सैनिक सीमाओं की रक्षा के लिए यदि दिन रात लड़ सकते हैं तो बैंक क्यों नहीं खोले जा सकते थे दिन-रात !
राष्ट्रसमर्पित सैनिकों के सामने आम सरकारी कर्मचारी कहाँ ठहरते हैं बन्दनीय वीर सैनिक तो देश देश सेवा के जिस काम के लिए जहाँ भी भेजे और लगाए जाते हैं वहाँ
से जिम्मेदारी निभाकर और जंग जीतकर ही लौटते हैं अन्यथा उन प्रणम्य स्वाभिमानियों
के शव लौटते हैं वे नहीं !उनकी तुलना में कहाँ ठहरते हैं ये आम सरकारी कर्मचारी !पता नहीं सरकार इनसे काम लेने में इतना डरती क्यों है !
ईश्वर न करे आतंक वादियों जैसी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होने की जिम्मेदारी यदि हमारे आम सरकारी कर्मचारियों को निभानी हो तो इनके बनाए विस्फोटक न तो समय से रखे जा सकेंगे और न टार्गेट पर रखे जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात यदि ऐसा कुछ हो भी जाए तो वो फूटेंगे ही नहीं ?
ईश्वर न करे आतंक वादियों जैसी अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होने की जिम्मेदारी यदि हमारे आम सरकारी कर्मचारियों को निभानी हो तो इनके बनाए विस्फोटक न तो समय से रखे जा सकेंगे और न टार्गेट पर रखे जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात यदि ऐसा कुछ हो भी जाए तो वो फूटेंगे ही नहीं ?
हे प्रधान मंत्री जी ! सबके एकाउंट चेक कराने की धमकी तो बार बार दी जाती है किंतु बैंकों के अंदर लगे सीसी टीवी वीडियो भी चेक कराइए और देखिए काउंटरों वाले वीडियो भी !उनमें कुछ चेहरे ही चमकते मिलेंगे कई कई घंटों और कई कई दिनों तक दिखाई पड़ते रहेंगे !उन्हीं की खुशामद करने में लगे रहते थे बैंक कर्मचारी !काले धन को सफेद करने और करवाने के बड़े कारोवार में ही ब्यस्त रहा करते थे बैंक !
जनता आधी रात से बैंकों के आगे लाइनों में खड़ी हो जाती थी किंतु बैंक कर्मी 10 -11 बजे बैंकों में पहुँचते थे जनता आधी रात से भूखी प्यासी खड़ी होती थी बैंक कर्मचारी नास्ता करके आते थे और चाय पानी पिया ही करते थे इसी बीच लाइनों में खड़े भूखे प्यासे लोगों को दिखा दिखाकर बैंक कर्मचारी करने लगते थे लंच !जनता देखा करती थी उन्हें !
महोदय ! सरकार यदि कोई बड़ा बदलाव करना चाहती है तो परेशानियाँ तो होंगी ही किंतु उन परेशानियों से निपटने के लिए सरकारों में सम्मिलित लोग ,सरकारी कर्मचारी और जनता बराबर बराबर जिम्मेदारी निभाए तब तो ठीक है किंतु सारी जिम्मेदारी का बोझ केवल जनता पर डाल दिया जाए सरकार और सरकारी कर्मचारी मौज मारते रहें संवेदना शून्य बने रहें और अपने अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह ईमानदारी पूर्वक न करें जनता अकेली जूझती रहे तो सरकार के ऐसे आचरणों को सरकार और सरकारी कर्मचारियों के द्वारा जनता पर किया गया अत्याचार माना जाना चहिए !
सरकार के ऐसे निर्णयों के लिए कुछ कुर्वानी सरकार और सरकारी कर्मचारी भी करें तब कुछ कुवानी की अपेक्षा जनता से भी की जाए तब तो ठीक है किंतु भ्रष्टाचार भगाने के नाम पर केवल जनता को शूली पर लटका देना कहाँ का न्याय है !
