भूमिका
'भाग्य' से अधिक और 'समय' से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है !
'भाग्य' और 'समय' के खेल का अनुभव बहुत लोगों ने किया है !जीवन में जो लोग भाग्य के अनुसार काम करना सीख लेते हैं वे कभी असफल नहीं होते हैं !इसी प्रकार से जो लोग अपने अच्छे 'समय' का पूर्वानुमान लगाकर अच्छे समय पर काम करने लगते हैं वे कभी असफल नहीं होते हैं!भाग्य और समय के बाद कर्म की भूमिका प्रारंभ होती है !जो लोग भाग्य और समय को महत्त्व न देकर जीवन में केवल कर्म को महत्त्व देते हैं इसके बाद भी सफल होते चले जाते हैं ऐसे लोगों संयोगवश बिना किसी सलाह के भी काम ही वही करने को सोचते हैं जो उनके भाग्य के अनुशार ठीक बैठ रहा होता है भले ही वो भाग्य की परवाह नहीं करते इसीप्रकार से ऐसे लोग जो कार्य जिस समय प्रारंभ करते हैं वो समय उनके उस कार्य के लिए बहुत अच्छा चल रहा होता है !भले ही वो समय की परवाह बिना किए ही ऐसा करते हैं फिर भी संयोगवश ऐसा होता है इसका कारण उनपर ईश्वर की कृपा ,पूर्वजों गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद ,इसके अतिरिक्त अपने द्वारा किए गए अच्छे कर्मों का पुण्यफल होता है जिससे उनका चिंतन अपने अच्छे भाग्य एवं अच्छे समय को स्वाभाविक रूप से पहचानने लगता है !जिस प्रकार से बिना जाने भी आँख बंद करके यदि कोई व्यक्ति रसगुल्ला ले तो भी उसे रसगुल्ले का स्वाद तो लगेगा ही इसी प्रकार से भाग्य और समय को न माने वाले सफल लोगों को भी भाग्य और समय का लाभ ऐसे ही होता रहता है !
भाग्य -
इसका अनुभव विशेषकर उस वर्ग को बहुत अधिक होता है जिसने अपने जीवन में कभी कोई लापरवाही नहीं की नशा पत्ती आदि कोई दुर्गुण नहीं पाला भयंकर परिश्रम करके उच्च शिक्षा प्राप्त की इसके बाद रोजी रोजगार आदि के लिए ईमानदारी लगन और परिश्रमपूर्वक बहुत भागदौड़ करते हैं सभी प्रकार से प्रयास करने के बाद भी जब असफल होते चले गए ऐसे लोग अपनी असफलता का कारण केवल भाग्य को मानने लगते हैं !ऐसी परिस्थिति में किसी की असफलता का कारण यदि भाग्य हो सकता है तो उसकी सफलता का कारण भी भाग्य भी होता है ऐसा मानना पड़ेगा !
भाग्य संबंधी पूर्वानुमान न पता होने से अक्सर देखा जाता है कि लोग कर्जा लेकर व्यापार करने लगते हैं जिस प्रकार का मन हुआ उस प्रकार का व्यापार करने लग जाते हैं ऐसी परिस्थिति में जो व्यापार किया वो यदि उनके भाग्य के हिसाब से उनके लिए ठीक हो तब तो उसमें लाभ होता है अन्यथा उन्हें नुक्सान होने लगता है !इस प्रकार से ऐसे लोग कई कई व्यापार पकड़ते छोड़ते रहते हैं जिसमें काफी कर्जा कर लेते हैं किंतु व्यापार भाग्य के अनुरूप न होने के कारण उनका लगातार नुकसान होता चला जाता है !इसी बीच यदि ऐसे लोगों को कोई ऐसा व्यापार मिल गया तब तो उसे करके वो सफल हो गए अन्यथा सारा जीवन ही असफलता में निकल जाता है !
भाग्य को नकारते हुए कुछ लोगों ने बार बार व्यापार बदले तमाम कर्जा कर लिया किंतु सफल नहीं हुए तब उन्हें पूर्वजों की कही हुई बातों पर भरोसा होता है कि भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता है वस्तुतः भाग्य भी तो अपने ही पुराने कर्म होते हैं !जिनका पूर्वजन्मार्जित कर्मों के आधार पर भाग्य सही बना रहता है इसलिए उन्हें उतना संघर्ष नहीं करना पड़ता है और वे आसानी से सफल होते जाते हैं ऐसे लोग जब जो कर्म करते हैं उसका फल उन्हें अच्छा मिल जाता है इसलिए उन्हें लगने लगता है कि जीवन में भाग्य की कोई भूमिका है ही नहीं !ऐसे लोग जीवन में असफल रह गए लोगों को कर्म का दोषी समझने लगते हैं !जो सफल नहीं हुए उन्हें लगने लगता है कि उन्होंने कर्म नहीं किया या वे संघर्ष से डर गए या उनसे प्रयास में कहीं कोई कमी रह गई इसलिए वे सफल नहीं हो पाए !
भाग्यबल से जीवन में लगातार सफल होते रहने वाले लोग अपनी सफलता का श्रेय अक्सर अपनी कार्य कुशलता योग्यता आदि को देने लगते हैं !उन्हें ये नहीं पता होता है कर्म की भूमिका हमेंशा भाग्य के पीछे पीछे चलती है जो भाग्य में बदा होता है कर्म करने से केवल उतना ही मिलता है !भाग्य में जो नहीं बदा होता है वो कर्म करने से भी नहीं मिलता है !भाग्य का बीजारोपण अच्छे कर्मों से होता है जो व्यक्ति आज अच्छे कर्म कर लेता है वो भविष्य के लिए अपने भाग्य का निर्माण कर लेता है जिससे उसे भविष्य में सुख मिलेगा !
ऐसे लोगों को यदि उनके भाग्य के विषय का पूर्वानुमान पहले से पता हो तो वो उसी प्रकार के काम से शुरुआत करेंगे जिससे उन्हें सफलता मिलने की संभावना हो वो व्यर्थ में क्यों भटकेंगे !उससे न असफल होंगे और न ही कर्जा होगा !
समय-
'समय' से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता है !अक्सर देखा जाता है कि लोग जीवन भर परिश्रम पूर्वक संघर्ष करते रहते हैं किंतु सफल नहीं होते हैं !कई बार आधी से अधिक उम्र ऐसे ही परिश्रम करते करते व्यतीत कर देते हैं लगातार असफल होते रहने के कारण निराश हताश होकर चुप बैठ जाते हैं !कुछ वर्ष ऐसे व्यतीत कर लेते हैं उसके बाद समय की प्रेरणा से वो दोबारा प्रयास करना प्रारंभ करते हैं और सफल होते चले जाते हैं !क्योंकि तब उनकी सफलता का समय आ चुका होता है !
वस्तुतः 'समय' एक चक्र(पहिया)की तरह घूमता है इसकी अलग अलग शिराएँ होती हैं जिस समय में जिसने जिस जिस प्रकार के जितने अच्छे कर्म किए होते हैं उन अच्छे कर्मों से उतना उसका भाग्य निर्मित हो जाता है वही समय जब दोबारा घूम कर आता है तब उसे उसी प्रकार के कर्मों से सफलता एवं सुख शांति मिलने लगती है !यह चक्र घूम कर कई बार कई बार इसी जन्म में आ जाता है तो इसी जन्म में उसका फल मिल जाता है और कई बार अगले जन्म में मिल पाता है !इसका मतलब ये कतई नहीं है कि वो जब जैसे चाहे वैसे गति करे अपितु वह अपने सुदृढ़ सिद्धांतों और नियमों में बँधा होता है इसीलिए वह समय चक्र घूम कर कब आएगा इसका पूर्वानुमान समय गणित के द्वारा लगा लिया जाता है !
इस बात को कभी नहीं भूलना चहिए कि जीवन में समय की बहुत बड़ी भूमिका होती है !किसी वृक्ष में कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु उन वृक्षों में फूल और फल तभी लगते हैं जब उनकी अपनी ऋतु अर्थात उनके अपने फूलने फलने का अपना समय आता है !कर्म की ताकत से उन्हें कभी भी फूलने फलने के लिए विवश नहीं किया जा सकता !
इसी प्रकार से फसल काटते समय खेतों में अनेकों प्रकार के बीज बिखर जाते हैं इसलिए खेतों में ही पड़े रहते हैं खेतों की जुताई खोदाई होती है पूरी बरसात की ऋतु में भीगा करते हैं किंतु बरसात बीतने के बाद उनके अंकुर तभी फूटते हैं जब उनका समय आता है !
इसीलिए किसी चिंतक ने लिखा है-
दो.धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय !
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
इसका अर्थ है मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा !
भाग्य और समय के विपरीत होने से हो सकता है नुकसान -
कई बार कुछ लोगों के भाग्योदय का समय उनकी आधी उम्र बीत जाने के बाद आता है किंतु वे इतने लंबे समय तक प्रतीक्षा नहीं कर पाते हैं!इसलिए व्यापार आदि करके ऐसे समय में नुक्सान उठाते हैं बहुत कर्जा कर लेते हैं निरंतर असफल होने के कारण तनावग्रस्त रहने लगते हैं कई बार नशे आदि के आदी होकर कुसंगति में पड़ जाते हैं !कुछ लोग अधिक शीघ्र धनवान बन जाने के लोभ में आपराधिक गतिविधियों में प्रवृत्त जाते हैं !जिससे बहुत सारा धन इकट्ठा करने लग जाते हैं!कुछ समय बाद उनके पास बहुत सारा धन इकट्ठा हो जाता है !जिससे देखने वाले लोगों को लगने लगता है कि ईश्वर भी गलत लोगों की ही मदद करता है!जबकि ये सच नहीं होता है अपितु सच ये है कि जब उनका भाग्य और समय सही सही साथ दे रहा होता है तभी उन्हें लाभ होना संभव हो पाया !
वस्तुतः ऐसा तब होता है जब इस प्रकार के निराश हताश लोग जैसे ही कुसंगति में भटकने लगते हैं !इसी बीच उनके भाग्योदय का समय प्रारंभ हो चुका होता है इसलिए वे सफल होने लगते हैं !जिनके भाग्योदय का समय प्रारंभ नहीं हुआ होता है उनमें से भी कुछ लोग परिश्रम पूर्वक भाग्य को झुठला देना चाहते हैं !जिससे उन्हें मिलता कुछ नहीं है और जो उन्हें मिला हुआ लगता भी है वह भी भाग्य से अधिक होने के कारण उनके काम नहीं आ पाता है !किंतु इसी बहाने ऐसे महत्वाकाँक्षियों का व्यस्त रहकर समय व्यतीत हो जाता है !
इसी प्रकार से जो भाग्यप्रदत्त सुख साधनों में संतोष नहीं कर पाते हैं और अधिक प्राप्त करने की चाहत में प्रयास भी नहीं कर पाते हैं ऐसे लोग घुट घुट कर अपना मन तन आदि सब कुछ खराब कर लिया करते हैं इसी परिस्थिति में कुछ लोग नशे के आदि हो जाते हैं ! इसी में एक असंतुष्ट वर्ग ऐसा भी होता है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपराध जगत की ओर मुड़ जाता है और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सभी प्रकार के अपराध करने लगता है उस अपराध से कितनी भी अकूत संपदा क्यों न इकट्ठी कर ले किंतु वह उस अपराधी के अपने और उसके परिवार के काम कभी नहीं आती है बल्कि वो उस अपराधी का अपना धन लेकर भी नष्ट होती है उसका परिवार दाने दाने के लिए मोहताज हो जाता है क्योंकि वे उस थोड़े से समय में इतने अधिक सुख भोग चुके होते हैं जितने सुख साधनों से उसे सारे जीवन काम चलाना था !
अपराध या अन्याय के द्वारा अर्जित धन किसी के पास टिकता नहीं हैं अनेकों प्रकार की समस्याएँ पैदा करके स्वयं भी नष्ट हो जाया करता है !अपराध के द्वारा अर्जित किया हुआ धन तेज़ाब से अधिक ज्वलनशील होता है वो जिसके पास होता है उसे ही जलाता अर्थात नष्ट करता है !उसका स्वास्थ्य खराब करता है उसे शारीरिक और मानसिक यातनाएँ प्रदान करता है उनके परिवारों को नष्ट करता है उनके बच्चों को बर्बाद करता है !कुल मिलाकर ऐसा अपराध से संगृहीत धन इतना अधिक ज्वलनशील होता है कि वो जिसमें लगता है वो जिसके जीवन के जिस क्षेत्र में लगाया जाता है जीवन का वही अंग सुलगने लगता है !
