखंडी एवं पाखंड बताया ग्रहों एवं वास्तु आदि की मान्यताओं की निंदा की नग नगीनों को कोसा आदि आदि !उसकी ऐसी हरकतों को अधिकाँश टीवीचैनलों ने दिखाया और अखवारों में भी खबरें छपीं किंतु ज्योतिष मेरा सब्जेक्ट है दसों वर्ष मैंने इसे पढ़ने में लगाए हैं काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से Ph D की है बाबा के विवादित बयान पर सफाई देना हमारा धर्म था अधिकार था और समाज के लिए भी आवश्यक था किंतु मैंने हर चैनल से संपर्क किया लिखकर भेजा अखवारों  में भेजा किंतु कहीं कोई महत्त्व नहीं दिया गया !आखिर क्यों ?क्या ये मीडिया का धर्म नहीं था जिसके द्वारा जिस विषय में एक गलत सन्देश समाज में फैलाया जा चुका था आखिर उसकी सफाई देने की जिम्मेदारी भी मीडिया की ही थी । 
    हमें या किसी ज्योतिष के विद्वान को अपनी बात रखने का अवसर क्यों नहीं दिया गया ?


भ्रष्टबाबाओं और भ्रष्टनेताओं का भ्रष्ट कारोबार ! जो पकड़ गए वो भ्रष्ट जो नहीं पकड़े वो ईमानदार !

    जिन नेताओं और बाबाओं की सरकारों से बात बिगड़ी वो तो पकड़ गए और जो सरकारों  के साथ दुम हिलाते रहे वो तो पक्के ईमानदार बाक़ी सब बेईमान !बारे कानून बारे संविधान बारे लोकतान्त्रिक अधिकार !
   बाबाओं और नेताओं के पास कहाँ से और कैसे इकट्ठी हो जाती है इतनी भारी भरकम संपत्ति ?
    प्रायः किसानों गरीबोंग्रामीणों के यहाँ सामान्य परिवारों से निकले बाबाओं और नेताओं के पास कहाँ से और कैसे इकट्ठी हुईं हजारों करोड़ की संपत्तियाँ !क्या वो इतने अधिक शिक्षित समझदार योग्य परिश्रमी  और ईमानदार होने कारण बन गए हैं अरबोंपति !क्या वे इतने अधिक मेहनती और देशसेवा की भावना से भावित थे ! 
     संपत्तियाँ छिपाकर टैक्स कम देने वाले व्यापारियों को पापी कहा जाए उनके धन को कालाधन कहा जाए और उनके व्यापार की वस्तुओं को मिलावटी बता बताकर बड़े बड़े विज्ञापनों के माध्यम से दुष्प्रचार किया जाए ऐसा करने वाले बाबाओं और नेताओं के अपने दामन में कितने दाग हैं वे कभी उनका भी जिक्र करेंगे क्या ?आखिर उन सामान्य घरों से निकले बाबाओं और नेताओं के पास कैसे लगा करोड़ों अरबों का  अंबार !
     टैक्स चोरी करने वाले व्यापारी हों या मिलावटी सामान बेचने वाले व्यापारी आज उन्हें रोकने उनकी निंदा करने उन्हें पापी चोर बेईमान आदि कहकर अपमानित करने से अच्छा है कि जब वे ऐसा कर रहे थे उन्हें तभी क्यों नहीं रोका और पकड़ा गया !इसकी जिम्मेदारी तो तत्कालीन उन सरकारी कर्मचारियों की थी जिन्हें ऐसा करने की सैलरी सरकार दे रही थी वो कर्मचारी यदि अपने दायित्व का निर्वाह ठीक ढंग से नहीं कर रहे थे तो उस समय की सरकार किस बात की सैलरी दे रही थी उन्हें !इसके लिए उस सरकार के जिम्मेदार मंत्री भी दोषी थे !इसके बाद जब सरकार बदली तब उन भूतपूर्व मंत्रियों एवं दोषी अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही क्यों नहीं की जानी चाहिए थी ?सीधे व्यापारियों को ही दोषी ठहरा देना कहाँ तक न्यायाचित है !
     ब्यापारी बाबा और नेतालोगों के पास जब भ्रष्टाचार के द्वारा करोड़ों अरबों इकठ्ठा हो चुके होते हैं तब ये लोग अपने को ईमानदार सिद्ध करने के लिए सबको बेईमान बताने लगते हैं सरकारी सिस्टम की भद्द पीटते रहते हैं विज्ञापनों में कहते सुने जाते हैं कि बाजार में सारा सामान मिलावटी मिलता है अब केवल बाबा लोग ही ईमानदार बचे हैं बाकी सब बेईमान हैं इसलिए ईश्वर ने उन्हें पैदा किया है इसलिए बाबाओं से ही सामान खरीदो !अब बाबा करेंगे व्यापार और ब्यापारी जाएँगे हरिद्वार !बाबालोगों के मिलावट वाले सारे आरोप सहती रहती हैं  सरकारें !वैसे भी मिलावटी सामानों की जाँच करने और उन्हें रोकने की जिम्मेदारी सरकारों की है ऐसे आरोप और विज्ञापन सीधे सीधे तौर पर सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हैं न कि व्यापारियों को !ऐसे दुष्प्रचारी विज्ञापनों का खंडन सरकारों को करना होता है ! 
