Friday, 24 October 2014

दीपावली के विषय में कई टी.वी. चैनलों ने जनता को दी गलत जानकारी !

धर्म ,ज्योतिष  एवं शास्त्रीय विषयों में भारतीय मीडिया न जाने क्यों दिनोंदिन भोंदू बनता जा रहा है !

    मीडिया को खुद ही नहीं पता है कि दीवाली का पर्व मनाया क्यों जाता है ! मीडिया से जुड़े टी.वी. चैनलीय लोग जनता को दिन भर मूर्ख बनाते रहे कि दीपावली श्री राम के बन से वापस आने की खुशी के उपलक्ष्य में मनाई जाती है जबकि सच्चाई ये है कि राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान के रूप में वर्ष में एक दिन के लिए इस पृथ्वी पर अपने राज्य का महोत्सव मनाने का बचन लिया था जिसमें उसकी इच्छा थी कि इस समस्त पृथ्वी को प्रकाश से नहला दिया जाए ! इसीलिए दीपावली त्यौहार को प्रकाश पर्व के रूप में मनाते हैं एवं  इसे "कौमुदी महोत्सव" भी कहते हैं ! इस विषय में अधिक जानकारी के पढ़ें हमारा यह लेख लिंक -   

दीपावली का त्योहार मनाते आखिर क्यों हैं और कब से चली आ रही है दिवाली मनाने की परंपरा ! see  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/10/blog-post.html  

   बंधुओं ! धर्म एवं धर्मशास्त्रों ,ज्योतिष तथा वास्तु आदि विषयों में टीवी चैनलों से परोसी जा रही सामग्री विश्वसनीय नहीं होती है !आप स्वयं देखिए -

       मीडिया के टी.वी. चैनलों  के विषय में लगता है कि उन्हें पढ़े लिखे ज्योतिषी या धर्मवेत्ता शास्त्रीय विद्वान मिलते  ही नहीं हैं और यदि मिले  भी तो बहुत थोड़े समय के लिए मिलते हैं , अन्यथा धर्म ज्योतिष वास्तु एवं उनके उपायों के विषय में निराधार बातें बकने के लिए तरह तरह  के मुखौटे लगाए लोगों को न जाने कहाँ से पकड़ लाता है मीडिया और धर्म एवं धर्म शास्त्रों के नाम पर या ज्योतिष,वास्तु  एवं उनके उपायों के नाम पर उन शास्त्रीय निरक्षरों  की कल्पित बकवास परोसा करता है मीडिया !शास्त्रों के नाम पर उनके द्वारा जो भी बातें बताई जाती हैं उपाय करवाए जाते हैं उनका प्रायः शास्त्रों या आर्ष ग्रंथों से कोई सम्बन्ध ही नहीं होता है वो सब लगभग कोरा  झूठ होता है । 

   आप स्वयं सोचिए कि राशिफल नामक झूठ बोलने के लिए विभिन्न टीवी चैनलों ने  विभिन्न प्रकार के लोग  बैठा रखे होते हैं ये लोग एक ही राशि वालों के लिए एक ही दिन के विषय में अलग अलग या कई बार परस्पर विरोधी राशिफल नामक झूठ बोल रहे होते हैं आखिर क्यों ? ऐसा करवाने में मीडिया की मजबूरी आखिर क्या है!

       आप स्वयं ही सोचिए कि जब एक दिन में कोई ग्रह नहीं बदलता है  तो  ऐसा कैसे संभव है !कोई ग्रह महीने में बदलता है, कोई वर्ष में कोई वर्षों में राशि बदलता है एक मात्र चन्द्रमा ऐसा ग्रह है जो सबसे कम अर्थात सवा दो दिनों में राशि बदलता है फिर इन झुट्ठों का राशि फल रोज आखिर कैसे बदलता है और उसका शास्त्रीय आधार आखिर क्या होता  है !इसी प्रकार से टीवीचैनलों पर चलने वाले ज्योतिष,वास्तु एवं धर्म सम्बन्धी लगभग हर कार्यक्रम को कल्पित ही  समझना चाहिए जिनके विषय में शास्त्रीय प्रमाण नहीं दिए जाते हैं ।

   टीवीचैनलों पर ऐसे कार्यक्रम दिखाने के शौकीन लोगों को क्या यह पता होना चाहिए कि सरकार के द्वारा चलाए जाने वाले संस्कृत विश्वविद्यालयों में ज्योतिष वास्तु एवं अन्य धार्मिक विषय सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाए जाते हैं इन्हीं विषयों में एम.ए.पीएच. डी. आदि भी करवाया जाता है ऐसे संस्कृत विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों या विद्यालयों में पढ़ाने वाले लोग उन उन विषयों के अधिकृत विद्वान होते हैं!धर्म के नाम पर बड़ी बड़ी बहसें करवाने वाला मीडिया उन विद्वानों तक पहुँचने की आवश्यकता ही नहीं समझता है जो किसी विषय के शास्त्रीय पक्ष को रख  सकने में सक्षम हों !इसका कारण  है कि उनका चेहरा टीवी पर दिखाने के लिए मीडिया को जो धन चाहिए वो विद्वान लोग ईमानदारी पूर्वक कमाकर मीडिया को कैसे दे सकते हैं !इसलिए मीडिया उनकी उपेक्षा हमेंशा  करता रहता  है कभी कोई बात बहुत आगे बढ़ जाए और उन बातों को समेटना इनके बूते का न रह जाए तब मीडिया भागता है शास्त्रीय विद्वानों एवं शास्त्रीय साधू संतों के पास ! बाकी तो उन्हीं अपने रोज वाले कल्पित लोगों को माला वाला पहनाकर,चंदन वंदन लगवाकर बैठा लेता है मीडिया ,यह जानते हुए भी कि इन लोगों ने संस्कृत विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों या विद्यालयों  से सम्बंधित विषयों में कभी कोई शिक्षा नहीं ली है !आखिर धार्मिक एवं शास्त्रीय विषयों की छीछालेदर करवाने में मीडिया की ऐसी मजबूरी क्या है ?

   इन मीडिया वालों को ऐसा कोई साधू संत क्यों नहीं मिलता है जिसके माध्यम से ये मीडियायी लोग धर्म एवं शास्त्रों की सही सही जानकारी जनता को परोस पाते जो इनका नैतिक कर्तव्य भी है किन्तु दुनियाँ को नैतिकता का पाठ पढ़ाने की कसम खाने वाला मीडिया , किसी को भी कभी भी कटघरे में खड़ा कर देने वाले मीडिया के मल्ल वीर धर्म एवं शास्त्रों के बारे में हमेंशा भ्रामक जानकारी न जाने क्यों देते रहते हैं !

 

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