Sunday, 3 November 2019

वायुप्रदूषण के विषय में एक जरूरी सूचना !अवश्य पढ़ें -


 वायुप्रदूषण :
     29 और 30 अक्टूबर को 500 से अधिक अर्थात ख़तरनाक स्तर तक पहुँचेगा यह पूर्वानुमान मैंने एक अक्टूबर को ही PM और CM दिल्ली,के ईमेल पर भेज दिया था जो अभी भी चेक किया जा सकता है उसी की कॉपी मैं यहाँ भी शेयर कर रहा हूँ -
   

  सरकार को हमारे द्वारा बताए जाने वाले पूर्वानुमानों पर भरोसा नहीं है क्योंकि सरकार मुझे वैज्ञानिक नहीं मानती है और जिन्हें वैज्ञानिक मानती है उन्हेंपूर्वानुमान लगाना आता नहीं है |सिद्धांत कहता है कि जो जिस विषय के स्वभाव को समझता है वही उस विषय का वैज्ञानिक हैकिंतु सरकार इस सिद्धांत पर भरोसा करे तब न !


  विशेषबात - 
     वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण भी मुझे पता है तभी तो मैं पूर्वानुमान लगा पा रहा हूँ किंतु कारण सरकार हमसे पूछती नहीं है और जिनसे पूछती है उन्हें पता नहीं है !
    वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए बताए जाने वाले  दीवाली पराली तो बहाने हैं वस्तुतः वायुप्रदूषण बढ़ने का कारण किसी को पता ही नहीं है| इसका पता करने के लिए सरकार के पास न कोई विज्ञान है न वैज्ञानिक !जिन्हें सरकारें यह बताने लायक मानती हैं वे अपने ही काल्पनिक विज्ञान में भ्रमित हैं |
    इसलिए वायु प्रदूषण बढ़ने का वास्तविक कारण समझे बिना 'ऑडइवेन' लागू करके सरकार को जनता के कार्यों में अवरोध नहीं पैदा करना चाहिए था |क्योंकि वायु प्रदूषण बढ़ने से इसका कोई संबंध ही नहीं है |
   वायुप्रदूषण तब तक बढ़ेगा ही जब तक इसके बढ़ने का कारण एवं पूर्वानुमान खोजने वाली वास्तविक तकनीक नहीं खोजी जाएगी | मैंने एक नई तकनीक खोजी है जिसके आधार पर न केवल वायुप्रदूषण से संबंधित पूर्वानुमानों का पता लगाया जा सकता है अपितु वायुप्रदूषण बढ़ने के कारण भी खोजे जा सकते हैं |
      वर्तमान समय में विश्व प्रकृति(मौसम)वैज्ञानिकों की भयंकर कमी से जूझ रहा है जिसे मौसम संबंधी घटनाओं को निर्माण करने वाली शक्तियों के विषय में कोई जानकारी ही नहीं है इसीलिए इन विषयों में उनके द्वारा की जाने वाली भविष्यवाणियाँ लगातार गलत होने के कारण ही खुद को सही एवं मौसमी घटनाओं को गलत सिद्ध करने के लिए उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग जलवायुपरिवर्तन अलनीनों लानीना जैसी न जाने कितनी भ्रांतियाँ पाल रखी हैं जिनका सच्चाई से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है |
    यह बात कहने के पीछे मेरे पास मजबूत प्रमाण हैं जिन्हें मैं कभी भी किसी के सामने प्रस्तुत करके सिद्ध भी कर सकता हूँ |
   मौसम संबंधी घटनाओं को निर्माण करने वाली शक्तियों के विषय में किसी जानकारी के बिना मौसमविज्ञान के नाम पर केवल बादलों एवं आँधी तूफानों की जासूसी करते रहना प्रकृतिविज्ञान नहीं है और न ही इससे कुछ होने जाने वाला है| इसमें विज्ञान कहाँ है और आपकी विशेषज्ञता क्या है ?
    जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई से टैक्स रूप में प्राप्त धन अनुसंधानों के नाम पर ऐसे अनुसंधानों पर खर्च किया जाता है जिनकी कोई जवाबदेही ही न हो |
      सन 2018 के मई में भीषण आँधी तूफ़ान आए एवं अगस्त में दक्षिण भारत में भीषण बारिस और बाढ़ हुई ,सन 2019 में बिहार में भीषण बारिश और बाढ़ हुई जिनके विषय में कभी कोई पूर्वानुमान नहीं बताया गया था |