सरकार का भरोसा सरकारी कर्मचारी होते हैं वही लोग सरकार के हाथ पैर होते हैं उन्हीं के बलपर सरकार बड़े बड़े निर्णय ले लेती है इसीलिए उन्हें आम आदमी की आमदनी की अपेक्षा कई कई गुना अधिक सैलरी भी देती है । सरकारी कर्मचारी ही यदि सरकारी योजनाओं को ईमानदारी पूर्वल लागू करने में गद्दारी करने लगेंगे तो जनता अकेले कहाँ तक जूझे !आखिर जनता को आश्वासनों के अलावा और दे ही क्या देती है सरकार !
जनता लाइनों में भूखी प्यासी खड़ी थी सरकारों में बैठे लोगों को समय से भोजन पानी आदि सारी सुख सुविधाएँ मिल रही थीं और सरकारी कर्मचारियों को भी कहीं कोई दिक्कत नहीं थी उन्हें तो सैलरी मिलती ही थी जरूरत की चीजें उधार में भी मिल जाती हैं उन्हें ! वैसे भी उनके पास आम जनता की तरह धन की कमी कहाँ होती है जिससे उन्हें कोई बड़ी दिक्कत हो !इसलिए सरकार और सरकारी कर्मचारी तो आनंद भोगते हैं सारा दंड तो जनता ही झेलती है ! आखिर जनता का अपराध क्या था !यदि सरकार और उसके कर्मचारियों में यदि हिम्मत नहीं थी तो इतना बड़ा निर्णय केवल जनता पर क्यों थोपा गया !
अब भी सरकार के पास अवसर है सरकार चाहे तो अपनी ईमानदारी ,निष्पक्षता और पारदर्शिता का परिचय आम जनता को देने के लिए बैंकों के कैस काउंटरों के वीडियो चेक करवाए और घूसखोर भ्रष्टाचारी कालेधन को सफेद करने वाले दोषी बैंक कर्मचारियों का न केवल दण्डित करे अपितु उनके नाम और चित्र सार्वजनिक करे !वो वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करे ताकि जनता भी देखे कि कालेधन वाले रईसों की कितनी सेवा कर रहे हैं ये !अक्सर कालेधन वालों के ही चेहरे चमकते दिखेंगे बैंकों के कैस काउंटरों पर !उन्हें चाय नास्ता भी अंदर ही दिया जाता रहता है और उनका काम भी अपनेपन से किया जाता है !
ये सारा अत्याचार लाइनों में खड़ी जनता अपनी आँखों से देखती रहती है कुछ कहती तो बैंक वाले उन्हें डाँट देते और पुलिस वाले उन पर शांति भंग करने का आरोप मढ़ कर भगा देते !बैंक कर्मचारियों से लेकर पुलिस वाले तक सब उन्हीं कालेधन वालों की सेवा भावना में लगे हुए थे !जनता बेचारी अकेले ही जूझ रही थी नोट बंदी अभियान से !
कुल मिलाकर बैंक कर्मियों ने अपने और अपनों के काम खूब किए हैं देर देर रात तक कहीं कहीं तो आधी आधी रात में भी किए गए अपनों अपनों के काम !सरकार उनके इस भ्रष्टाचार में भी कर्तव्य निष्ठा सूँघती रही !सरकार चाहे तो बैंकों के अंदर के वीडियो चेक करवाए और देखे कि भ्रष्टबैंक कर्मचारी कितनी हमदर्दी से कालेधन वालों के कालेधन को सफेद करते हैं । भ्रष्टाचार के वास्तविक माता पिता ऐसे ही भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारी हैं इन पर अंकुंश लगाए बिना भ्रष्टाचार भगाने और कालाधन समाप्त करने का सपना देखना ही मृग मरीचिका से ज्यादा कुछ नहीं है !
