मौसमविज्ञान है या मजाक ?
1864 ईस्वी में चक्रवात के कारण कलकत्ता में भारीक्षति हुई थी !इसी प्रकार से 1866 और 1871 में भीषण अकाल पड़ा था ! जिससे जनधन की भारी हानि हुई थी !ऐसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान यदि लगाया गया होता तो शायद जन धन की हानि कम हुई होती ऐसा बिचार करके सटीक पूर्वानुमान पाने के लिए सन 1875 में भारतीय मौसमविज्ञानविभाग की
स्थापना की गई थी ! अब सन 2019 चल रहा है लगभग 143 वर्ष बीत चुके हैं !
भारतीयमौसमविभाग की 143 वर्षों की उपलब्धियाँ !
- भूकंपों के विषय में - भूकंपों के पूर्वानुमान के विषय में अभीतक किसी को कुछ पता नहीं है ! मौसम विभाग ने पहले ही हाथ खड़े कर रखे हैं !
- आँधीतूफान के विषय में - 8 मई 2018 को भीषण आँधी तूफान आने की मौसमविभाग ने भविष्यवाणी की थी इसलिए
स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए थे किंतु आँधी का एक झोंका भी नहीं आया !ऐसा अनेकों बार होता रहता है !इसलिए कहा जा सकता है कि आँधीतूफान का पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक भारतीय मौसमविज्ञानविभाग के बश की बात नहीं है !अब कहा जा रहा है कि 12 घंटे पहले लगाया जा सकेगा पूर्वानुमान किंतु पता नहीं इस बात में सच्चाई कितनी है !
- वर्षा के विषय में - 7 अगस्त 2018 से केरल में भीषण बारिस शुरू हुई थी जिसमें जनधन की भारी हानि हुई थी ! इसके 4 दिन पहले अर्थात 3 अगस्त को मौसम विभाग ने अगस्त सितंबर का पूर्वानुमान जो जारी किया था उसमें अगस्त सितंबर में सामान्यवर्षा होने की बात कही गई थी बाद में जब अधिक वर्षा हो गई तब मौसम विभाग ने कहा ऐसा तो जलवायु परिवर्तन के कारण हुआ है जो सफेद झूठ था !इसके अलावा 13 वर्ष के दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान बताए गए जिसमें 8 वर्षों के गलत निकल गए !
- वायुप्रदूषण के विषय में - वायुप्रदूषण के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना तो बहुत दूर है भारतीय मौसमविज्ञानविभाग अभी तक इसी बात का निर्णय नहीं कर पाया है कि वायुप्रदूषण के कारण प्राकृतिक हैं या मनुष्यकृत और यदि मनुष्यकृत हैं तो वायु प्रदूषण बढ़ने के वास्तविक कारण क्या हैं इस विषय का ही निर्णय अभी तक नहीं किया जा सका है !अब कहा जा रहा है कि इसके पूर्वानुमान 3 दिन पहले लगाने की कोशिश की जा रही है !ऐसी बातों में सच्चाई कितनी है ईश्वर जाने !
विशेष-
सन 1875 से 2019 तक बीते 143 वर्षों हजारों करोड़ रूपए मौसम विभाग के संचालन में अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरियों एवं उनकी सुख सुविधाओं में खर्च किया जा चुका है मौसम विभाग से संबंधित अनुसंधानों पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है !ये देशवासियों के खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स का धन है इसकी पाई पाई बहुत कीमती है इतना खर्च करने के बाद देश को झूठी भविष्यवाणियों के अलावा और क्या मिला !कुल मिलाकर सं 1875 में मौसम विभाग जिस जगह खड़ा था थोड़ा बहुत हिलडुलकर आज भी
वहीँ पर खड़ा हुआ है बिल्कुल खाली हाथ ! जिसके एक नहीं अनेकों प्रमाण दिए जा
सकते हैं !
आज सुपर कम्प्यूटरों एवं मौसमरडारों की अधिकता से मौसम पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा जैसी बातें कहना एक नए प्रकार का झूठ है ! इसके बाद में कोई और नई डिमांड रख दी जाएगी !सच्चाई ये है कि मौसम का पूर्वानुमान लगाना आधुनिक विज्ञान के बश की बात ही नहीं है इस सच्चाई को सरकार आज समझे या 100 वर्ष बाद
!