इनमें से किसी का कारण ग्लोबलवार्मिंग और किसी का कारण जलवायु परिवर्तन बता दिया जाता है |
    कुल मिलाकर मौसम संबंधी भविष्यवाणियाँ भी हवा में और उन घटनाओं के पीछे सन्निहित कारण भी हवा में !मौसम विज्ञान के नाम पर ऐसे विशुद्ध काल्पनिक वातावरण तैयार किया गया है जो देखने में वास्तविक सा  लगता है |
    मानसून आने जाने की तारीखें जिनकी कल्पना थी आज तक उन तारीखों में दो चार बार छोड़कर मानसून कभी आया गया ही नहीं !इसलिए आवश्यकता मानसून आने जाने की तारीखें खोजने की थी किंतु ऐसा न कर पाने के कारण अब मानसून आने जाने की तारीखें बदलने की तैयारी की जा रही है |
     मौसम भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियाँ गलत हो जाएँ तो जलवायु परिवर्तन और मानसून आने जाने संबंधी तारीखें गलत हो जाएँ तो मानसून का चक्र बदलने लगा है या फिर मानसून समय पर आता नहीं है |इतना भ्रम है मौसमी भविष्यवाणियों में !
     वायु प्रदूषण  बढ़ने के लिए हर उस चीज को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है जिससे धुआँ या धूल उड़ने की संभावना होती है | इसमें विज्ञान कहाँ है और कहाँ हैं वैज्ञानिक अनुसंधान ?
     केवल आशंका के आधार पर किसानों वाहनों उद्योंगों निर्माण कार्यों के विरुद्ध कारवाही की जा रही है क्या यही वैज्ञानिक पारदर्शिता है ?कुल मिलाकर जवाब देही तो वैज्ञानिकों की भी निश्चित होनी चाहिए |
    वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण है और इसके बढ़ने का समय क्या है इनका पता लगाए बिना निरर्थक हैं वायु प्रदूषण रोकने के लिए किए जाने वाले सारे प्रयास !
     वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार निश्चित कारण क्या क्या हैं और इसके घटने और बढ़ने की तारीखें कौन कौन सी हैं ? इन दोनों प्रश्नों का तर्कपूर्ण वैज्ञानिक उत्तर खोजे बिना वायुप्रदूषण बढ़ने के लिए दिवाली पराली निर्माणकार्यों  वाहनों या  उद्योंगों आदि को जिम्मेदार मान लेना उचित नहीं है जबतक इसके आधारभूत वास्तविक कारण पता नहीं हैं |
    वायुप्रदूषण बढ़ने की संभावित तारीखें कौन कौन सी हैं इसका पूर्वानुमान लगाए बिना किसी भी दिन 'ऑडइवन' जैसी व्यवस्था लागू कर देना  तर्कपूर्ण एवं प्रमाणित आधार नहीं माना जा सकता है |ये मजबूरी हो सकती है कि उन्हें कुछ तो करते हुए दिखना पड़ेगा |
      मैंने एक ऐसी तकनीक खोजी है जिसके आधार पर वायु प्रदूषण बढ़ने के न केवल कारणों को खोजने का प्रयास किया गया है अपितु इसके द्वारा वायु प्रदूषण बढ़ने से संबंधित तारीखों का पूर्वानुमान भी महीनों वर्षों पहले लगाया जा सकता है जो संपूर्ण रूप से नहीं किंतु प्रायः सही होता है| ये तकनीक सरकारी मौसम पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया से काफी कम खर्चीली है मुझे विश्वास है कि इस तकनीक की मदद से वायुप्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है |सरकार यदि रूचि लेगी तो सहयोग करने के लिए मैं तैयार हूँ |
    विशेष बात -हमारे द्वारा शेयर किए गए जीमेल संदेशों की मूल कॉपी यदि कोई चाहे तो संपर्क करे मैं उसे वे जीमेल फारवर्ड कर दूँगा |

                             मेरा मोबाइल नंबर -9811226973 9811226983

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