रोग -जिसके भाग्य में जिन खाने पीने वाली वस्तुओं को खाने के जो सुख जितने बदे होते हैं या शारीरिक मानसिक आदि सुख सुविधाओं से संबंधित सुखभोग जितने बदे होते हैं यदि वो उतना ही खाता और उतने ही शारीरिक सुखों का भोग करता है और अपनी भाग्यनिर्धारित सीमा का उल्लंघन नहीं करता है!तब तो वह रोगी होने से बच जाता है !संभवतः इसीलिए पुराने लोग अपने भाग्यप्रदत्त भोजन और भोग की सीमा का कभी उल्लंघन नहीं करते थे ! अपनी भाग्यसीमा में रहकर भोजन करते एवं सुख साधनों का भोग करते थे इसीलिए वे न केवल स्वस्थ रहते थे अपितु तनाव रहित एवं दीर्घायु हुआ करते थे !
ऐसे लोग भयवश ध्यान रखा करते थे कि उनका भोजन संबंधी कोटा बीच में ही पूरा न हो जाए जिससे खाने पीने में अच्छी लगाने वाली कुछ महत्वपूर्व स्वादिष्ट खाद्यसामग्रियों को खाना बंद करना पड़े !इसीलिए वे तरह तरह के व्रतों उपवासों आदि से अपने भोजन पर नियंत्रण एवं मन पर अंकुश लगाकर भाग्यप्रदत्त सुख सुविधा की सीमाओं को कभी लाँघते नहीं थे!ब्रह्मचर्य आदि पालन करके अपने बासनात्मक सुखों की दृष्टि से भी अपने को संयमित रखा करते थे ! इस संदर्भ में भी वे अपनी भाग्य प्रदत्त सीमा का कभी उल्लंघन नहीं करते थे !चूँकि उस युग में पति पत्नी संबंधी सुखों की सीमाओं का अतिक्रमण नहीं होने पाता था इसीलिए वे पति पत्नी आजीवन एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रह लिया करते थे !इसीलिए उस युग में तलाक जैसी घटनाएँ होते नहीं देखी जाती थीं!पति-पत्नी का संबंध आजीवन मधुर बना रहता था !
आवश्यकता आविष्कार की जननी है चूँकि जिस विषय की जब आवश्यकता ही न पड़ी हो उसका आविष्कार हो पाना कैसे संभव था !प्राचीनकाल में चिकित्सकीय सुविधाएँ उतनी अधिक न होने का एक कारण यह भी है कि लोग उस समय इतने अधिक रोगी भी नहीं हुआ करते थे !चिकित्सकीय सुविधाएँ बहुत अच्छी भले ही न रही हों किंतु लोग संयम का सहारा लेकर अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के प्रयासों में लगे रहते थे !
जो व्यक्ति भाग्य प्रदत्त सुखों से अधिक भोग करता है या अधिक व्यंजनों का भोजन करता है तो उसे उन विषय भोगों से संबंधित या उन खाद्यपदार्थों से संबंधित रोग होने लगते हैं !रहस्य की बात ये है कि भाग्य संबंधित विषय को न जानते हुए भी चिकित्सक ऐसे रोगियों को वही वस्तुएँ खाने के लिए रोकते हैं और वही सुख सुविधाएँ भोगने के लिए रोकते हैं जिनकी भाग्यप्रदत्त सीमा रोगी पूरी कर चुका होता है ऐसे रोगियों को अक्सर कहते सुना जाता है कि ये वस्तुएँ खाने में हमें बहुत अच्छी लगती हैं इसलिए बचपन से ये चीजें मैं बहुत
अधिक खाता रहा हूँ !ऐसा वो स्वीकार करते भी देखा जाता है !इसलिए वही खाद्यपदार्थ और भोग्यवस्तुएँ कोटा पूरा हो जाने के कारण उसे छोड़नी पड़ती हैं जिससे वह स्वस्थ हो जाता है ! उन्हीं के कारण रोग बढ़ रहा होता है !इसी बात को आयुर्वेद में कहा गया है कि "असाध्य भेषजैः व्याधिः पथ्यादेव निवर्तते !"अर्थात औषधियाँ भी जिन रोगों से मुक्ति न दिला पा रही हों ऐसे लोग संयम पूर्वक यदि उचितमात्रा में अनुकूल भोजन करने लगें तो बिना दवा के भी उन रोगों से मुक्ति मिलते देखी जाती है !
कुल मिलाकर रोग किसी वस्तु को खाने या भोगने से नहीं होते हैं बशर्ते वह आपके भाग्य में बदी होनी चाहिए !यदि बदी ही नहीं है तो ऐसे खाद्यपदार्थ खाने और भोगने से बचा जाना चाहिए !भाग्य की सीमा लाँघकर आप कितनी भी अच्छी शक्तिबर्द्धक पौष्टिक चीज ही क्यों न खाएँ उसका प्रभाव भी आपके शरीर पर बिषैला होने लगता है !क्योंकि आपकी भाग्यप्रदत्त पाचनशक्ति उतने ही खाद्य पदार्थों को पचा पाती है जितने आपके भाग्य में बदे होते हैं इसीलिए तो पूर्वज कहा करते थे कि "दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम"!
ऐसी बातों पर विश्वास न करके जो लोग स्वादलोभ में पड़कर दूसरों के हिस्से के दानों में से कुछ कण भी यदि खा पी लेते हैं तो उन्हें पचाने में हमारी पाचन शक्ति मदद नहीं करती है क्योंकि वो जितने के लिए बनी थी वो कोटा पूरा हो चुका होता है इसके बाद वो ऐसे खाद्यपदार्थों को पचा पाने में असमर्थ हो जाती है !क्योंकि हमारे शरीर रूपी यंत्र में लगे प्रत्येक पुर्जे की एक्सपायरी डेट भाग्य के अनुशार ही निश्चित की गई होती है !उसकी सीमा लाँघते ही वो पुर्जा निष्क्रिय होने लग जाता है !
यही बात पति और पत्नी से संबंधित एक दूसरे से प्राप्त होने वाले शारीरिक सुखों के विषय में भी समझी जानी चाहिए!कुल मिलाकर इस सृष्टि में भाग्य से अधिक न कोई व्यक्ति कुछ खा सकता है और न पचा सकता है न ही भोग सकता है !
शहरों में भी दो प्रकार के लोग रहते हैं एक साधनसंपन्न लोगों का वर्ग है तो दूसरा साधन विहीन लोगों का वर्ग है !साधनसंपन्नवर्ग के लोग अच्छी अच्छी जगहों में रहते हैं अच्छे अच्छे खाद्यपदार्थ खानपान में प्रयोग करते हैं फिल्टर्ड पानी पीते हैं टॉनिक पीते हैं फैमिली डॉक्टर लगा रखे हैं जिनसे जाँच करवाया करते हैं दवायें लिया करते हैं !डाक्टरों की सलाहों पर दिन में कई कई बार कई कई गोलियाँ सारे जीवन खाते देखे जाते हैं फिर भी वे अक्सर अस्वस्थ बने रहते हैं !उन्हें चिकित्सा आदि साधनों से स्वस्थ न कर पाने वाले असफल लोग अंत में उनके रोगी होने का कारण वायुप्रदूषण बताकर ऐसे साधनसंपन्नवर्ग से अपना पीछा छोड़ा लेते हैं! समस्या की जड़ में जाना जरूरी नहीं समझते !
जो साधन विहीन लोगों का वर्ग है उसकी ओर देखो तो लगता है कि अस्वस्थ होने के संपूर्ण कारण उनमें विद्यमान हैं किंतु इसके बाद भी वे स्वस्थ हैं उनके शरीर सुदृढ़ हैं वे परिश्रम करते थकते नहीं हैं घनघोर मच्छरों के बीच उनका सोना जागना होता है फिर भी अपेक्षा कृत वे स्वस्थ रहते हैं ! केवल वायु प्रदूषण ही यदि रोगों के बढ़ने का कारण होता तो रोगी वो लोग होते जो मलिन बस्तियों में रहकर कूड़ाकबाड़ का काम करते हैं !उनके खाने पीने के सामान की कोई अच्छी क्वालिटी भी नहीं होती है!गंदगी के अंबार के बीच उनका रहन सहन होता है उसी गंदगी में बनाते खाते हैं इसके बाद भी वे न केवल स्वस्थ रह लेते हैं अपितु सुखी भी रह लेते हैं !
इसलिए यदि साधनसंपन्न लोगों के रोगी होने का कारण केवल वायुप्रदूषण माना जाए तब तो रोगी पहले उन साधन विहीन अभावों में जीवन जीने वाले गंदगीग्रस्त लोगों को होना चाहिए था साधनसंपन्न लोगों को नहीं !किंतु ऐसा न होने का कारण क्या है?
भाग्य प्रदत्त कोटा जबतक खाली रहता है तब तक लोग सारे खाद्यपदार्थ खाते पचाते रहते हैं किंतु कोटा पूरा होते ही एक कण भी पचा पाना मुश्किल हो जाता है दवाओं और कैमिकल के बल पर पेट में पहुँच चुका वह भोजन गलाकर पेट के बाहर तो निकाल दिया जाता है किंतु उससे शरीर को नुक्सान के अलावा कोई लाभ नहीं हो पाता है !
अभावों में जीवन जीने वाले साधन विहीन गंदगीग्रस्त लोगोंका जीवन है जिनका खाना पीना रहन सहन सबकुछ प्रदूषित होने के बाद भी उनका भाग्य प्रदत्त कोटा पूरा समाप्त नहीं हुआ होता है इसलिए वे सबकुछ खा पचाकर भी स्वस्थ बने रहते हैं !
कुल मिलाकर भाग्य में बदे हुए अंश से एक कण भी अधिक खाकर पचाया नहीं जा सकता है !इसीप्रकार से भाग्य से अधिक सुख साधनों या विषयसुखों को भोगा नहीं जा सकता है!
पूर्वानुमान - मनुष्य का स्वभाव होता है कि वो संसार के सभी सुख संपत्ति सुंदरता सुयोग्यता आदि समस्त अच्छाइयाँ स्वयं पा लेने के लिए प्रयास करने लगता है !जबकि मिलने की सीमा भाग्य के अनुशार निश्चित होती है और मिलता तब है जब मिलने का समय आता है !
समय और भाग्य के इस संविधान को न समझने वाले लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित और अनुचित का बिचार किए बिना वह सब कुछ करने लगते हैं जिससे उन्हें उनकी इच्छाओं के अनुशार सुख मिले !
जिसके भाग्य में जो बदा होता है उसका लाभ उसे जब मिलना होता है !क्या मिलेगा कितना मिलेगा और कब मिलेगा ये निश्चित है और मिलने का समय भी निश्चित है !
सब कुछ निश्चित होने के बाद भी चूँकि किसी को यह पता नहीं होता है कि हमारे भाग्य में क्या और कितना बदा है और उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करने का समय क्या है!उस समय वह जो प्रयास करेगा उसमें उसे सफलता मिलकर भाग्य का लाभ हो जाएगा !
इस विषय का पूर्वानुमान उसे यदि पहले से ही पता होता तो शायद इस प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता !ऐसे परिस्थिति में उसे या तो लगातार परिश्रम करके असफल होते रहने दिया जाए यदि ऐसा होते रहने से उसके जीवन में जब सफलता का समय आएगा तब या तो उसके पास से पूंजी समाप्त हो चुकी होगी जिससे वो अच्छे समय पर प्रयास करने लायक भी नहीं रह पाएगा या फिर निरंतर असफल होते होते वो इतना अधिक निराश हो चुका होगा कि कोई नया और बड़ा काम करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाएगा !
ऐसी परिस्थिति में उसे अपने जीवन से संबंधित पूर्वानुमान पता हों कि जीवन के किस क्षेत्र में उसे किस प्रकार का कितना सुख बदा है तब वो उसी क्षेत्र में उसी समय अधिक प्रयास करेगा और अधिक धन निवेश करेगा !
जितना जिसके भाग्य में बदा होता है प्रयास करने पर वो उसे उतना मिलता अवश्य है और उसका जो समय निश्चित होता है उसी समय में मिलता है!जैसे किसी वृक्ष को कितना भी खाद पानी दिया जाए किंतु वो अपनी ऋतु आने पर ही फल देता है उससे पहले नहीं !मनुष्य जीवन की भी यही स्थिति है किंतु समाज में एक वर्ग ऐसा भी है ! जो लोग समय आने से पहले और भाग्य से अधिक अपने मन मुताबिक़ सब कुछ पा लेना चाहता है! उसके लिए वो प्रयास परिश्रम आदि सब कुछ कर लेता है फिर भी मनोकामनाओं की पूर्ति न होने पर वे या तो तनावग्रस्त हो जाते हैं या फिर अनुचित तरीके अपनाते हैं जिससे वो अपना नुक्सान तो करते ही हैं साथ ही अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दूसरों को भी चोट पहुँचाते देखे जाते हैं !इससे लोगों का तनाव तो बढ़ता ही है उसके साथ साथ समाज में अपराध भी बढ़ता है!