जनता
तो केवल लाइनें लगाती थी पैसा तो किसी किसी भाग्यशाली को ही मिलता था
!नोट बंदी के महान अभियान में तथा सरकार की भद्द पिटवाने में बैंक कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान है उन्होंने जनता के साथ यदि ईमानदारी पूर्ण व्यवहार किया होता तो न इतनी लंबी लाइनें होतीं और न ही इतनी दुघटनाएँ घटतीं न विपक्ष को बोलने का मौका मिलता और न ही लोकसभा की कार्यवाही ही बाधित होती !
क्या बैंक कर्मचारी सैलरी नहीं लेते हैं !भ्रष्टाचार भगाने के लिए सरकार के द्वारा चलाए गए नोट बंदी जैसे राष्ट्र हितकारी महान अभियान में सरकारी कर्मचारियों का सहयोग जैसा मिलना चाहिए था वैसा क्यों नहीं मिला !सरकार के द्वारा घोषित किए गए किसी कार्यक्रम को ईमानदारी पूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी सरकारी कर्मचारियों की होती है उन्हें हर परिस्थिति में सरकार के साथ खड़ा होना होता है आखिर इसी बात की सैलरी और अन्य सुविधाएँ मिलती हैं उन्हें !
सरकार ने नोट बंदी अभियान की अचानक घोषणा कर दी देश घबड़ा गया बिना पैसे तो एक कदम भी चलना मुश्किल था कई जरूरतें ऐसी थीं जिन्हें टाल पाना कठिन ही नहीं असंभव भी था इन्हीं कारणों से लाइनों में लगे कई लोगों की दुर्भाग्य पूर्ण मृत्यु भी हुई समय से उन्हें इलाज नहीं मिल सका कई लोग तो बैंकों की लाइनों में खड़े खड़े ही गिर कर मर गए !ऐसा न हो इसके लिए बैंककर्मचारियों ने अतिरिक्त सहयोग क्यों नहीं किया !बैंक वालों ने अपनी ड्यूटी भी कितनी ईमानदारी से बजाई ये उनकी आत्मा ही जानती होगी या फिर ईश्वर !जनता बैंक कर्मचारियों के पक्ष पात की शिकायत भी करे तो किससे उसकी आपबीती पर भरोसा करेगा कौन !
मान्यवर मोदी जी !नए नोटों को बदलने की प्रक्रिया से पहले रात 12
बजे सारे बैंक कर्मियों को सेवा मुक्ति की घोषणा करते और अगले दिन सुबह से
नए कर्मठ परिश्रमी योग्य और जरूरतमंद लोगों की नई नियुक्तियाँ करते धीरे
धीरे जब बैंकों का काम काज सुचारू रूप से चलने लगता तब हजार पाँच सौ के
नोट बदलने का लेना चाहिए था निर्णय तो वो लोग सरकार की भद्द न पिटने देते
और सरकार की आशाओं पर खरे उतरते ! आज तो उन्हीं काले धन वालों के चहेते बने
हैं आपके कर्मचारी लोग !ग़रीबों की बड़ी बड़ी लाइनें लगी हैं बैंकों के सामने !
महोदय !बन्दनीय सैनिकों को छोड़कर आम सरकारी कर्मचारियों के काम काज की गति और क्षमता से देश सुपरिचित है अधिकाँश सरकारी कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी एवं भ्रष्टाचार की भावना को सभी जानते हैं फिर भी उनके सहारे आपने इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने का निर्णय ले कैसे लिया !देशवासियों को आश्चर्य इस बात का है !आज कितनी कितनी लंबी लंबी लाइनें लगी हैं बैंकों डाकघरों एटीएमों के सामने और कैसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है आम नागरिकों को !एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री का घर गृहस्थी वालों के साथ ये कैसा न्याय है ?
महोदय !बन्दनीय सैनिकों को छोड़कर आम सरकारी कर्मचारियों के काम काज की गति और क्षमता से देश सुपरिचित है अधिकाँश सरकारी कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी एवं भ्रष्टाचार की भावना को सभी जानते हैं फिर भी उनके सहारे आपने इतनी बड़ी जिम्मेदारी निभाने का निर्णय ले कैसे लिया !देशवासियों को आश्चर्य इस बात का है !आज कितनी कितनी लंबी लंबी लाइनें लगी हैं बैंकों डाकघरों एटीएमों के सामने और कैसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है आम नागरिकों को !एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री का घर गृहस्थी वालों के साथ ये कैसा न्याय है ?
