Wednesday, 23 November 2016

'सरकार और भ्रष्टाचार' एक सिक्के के दो पहलू !'दोनों को चाहिए दोनों का सहयोग !

भ्रष्टाचार की जड़ों पर प्रहार करे सरकार अन्यथा सारी कवायद कम असरदार !
   सरकार और सरकारी कर्मचारियों के सहयोग के बिना हो ही नहीं सकता है भ्रष्टाचार !                                  

ये हैं भ्रष्टाचार परिवार के सम्मानित सदस्यगण -
1.भ्रष्टनेता2.भ्रष्टबाबा3.भ्रष्टसरकारी कर्मचारी 
 सभी प्रकार के अपराधियों के जन्मदाता होते हैं ऐसे क्षेत्रों से जुड़े सफेदपोश दिखने वाले भ्रष्ट लोग !इन्हें खोजने में परिश्रम करे ईमानदार सरकार तब घटेगा भ्रष्टाचार !
       नेता और बाबा लोग प्रायः गरीबों और किसानों के परिवारों में पैदा होते हैं नेतागिरी और बाबागिरी शुरू करते समय दोनों प्रायः भूखे नंगे अर्थात गरीब होते हैं उस समय धंधा शुरू करने के लिए दोनों लोग सामाजिक सेवाकार्यों के लिए चंदा माँग माँग कर पहले तो फंड इकठ्ठा करते हैं बाबा ईश्वर भक्ति के नाम पर और नेता लोग देश भक्ति के नाम पर !फिर  अपनी अपनी ताकत दिखाने के लिए दोनों बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं । बाबालोग प्रवचन दे देकर तथा नेता लोग भाषण दे देकर ,बाबा लोग गीता - पुराणों की और नेता लोग संविधान की दुहाई दे देकर पहले जनता में जोश भरते हैं स्वदेशी और स्वाभिमान की बातें कर कर के जनता को धिक्कारते और उनकी आत्माओं को आंदोलित करते हैं जब जनता पेन्हा जाती है तो उनसे धनसंपतियाँ रूपी दूध दुह लिया करते हैं इस प्रकार से सबसे माँग माँग कर इकठ्ठा किया करते हैं काला नीला हरा गुलाबी बैगनी बसंती आदि सभी प्रकार का धन !उस समय ये दोनों प्रकार के भ्रष्टाचारी पाखंडी लोग धन इकठ्ठा करने की भावना में इतने अंधे हो रहे होते हैं कि तब इन्हें लूटने के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा होता है कि काला धन है या पीला !!
    ऐसे सभी प्रकार के पापों के द्वारा धन इकठ्ठा हो जाने के बाद इन पापियों को अपने पाप याद कर कर के डर लगने लगता है !तब इन दोनों को अपने उस काले धन के अंबार को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए तरह तरह के सामाजिक कार्यों के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं ताकि जनता का ध्यान उनके पापों से हटकर उनके कार्यक्रमों में भटक जाए !इसी कारण से नेतालोग  धार्मिक और ईमानदार  दिखने के लिए किसी बाबा के साथ चिपकने लगते हैं और उनके आश्रम में आने जाने एवं उनके धर्म कार्यों में भाग लेने लगते हैं इसी प्रकार से भ्रष्टाचारी बाबा लोग सोर्स फुल दिखने के लिए किसी नेता से चिपकने लगते हैं और उनके राजनैतिक कार्यक्रमों में दुम हिलाने लगते हैं !
      भ्रष्ट बाबा और भ्रष्ट नेता लोग अपने  कलरफुल धन को सफेद करने के लिए टैक्स माफी हेतु  झूठ मूठ का ट्रस्ट बना लेते हैं और अपने सारे काले धन को उसी ट्रस्ट रूपी फैक्ट्री में डालकर सफेद कर लेते हैं इस प्रकार से अपने सारे काले धन का बंदोबस्त कर लेने के बाद ये पापी उन कालेधन वालों से बदला लेने के लिए निकलते हैं जिनके दरवाजे पहले कभी माँगने गए थे और उन्होंने दुद्कार कर अपने दरवाजे से भगा दिया था।
   उन्हीं से खुंदक निकालने और बदला लेने के लिए  बाबाओं और नेताओं को खड़ा करना पड़ता है कालेधन के विरुद्ध भारी भरकम जनांदोलन जिसके लिए आम जनता को स्वदेश प्रेम और स्वाभिमान की दुहाई दे देकर ललकारते हैं उत्तेजित करते हैं और स्थापित सरकारों को न केवल चुनौती देते हैं अपितु उखाड़ फेंकते हैं । अपने को सत्ता में स्थापित करके फिर निकालते हैं उन धनवान  लोगों की लिस्ट जिन्होंने पहले कभी इन लोगों को धन देने से मना कर दिया  होता है !इसके बाद शुरू होता है उनसे बदला लेने का खेल और उन बेचारों को सभी प्रकार से कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है ।
     बंधुओ !यदि ऐसे नेता और बाबा लोग वास्तव में ईमानदार होते तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध सबसे पहली कार्यवाही भ्रष्ट नेताओं ,भ्रष्ट राजनैतिक पार्टियों ,भ्रष्ट बाबाओं एवं भ्रष्ट सरकारी अधिकारी कर्मचारियों पर करते उनकी सबसे पहले पहचान की जानी चाहिए थी और उनके ऊपर की जानी चाहिए थी कठोर कार्यवाही इसके बाद में जनता का नंबर आता !तब तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठाए गए किसी भी काम से कितनी भी परेशानी होती जनता हॅंसते हॅंसते झेल जाती किंतु जनता व्यापार करे तो भ्रष्टाचार और बाबा या नेता करे तो ईमानदार !बारी सरकार !!
      बाबा लोग अपने व्यापारिक सामानों का विज्ञापन करते समय  कहते हैं कि देश में सब कुछ मिलावटी बिक रहा है इसलिए उन पर भरोसा करो और उनके यहाँ से सब कुछ खरीदो !इस पर मेरा कहना है कि बाबा जी पर ही क्यों भरोसा किया जाए तथा उन्हें ही क्यों दूध का धुला मान लिया जाए !मिलावट रोकना सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए सरकार को ही क्यों न जगाया जाए और मिलावट रोकने के लिए सरकार को ही क्यों न बाध्य किया जाए !
     नेताओं और साधू संतों ने अपने पदों का दुरुपयोग करके लगे हैं अबैध संपत्तियों के अम्बार !ऊपर से अपने काम को चैरिटी बताते हैं !चैरिटी में कमाई होती है क्या और जहाँ कमाई वहाँ चैरिटी कैसी !
     अपने देश में बहुत नेता और साधूसंत चरित्रवान होते रहे हैं और आज भी हैं जिनके बल पर भारतीय समाज न केवल टिका हुआ है अपितु उन महापुरुषों नें चरित्र सदाचरण और संवेदना  ज्योति जलाने में कोई कोताही नहीं बरती है उनके प्रयासों ने कितने परिणाम दिए हैं ये और बात है किंतु उनके प्रयासों में कहीं कोई कमी नहीं दिखती है !उनकी संख्या कम है इसलिए असर भी कम दीखता है ये बात और है ।आदरणीय नेता लोग त्याग वैराग्य पूर्वक समाज सेवा पूर्वक समाज को सांसारिक सुख सुविधाएँ उपलब्ध कराते रहे हैं और बंदनीय साधूसंतों ने त्याग वैराग्य पूर्वक समाज को हमेंशा सींचा है इसी भावना से देश में धर्मतंत्र और लोकतंत्र हमेंशा से काम करता चला आ रहा है !
   

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