अतएव 'तनाव' और 'अपराध' को घटाने के लिए जीवन में 'भाग्य' और 'समय' की भूमिका पर अनुसंधान किया जाना चाहिए !जिसके द्वारा इस बात का पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि किसी स्त्री पुरुष के भाग्य में बदा क्या है और जो बदा है वो उसे मिलेगा जीवन के किस वर्ष में उसके लिए उसे प्रयास कब कब किस किस प्रकार के करने होंगे जिनसे भाग्य का लाभ लेने के लिए वह अपने उस समय का अधिक से अधिक सदुपयोग कर सके जिससे जीवन सुखमय एवं समाज को तनाव रहित तथा अपराधमुक्त बनाया जा सके !
ग्रह नक्षत्रों का प्रकृति और जीवन पर ऐसे पड़ता है प्रभाव
वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का सीधा संबंध 'समय' के साथ होता है जब जिस प्रकार का समय होता है तब उस प्रकार की वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती हैं !प्रकृति में कब किस प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी इसका पूर्वानुमान भी उसी सिद्धांतगणित प्रक्रिया से लगा लिया जाता है!जिस प्रक्रिया से सुदूर आकाश में स्थित सूर्य और चंद्र में पड़ने वाले ग्रहणों का सटीक पूर्वानुमान सैकड़ों वर्ष पहले लगा लिया जाता है !इस प्रक्रिया से वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !आधुनिकविज्ञान या विश्व की किसी अन्य विधा के द्वारा ऐसा कर पाना संभव नहीं है !केवल भारत के प्राचीनविज्ञान के द्वारा ही ऐसा कर पाना संभव है !
जीवन और प्रकृति से संबंधित प्रायः सभी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए ज्योतिष से अधिक सशक्त कोई और दूसरा माध्यम नहीं है ऐसा समझ कर ही भारतवर्ष के प्राचीन ऋषियों मुनियों ने प्रकृति से लेकर जीवन तक के प्रत्येक अच्छे बुरे बदलावों को समझने के लिए ग्रहों नक्षत्रों को माध्यम बनाया है!इस विज्ञान को न समझ पाने वाले लोगों लगता है कि इतने ऊपर आकाश में जो ग्रह नक्षत्र स्थित हैं उनकी किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर कैसे पड़ सकता है !ऐसा सोच बिचार कर वे ग्रह नक्षत्रों के द्वारा पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया को ही खारिज करते हैं !उनके कहने का मतलब है कि ऐसा हो ही नहीं सकता है !अत्यंत संकीर्ण विज्ञान को पढ़कर वैज्ञानिक बने लोग उसी संकीर्ण दृष्टि से इस विराटविज्ञान को समझ लेना चाहते हैं जो संभव नहीं है !इस विराट विज्ञान को न समझ पाने के लिए कारण वे इसे झूठ बकवास अंधविश्वास आदि कुछ भी कहा करते हैं किंतु हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस विराट विज्ञान का यदि कोई आस्तित्व ही नहीं होता तो इसका अभी तक टिका रह पाना कठिन होता !इसलिए इस विराट विज्ञान की अब और अधिक समय तक उपेक्षा नहीं की जा सकती है इसकी सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा !
जो लोग ऐसे कुतर्क करते हैं कि इतने ऊँचे आकाश में स्थित ग्रहों नक्षत्रों का असर लोगों के जीवन पर कैसे पड़ सकता है ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि सूर्य भी उतनी ही ऊंचाई पर है उसका भी तो तेज प्रकाश आदि पृथ्वी तक पहुँचता ही है जिसकी प्रकृति से लेकर जीवन तक के होने में बहुत बड़ी भूमिका है!इसका प्रकाश अधिक है एवं उसमें गर्मी की मात्रा अधिक है इसलिए ये पृथ्वी पर आ सकता है ऐसा विश्वास कर लेना पड़ता है!इसी प्रकार से चंद्र शीतल है उसका भी प्रकाश एवं शीतल प्रभाव पृथ्वी तक पहुँचता दिखाई पड़ता है जिसकी प्रकृति से लेकर जीवन तक को प्रभावित करने में बड़ी भूमिका है !
इसीप्रकार से अन्य ग्रहों नक्षत्रों आदि का प्रकाश और प्रभाव भी पृथ्वी तक पहुँचता ही है उनका भी प्रकृति से लेकर जीवन तक पर संपूर्ण प्रभाव पड़ता ही है!जिसका सूक्ष्म अध्ययन करने की पद्धति केवल प्राचीन विज्ञान में हैं आधुनिक विज्ञान के लिए इसकी कल्पना कर पाना भी बहुत कठिन है !अत्यंत भ्रमित आधुनिक मौसमविज्ञान केवल तापमान के आस पास ही गोते लगा रहा है ग्लोबलवार्मिंग ,जलवायुपरिवर्तन ,अलनीनो ,लानीना जैसी कहानियाँ उसी तापमान को लेकर गढ़ी गई हैं इस प्रकार से ये केवल सूर्य के प्रभाव से मूर्छित लोग उससे आगे बढ़ ही नहीं पा रहे हैं !जबकि वास्तविकता समझने के लिए अन्य ग्रहों नक्षत्रों आदि के प्रकाश और प्रभाव आदि का भी अध्ययन किया जाना चाहिए !ऐसा करने की व्यवस्था भारतीय ग्रहनक्षत्र अध्ययन पद्धति के अलावा और कहीं नहीं मिलती है जबकि ग्रहनक्षत्र अध्ययन पद्धति में तो इसके पूर्वानुमान लगाने की भी सुदृढ़ व्यवस्था है वो भी बिना किसी मशीनी प्रयोग के केवल गणित के द्वारा ही ग्रहनक्षत्रों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !उन्हीं ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव से प्रकृति और जीवन पर घटित होने वाली अच्छी बुरी आदि सभी प्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है! तो इसमें आश्चर्य क्यों होना चाहिए !वो भी तब जबकि गणित के द्वारा आकाशीय ग्रह नक्षत्रों के विषय के अधिकतम रहस्य सुलझाने में भारतीय प्राचीन विज्ञान पद्धति न केवल सक्षम है अपितु इसे सूत्रबद्ध करने में भी सक्षम है !यह विज्ञान ग्रहण आदि की घटनाओं का अत्यंत सटीक पूर्वानुमान लगाकर अपनी सच्चाई के करोड़ों प्रमाण लाखों वर्ष पहले से ही प्रस्तुत करता चला आ रहा है तब जिस आधुनिक विज्ञान का जन्म भी नहीं हुआ था वो आज उस प्राचीन विज्ञान की प्रमाणिकता के प्रमाण पूछता है जिसके पैदा होने से पहले ही वो भारत का प्राचीन विज्ञान प्रमाणित हो चुका था !
ब्रह्मांड एक यंत्र है तथा प्रकृति का प्रत्येक पदार्थ उसका पुर्जा !
बड़ी बड़ी मशीनों को चलते देखा जाता है वो अपना काम कर रही होती हैं उसमें बहुत सारे पुर्जे लगे होते हैं जो मशीन के चलते समय भिन्न भिन्न प्रकार से गति करते हिलते डुलते घूमते उठते गिरते आदि देखे जाते हैं कई बार तो कोई दो पुर्जे परस्पर विरोधी दिशा में भी घूमते देखे जाते हैं किंतु ऐसी सभी प्रक्रियाओं के सक्रिय रहने के कारण ही मशीन चल पाती है किसी पुर्जे में थोड़ा भी बदलाव किया जाए तो उस मशीन का चलना बंद हो जाएगा !जिससे वो काम रुक जाएगा !
किसी मशीन में लगे किस पुर्जे का कहाँ क्या और कितना महत्त्व है ये या तो उस मशीन को बनाने वाला जानता है या फिर मैकेनिक समझ पाता है या फिर उसे जो चला रहा होता है थोड़ा बहुत अनुभव उसे भी चलाते चलाते हो जाता है जो सही और गलत दोनों प्रकार का हो सकता है !
ब्रह्मांडरूपी यंत्र के बनाने वाले को व्यक्तिगत रूप से कोई जानता नहीं है इसका मैकेनिक कोई है नहीं क्योंकि ये मशीन कभी बिगड़ती ही नहीं है इसे चलाने वाला भी कोई प्रत्यक्ष नहीं है सब कुछ अज्ञात है !ऐसी परिस्थिति में इसे चलता देख देखकर उन्हीं अनुभवों का संग्रह करके ये समझा जा सकता है कि इसके बाद ये होगा !सर्दी के बाद गर्मी उसके बाद वर्षा आदि ऋतुओं का क्रम है !सुबह दोपहर शाम रात्रि और फिर सबेरा ये सब दिन रात का क्रम है !ये सभी चीजें देखते देखते सबको समझ में आ गई हैं !इसी प्रकार से वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं का अनुभव भी देखते देखते अनुभव के आधार पर ही किया जा सकता है !
जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि इस प्रकृति चक्र की रचना एक यंत्र की तरह है ! संपूर्ण ब्रह्माण्ड एक यंत्र के रूप में काम कर रहा है !इसके सभी अंग एक दूसरे से एक लय में बँधे हुए हैं !इसलिए किसी एक अंग की गति देखकर दूसरे अंग की गति का अनुमान किया जा सकता है !
जिसप्रकार से किसी चलती हुई साइकिल में पायडल गेयर फ्रीव्हील और पहिया आदि सभी अलग अलग प्रकार से एक दिशा में ही घूम रहे होते हैं देखने में किसी की गति कुछ अधिक लगती है और किसी की कुछ कम किंतु उस गति के तारतम्य में उनकी सेटिंग ही उसी प्रकार से हो सकती है उसमें किसी एक को बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता है वो सब एक व्यवस्थित तारतम्य से घूम रहे होते हैं इसलिए उनमें से किसी एक को घूमते हुए देखकर न केवल दूसरे के घूमने का अंदाजा लगाया जा सकता है अपितु उस साइकिल की गति का भी अनुमान लगाया जा सकता है !
इसी प्रकार से घड़ीयंत्र होता है जिससे समय बीतने का पता लगा लिया जाता है कि कितने बजे हैं!इस घड़ी में तीन सुइयाँ होती हैं तीनों की गति में आपसी अंतर बहुत अधिक होता है घंटे वाली सुई बहुत धीमे से चल रही होती है मिनट वाली सुई उससे तेज चलती है जबकि सेकेंड वाली बहुत तेज चलती है !इन तीनों सुइयों की गति में पर्याप्त अंतर होने के बाद भी तीनों का आपसी तारतम्य ये निश्चित करता है कि कब कितने बजे हैं !इसकी एक और विशेषता है कि इससे आगे का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है कि अगले कितने घंटों में इस घड़ी की कौन सुई कितने चक्कर लगाएगी !
इसीप्रकार से ब्रह्मांडघड़ी होती है जिससे प्रकृति से जीवन तक समस्त ब्रह्मांड एक निश्चित नियम से बँधा हुआ है समय की गति के साथ चला करता है !जिसमें "यदि ऐसा हुआ है तो वैसा होगा" इस नियम से सबका सबकुछ निश्चित नियमों से बँधा हुआ है! उसी व्यवस्थिति ढंग से वो सब कुछ चला करता है !इसी कारण से इसके आधार पर यह भी निश्चित है कि यदि सूर्य चंद्रादि ग्रहों एवं अश्वनी आदि नक्षत्रों का आपसी तारतम्य इस प्रकार का होगा तो प्रकृति और जीवन में उसके लक्षण इस इस प्रकार से दिखेंगे !
इसका मतलब ये कतई नहीं है कि सूर्य और चंद्र के प्रभाव से प्रकृति और जीवन में ऐसे ऐसे बदलाव आएँगे अपितु संभावना ऐसी भी है कि सूर्यादि ग्रहों नक्षत्रों का प्रकृति और जीवन से आपस में सीधा कोई संबंध ही न हो अपितु दोनों का निजी रूप से समय के साथ व्यवस्थित स्वतंत्र और व्यक्तिगत संबंध हो !समय के साथ ग्रहों नक्षत्रों का जिस प्रकार का संबंध है उसी प्रकार का स्वतंत्रसंबंध समय के साथ प्रकृति और जीवन का भी है !चूँकि दोनों में होने वाले बदलावों को देखकर हमें ऐसा लगने लगता है कि प्रकृति और जीवन ग्रहों नक्षत्रों के आधीन है जो गलत है इनमें गति एक जैसी देखकर उन बदलावों के आधार पर ऐसी कल्पना कर ली जाती है !
किसी रेलगाड़ी में कई डिब्बे लगे होते हैं सब का एक दूसरे के साथ इतना और इस प्रकार का संबंध तो होता है कि जब तीन नंबर डिब्बा वहाँ पहुँचेगा तो नौ नंबर डिब्बा वहाँ होगा उनके इसी आपसी संबंध के कारण हम एक डिब्बे को भागते हुए देखकर दूसरे डिब्बे के भागने की गति का सटीक अनुमान दूसरे डिब्बे को देखे बिना भी कर लेते हैं किंतु इसका ये मतलब कतई नहीं है कि इन दोनों डिब्बों में से कोई डिब्बा किसी दूसरे डिब्बे के आधीन है अपितु सच्चाई ये है कि ये दोनों डिब्बे इंजन की गति के आधीन हैं!