मान्यवर ! राष्ट्रसमर्पित साधक सैनिकों के सामने आपके आम सरकारी कर्मचारी कहाँ ठहरते हैं वो बन्दनीय देश भक्त तो जिस काम के लिए जहाँ भेजे और लगाए जाते हैं वहाँ
से जिम्मेदारी निभाकर या तो जंग जीतकर लौटते हैं या फिर उन स्वाभिमानियों
के शव लौटते हैं वे नहीं !यदि देश का आम सरकारी कर्मचारी वैसा ईमानदार और
जन सेवाओं के लिए समर्पित होता तो नोट बदलने की आज परिस्थिति ही पैदा
क्यों होती !अब तो जाँच न हो तो और बात बाक़ी जिनकी जाँच होती है उन सरकारी
बाबुओं के घरों से बिस्तरों से भी पकड़े जाने लगे हैं सैकडों करोड़ और हीरा
जवाहरात आदि तमाम बेनामी संपत्तियाँ !
हे प्रधानमन्त्री जी ! देश के प्रति समर्पित राष्ट्र साधक सैनिकों से आम सरकारी कर्मचारियों की तुलना कैसे की जा सकती है जिन सैनिकों पर एक सर्जिकलस्ट्राइक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्होंने दुनियाँ को दिखा दिया कि हम कमजोर नहीं हैं और आतंकवादियों को उनके घरों में घुस कर मारा किंतु मोदी जी !दूसरी सर्जिकलस्ट्राइक आपने जिनके भरोसे की है वो हाथ बहुत कमजोर हैं वहाँ दलाली चल रही है वो नहीं सिद्धकर पाए कि वे कामचोर नहीं हैं उनके ATM ख़राब हो रहे हैं हर प्रकार की लापरवाहियाँ होती देखी जा रही हैं अपने परिचितों के नोट भी बदले जा रहे हैं !इनके भरोसे भ्रष्टाचार समाप्त करने के सपने देख रहे हैं आप !क्या ऐसे लोगों पर भी नियंत्रण करने का कोई फार्मूला खोजेंगे आप !
हे प्रधानमन्त्री जी ! देश के प्रति समर्पित राष्ट्र साधक सैनिकों से आम सरकारी कर्मचारियों की तुलना कैसे की जा सकती है जिन सैनिकों पर एक सर्जिकलस्ट्राइक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उन्होंने दुनियाँ को दिखा दिया कि हम कमजोर नहीं हैं और आतंकवादियों को उनके घरों में घुस कर मारा किंतु मोदी जी !दूसरी सर्जिकलस्ट्राइक आपने जिनके भरोसे की है वो हाथ बहुत कमजोर हैं वहाँ दलाली चल रही है वो नहीं सिद्धकर पाए कि वे कामचोर नहीं हैं उनके ATM ख़राब हो रहे हैं हर प्रकार की लापरवाहियाँ होती देखी जा रही हैं अपने परिचितों के नोट भी बदले जा रहे हैं !इनके भरोसे भ्रष्टाचार समाप्त करने के सपने देख रहे हैं आप !क्या ऐसे लोगों पर भी नियंत्रण करने का कोई फार्मूला खोजेंगे आप !
श्रीमान प्रधानमंत्री जी !देश के अंदर घुसपाने वाले आतंकवादी कईबार
हमारी सरकारी लापरवाहियों के कारण ही हमें चोट दे जाने में सफल होते हैं वो
दृढ़ निश्चयी एवं अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं जबकि हमारे लोग
ड्यूटी बजाने और मौका बरकाने की भावना से भावित होते हैं इसीलिए जिनका जैसा
लक्ष्य उन्हें वैसी सफलता ?ईश्वर न करे आतंक वादियों जैसी अपने लक्ष्य के
प्रति समर्पित होने की जिम्मेदारी यदि हमारे आम सरकारी कर्मचारियों को
निभानी हो तो इनके बनाए विस्फोटक क्या समय से रखे जा सकेंगे !या टार्गेट
पर रखे जा सकेंगे और सबसे बड़ी बात क्या वो फूटेंगे भी ?