    कालेधन के लिए केवल ब्यापारियों की निंदा क्यों ?
  इतना अपमान सहकर कैसे जी पाएँगे व्यापारी और कैसेबच पाएगा ब्यापार!उन पर इतना अत्याचार क्यों ?
   आखिर सम्मान और स्वाभिमान से जीने का हक़ तो ब्यापारियों को भी है वो अपने कर्मचारियों और परिवार के लोगों से कैसे आँखें मिलावें उन्हें देश के शीर्ष लोग या दो दो कौड़ी के बाबा लोग भरी सभा में पापी बेईमान कहें कहें तो वो व्यापारी लोग कैसे सहें और कैसे जिएँ !
   यदि अपमानित और हैरान परेशान होकर तनावग्रस्त व्यापारी लोग अपना व्यापार बंद करने लगें तो क्या  अकेले सँभाल लेगी सरकार या फिर केवल ट्रस्ट वाले बाबा ही करेंगे व्यापार और सारे व्यापारी भेज दिए जाएँगे हरिद्वार !या  वो गरीब लोग व्यापार सँभाल लेंगे जो आज तक अपनी रसोई अपने बल पर सँभालने की हिम्मत नहीं जुटा  सके  उनकी जिंदगी की जरूरतें पूरी करने के लिए सरकारें उन्हें हमेंशा कुछ न कुछ बाँटती रहती हैं ! यदि वो लोग व्यापार करने की कठिन परिस्थितियाँ सह पाने की हिम्मत ही जुटा पाते तो व्यापार कर क्यों न लेते !आखिर उन्हें व्यापार करने से अभी तक किसने रोक रखा है सरकारें तो उन्हें भी प्रोत्साहित करती रहती हैं !
नेताओंऔरबाबाओं की संपत्तियाँकालाधननहीं हैंक्या ?
      नेताओं और बाबाओं के पास इतनी संपत्तियों का अंबार कैसे लगा यदि इसमें काले धन की मदद लेने के लिए कानूनों का दुरुपयोग नहीं किया जाता है तो ! 
       नेता हों या बाबा इन दोनों का उद्देश्य अपने को सुधारना और दूसरे लोगों को राष्ट्रभक्ति एवं देशभक्ति के लिए प्रेरित करना होता है !जिससे सारा देश और सारा समाज बदले !अन्यथा कुछ बाबा और नेता लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए माँग माँग कर धन इकठ्ठा करते हैं और धन इकठ्ठा करने के लिए उन्हें कोई सामाजिक या सेवा कार्य शुरू करना पड़ता  है और सेवाकार्यों के नाम पर कितना भी धन किसी से भी माँगने में शर्म और संकोच नहीं होता है वो काला पीला हरा गुलाबी कैसा भी क्यों न हो !एक ट्रस्ट बना लेते हैं जिससे वो अपना धन तो शुद्धकर लेते हैं इसके बाद जिन्होंने उन्हें चंदा नहीं दिया होता है उनसे खुंदक निकालते हैं और उनके धन को कालाधन  बता बताकर उन्हें डराने धमकाने के लिए उनके विरुद्ध हो हल्ला किया करते हैं उनके धन को काला धन बताते हैं यदि वो व्यापारी लोग अपना तथाकथित कालाधन इन नेताओं और बाबाओं को सौंप दें तब तो वो भी तुरंत सफेद हो जाएगा यदि वो इनके डराने धमकाने से नहीं डरते हैं और नहीं देते हैं इन्हें और अपने पास रखते हैं तो उनका वही धन कालाधन हो जाता है आखिर क्यों ?
  सरकारों की गैर जिम्मेदारियों और नाकामियों को ढकने के लिए ब्यापारियों को रखना पड़ता है कालाधन !
सरकारी मशीनरी बिना घूस लिए एक कदम आगे चलने को तैयार नहीं होती है और यदि चलेगी भी तो समय से नहीं चलेगी !सरकार अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं कर पाई है जिसमें सरकारी कर्मचारियों से भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी सेवाएँ समय से ली जा सकें या उनकी शिकायत समय से कहीं सुनी जा सकती हो और उसका रेस्पांस जल्दी मिल सके !
       इसलिए  समय से काम करवाना ब्यापारियों की मजबूरी होती है उसके लिए सरकारी इतंजामों पर उन्हें उतना विश्वास नहीं होता है जितना भरोसा उन्हें घूस देकर काम करवाने पर होता है । 
          सरकारी कर्मचारियों से पूछो कि तुम घूस क्यों लेते हो तुम्हें सैलरी नहीं मिलती है क्या तो वो कहते हैं कि ये पैसा ऊपर तक अर्थात मंत्रियों तक जाता है !
     इसका मतलब ये है कि  मंत्री लोग यदि घूस लेने के लिए सरकारी कर्मचारियों को मजबूर न करते  होते तो शायद वो घूस न लेते इसीप्रकार से यदि मंत्री जी घूस लेने के बजाए कर्मचारियों को काम करने के लिए प्रेरित कर रहे होते तो वो काम करते ! जब वे  ही काम करने लगते तो ब्यापारी लोगों को क्यों देनी पड़ती घूस और जब घूस ही नहीं देनी पड़ती तो ब्यापारियों को काला धन रखने की आवश्यकता ही क्या थी !