इसी प्रकार से सूर्य और चंद्र आदि ग्रहों नक्षत्रों का प्रकृति और जीवन के साथ संबंध है जबकि दोनों का इंजन तो समय ही है अर्थात दोनों ही समय के आधीन हैं !जिस प्रकार से भागती हुई रेलगाड़ी के एक डिब्बे को देखकर दूसरे डिब्बे की गति का अनुमान लगाया जा सकता है उसी प्रकार से ग्रहों नक्षत्रों में होने वाले गति युति आदि परिवर्तनों के आधार पर प्रकृति और जीवन संबंधी अच्छी बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है और इसी आधार पर ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है !
सूर्य के उगने से कमल के खिलने का अनुमान लगाया जा सकता है और कमल के खिलने से सूर्य के उगने का अनुमान लगाया जा सकता है किंतु न सूर्य कमल के आधीन है और न ही कमल सूर्य के आधीन अपितु दोनों ही प्रातःकाल के आधीन हैं सुबह का समय होते ही सूर्य और कमल दोनों ही अपनी अपनी भूमिका अदा करने लगते हैं !
इसलिए यदि प्रातःकाल के समय का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो सूर्य के उगने और कमल के खिलने के समय का पूर्वानुमान अपने आप ही लग जाएगा !दूसरी बात सूर्य के उगने समय का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो भी प्रातः काल के समय का और कमल के खिलने के समय का पूर्वानुमान स्वतः ही लग जाएगा !
इसी प्रकार से ग्रहों नक्षत्रों आदि के विषय में गणित के द्वारा पूर्वानुमान लगा लेने से प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं प्राकृतिक आपदाओं एवं रोगों आदि का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है क्योंकि ये सभी उसी समयचक्र के अंग हैं इन सब का इंजन तो समय ही है जिसके अनुसार समस्त ब्रह्मांड का प्रत्येक पदार्थ चलता फिरता हिलता डुलता मिलता बिछुड़ता आदि दिखाई पड़ रहा है !
समय एक जगह स्थिर कभी नहीं रहता है समय में गति हमेंशा बनी ही रहती है समय की गति के साथ ही साथ समय संबंधी बदलाव संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रतिपल होते जाते हैं !प्रकृति में सम्मिलित छोटा से छोटा अणु भी प्रतिपल परिवर्तित होता रहता है !हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि सूर्य चंद्र आदि ग्रहों से लेकर पृथ्वी के प्रत्येक तिनके तक सब कुछ एक साथ बदल रहा होता है इसलिए पृथ्वी पर किसी तिनके में होने वाले अच्छे बुरे परिवर्तनों को देखकर उनके अनुरूप ही समस्त ब्रह्माण्ड में आ बदलावों का अनुमान लगाया जा सकता है !इसी प्रकार से आकाशीय ग्रह नक्षत्रों में जिस प्रकार के बदलाव होते दिखें तो इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे बदलाव पृथ्वी के प्रत्येक पदार्थ में भी इसी के साथ साथ हो रहे होंगे ! इस प्रकार से अच्छे और बुरे समय का असर सुदूर आकाश से लेकर पाताल तक एक साथ हो रहा होता है !समय के परिवर्तन के कारण जिस गति से ऊपर ग्रह नक्षत्र बदल रहे होते हैं उसी गति से पृथ्वी के अंदर और बाहर छोटे बड़े आदि सभी अंशों में बदलाव आ रहे होते हैं !
यही कारण है कि बुरे समय प्रभाव के कारण जिस किसी क्षेत्र में कोई सामूहिक रोग या महामारी फैलने वाली होती है उसी समय का प्रभाव तो उन औषधियों पर भी पड़ रहा होता है जो उस रोग से मुक्ति दिलाने में सक्षम मानी जाती हैं !किंतु समय के प्रभाव से वह महामारी केवल वहाँ के मनुष्यों में ही नहीं फैल रही होती है अपितु वही समय उसी अनुपात में उस क्षेत्र की प्रकृति को भी प्रभावित करके उसमें भी विकार पैदा कर रहा होता है जिससे वहाँ के पेड़ पौधों से लेकर संपूर्ण बनौषधियों समेत समस्त पदार्थ विकारित करके उन्हें उनके उन गुणों से रहित बना देता है कि जिनके लिए वे पहचाने जाते हैं !
इसीलिए समय के प्रभाव से जब किसी क्षेत्र में महामारी फैलती है तो महामारी का फैलना बड़ी समस्या है किंतु उससे बड़ी समस्या उस महामारी संबंधी रोगों से मुक्ति दिलाने वाली औषधियों का गुण विहीन हो जाना होता है !क्योंकि यदि वे औषधियाँ ही अक्षम हो जाएँगी तो बेचारे चिकित्सक और किसके बल पर उन रोगों से मुक्ति दिला सकने में समर्थ हो सकते हैं !
समय के इसी प्रभाव से भ्रमित चिकित्सकों को ऐसी परिस्थिति में ऐसे रोगों को नया रोग बता देना पड़ता है उसका आधार उनके पास केवल यही होता है कि जिस रोग के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं यदि वह रोग होता तो ये औषधि उस रोग से मुक्ति दिला देती चूँकि इस औषधि का रोगी के ऊपर कोई असर ही नहीं हो रहा है उनके हिसाब से इससे ये सिद्ध हो जाता है कि ये नया रोग है जबकि रोग भी पुराना ही होता है औषधियाँ भी पुरानी केवल समय के प्रभाव से ऐसी परिस्थितियाँ पैदा होते देखी जाती हैं !
यदि ऐसे रोगों के विषय में पूर्वानुमान लगाने में समय रहते सफलता पाई गई होती तो असरकारी औषधियों का एवं सतर्क चिकित्सा प्रक्रिया का प्रयोग प्रारंभ से ही शुरू करके उस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है !
" प्रकृति और जीवन से संबंधित पूर्वानुमानविज्ञान अनुसंधान "
'भाग्य' से अधिक और 'समय' से पहले किसी को कुछ मिलता नहीं है !
'भाग्य' और 'समय' के खेल का अनुभव बहुत लोगों ने किया है !जीवन में जो लोग भाग्य के अनुसार काम करना सीख लेते हैं वे कभी असफल नहीं होते हैं !इसी प्रकार से जो लोग अपने अच्छे 'समय' का पूर्वानुमान लगाकर अच्छे समय पर काम करने लगते हैं वे कभी असफल नहीं होते हैं!भाग्य और समय के बाद कर्म की भूमिका प्रारंभ होती है !जो लोग भाग्य और समय को महत्त्व न देकर जीवन में केवल कर्म को महत्त्व देते हैं इसके बाद भी सफल होते चले जाते हैं ऐसे लोगों संयोगवश बिना किसी सलाह के भी काम ही वही करने को सोचते हैं जो उनके भाग्य के अनुशार ठीक बैठ रहा होता है भले ही वो भाग्य की परवाह नहीं करते इसीप्रकार से ऐसे लोग जो कार्य जिस समय प्रारंभ करते हैं वो समय उनके उस कार्य के लिए बहुत अच्छा चल रहा होता है !भले ही वो समय की परवाह बिना किए ही ऐसा करते हैं फिर भी संयोगवश ऐसा होता है इसका कारण उनपर ईश्वर की कृपा ,पूर्वजों गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद ,इसके अतिरिक्त अपने द्वारा किए गए अच्छे कर्मों का पुण्यफल होता है जिससे उनका चिंतन अपने अच्छे भाग्य एवं अच्छे समय को स्वाभाविक रूप से पहचानने लगता है !जिस प्रकार से बिना जाने भी आँख बंद करके यदि कोई व्यक्ति रसगुल्ला ले तो भी उसे रसगुल्ले का स्वाद तो लगेगा ही इसी प्रकार से भाग्य और समय को न माने वाले सफल लोगों को भी भाग्य और समय का लाभ ऐसे ही होता रहता है !
भाग्य -
इसका अनुभव विशेषकर उस वर्ग को बहुत अधिक होता है जिसने अपने जीवन में कभी कोई लापरवाही नहीं की नशा पत्ती आदि कोई दुर्गुण नहीं पाला भयंकर परिश्रम करके उच्च शिक्षा प्राप्त की इसके बाद रोजी रोजगार आदि के लिए ईमानदारी लगन और परिश्रमपूर्वक बहुत भागदौड़ करते हैं सभी प्रकार से प्रयास करने के बाद भी जब असफल होते चले गए ऐसे लोग अपनी असफलता का कारण केवल भाग्य को मानने लगते हैं !ऐसी परिस्थिति में किसी की असफलता का कारण यदि भाग्य हो सकता है तो उसकी सफलता का कारण भी भाग्य भी होता है ऐसा मानना पड़ेगा !
भाग्य संबंधी पूर्वानुमान न पता होने से अक्सर देखा जाता है कि लोग कर्जा लेकर व्यापार करने लगते हैं जिस प्रकार का मन हुआ उस प्रकार का व्यापार करने लग जाते हैं ऐसी परिस्थिति में जो व्यापार किया वो यदि उनके भाग्य के हिसाब से उनके लिए ठीक हो तब तो उसमें लाभ होता है अन्यथा उन्हें नुक्सान होने लगता है !इस प्रकार से ऐसे लोग कई कई व्यापार पकड़ते छोड़ते रहते हैं जिसमें काफी कर्जा कर लेते हैं किंतु व्यापार भाग्य के अनुरूप न होने के कारण उनका लगातार नुकसान होता चला जाता है !इसी बीच यदि ऐसे लोगों को कोई ऐसा व्यापार मिल गया तब तो उसे करके वो सफल हो गए अन्यथा सारा जीवन ही असफलता में निकल जाता है !
भाग्य को नकारते हुए कुछ लोगों ने बार बार व्यापार बदले तमाम कर्जा कर लिया किंतु सफल नहीं हुए तब उन्हें पूर्वजों की कही हुई बातों पर भरोसा होता है कि भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता है वस्तुतः भाग्य भी तो अपने ही पुराने कर्म होते हैं !जिनका पूर्वजन्मार्जित कर्मों के आधार पर भाग्य सही बना रहता है इसलिए उन्हें उतना संघर्ष नहीं करना पड़ता है और वे आसानी से सफल होते जाते हैं ऐसे लोग जब जो कर्म करते हैं उसका फल उन्हें अच्छा मिल जाता है इसलिए उन्हें लगने लगता है कि जीवन में भाग्य की कोई भूमिका है ही नहीं !ऐसे लोग जीवन में असफल रह गए लोगों को कर्म का दोषी समझने लगते हैं !जो सफल नहीं हुए उन्हें लगने लगता है कि उन्होंने कर्म नहीं किया या वे संघर्ष से डर गए या उनसे प्रयास में कहीं कोई कमी रह गई इसलिए वे सफल नहीं हो पाए !
भाग्यबल से जीवन में लगातार सफल होते रहने वाले लोग अपनी सफलता का श्रेय अक्सर अपनी कार्य कुशलता योग्यता आदि को देने लगते हैं !उन्हें ये नहीं पता होता है कर्म की भूमिका हमेंशा भाग्य के पीछे पीछे चलती है जो भाग्य में बदा होता है कर्म करने से केवल उतना ही मिलता है !भाग्य में जो नहीं बदा होता है वो कर्म करने से भी नहीं मिलता है !भाग्य का बीजारोपण अच्छे कर्मों से होता है जो व्यक्ति आज अच्छे कर्म कर लेता है वो भविष्य के लिए अपने भाग्य का निर्माण कर लेता है जिससे उसे भविष्य में सुख मिलेगा !
ऐसे लोगों को यदि उनके भाग्य के विषय का पूर्वानुमान पहले से पता हो तो वो उसी प्रकार के काम से शुरुआत करेंगे जिससे उन्हें सफलता मिलने की संभावना हो वो व्यर्थ में क्यों भटकेंगे !उससे न असफल होंगे और न ही कर्जा होगा !
समय-
'समय' से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता है !अक्सर देखा जाता है कि लोग जीवन भर परिश्रम पूर्वक संघर्ष करते रहते हैं किंतु सफल नहीं होते हैं !कई बार आधी से अधिक उम्र ऐसे ही परिश्रम करते करते व्यतीत कर देते हैं लगातार असफल होते रहने के कारण निराश हताश होकर चुप बैठ जाते हैं !कुछ वर्ष ऐसे व्यतीत कर लेते हैं उसके बाद समय की प्रेरणा से वो दोबारा प्रयास करना प्रारंभ करते हैं और सफल होते चले जाते हैं !क्योंकि तब उनकी सफलता का समय आ चुका होता है !