वायुप्रदूषण को ही देखिए -
आकाश में जब वायु प्रदूषण बढ़ता दिखाई पड़ता है उस समय जो त्यौहार ,ऋतु ,फसल आदि होती है उसे ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार बता दिया जाता है !इसके लिए जो कुछ भी सामने धुआँ धूल आदि फेंकते दिखाई पड़ जाए बस वायु प्रदूषण फैलाने के लिए उसे ही जिम्मेदार मान लिया जाता है !जैसे -
दशहरा हो तो - दशहरा में रावण के पुतले जलाए जाने से बढ़ता है प्रदूषण !
दीपावली हो तो - दीपावली के मौसम में पटाखों से बढ़ता है वायु प्रदूषण
दीपावली में - साँप वाली टिकिया'फैलाती है सबसे ज्यादा प्रदूषण !
गर्मी हो तो - तापमान बढ़ने के कारण हवा में बढ़ता है प्रदूषण
सर्दी हो तो - तापमान घटने से एयरलॉक हो जाने के कारण बढ़ता है प्रदूषण !
पराली का समय हो तो - पराली जलाए जाने से बढ़ता है प्रदूषण!
कोई श्रंगार किए दिखे तो - परफ्यूम और हेयर जेल से प्रदूषित होती है हवा !
किसी का घर बनते दिखे तो - निर्माण कार्यों से बढ़ता है वायु प्रदूषण !
किसी वाहन का धुआँ दिखे तो - धुएँ के रूप में जहर उगल रहे वाहनों से बढ़ रहा है प्रदूषण !
किसी फैक्ट्री का धुआँ दिखे तो - फैक्ट्रियों के धुएँ से प्रदूषित हो रही है हवा !
ईंट भट्ठे से धुआँ निकलता दिखे तो -ईंट भट्ठों से निकलने वाले धुएँ के कारण बढ़ता है प्रदूषण !
अरबदेशों में आँधी आ जाए तो - अरबदेशों में आने वाली आँधी से फैलता है दिल्ली में वायु प्रदूषण !
ऐसे ही - भलस्वा लैंडफिल साइट से उठा धुआँ फैलाता है सबसे ज्यादा प्रदूषण !
यदि कोई कारण न मिलें तो - दिल्ली की भौगोलिक स्थिति वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार !
बाद में मना कर दिया जाता है -
पराली जलाने का समय बीत जाए तो प्रदूषण का कारण पराली जलाना नहीं , दशहरा बीत जाए तो प्रदूषण का कारण दशहरा नहीं,दीपावली बीत जाए तो प्रदूषण का कारण दीपावली नहीं ,सर्दी बीत जाए तो प्रदूषण का कारण सर्दी नहीं ,गर्मी बीत जाए तो प्रदूषण का कारण गर्मी नहीं !ये मौसम विज्ञान है या ढुलमुल विज्ञान !
अब बार फिर बोला गया है - अब से दिए जा सकेंगे तीन दिन पहले प्रदूषण के पूर्वानुमान!
यदि ऐसा है तो अभी तक मूर्ख क्यों बनाया जा रहा था ?पहले ही सीधे कह देना चाहिए था कि मौसम पूर्वानुमान लगाना हमारे वश का नहीं है !
वायुप्रदूषण का न कारण पता न पूर्वानुमान फिर भी वायुप्रदूषण वालों के विरुद्ध कार्यवाही ! क्यों ?
प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए एनजीटी प्रदेश सरकारों पर दबाव
बनाती है प्रदेश सरकारें प्रदूषण रोकने के नाम पर जनता को तंग किया करती
हैं कहीं निर्माण कार्य रोकती हैं तो किसी के वाहन का चालान करती हैं किसी
की फैक्ट्री में सील लगाती हैं !पराली जलाने के नाम पर किसी किसान का चालान
करती हैं आदि आदि `!
कारण ही नहीं पता हैं तो किसी के विरुद्ध कार्यवाही क्यों ?
इस प्रकार से अकारण जनता की रोजी रोटी में रोड़े
अटकाने से पहले वायु
प्रदूषण बढ़ने के वास्तविक कारणों की खोज क्यों न की जाए एवं वायु प्रदूषण बढ़ने के
सही पूर्वानुमान पता लगाए जाएँ !उसके बाद जनता से सहयोग करने की अपील की जाए
तब तो ठीक है अन्यथा जनता के खून पसीने की कमाई को सरकार क्यों बर्बाद करती है मौसम विभाग के संचालन पर !सैलरी एवं उनकी सुख सुविधाओं पर जो देश और समाज की सेवाकार्यों में अपनी कोई भूमिका ही नहीं सिद्ध कर पा रहे हैं !