सरकारी स्कूलों में जिन कक्षाओं को पढ़ाने के नाम पर सरकारें जिन शिक्षकों को भारीभरकम सैलरी देती जा रही हैं उन्हीं शिक्षकों को यदि उन्हीं कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया जाए खुद परीक्षा देने को और ईमानदारी पूर्वक उनकी कापियाँ जाँची जाएँ तो पास होने वाले शिक्षकों की संख्या इतनी कम होगी कि सरकारों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि पढ़ाने के नाम पाए ऐसे की सैलरी पर पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं उनकी नियुक्तियों में सरकारों ने जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई तब तो घूस और सोर्स को महत्त्व दिया गया अब जो पढ़े ही न हों वो अचानक पढ़ाने कैसे लगेंगे !सरकार के हर विभाग का कमोवेश यही हाल है !
हे प्रधानमन्त्री जी !कुलमिलाकर सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी एवं उनके नाते रिश्तेदार ही करते भ्रष्टाचार किंतु नेता लोग ईमानदार दिखने के लिए सताने लगते हैं आम जनता को और बरबाद करने लगते हैं व्यापार लगते हैं आम जनता का जीना !सरकारों में बैठे नेताओं को चाहिए कि वो भ्रष्टाचार भागने के लिए सबसे पहले सरकारों एवं सरकारी कर्मचारियों के अंदर भरी पड़ी गन्दगी साफ करें जनता खुद भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन में सरकार की भावना की मदद करने लगेगी !आज व्यापारी लोग यदि ईमानदार जीवन जीना भी चाहें तो सरकार का कोई ऐसा जिम्मेदार विभाग नहीं है जो उन व्यापारियों की जरूरतों को समय से पूरा कर सके सरकारी कर्मचारियों पर न उनका कोई दबाव है और न ही वे अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते ही हैं उनसे समय पर जिम्मेदारी पूर्वक काम करवाने के लिए व्यापारियों को देनी पड़ती है सरकारी बाबुओं को घूस और होली दिवाली को पहुँचाने पड़ते हैं मजबूरी में महँगे महँगे गिफ्ट !व्यापारियों को सरकारी कर्मचारियों से यदि समय से काम लेना है तो उन्हें देनी पड़ती है घूस और उसके लिए उन्हें इकठ्ठा करना पड़ता है कालाधन जिसके बल पर सरकारी कर्मचारियों से वो समय पर करवाते हैं अपने काम और करते हैं व्यापारिक काम काज !यदि सरकारी कर्मचारियों को घूस देना वे बंद कर दें तो समय पर सरकारी काम काज करवाने की जिम्मेदारी कौन लेगा !सरकार का इस कौन जिन्दा विभाग है जो इतना एक्टिव हो कि सरकारी विभागों में बिना घूस के लेन देन के भी व्यापारियों के काम काज को समय पर करवा कर दे !
सरकारी स्कूलों में जिन कक्षाओं को पढ़ाने के नाम पर सरकारें जिन शिक्षकों को भारीभरकम सैलरी देती जा रही हैं उन्हीं शिक्षकों को यदि उन्हीं कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया जाए खुद परीक्षा देने को और ईमानदारी पूर्वक उनकी कापियाँ जाँची जाएँ तो पास होने वाले शिक्षकों की संख्या इतनी कम होगी कि सरकारों को जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि पढ़ाने के नाम पाए ऐसे की सैलरी पर पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं उनकी नियुक्तियों में सरकारों ने जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई तब तो घूस और सोर्स को महत्त्व दिया गया अब जो पढ़े ही न हों वो अचानक पढ़ाने कैसे लगेंगे !सरकार के हर विभाग का कमोवेश यही हाल है !