वस्तुतः 'समय' एक चक्र(पहिया)की तरह घूमता है इसकी अलग अलग शिराएँ होती हैं जिस समय में जिसने जिस जिस प्रकार के जितने अच्छे कर्म किए होते हैं उन अच्छे कर्मों से उतना उसका भाग्य निर्मित हो जाता है वही समय जब दोबारा घूम कर आता है तब उसे उसी प्रकार के कर्मों से सफलता एवं सुख शांति मिलने लगती है !यह चक्र घूम कर कई बार कई बार इसी जन्म में आ जाता है तो इसी जन्म में उसका फल मिल जाता है और कई बार अगले जन्म में मिल पाता है !इसका मतलब ये कतई नहीं है कि वो जब जैसे चाहे वैसे गति करे अपितु वह अपने सुदृढ़ सिद्धांतों और नियमों में बँधा होता है इसीलिए वह समय चक्र घूम कर कब आएगा इसका पूर्वानुमान समय गणित के द्वारा लगा लिया जाता है !
इस बात को कभी नहीं भूलना चहिए कि जीवन में समय की बहुत बड़ी भूमिका होती है !किसी वृक्ष में कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु उन वृक्षों में फूल और फल तभी लगते हैं जब उनकी अपनी ऋतु अर्थात उनके अपने फूलने फलने का अपना समय आता है !कर्म की ताकत से उन्हें कभी भी फूलने फलने के लिए विवश नहीं किया जा सकता !
इसी प्रकार से फसल काटते समय खेतों में अनेकों प्रकार के बीज बिखर जाते हैं इसलिए खेतों में ही पड़े रहते हैं खेतों की जुताई खोदाई होती है पूरी बरसात की ऋतु में भीगा करते हैं किंतु बरसात बीतने के बाद उनके अंकुर तभी फूटते हैं जब उनका समय आता है !
इसीलिए किसी चिंतक ने लिखा है-
दो.धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय !
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
इसका अर्थ है मन में धीरज रखने से सब कुछ होता है. अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा !
भाग्य और समय के विपरीत होने से हो सकता है नुकसान -
कई बार कुछ लोगों के भाग्योदय का समय उनकी आधी उम्र बीत जाने के बाद आता है किंतु वे इतने लंबे समय तक प्रतीक्षा नहीं कर पाते हैं!इसलिए व्यापार आदि करके ऐसे समय में नुक्सान उठाते हैं बहुत कर्जा कर लेते हैं निरंतर असफल होने के कारण तनावग्रस्त रहने लगते हैं कई बार नशे आदि के आदी होकर कुसंगति में पड़ जाते हैं !कुछ लोग अधिक शीघ्र धनवान बन जाने के लोभ में आपराधिक गतिविधियों में प्रवृत्त जाते हैं !जिससे बहुत सारा धन इकट्ठा करने लग जाते हैं!कुछ समय बाद उनके पास बहुत सारा धन इकट्ठा हो जाता है !जिससे देखने वाले लोगों को लगने लगता है कि ईश्वर भी गलत लोगों की ही मदद करता है!जबकि ये सच नहीं होता है अपितु सच ये है कि जब उनका भाग्य और समय सही सही साथ दे रहा होता है तभी उन्हें लाभ होना संभव हो पाया !
वस्तुतः ऐसा तब होता है जब इस प्रकार के निराश हताश लोग जैसे ही कुसंगति में भटकने लगते हैं !इसी बीच उनके भाग्योदय का समय प्रारंभ हो चुका होता है इसलिए वे सफल होने लगते हैं !जिनके भाग्योदय का समय प्रारंभ नहीं हुआ होता है उनमें से भी कुछ लोग परिश्रम पूर्वक भाग्य को झुठला देना चाहते हैं !जिससे उन्हें मिलता कुछ नहीं है और जो उन्हें मिला हुआ लगता भी है वह भी भाग्य से अधिक होने के कारण उनके काम नहीं आ पाता है !किंतु इसी बहाने ऐसे महत्वाकाँक्षियों का व्यस्त रहकर समय व्यतीत हो जाता है !
इसी प्रकार से जो भाग्यप्रदत्त सुख साधनों में संतोष नहीं कर पाते हैं और अधिक प्राप्त करने की चाहत में प्रयास भी नहीं कर पाते हैं ऐसे लोग घुट घुट कर अपना मन तन आदि सब कुछ खराब कर लिया करते हैं इसी परिस्थिति में कुछ लोग नशे के आदि हो जाते हैं ! इसी में एक असंतुष्ट वर्ग ऐसा भी होता है जो अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए अपराध जगत की ओर मुड़ जाता है और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए सभी प्रकार के अपराध करने लगता है उस अपराध से कितनी भी अकूत संपदा क्यों न इकट्ठी कर ले किंतु वह उस अपराधी के अपने और उसके परिवार के काम कभी नहीं आती है बल्कि वो उस अपराधी का अपना धन लेकर भी नष्ट होती है उसका परिवार दाने दाने के लिए मोहताज हो जाता है क्योंकि वे उस थोड़े से समय में इतने अधिक सुख भोग चुके होते हैं जितने सुख साधनों से उसे सारे जीवन काम चलाना था !
अपराध या अन्याय के द्वारा अर्जित धन किसी के पास टिकता नहीं हैं अनेकों प्रकार की समस्याएँ पैदा करके स्वयं भी नष्ट हो जाया करता है !अपराध के द्वारा अर्जित किया हुआ धन तेज़ाब से अधिक ज्वलनशील होता है वो जिसके पास होता है उसे ही जलाता अर्थात नष्ट करता है !उसका स्वास्थ्य खराब करता है उसे शारीरिक और मानसिक यातनाएँ प्रदान करता है उनके परिवारों को नष्ट करता है उनके बच्चों को बर्बाद करता है !कुल मिलाकर ऐसा अपराध से संगृहीत धन इतना अधिक ज्वलनशील होता है कि वो जिसमें लगता है वो जिसके जीवन के जिस क्षेत्र में लगाया जाता है जीवन का वही अंग सुलगने लगता है !
रोग -जिसके भाग्य में जिन खाने पीने वाली वस्तुओं को खाने के जो सुख जितने बदे होते हैं या शारीरिक मानसिक आदि सुख सुविधाओं से संबंधित सुखभोग जितने बदे होते हैं यदि वो उतना ही खाता और उतने ही शारीरिक सुखों का भोग करता है और अपनी भाग्यनिर्धारित सीमा का उल्लंघन नहीं करता है!तब तो वह रोगी होने से बच जाता है !संभवतः इसीलिए पुराने लोग अपने भाग्यप्रदत्त भोजन और भोग की सीमा का कभी उल्लंघन नहीं करते थे ! अपनी भाग्यसीमा में रहकर भोजन करते एवं सुख साधनों का भोग करते थे इसीलिए वे न केवल स्वस्थ रहते थे अपितु तनाव रहित एवं दीर्घायु हुआ करते थे !
ऐसे लोग भयवश ध्यान रखा करते थे कि उनका भोजन संबंधी कोटा बीच में ही पूरा न हो जाए जिससे खाने पीने में अच्छी लगाने वाली कुछ महत्वपूर्व स्वादिष्ट खाद्यसामग्रियों को खाना बंद करना पड़े !इसीलिए वे तरह तरह के व्रतों उपवासों आदि से अपने भोजन पर नियंत्रण एवं मन पर अंकुश लगाकर भाग्यप्रदत्त सुख सुविधा की सीमाओं को कभी लाँघते नहीं थे!ब्रह्मचर्य आदि पालन करके अपने बासनात्मक सुखों की दृष्टि से भी अपने को संयमित रखा करते थे ! इस संदर्भ में भी वे अपनी भाग्य प्रदत्त सीमा का कभी उल्लंघन नहीं करते थे !चूँकि उस युग में पति पत्नी संबंधी सुखों की सीमाओं का अतिक्रमण नहीं होने पाता था इसीलिए वे पति पत्नी आजीवन एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रह लिया करते थे !इसीलिए उस युग में तलाक जैसी घटनाएँ होते नहीं देखी जाती थीं!पति-पत्नी का संबंध आजीवन मधुर बना रहता था !
आवश्यकता आविष्कार की जननी है चूँकि जिस विषय की जब आवश्यकता ही न पड़ी हो उसका आविष्कार हो पाना कैसे संभव था !प्राचीनकाल में चिकित्सकीय सुविधाएँ उतनी अधिक न होने का एक कारण यह भी है कि लोग उस समय इतने अधिक रोगी भी नहीं हुआ करते थे !चिकित्सकीय सुविधाएँ बहुत अच्छी भले ही न रही हों किंतु लोग संयम का सहारा लेकर अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के प्रयासों में लगे रहते थे !
जो व्यक्ति भाग्य प्रदत्त सुखों से अधिक भोग करता है या अधिक व्यंजनों का भोजन करता है तो उसे उन विषय भोगों से संबंधित या उन खाद्यपदार्थों से संबंधित रोग होने लगते हैं !रहस्य की बात ये है कि भाग्य संबंधित विषय को न जानते हुए भी चिकित्सक ऐसे रोगियों को वही वस्तुएँ खाने के लिए रोकते हैं और वही सुख सुविधाएँ भोगने के लिए रोकते हैं जिनकी भाग्यप्रदत्त सीमा रोगी पूरी कर चुका होता है ऐसे रोगियों को अक्सर कहते सुना जाता है कि ये वस्तुएँ खाने में हमें बहुत अच्छी लगती हैं इसलिए बचपन से ये चीजें मैं बहुत
अधिक खाता रहा हूँ !ऐसा वो स्वीकार करते भी देखा जाता है !इसलिए वही खाद्यपदार्थ और भोग्यवस्तुएँ कोटा पूरा हो जाने के कारण उसे छोड़नी पड़ती हैं जिससे वह स्वस्थ हो जाता है ! उन्हीं के कारण रोग बढ़ रहा होता है !इसी बात को आयुर्वेद में कहा गया है कि "असाध्य भेषजैः व्याधिः पथ्यादेव निवर्तते !"अर्थात औषधियाँ भी जिन रोगों से मुक्ति न दिला पा रही हों ऐसे लोग संयम पूर्वक यदि उचितमात्रा में अनुकूल भोजन करने लगें तो बिना दवा के भी उन रोगों से मुक्ति मिलते देखी जाती है !
कुल मिलाकर रोग किसी वस्तु को खाने या भोगने से नहीं होते हैं बशर्ते वह आपके भाग्य में बदी होनी चाहिए !यदि बदी ही नहीं है तो ऐसे खाद्यपदार्थ खाने और भोगने से बचा जाना चाहिए !भाग्य की सीमा लाँघकर आप कितनी भी अच्छी शक्तिबर्द्धक पौष्टिक चीज ही क्यों न खाएँ उसका प्रभाव भी आपके शरीर पर बिषैला होने लगता है !क्योंकि आपकी भाग्यप्रदत्त पाचनशक्ति उतने ही खाद्य पदार्थों को पचा पाती है जितने आपके भाग्य में बदे होते हैं इसीलिए तो पूर्वज कहा करते थे कि "दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम"!
ऐसी बातों पर विश्वास न करके जो लोग स्वादलोभ में पड़कर दूसरों के हिस्से के दानों में से कुछ कण भी यदि खा पी लेते हैं तो उन्हें पचाने में हमारी पाचन शक्ति मदद नहीं करती है क्योंकि वो जितने के लिए बनी थी वो कोटा पूरा हो चुका होता है इसके बाद वो ऐसे खाद्यपदार्थों को पचा पाने में असमर्थ हो जाती है !क्योंकि हमारे शरीर रूपी यंत्र में लगे प्रत्येक पुर्जे की एक्सपायरी डेट भाग्य के अनुशार ही निश्चित की गई होती है !उसकी सीमा लाँघते ही वो पुर्जा निष्क्रिय होने लग जाता है !
यही बात पति और पत्नी से संबंधित एक दूसरे से प्राप्त होने वाले शारीरिक सुखों के विषय में भी समझी जानी चाहिए!कुल मिलाकर इस सृष्टि में भाग्य से अधिक न कोई व्यक्ति कुछ खा सकता है और न पचा सकता है न ही भोग सकता है !
शहरों में भी दो प्रकार के लोग रहते हैं एक साधनसंपन्न लोगों का वर्ग है तो दूसरा साधन विहीन लोगों का वर्ग है !साधनसंपन्नवर्ग के लोग अच्छी अच्छी जगहों में रहते हैं अच्छे अच्छे खाद्यपदार्थ खानपान में प्रयोग करते हैं फिल्टर्ड पानी पीते हैं टॉनिक पीते हैं फैमिली डॉक्टर लगा रखे हैं जिनसे जाँच करवाया करते हैं दवायें लिया करते हैं !डाक्टरों की सलाहों पर दिन में कई कई बार कई कई गोलियाँ सारे जीवन खाते देखे जाते हैं फिर भी वे अक्सर अस्वस्थ बने रहते हैं !उन्हें चिकित्सा आदि साधनों से स्वस्थ न कर पाने वाले असफल लोग अंत में उनके रोगी होने का कारण वायुप्रदूषण बताकर ऐसे साधनसंपन्नवर्ग से अपना पीछा छोड़ा लेते हैं! समस्या की जड़ में जाना जरूरी नहीं समझते !