उनकी ओर से अब कहा जा रहा है कि अब नई तकनीक से वे बता सकेंगे वायु प्रदूषण का तीन दिन पहले पूर्वानुमान !किंतु ये तो वो कह रहे हैं होगा क्या वो तो समय ही बताएगा !वस्तुतः आधुनिक विज्ञान के पास ऐसी कोई तकनीक ही नहीं है जिससे वायुप्रदूषण का पूर्वानुमान लगाया जा सकता हो !
"वायु प्रदूषण बढ़ने के कारणों की अभी तक खोज नहीं की जा सकी है कि ये प्राकृतिक है या मनुष्यकृत ?"
'जलवायुपरिवर्तन' का सच !
मौसम
वैज्ञानिकों के द्वारा मौसम पूर्वानुमान के नाम पर लगाए जाने वाले तीर
तुक्के सच हो जाएँ तो मौसमपूर्वानुमान और गलत निकल जाएँ तो जलवायुपरिवर्तन, ग्लोबलवार्मिंग, पश्चिमीविक्षोभ आदि सब कुछ बता कर सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया जाता है! जलवायुपरिवर्तन, ग्लोबलवार्मिंग, पश्चिमीविक्षोभ आदि का वैदिकमौसमविज्ञान के क्षेत्र में कोई आस्तित्व ही नहीं है !
3 अगस्त 2018 को अगस्त सितंबर में सामान्य वर्षा होने की भविष्यवाणी की गई 7 अगस्त से भीषण वर्षा होना शुरू हुई केरल में भारी जनधन की हानि हुई !मौसम विभाग वालों का झूठ पकड़ा गया तो कहते हैं जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसा हो गया था !
जून 2013 में केदारनाथ जी में घटी भयंकर प्राकृतिकदुर्घटना को भी रिसर्च का विषय बताकर टाल दिया गया था !
सन 2016 में आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक घटी थीं बिहार सरकार ने दिन
में हवन न करने एवं चूल्हा गर्मी बहुत अधिक हुई थी, ट्रेनों से पानी की
सप्लाई की गई थी इसका कारण खोजने के लिए रिसर्च की बात कहकर टाल दिया गया
था !
सन 2018 मई जून में आँधी तूफ़ान अधिक आने का कारण खोजने के लिए रिसर्च करने की बात कहकर टाल दिया गया था !
8 मई 2018 को भीषण तूफ़ान आने की बात कहकर स्कूल कालेजों को बंद करवा
दिया गया था फिर हवा का एक झोंका भी नहीं आया !
मौसम विभाग के द्वारा लगाए गए पिछले 13 वर्षों
के दीर्घकालिक के पूर्वानुमानों में से 8 वर्षों के गलत निकल गए !
ऐसे समय अपनी साख बचाने के लिए मौसम विभाग को जलवायुपरिवर्तन, ग्लोबलवार्मिंग, पश्चिमीविक्षोभ जैसे मनगढंत शब्दों की आड़ खोजनी पड़ती है !इसके अलावा ऐसे छद्म शब्दों का कोई आस्तित्व ही नहीं है !
सन 2015 के जून जुलाई में प्रधानमंत्री की 2
रैलियाँ मौसम के कारण
कैंसिल हुई थीं !जो सरकार के लिए उपयोगी नहीं हो सका वो किसानों को कितना
लाभ पहुँचा पाता होगा ?किसानों की आत्महत्या का कारण भारतीय मौसम विभाग की
गलत भविष्यवाणियों के कारण होने वाला नुक्सान ही तो नहीं है !
भविष्यवाणियों का ढंग - वर्षा आँधी
तूफ़ान भूकंप या वायु प्रदूषण आदि जो भी घटनाएँ घटित होने लगती हैं उन्हीं
में 24 ,48 या 72 घंटे जोड़ जोड़ कर वैसी ही भविष्यवाणियाँ की जाने लगती हैं
!मौसमविभाग की
इस ट्रिक से जन धन की हानि अधिक मात्रा में हो जाती है !2 दिन बीतते ही मौसम विभाग वाले कह देते हैं कि अभी 3
दिन और ऐसा ही रहेगा फिर 2 दिन फिर 3 दिन ऐसे करके एक दो सप्ताह निकाल लेते
हैं कुल मिलाकर
जब जैसा होने लगता है वे भी तब वैसा ही संग संग बताते चलते हैं !