हे प्रधानमन्त्री जी !कुलमिलाकर सरकारों में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी एवं उनके नाते रिश्तेदार ही करते भ्रष्टाचार किंतु नेता लोग ईमानदार दिखने के लिए सताने लगते हैं आम जनता को और बरबाद करने लगते हैं व्यापार लगते हैं आम जनता का जीना !सरकारों में बैठे नेताओं को चाहिए कि वो भ्रष्टाचार भागने के लिए सबसे पहले सरकारों एवं सरकारी कर्मचारियों के अंदर भरी पड़ी गन्दगी साफ करें जनता खुद भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन में सरकार की भावना की मदद करने लगेगी !आज व्यापारी लोग यदि ईमानदार जीवन जीना भी चाहें तो सरकार का कोई ऐसा जिम्मेदार विभाग नहीं है जो उन व्यापारियों की जरूरतों को समय से पूरा कर सके सरकारी कर्मचारियों पर न उनका कोई दबाव है और न ही वे अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते ही हैं उनसे समय पर जिम्मेदारी पूर्वक काम करवाने के लिए व्यापारियों को देनी पड़ती है सरकारी बाबुओं को घूस और होली दिवाली को पहुँचाने पड़ते हैं मजबूरी में महँगे महँगे गिफ्ट !व्यापारियों को सरकारी कर्मचारियों से यदि समय से काम लेना है तो उन्हें देनी पड़ती है घूस और उसके लिए उन्हें इकठ्ठा करना पड़ता है कालाधन जिसके बल पर सरकारी कर्मचारियों से वो समय पर करवाते हैं अपने काम और करते हैं व्यापारिक काम काज !यदि सरकारी कर्मचारियों को घूस देना वे बंद कर दें तो समय पर सरकारी काम काज करवाने की जिम्मेदारी कौन लेगा !सरकार का इस कौन जिन्दा विभाग है जो इतना एक्टिव हो कि सरकारी विभागों में बिना घूस के लेन देन के भी व्यापारियों के काम काज को समय पर करवा कर दे !
अधिकारी कर्मचारी गलत काम करवाने के लिए लेते हैं पैसे और उपलब्ध करवाते
हैं भ्रष्टाचार करने की सारी सुविधाएँ ! सरकारों एवं सरकारी अधिकारी
कर्मचारियों का ये अघोषित ऑफर बिना परिश्रम के कम समय में रईस बनने की चाहत
रखने वालों को पसंद आ जाता है और दोनों मिलकर लूटते हैं देश और जनता सहती
है क्लेश !
मिलावट का नारा लगा लगाकर स्वयंभू ईमानदार बाबा लोग अरबोंखरबों पति बन गए !
इसमें मिलावट करनेवाले व्यापारी लोग यदि जिम्मेदार हैं तो वो लोग भी उससे कम जिम्मेदार नहीं हैं जिनकी जिम्मेदारी मिलावट खोरों को पकड़ने की है यदि वो ऐसा नहीं कर रहे हैं तो सरकार उन्हें लाखों रूपए की सैलरी देती आखिर किस बात के लिए है !ये भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारी कर्मचारियों और सरकारों की लापरवाही गैर जिम्मेदारी का नतीजा है !
मिलावट का नारा लगा लगाकर स्वयंभू ईमानदार बाबा लोग अरबोंखरबों पति बन गए !
इसमें मिलावट करनेवाले व्यापारी लोग यदि जिम्मेदार हैं तो वो लोग भी उससे कम जिम्मेदार नहीं हैं जिनकी जिम्मेदारी मिलावट खोरों को पकड़ने की है यदि वो ऐसा नहीं कर रहे हैं तो सरकार उन्हें लाखों रूपए की सैलरी देती आखिर किस बात के लिए है !ये भ्रष्टाचार सरकारी अधिकारी कर्मचारियों और सरकारों की लापरवाही गैर जिम्मेदारी का नतीजा है !