जो साधन विहीन लोगों का वर्ग है उसकी ओर देखो तो लगता है कि अस्वस्थ होने के संपूर्ण कारण उनमें विद्यमान हैं किंतु इसके बाद भी वे स्वस्थ हैं उनके शरीर सुदृढ़ हैं वे परिश्रम करते थकते नहीं हैं घनघोर मच्छरों के बीच उनका सोना जागना होता है फिर भी अपेक्षा कृत वे स्वस्थ रहते हैं ! केवल वायु प्रदूषण ही यदि रोगों के बढ़ने का कारण होता तो रोगी वो लोग होते जो मलिन बस्तियों में रहकर कूड़ाकबाड़ का काम करते हैं !उनके खाने पीने के सामान की कोई अच्छी क्वालिटी भी नहीं होती है!गंदगी के अंबार के बीच उनका रहन सहन होता है उसी गंदगी में बनाते खाते हैं इसके बाद भी वे न केवल स्वस्थ रह लेते हैं अपितु सुखी भी रह लेते हैं !
इसलिए यदि साधनसंपन्न लोगों के रोगी होने का कारण केवल वायुप्रदूषण माना जाए तब तो रोगी पहले उन साधन विहीन अभावों में जीवन जीने वाले गंदगीग्रस्त लोगों को होना चाहिए था साधनसंपन्न लोगों को नहीं !किंतु ऐसा न होने का कारण क्या है?
भाग्य प्रदत्त कोटा जबतक खाली रहता है तब तक लोग सारे खाद्यपदार्थ खाते पचाते रहते हैं किंतु कोटा पूरा होते ही एक कण भी पचा पाना मुश्किल हो जाता है दवाओं और कैमिकल के बल पर पेट में पहुँच चुका वह भोजन गलाकर पेट के बाहर तो निकाल दिया जाता है किंतु उससे शरीर को नुक्सान के अलावा कोई लाभ नहीं हो पाता है !
अभावों में जीवन जीने वाले साधन विहीन गंदगीग्रस्त लोगोंका जीवन है जिनका खाना पीना रहन सहन सबकुछ प्रदूषित होने के बाद भी उनका भाग्य प्रदत्त कोटा पूरा समाप्त नहीं हुआ होता है इसलिए वे सबकुछ खा पचाकर भी स्वस्थ बने रहते हैं !
कुल मिलाकर भाग्य में बदे हुए अंश से एक कण भी अधिक खाकर पचाया नहीं जा सकता है !इसीप्रकार से भाग्य से अधिक सुख साधनों या विषयसुखों को भोगा नहीं जा सकता है!
पूर्वानुमान - मनुष्य का स्वभाव होता है कि वो संसार के सभी सुख संपत्ति सुंदरता सुयोग्यता आदि समस्त अच्छाइयाँ स्वयं पा लेने के लिए प्रयास करने लगता है !जबकि मिलने की सीमा भाग्य के अनुशार निश्चित होती है और मिलता तब है जब मिलने का समय आता है !
समय और भाग्य के इस संविधान को न समझने वाले लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए उचित और अनुचित का बिचार किए बिना वह सब कुछ करने लगते हैं जिससे उन्हें उनकी इच्छाओं के अनुशार सुख मिले !
जिसके भाग्य में जो बदा होता है उसका लाभ उसे जब मिलना होता है !क्या मिलेगा कितना मिलेगा और कब मिलेगा ये निश्चित है और मिलने का समय भी निश्चित है !
सब कुछ निश्चित होने के बाद भी चूँकि किसी को यह पता नहीं होता है कि हमारे भाग्य में क्या और कितना बदा है और उसे प्राप्त करने के लिए प्रयास करने का समय क्या है!उस समय वह जो प्रयास करेगा उसमें उसे सफलता मिलकर भाग्य का लाभ हो जाएगा !
इस विषय का पूर्वानुमान उसे यदि पहले से ही पता होता तो शायद इस प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता !ऐसे परिस्थिति में उसे या तो लगातार परिश्रम करके असफल होते रहने दिया जाए यदि ऐसा होते रहने से उसके जीवन में जब सफलता का समय आएगा तब या तो उसके पास से पूंजी समाप्त हो चुकी होगी जिससे वो अच्छे समय पर प्रयास करने लायक भी नहीं रह पाएगा या फिर निरंतर असफल होते होते वो इतना अधिक निराश हो चुका होगा कि कोई नया और बड़ा काम करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाएगा !
ऐसी परिस्थिति में उसे अपने जीवन से संबंधित पूर्वानुमान पता हों कि जीवन के किस क्षेत्र में उसे किस प्रकार का कितना सुख बदा है तब वो उसी क्षेत्र में उसी समय अधिक प्रयास करेगा और अधिक धन निवेश करेगा !
जितना जिसके भाग्य में बदा होता है प्रयास करने पर वो उसे उतना मिलता अवश्य है और उसका जो समय निश्चित होता है उसी समय में मिलता है!जैसे किसी वृक्ष को कितना भी खाद पानी दिया जाए किंतु वो अपनी ऋतु आने पर ही फल देता है उससे पहले नहीं !मनुष्य जीवन की भी यही स्थिति है किंतु समाज में एक वर्ग ऐसा भी है ! जो लोग समय आने से पहले और भाग्य से अधिक अपने मन मुताबिक़ सब कुछ पा लेना चाहता है! उसके लिए वो प्रयास परिश्रम आदि सब कुछ कर लेता है फिर भी मनोकामनाओं की पूर्ति न होने पर वे या तो तनावग्रस्त हो जाते हैं या फिर अनुचित तरीके अपनाते हैं जिससे वो अपना नुक्सान तो करते ही हैं साथ ही अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दूसरों को भी चोट पहुँचाते देखे जाते हैं !इससे लोगों का तनाव तो बढ़ता ही है उसके साथ साथ समाज में अपराध भी बढ़ता है!
अतएव 'तनाव' और 'अपराध' को घटाने के लिए जीवन में 'भाग्य' और 'समय' की भूमिका पर अनुसंधान किया जाना चाहिए !जिसके द्वारा इस बात का पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि किसी स्त्री पुरुष के भाग्य में बदा क्या है और जो बदा है वो उसे मिलेगा जीवन के किस वर्ष में उसके लिए उसे प्रयास कब कब किस किस प्रकार के करने होंगे जिनसे भाग्य का लाभ लेने के लिए वह अपने उस समय का अधिक से अधिक सदुपयोग कर सके जिससे जीवन सुखमय एवं समाज को तनाव रहित तथा अपराधमुक्त बनाया जा सके !
ग्रह नक्षत्रों का प्रकृति और जीवन पर ऐसे पड़ता है प्रभाव
वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का सीधा संबंध 'समय' के साथ होता है जब जिस प्रकार का समय होता है तब उस प्रकार की वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती हैं !प्रकृति में कब किस प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी इसका पूर्वानुमान भी उसी सिद्धांतगणित प्रक्रिया से लगा लिया जाता है!जिस प्रक्रिया से सुदूर आकाश में स्थित सूर्य और चंद्र में पड़ने वाले ग्रहणों का सटीक पूर्वानुमान सैकड़ों वर्ष पहले लगा लिया जाता है !इस प्रक्रिया से वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !आधुनिकविज्ञान या विश्व की किसी अन्य विधा के द्वारा ऐसा कर पाना संभव नहीं है !केवल भारत के प्राचीनविज्ञान के द्वारा ही ऐसा कर पाना संभव है !
जीवन और प्रकृति से संबंधित प्रायः सभी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए ज्योतिष से अधिक सशक्त कोई और दूसरा माध्यम नहीं है ऐसा समझ कर ही भारतवर्ष के प्राचीन ऋषियों मुनियों ने प्रकृति से लेकर जीवन तक के प्रत्येक अच्छे बुरे बदलावों को समझने के लिए ग्रहों नक्षत्रों को माध्यम बनाया है!इस विज्ञान को न समझ पाने वाले लोगों लगता है कि इतने ऊपर आकाश में जो ग्रह नक्षत्र स्थित हैं उनकी किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर कैसे पड़ सकता है !ऐसा सोच बिचार कर वे ग्रह नक्षत्रों के द्वारा पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया को ही खारिज करते हैं !उनके कहने का मतलब है कि ऐसा हो ही नहीं सकता है !अत्यंत संकीर्ण विज्ञान को पढ़कर वैज्ञानिक बने लोग उसी संकीर्ण दृष्टि से इस विराटविज्ञान को समझ लेना चाहते हैं जो संभव नहीं है !इस विराट विज्ञान को न समझ पाने के लिए कारण वे इसे झूठ बकवास अंधविश्वास आदि कुछ भी कहा करते हैं किंतु हमें ध्यान रखना चाहिए कि इस विराट विज्ञान का यदि कोई आस्तित्व ही नहीं होता तो इसका अभी तक टिका रह पाना कठिन होता !इसलिए इस विराट विज्ञान की अब और अधिक समय तक उपेक्षा नहीं की जा सकती है इसकी सच्चाई को स्वीकार करना ही होगा !
जो लोग ऐसे कुतर्क करते हैं कि इतने ऊँचे आकाश में स्थित ग्रहों नक्षत्रों का असर लोगों के जीवन पर कैसे पड़ सकता है ऐसे लोगों को सोचना चाहिए कि सूर्य भी उतनी ही ऊंचाई पर है उसका भी तो तेज प्रकाश आदि पृथ्वी तक पहुँचता ही है जिसकी प्रकृति से लेकर जीवन तक के होने में बहुत बड़ी भूमिका है!इसका प्रकाश अधिक है एवं उसमें गर्मी की मात्रा अधिक है इसलिए ये पृथ्वी पर आ सकता है ऐसा विश्वास कर लेना पड़ता है!इसी प्रकार से चंद्र शीतल है उसका भी प्रकाश एवं शीतल प्रभाव पृथ्वी तक पहुँचता दिखाई पड़ता है जिसकी प्रकृति से लेकर जीवन तक को प्रभावित करने में बड़ी भूमिका है !
इसीप्रकार से अन्य ग्रहों नक्षत्रों आदि का प्रकाश और प्रभाव भी पृथ्वी तक पहुँचता ही है उनका भी प्रकृति से लेकर जीवन तक पर संपूर्ण प्रभाव पड़ता ही है!जिसका सूक्ष्म अध्ययन करने की पद्धति केवल प्राचीन विज्ञान में हैं आधुनिक विज्ञान के लिए इसकी कल्पना कर पाना भी बहुत कठिन है !अत्यंत भ्रमित आधुनिक मौसमविज्ञान केवल तापमान के आस पास ही गोते लगा रहा है ग्लोबलवार्मिंग ,जलवायुपरिवर्तन ,अलनीनो ,लानीना जैसी कहानियाँ उसी तापमान को लेकर गढ़ी गई हैं इस प्रकार से ये केवल सूर्य के प्रभाव से मूर्छित लोग उससे आगे बढ़ ही नहीं पा रहे हैं !जबकि वास्तविकता समझने के लिए अन्य ग्रहों नक्षत्रों आदि के प्रकाश और प्रभाव आदि का भी अध्ययन किया जाना चाहिए !ऐसा करने की व्यवस्था भारतीय ग्रहनक्षत्र अध्ययन पद्धति के अलावा और कहीं नहीं मिलती है जबकि ग्रहनक्षत्र अध्ययन पद्धति में तो इसके पूर्वानुमान लगाने की भी सुदृढ़ व्यवस्था है वो भी बिना किसी मशीनी प्रयोग के केवल गणित के द्वारा ही ग्रहनक्षत्रों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !उन्हीं ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव से प्रकृति और जीवन पर घटित होने वाली अच्छी बुरी आदि सभी प्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है! तो इसमें आश्चर्य क्यों होना चाहिए !वो भी तब जबकि गणित के द्वारा आकाशीय ग्रह नक्षत्रों के विषय के अधिकतम रहस्य सुलझाने में भारतीय प्राचीन विज्ञान पद्धति न केवल सक्षम है अपितु इसे सूत्रबद्ध करने में भी सक्षम है !यह विज्ञान ग्रहण आदि की घटनाओं का अत्यंत सटीक पूर्वानुमान लगाकर अपनी सच्चाई के करोड़ों प्रमाण लाखों वर्ष पहले से ही प्रस्तुत करता चला आ रहा है तब जिस आधुनिक विज्ञान का जन्म भी नहीं हुआ था वो आज उस प्राचीन विज्ञान की प्रमाणिकता के प्रमाण पूछता है जिसके पैदा होने से पहले ही वो भारत का प्राचीन विज्ञान प्रमाणित हो चुका था !