विशेष -आकाश में बादलों को देखकर उनकी गति और दिशा के हिसाब से वर्षा की भविष्यवाणी कर देना !ऐसे ही आँधी उठी देखकर उसकी गति और दिशा के हिसाब से
आँधी तूफान की भविष्यवाणी कर देना !आसमान धुँधला
देखकर वायु प्रदूषण की भविष्यवाणी करना ! भूकंप आने के बाद गड्ढे खोदने
लगना आदि मौसम विभाग के ऐसे रिसर्चों से लोग ऊभ चुके हैं !ऐसे रिसर्चों के नाम पर समय पास करने के अलावा और कुछ नहीं है !अब कहा जा रहा है कि कोई ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे 12 घंटे पहले आँधी तूफानों का पूर्वानुमान लगा लिया जाएगा !इसका मतलब अभी तक 12 घंटे पहले पूर्वानुमान लगाने की भी क्षमता नहीं थी !झूठे ही भविष्यवाणियों के नाम पर समाज को भ्रमित किया जाता रहा है !
- हमारा विनम्र निवेदन-
ऐसी परिस्थिति में भूकंपवैज्ञानिक कहे जाने वाले लोगों को ही जब भूकंपों के विषय में कुछ
भी न पता हो हताश होकर धरती के अंदर प्लेटों गैसों की निराधार परिकल्पना
करने को मजबूर हों ?वर्षा वैज्ञानिक कहे जाने वाले लोग जलवायु परिवर्तन की
आड़ में डर डर कर भविष्यवाणियाँ कर रहे हों !आँधी तूफ़ान के विषय में जिनका कोई
अनुसंधान ही न हो !वायु प्रदूषण के विषय में जिन्हें ये भी न पता हो कि
प्रदूषण बढ़ता क्यों है ?ऐसे आधुनिकवैज्ञानिकों से निराश होकर मैंने इन्हीं विषयों से संबंधित अपने वेदविज्ञान के अनुसंधान को आगे बढ़ाने का निर्णय किया है !
वेदविज्ञान का मूल आधार होता है 'समय' !इसी समय के माध्यम से वेद विज्ञान प्रकृति और जीवन से संबंधित सभी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए प्रेरित करता है ! विभिन्न देशों
और शहरों में प्रायः किसी समय विशेष पर ही क्यों बढ़ता है वायुप्रदूषण ?
एक समय में ही कई जगहों पर क्यों होती है बर्षा और बाढ़ ?एक समय क्यों घटित होती हैं आँधीतूफान की अनेकों घटनाएँ ?
क्यों होती है अधिक स्थानों पर बर्फबारी ?क्यों घटित होते देखे जाते हैं अधिक स्थानों पर भूकंप ? जीवन और
प्राकृतिक घटनाओं का समय के साथ आखिर संबंध क्या है ?मेरी जानकारी में 'समय' पर कोई रिसर्च हुआ ही नहीं है ?
मैं पिछले लगभग तीन दशकों से समय के माध्यम से ही प्रकृति और जीवन पर वेद विज्ञान की गणितीय प्रक्रिया से अनुसंधान करता आ रहा हूँ! जिसके आधार पर मैंने प्रकृति और जीवन के स्वभाव को अत्यंत गंभीरता से समझा है उनके उतार-चढ़ावों समय समय पर होने वाले बदलावों पर अत्यंत सूक्ष्म अनुसंधान किया है जिसमें मैंने पाया कि जीवन और प्रकृति से सम्बंधित अधिकाँश घटनाएँ समय के साथ संबंधित होती हैं जब जैसा जैसा समय आता चला जाएगा तब तैसी तैसी घटनाएँ घटित होती चली जाती हैं! समय कभी एक जैसा रहता नहीं है !इसलिए घटनाएँ भी एक जैसी नहीं घटित होती हैं कभी आंधी तूफान तो कभी शांति कभी अति वर्षा बाढ़ तो कभी सूखा अकाल कभी प्रदूषण तो कभी स्वच्छ वायु इसी प्रकार से किसी वर्ष गर्मी सर्दी वर्षात आदि कम होती है तो किसी वर्ष ज्यादा !जीवन के विषय में कभी स्वस्थ तो कभी अस्वस्थ ,कभी सुख तो कभी दुःख कभी सफलता तो कभी असफलता ये सब कुछ समय के आधीन होने के कारण कभी भी एक समान नहीं हो सकता है जबकि एक समान न होने से आधुनिक बिचारधारा वाले वैज्ञानिक लोग इसे दोष मानते हुए इसमें जलवायु परिवर्तन जैसी निराधार कहानियाँ गढ़ लिया करते हैं जबकि ये तो समय का स्वभाव है ऐसा तो होता ही रहेगा !आधुनिकविज्ञान का जब जन्म भी नहीं हुआ था उसके पहले से ऐसा होता चला आ रहा है !