हे
देशवासियो !अपने देश में भ्रष्टाचार भयंकर है ऐसी लूटमार में कैसे जिया जा
सकता है हर सामान में मिलावट बता बता कर विज्ञापन करने वाले बाबा जी
हजारों करोड़ के स्वयंभू ईमानदार उद्योगपति बन गए और बड़ी चालाकी से देश के अधिकाँश
व्यापारियों को बेईमान सिद्ध कर दिया है इसी बहाने मोदी सरकार को भी कटघरे में
खड़ा कर दिया क्योंकि मिलावट रोकने की जिम्मेदारी उनकी है बाबा पंडित पुजारी मुल्ला मौलवी लेखक पत्रकार नेता अभिनेता अधिकारी कर्मचारी यहाँ
तक कि अपने अपने धंधे में धोखाधड़ी और मिलावट करने वाले व्यापारी लोग भी
मिलावट के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं । अब ये मिलावट और धोखाधड़ी से
कमाया गया पैसा अगर पकड़ा नहीं जाएगा तो उन्हें सबक कैसे मिले और ये मिलावट
रुकेगी कैसे ?
भ्रष्टनेतालोग अपने कालेधन को बचाने के लिए फेल करना चाह रहे हैं मोदी जी का नोटबंदी अभियान !
भ्रष्टाचारी नेता लोग आतंकवादियों को इसीलिए पालकर रखते रहे हैं ताकि जनता
का ध्यान उधर भटका रहे और इधर ये भ्रष्ट लोग देश की संपत्तियाँ लूटते रहें
?
बंधुओ ! जो नेता लोग जब राजनीति में आए थे तब कौड़ी जेब में नहीं थी आज
करोड़ों अरबों के मालिक बने राज सुख भोग रहे हैं कहाँ से आता है ये पैसा
!इन्होंने कभी कोई व्यापार किया नहीं! नौकरी की नहीं धन इनके पास था नहीं
आखिर ये अपार संपत्तियाँ इनके पास आईं कहाँ से !ये कालाधन नहीं तो क्या है !
समय समय पर सरकारों में रह चुके भ्रष्ट नेता लोगों ने सरकारों के भीतर से लेकर बाहर तक हर जगह अपने लोग पहले से ही फिट
कर रखे हैं जो ईमानदार सरकारों का भ्रष्टाचार विरोधी कोई अभियान सफल ही
नहीं होने देते हैं अंत में थक हार कर वो भी चुप बैठ जाते हैं !वही स्थिति
आज है मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी महान प्रयास की हवा निकालने में
जुटा है भ्रष्टाचार परिवार !
इन भ्रष्ट नेताओं ने अपना धन सफेद करने के लिए अपने में से कुछ
भ्रष्टलोगों को बाबा बना लिया उनके नाम से ट्रस्ट बना दिए और ट्रस्ट के
पैसों पर टैक्स नहीं होगा के नियम बना लिए !इसी प्रकार से अपने कुछ भ्रष्ट
लोगों को सरकारी नौकरियों में घुसा रखा है वो वहाँ से इनकी सेवा कर रहे
हैं जनता को तंग करके हवा निकाल रहे हैं मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी
अभियान की !
संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी जा रही है बाहर जनता को आत्म हत्या करने
हुल्लड़ मचाने झगड़ा करने के लिए उकसाया जा रहा है !भ्रष्ट बैंक कर्मियों की
मदद से बैंकों में आम जनता का काम काज बहुत धीरे धीरे किया जा रहा है सेठों
साहूकारों की सेवा में लगे हैं बैंक कर्मचारी लोग !जनता से लंबी लंबी
लाइनें लगवाई जा रही हैं अंदर काम बड़े लोगों का या बैंक कर्मियों के
परिचितों एवं उनके नाते रिस्तेदारों का हो रहा है बाकी तो केवल शोभा बढ़ा
रहे हैं ! लंबी लंबी लाइनों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा रहा
है और जनता को मोदी सरकार के विरुद्ध भड़काया जा रहा है !यदि सरकारी मशीनरी
भी सरकार की योजनाओं में निष्पक्ष साथ नहीं देगी तो प्रधानमन्त्री जी
अकेले क्या क्या कर लेंगे !