ब्रह्मांड एक यंत्र है तथा प्रकृति का प्रत्येक पदार्थ उसका पुर्जा !
बड़ी बड़ी मशीनों को चलते देखा जाता है वो अपना काम कर रही होती हैं उसमें बहुत सारे पुर्जे लगे होते हैं जो मशीन के चलते समय भिन्न भिन्न प्रकार से गति करते हिलते डुलते घूमते उठते गिरते आदि देखे जाते हैं कई बार तो कोई दो पुर्जे परस्पर विरोधी दिशा में भी घूमते देखे जाते हैं किंतु ऐसी सभी प्रक्रियाओं के सक्रिय रहने के कारण ही मशीन चल पाती है किसी पुर्जे में थोड़ा भी बदलाव किया जाए तो उस मशीन का चलना बंद हो जाएगा !जिससे वो काम रुक जाएगा !
किसी मशीन में लगे किस पुर्जे का कहाँ क्या और कितना महत्त्व है ये या तो उस मशीन को बनाने वाला जानता है या फिर मैकेनिक समझ पाता है या फिर उसे जो चला रहा होता है थोड़ा बहुत अनुभव उसे भी चलाते चलाते हो जाता है जो सही और गलत दोनों प्रकार का हो सकता है !
ब्रह्मांडरूपी यंत्र के बनाने वाले को व्यक्तिगत रूप से कोई जानता नहीं है इसका मैकेनिक कोई है नहीं क्योंकि ये मशीन कभी बिगड़ती ही नहीं है इसे चलाने वाला भी कोई प्रत्यक्ष नहीं है सब कुछ अज्ञात है !ऐसी परिस्थिति में इसे चलता देख देखकर उन्हीं अनुभवों का संग्रह करके ये समझा जा सकता है कि इसके बाद ये होगा !सर्दी के बाद गर्मी उसके बाद वर्षा आदि ऋतुओं का क्रम है !सुबह दोपहर शाम रात्रि और फिर सबेरा ये सब दिन रात का क्रम है !ये सभी चीजें देखते देखते सबको समझ में आ गई हैं !इसी प्रकार से वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं का अनुभव भी देखते देखते अनुभव के आधार पर ही किया जा सकता है !
जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि इस प्रकृति चक्र की रचना एक यंत्र की तरह है ! संपूर्ण ब्रह्माण्ड एक यंत्र के रूप में काम कर रहा है !इसके सभी अंग एक दूसरे से एक लय में बँधे हुए हैं !इसलिए किसी एक अंग की गति देखकर दूसरे अंग की गति का अनुमान किया जा सकता है !
जिसप्रकार से किसी चलती हुई साइकिल में पायडल गेयर फ्रीव्हील और पहिया आदि सभी अलग अलग प्रकार से एक दिशा में ही घूम रहे होते हैं देखने में किसी की गति कुछ अधिक लगती है और किसी की कुछ कम किंतु उस गति के तारतम्य में उनकी सेटिंग ही उसी प्रकार से हो सकती है उसमें किसी एक को बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता है वो सब एक व्यवस्थित तारतम्य से घूम रहे होते हैं इसलिए उनमें से किसी एक को घूमते हुए देखकर न केवल दूसरे के घूमने का अंदाजा लगाया जा सकता है अपितु उस साइकिल की गति का भी अनुमान लगाया जा सकता है !
इसी प्रकार से घड़ीयंत्र होता है जिससे समय बीतने का पता लगा लिया जाता है कि कितने बजे हैं!इस घड़ी में तीन सुइयाँ होती हैं तीनों की गति में आपसी अंतर बहुत अधिक होता है घंटे वाली सुई बहुत धीमे से चल रही होती है मिनट वाली सुई उससे तेज चलती है जबकि सेकेंड वाली बहुत तेज चलती है !इन तीनों सुइयों की गति में पर्याप्त अंतर होने के बाद भी तीनों का आपसी तारतम्य ये निश्चित करता है कि कब कितने बजे हैं !इसकी एक और विशेषता है कि इससे आगे का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है कि अगले कितने घंटों में इस घड़ी की कौन सुई कितने चक्कर लगाएगी !
इसीप्रकार से ब्रह्मांडघड़ी होती है जिससे प्रकृति से जीवन तक समस्त ब्रह्मांड एक निश्चित नियम से बँधा हुआ है समय की गति के साथ चला करता है !जिसमें "यदि ऐसा हुआ है तो वैसा होगा" इस नियम से सबका सबकुछ निश्चित नियमों से बँधा हुआ है! उसी व्यवस्थिति ढंग से वो सब कुछ चला करता है !इसी कारण से इसके आधार पर यह भी निश्चित है कि यदि सूर्य चंद्रादि ग्रहों एवं अश्वनी आदि नक्षत्रों का आपसी तारतम्य इस प्रकार का होगा तो प्रकृति और जीवन में उसके लक्षण इस इस प्रकार से दिखेंगे !
इसका मतलब ये कतई नहीं है कि सूर्य और चंद्र के प्रभाव से प्रकृति और जीवन में ऐसे ऐसे बदलाव आएँगे अपितु संभावना ऐसी भी है कि सूर्यादि ग्रहों नक्षत्रों का प्रकृति और जीवन से आपस में सीधा कोई संबंध ही न हो अपितु दोनों का निजी रूप से समय के साथ व्यवस्थित स्वतंत्र और व्यक्तिगत संबंध हो !समय के साथ ग्रहों नक्षत्रों का जिस प्रकार का संबंध है उसी प्रकार का स्वतंत्रसंबंध समय के साथ प्रकृति और जीवन का भी है !चूँकि दोनों में होने वाले बदलावों को देखकर हमें ऐसा लगने लगता है कि प्रकृति और जीवन ग्रहों नक्षत्रों के आधीन है जो गलत है इनमें गति एक जैसी देखकर उन बदलावों के आधार पर ऐसी कल्पना कर ली जाती है !
किसी रेलगाड़ी में कई डिब्बे लगे होते हैं सब का एक दूसरे के साथ इतना और इस प्रकार का संबंध तो होता है कि जब तीन नंबर डिब्बा वहाँ पहुँचेगा तो नौ नंबर डिब्बा वहाँ होगा उनके इसी आपसी संबंध के कारण हम एक डिब्बे को भागते हुए देखकर दूसरे डिब्बे के भागने की गति का सटीक अनुमान दूसरे डिब्बे को देखे बिना भी कर लेते हैं किंतु इसका ये मतलब कतई नहीं है कि इन दोनों डिब्बों में से कोई डिब्बा किसी दूसरे डिब्बे के आधीन है अपितु सच्चाई ये है कि ये दोनों डिब्बे इंजन की गति के आधीन हैं!
इसी प्रकार से सूर्य और चंद्र आदि ग्रहों नक्षत्रों का प्रकृति और जीवन के साथ संबंध है जबकि दोनों का इंजन तो समय ही है अर्थात दोनों ही समय के आधीन हैं !जिस प्रकार से भागती हुई रेलगाड़ी के एक डिब्बे को देखकर दूसरे डिब्बे की गति का अनुमान लगाया जा सकता है उसी प्रकार से ग्रहों नक्षत्रों में होने वाले गति युति आदि परिवर्तनों के आधार पर प्रकृति और जीवन संबंधी अच्छी बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं का अनुमान लगाया जा सकता है और इसी आधार पर ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है !
सूर्य के उगने से कमल के खिलने का अनुमान लगाया जा सकता है और कमल के खिलने से सूर्य के उगने का अनुमान लगाया जा सकता है किंतु न सूर्य कमल के आधीन है और न ही कमल सूर्य के आधीन अपितु दोनों ही प्रातःकाल के आधीन हैं सुबह का समय होते ही सूर्य और कमल दोनों ही अपनी अपनी भूमिका अदा करने लगते हैं !
इसलिए यदि प्रातःकाल के समय का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो सूर्य के उगने और कमल के खिलने के समय का पूर्वानुमान अपने आप ही लग जाएगा !दूसरी बात सूर्य के उगने समय का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो भी प्रातः काल के समय का और कमल के खिलने के समय का पूर्वानुमान स्वतः ही लग जाएगा !
इसी प्रकार से ग्रहों नक्षत्रों आदि के विषय में गणित के द्वारा पूर्वानुमान लगा लेने से प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं प्राकृतिक आपदाओं एवं रोगों आदि का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है क्योंकि ये सभी उसी समयचक्र के अंग हैं इन सब का इंजन तो समय ही है जिसके अनुसार समस्त ब्रह्मांड का प्रत्येक पदार्थ चलता फिरता हिलता डुलता मिलता बिछुड़ता आदि दिखाई पड़ रहा है !
समय एक जगह स्थिर कभी नहीं रहता है समय में गति हमेंशा बनी ही रहती है समय की गति के साथ ही साथ समय संबंधी बदलाव संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रतिपल होते जाते हैं !प्रकृति में सम्मिलित छोटा से छोटा अणु भी प्रतिपल परिवर्तित होता रहता है !हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि सूर्य चंद्र आदि ग्रहों से लेकर पृथ्वी के प्रत्येक तिनके तक सब कुछ एक साथ बदल रहा होता है इसलिए पृथ्वी पर किसी तिनके में होने वाले अच्छे बुरे परिवर्तनों को देखकर उनके अनुरूप ही समस्त ब्रह्माण्ड में आ बदलावों का अनुमान लगाया जा सकता है !इसी प्रकार से आकाशीय ग्रह नक्षत्रों में जिस प्रकार के बदलाव होते दिखें तो इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे बदलाव पृथ्वी के प्रत्येक पदार्थ में भी इसी के साथ साथ हो रहे होंगे ! इस प्रकार से अच्छे और बुरे समय का असर सुदूर आकाश से लेकर पाताल तक एक साथ हो रहा होता है !समय के परिवर्तन के कारण जिस गति से ऊपर ग्रह नक्षत्र बदल रहे होते हैं उसी गति से पृथ्वी के अंदर और बाहर छोटे बड़े आदि सभी अंशों में बदलाव आ रहे होते हैं !
यही कारण है कि बुरे समय प्रभाव के कारण जिस किसी क्षेत्र में कोई सामूहिक रोग या महामारी फैलने वाली होती है उसी समय का प्रभाव तो उन औषधियों पर भी पड़ रहा होता है जो उस रोग से मुक्ति दिलाने में सक्षम मानी जाती हैं !किंतु समय के प्रभाव से वह महामारी केवल वहाँ के मनुष्यों में ही नहीं फैल रही होती है अपितु वही समय उसी अनुपात में उस क्षेत्र की प्रकृति को भी प्रभावित करके उसमें भी विकार पैदा कर रहा होता है जिससे वहाँ के पेड़ पौधों से लेकर संपूर्ण बनौषधियों समेत समस्त पदार्थ विकारित करके उन्हें उनके उन गुणों से रहित बना देता है कि जिनके लिए वे पहचाने जाते हैं !
इसीलिए समय के प्रभाव से जब किसी क्षेत्र में महामारी फैलती है तो महामारी का फैलना बड़ी समस्या है किंतु उससे बड़ी समस्या उस महामारी संबंधी रोगों से मुक्ति दिलाने वाली औषधियों का गुण विहीन हो जाना होता है !क्योंकि यदि वे औषधियाँ ही अक्षम हो जाएँगी तो बेचारे चिकित्सक और किसके बल पर उन रोगों से मुक्ति दिला सकने में समर्थ हो सकते हैं !
समय के इसी प्रभाव से भ्रमित चिकित्सकों को ऐसी परिस्थिति में ऐसे रोगों को नया रोग बता देना पड़ता है उसका आधार उनके पास केवल यही होता है कि जिस रोग के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं यदि वह रोग होता तो ये औषधि उस रोग से मुक्ति दिला देती चूँकि इस औषधि का रोगी के ऊपर कोई असर ही नहीं हो रहा है उनके हिसाब से इससे ये सिद्ध हो जाता है कि ये नया रोग है जबकि रोग भी पुराना ही होता है औषधियाँ भी पुरानी केवल समय के प्रभाव से ऐसी परिस्थितियाँ पैदा होते देखी जाती हैं !
यदि ऐसे रोगों के विषय में पूर्वानुमान लगाने में समय रहते सफलता पाई गई होती तो असरकारी औषधियों का एवं सतर्क चिकित्सा प्रक्रिया का प्रयोग प्रारंभ से ही शुरू करके उस महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है !