समय का सीधा संबंध गणित से है -
समय स्वतंत्र है सुनिश्चित है उसे समझने के लिए अपने ऋषियों ने केवल एक
माध्यम खोजा है और वो है गणित !उसी गणित के आधार पर समय को समझा जा सकता है
और समय के आधार पर प्रकृति तथा जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का
पूर्वानुमान लगाया जा सकता है ! इसी गणित के माध्यम से अपने पूर्वज सूर्य
चंद्र जैसे विशाल पिंडों के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया करते थे कि वे
कब कहाँ जाएँगे इसी के आधार पर तो हजारों वर्ष बाद में घटित होने वाले
सूर्य चंद्र ग्रहणों का पूर्वानुमान हजारों वर्ष पहले लगा लिया करते थे जो
एक एक सेकेंड सही निकलता था !ऐसी परिस्थिति में वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान
वायु प्रदूषण या भूकम्पों के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो क्या
आश्चर्य !यही सोच कर मैंने उसी गणित के माध्यम से प्रकृति और जीवन का
अनुसन्धान करने का प्रयास किया !उसमें मैंने पाया कि 70 से 80 प्रतिशत ये
पूर्वानुमान सही घटित हो रहे हैं दूसरी बात ये पूर्वानुमान बहुत पहले भी
किए जा सकते हैं !
इससे प्राकृतिक घटनाओं के साथ साथ जीवन संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है किसी के स्वास्थ्य अस्वास्थ्य का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है मानसिक तनाव ,प्रसन्नता ,सफलता - असफलता ,किन्ही दो लोगों के या पति पत्नी के आपसी संबंधों के उतार चढ़ावों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है किसी के जीवन में घटित होने वाली तलाक जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है!अच्छी चिकित्सा प्राप्त करके भी यदि कोई रोगी स्वस्थ नहीं होता है और कमजोर चिकित्सा या बिना चिकित्सा के भी यदि कोई रोगी स्वस्थ हो जाता है ये उस पर समय के प्रभाव का उदाहरण है !
इस प्रकार से प्रकृति से जीवन तक साहित्य से समाज तक संगठनों से सरकारों तक तमाम विषयों पर मैंने अनुसन्धान किया जा जिससे पूर्वानुमान बहुत अधिक सटीक हुए !मुझे लगा कि इसके द्वारा न केवल प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है अपितु जीवन और समाज से संबंधित अधिकाँश घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है समाज से अपराध की घटनाएँ घटाई जा सकती हैं !सीमा पर लड़ रहे सैनिकों के बहुमूल्य जीवन को और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है !तनाव के गर्त में डूबे बढे बड़े पढ़े लिखे अधिकारियों कर्मचारियों व्यापारियों विद्यार्थियों के तनाव को घटाने में बड़ी मदद की जा सकती है ! पति पत्नी के तनावों को टालकर उनके बिगड़ते संबंधों को बचाया जा सकता है !
इस प्रकार से प्रकृति जीवन संबंधों और समाज को समझने में बड़ी क्रांति लाई जा सकती है !
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
संस्थापक :राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान
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Web- http://www.drsnvajpayee.com
9811226973/9811226983
https://navbharattimes.indiatimes.com/india/many-protesters-on-the-street-wearing-yellow-jacket-in-paris/articleshow/67007137.cms
http://ashokanews.com/hi-in/blog/2018/12/18/fire-in-factory-china-11-deaths/
http://www.univarta.com/earthquake-shocks-in-france/world/news/1429252.html