ये हैं भ्रष्टाचारी नेताओं के भ्रष्टाचार परिवार के सम्मानित सदस्य !जो अंदर बाहर हर जगह से मदद कर रहे हैं भ्रष्टाचारी नेताओं और उनके सगे सम्बन्धियों की !
1.भ्रष्टनेता2.भ्रष्टबाबा3.भ्रष्टसरकारी कर्मचारी
सभी
प्रकार के अपराधियों के जन्मदाता होते हैं ऐसे क्षेत्रों से जुड़े सफेदपोश
दिखने वाले भ्रष्ट लोग !
आज नोटबंदी में आम जनता की कठिनाइयों का बहाना ले लेकर हुल्लड़ मचा रहे हैं
कालेधन वाले नेता लोग !तरह तरह के ट्रस्ट बनाए बैठे बाबा लोग काले धन को
सफेद करने में लगे हैं उन्हें तो पैसे चाहिए कैसे भी मिलें अपने अपने
व्यापार छोड़ अब बाबाओं ने इसी काम को धंधा बना लिया है !
उधर बैंक कर्मचारियों को अपने नाते रिस्तेदारों परिचितों एवं बैंक से जुड़े
बड़े व्यापारियों से फुरसत ही कहाँ है कि वे आम जनता की लगी लाइनों पर
ध्यान दें वे तो उन्हीं अपनों के ब्लैक को ह्वाइट करने में लगे हैं उनके
पास थोड़ा बहुत समय बचता है तो लाइन में खड़े लोगों से भी बात कर लेते हैं
अन्यथा आम जनता सुबह लाइन में खड़ी की जाती है और शाम को खदेड़ दी जाती है न
ब्रेकफास्ट न लंच !
ऐसे निराश हताश हैरान परेशान जरूरत मंद लोगों के साथ घट रही हैं
दुर्घटनाएँ ये काले धन और बैंक कर्मियों की आपसी साँठ गाँठ से जाम कर दिया
जा रहा है बैंकों से जुड़ा आम जनता का जरूरी काम काज !इसीलिए बैंकों के
सामने आम जनता की लाइनें घटने का नाम ही नहीं ले रही हैं ।
कई बैंकों में तो कर्मचारी साढ़े दस ग्यारह बजे आते हैं साढ़े ग्यारह बजे
काम शुरू करते हैं पहले जो अपनों का अपनी जेबों बैगों में डालकर काम लाए
होते हैं वो निपटाते हैं फिर चाय पीते हैं तब जनता का नंबर आता है तब तक
लंच हो जाता है !
इसके बाद जनता से पहले बड़े लोगों की लेबर ही लाइनों में आगे खड़ी होती है
बैंकों की मिली भगत से बाबू जी अंदर घुसा लिए जाते हैं वो अंदर ही अंदर
निपटा रहे होते हैं करोड़ों का काम काज !आम जनता अपने जरूरी कामों के लिए
हजार दो हजार रुपयों के लिए लाइनों में खड़ी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही
होती है पौने तीन बजे लंच ख़त्म होता है फिर समय ही कितना बचता है फिर
शुरू होता है वही खेल फिर कुछ लोग अंदर भेज दिए जाते हैं बाकी लोगों के
लिए 3 -4 बजे बंद कर दिया जाता है बैंक !फिर शुरू होता है अपना और अपनों का
काम !
ऐसे बैंक कर्मियों के द्वारा मोदी सरकार को करवाया जा रहा है बदनाम !
बंधुओ !एक बार इस लेख को आप जरूर पढ़ें खोलें यह लिंक -
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'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !'दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार करे सरकार अन्यथा सारी कवायद कम असरदार ! सरकार और सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना हो ही नहीं सकता है भ्रष्टाचार ! see more... http://samayvigyan.blogspot.in/2016/11/blog-post_67.html