" प्रकृति और जीवन से संबंधित पूर्वानुमानविज्ञान अनुसंधान "
प्रकृति -
वर्षा और कृषि-
जीवन के लिए भोजन आवश्यक है भोजन के लिए अन्न और अन्न कृषि के आधीन है कृषि के लिए वर्षा आवश्यक है !वर्षा उचित और फसलों के अनुकूल हो तभी अच्छा होता है ,चूँकि वर्षा को फसलों के अनुशार तो किया नहीं जा सकता है इसलिए फसलों को ही वर्षा के अनुशार करना पड़ता है !वर्षा की मात्रा किसी वर्ष कम और किसी वर्ष अधिक होती है किसी वर्ष सामान्य रहती है इसी प्रकार से फसलें भी तीन प्रकार की होती हैं कुछ को पानी की अधिक आवश्यकता होती है कुछ को कम और कुछ को वर्षा की सामान्य आवश्यकता रहती है !
ऐसी परिस्थिति में यदि इस बात का पूर्वानुमान लगाना संभव हो कि किस वर्ष कहाँ वर्षा की मात्रा कैसी रहेगी !किसान लोग उसी के अनुशार फसल योजना बना सकते हैं !वर्षा के अनुशार जिस वर्ष जिस प्रकार की फसलें अच्छी होने की संभावना हो उस वर्ष उस प्रकार की फसल बोकर किसान अपनी उपज बढ़ा सकते हैं !उस उपज को बाजार में बेचकर किसान अपनी आवश्यकता के अनुशार अनाज खरीद सकते हैं इससे किसानों का किसी भी प्रकार से नुक्सान नहीं होगा !
इसके लिए किसानों को कुछ महीने पहले इस बात का पूर्वानुमान पता लगना आवश्यक होता है कि इस वर्ष वर्षा की मात्रा कैसी रहेगी !इससे उन्हें न केवल आगामी फसल योजना बनाने में सुविधा रहती है अपितु वो उसी के अनुशार वर्तमान उपज का संरक्षण करते हैं एवं जानवरों के लिए भूसा आदि का संरक्षण भी उसी हिसाब से कर लेते हैं !इससे किसानों को लाभ तभी हो सकता है जब उन्हें जून से सितंबर के बीच होने वाली वर्षा की मात्रा का पूर्वानुमान मार्च अप्रैल में ही पता लगे !किंतु इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि बादलों की जासूसी करके दो चार दिन पहले का वर्षा संबंधी तीर तुक्का भिड़ाने वाले लोगों से इतने महीने पहले के वर्षा संबंधी पूर्वानुमानों की आशा लगाना अपने में मूर्खता है !आधुनिक विज्ञान के पास ऐसी कोई तकनीक ही नहीं है ऐसा अनेकों बार प्रमाणित हो चुका है उनके द्वारा की गईं वर्षा संबंधी दीर्घावधि भविष्यवाणियों में आधे से भी कम सही सिद्ध होते देखी गई हैं !जो किसानों के द्वारा लगाए जाने वाले तीर तुक्कों से भी पीछे होती हैं !यही कारण है जब किसान वर्षा संबंधी अपने पूर्वानुमानों के आधार पर कृषि किया करते थे तब उन्हें आत्महत्या करने की नौबत तो कभी नहीं आई थी !जो लोग अपने को मौसमवैज्ञानिक के रूप में प्रचारित करने के लिए भारत के प्राचीन मौसम विज्ञान को निराधार अवैज्ञानिक अंधविश्वास आदि कहकर उसे गलत बताया करते थे और अपने को विज्ञान सम्मत !किसानों ने उनकी ऐसी अवैज्ञानिक बातों पर भरोसा किया और उनकी बातों पर भरोसा करते चले गए अपने प्राचीन विज्ञान को भूलते चले गए !धीरे धीरे पुरानी पीढ़ी समाप्त होते चली गई आधुनिक लोगों ने उन लोगों की बातों पर भरोसा नहीं किया वो उस विज्ञान के चक्कर में पड़ गए जहाँ सच्चाई कुछ थी ही नहीं !परिणाम स्वरूप आज परिस्थिति ऐसी पैदा हुई कि सही एवं सटीक मौसम पूर्वानुमान के आभाव में किसानों को नुक्सान उठाना पड़ रहा है !इसलिए अब आवश्यकता है भारत के प्राचीन मौसम विज्ञान को पुनर्जीवित करने की !अभी बहुत देर नहीं हुई है !
विचारणीय विषय यह है कि तेरह वर्षों में केवल पाँच वर्षों के ही दीर्घावधि पूर्वानुमान सही निकलें तो सिद्धांततः उन्हें पूर्वानुमान नहीं कहा जाना चाहिए किंतु सरकारों के पास जब तक कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है तब तक किसी न किसी को मौसम वैज्ञानिक कहना सरकारों की अपनी मजबूरी होती है अन्यथा विश्व में एक संदेश जाएगा कि देखो अमुकदेश के पास अपना मौसम विजान और वैज्ञानिक नहीं हैं ! किसान आदि काल से ही अपने ज्ञान विद्या बुद्धि अनुभवों आकाशीय लक्षणों एवं ग्रह नक्षत्रों के सहयोग से वर्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाकर कृषि करते रहे हैं !इसलिए वर्षा आदि प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाना भारत की प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा का हिस्सा रहा है भारत के लिए ये नया नहीं है !
प्राकृतिकघटनाएँ -
वर्षा और कृषि-
जीवन के लिए भोजन आवश्यक है भोजन के लिए अन्न और अन्न कृषि के आधीन है कृषि के लिए वर्षा आवश्यक है !वर्षा उचित और फसलों के अनुकूल हो तभी अच्छा होता है ,चूँकि वर्षा को फसलों के अनुशार तो किया नहीं जा सकता है इसलिए फसलों को ही वर्षा के अनुशार करना पड़ता है !वर्षा की मात्रा किसी वर्ष कम और किसी वर्ष अधिक होती है किसी वर्ष सामान्य रहती है इसी प्रकार से फसलें भी तीन प्रकार की होती हैं कुछ को पानी की अधिक आवश्यकता होती है कुछ को कम और कुछ को वर्षा की सामान्य आवश्यकता रहती है !
ऐसी परिस्थिति में यदि इस बात का पूर्वानुमान लगाना संभव हो कि किस वर्ष कहाँ वर्षा की मात्रा कैसी रहेगी !किसान लोग उसी के अनुशार फसल योजना बना सकते हैं !वर्षा के अनुशार जिस वर्ष जिस प्रकार की फसलें अच्छी होने की संभावना हो उस वर्ष उस प्रकार की फसल बोकर किसान अपनी उपज बढ़ा सकते हैं !उस उपज को बाजार में बेचकर किसान अपनी आवश्यकता के अनुशार अनाज खरीद सकते हैं इससे किसानों का किसी भी प्रकार से नुक्सान नहीं होगा !
इसके लिए किसानों को कुछ महीने पहले इस बात का पूर्वानुमान पता लगना आवश्यक होता है कि इस वर्ष वर्षा की मात्रा कैसी रहेगी !इससे उन्हें न केवल आगामी फसल योजना बनाने में सुविधा रहती है अपितु वो उसी के अनुशार वर्तमान उपज का संरक्षण करते हैं एवं जानवरों के लिए भूसा आदि का संरक्षण भी उसी हिसाब से कर लेते हैं !इससे किसानों को लाभ तभी हो सकता है जब उन्हें जून से सितंबर के बीच होने वाली वर्षा की मात्रा का पूर्वानुमान मार्च अप्रैल में ही पता लगे !किंतु इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि बादलों की जासूसी करके दो चार दिन पहले का वर्षा संबंधी तीर तुक्का भिड़ाने वाले लोगों से इतने महीने पहले के वर्षा संबंधी पूर्वानुमानों की आशा लगाना अपने में मूर्खता है !आधुनिक विज्ञान के पास ऐसी कोई तकनीक ही नहीं है ऐसा अनेकों बार प्रमाणित हो चुका है उनके द्वारा की गईं वर्षा संबंधी दीर्घावधि भविष्यवाणियों में आधे से भी कम सही सिद्ध होते देखी गई हैं !जो किसानों के द्वारा लगाए जाने वाले तीर तुक्कों से भी पीछे होती हैं !यही कारण है जब किसान वर्षा संबंधी अपने पूर्वानुमानों के आधार पर कृषि किया करते थे तब उन्हें आत्महत्या करने की नौबत तो कभी नहीं आई थी !जो लोग अपने को मौसमवैज्ञानिक के रूप में प्रचारित करने के लिए भारत के प्राचीन मौसम विज्ञान को निराधार अवैज्ञानिक अंधविश्वास आदि कहकर उसे गलत बताया करते थे और अपने को विज्ञान सम्मत !किसानों ने उनकी ऐसी अवैज्ञानिक बातों पर भरोसा किया और उनकी बातों पर भरोसा करते चले गए अपने प्राचीन विज्ञान को भूलते चले गए !धीरे धीरे पुरानी पीढ़ी समाप्त होते चली गई आधुनिक लोगों ने उन लोगों की बातों पर भरोसा नहीं किया वो उस विज्ञान के चक्कर में पड़ गए जहाँ सच्चाई कुछ थी ही नहीं !परिणाम स्वरूप आज परिस्थिति ऐसी पैदा हुई कि सही एवं सटीक मौसम पूर्वानुमान के आभाव में किसानों को नुक्सान उठाना पड़ रहा है !इसलिए अब आवश्यकता है भारत के प्राचीन मौसम विज्ञान को पुनर्जीवित करने की !अभी बहुत देर नहीं हुई है !
विचारणीय विषय यह है कि तेरह वर्षों में केवल पाँच वर्षों के ही दीर्घावधि पूर्वानुमान सही निकलें तो सिद्धांततः उन्हें पूर्वानुमान नहीं कहा जाना चाहिए किंतु सरकारों के पास जब तक कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है तब तक किसी न किसी को मौसम वैज्ञानिक कहना सरकारों की अपनी मजबूरी होती है अन्यथा विश्व में एक संदेश जाएगा कि देखो अमुकदेश के पास अपना मौसम विजान और वैज्ञानिक नहीं हैं ! किसान आदि काल से ही अपने ज्ञान विद्या बुद्धि अनुभवों आकाशीय लक्षणों एवं ग्रह नक्षत्रों के सहयोग से वर्षा संबंधी पूर्वानुमान लगाकर कृषि करते रहे हैं !इसलिए वर्षा आदि प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाना भारत की प्राचीन वैज्ञानिक परंपरा का हिस्सा रहा है भारत के लिए ये नया नहीं है !
प्राकृतिकघटनाएँ -
वर्षा ,बाढ़,सूखा,आँधीतूफ़ान, वायुप्रदूषण और भूकंप जैसी घटनाओं के अचानक घटित हो जाने से जन धन की भारी हानि होते देखी जाती है !इसलिए ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान समय से पहले लग जाने से संभावित उन परिस्थितियों से जूझने की तैयारियाँ यथा संभव पहले से कर ली जाती हैं !बचाव कार्यों के विषय में भी सोचने के लिए समय मिल जाता है !
ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाने की भारत में अत्यंत प्राचीन परंपरा रही है! उस विधा को जानने वाले किसान आदिवासी या जंगलों में रहने वाले लोग केवल वर्षा ही नहीं अपितु प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान भी पहले से लगा लेते देखे जाते हैं ऐसे अनेकों संकेत मिलते रहे हैं जब भूकंप या सुनामी आने से पहले जंगल में रहने वाले लोग अपना स्थान परिवर्तन करते देखे सुने गए हैं!
ऐसा असंभव भी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने से पूर्व कई पशु पक्षियों जीव जंतुओं के स्वभाव व्यवहार एवं उनकी बोलियों आदि में बदलाव होते देखे जाते रहे हैं !वस्तुतः बदलाव निकट भविष्य में संभावित प्राकृतिक घटनाओं के अनुशार हो रहे होते हैं या यूँ कह लें कि ऐसे बदलावों के द्वारा भविष्य में संभावित प्राकृतिक घटनाओं के विषय में कुछ सूचनाएँ मिल रही होती हैं !
इसके अतिरिक्त पेड़ों पौधों में समय समय पर होने वाले अस्वाभाविक बदलावों में तथा उनके फूलने फलने संबंधी समय असमय में आकारों प्रकारों में एवं प्राकृतिक पदार्थों के स्वाद और सुगंध आदि की विविधता में निकट भविष्य में घटित होने वाली संभावित प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित कुछ सूचनाएँ छिपी होती हैं !
ऐसे ही नदियों तालाबों पर्वतों आदि के आकार प्रकार एवं दर्शन आदि में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तन भी निकट भविष्य में घटित होने वाली संभावित प्राकृतिकघटनाओं की सूचना दे रहे होते हैं !
सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने में हवाओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है हवाएँ कभी भी केवल एक ही प्रकार से नहीं चलती हैं !उनके प्रकार बदलने में ही प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित सूचनाएँ छिपी होती हैं !अपने प्रवाह में अलग अलग प्रकार से निरंतर बहने वाली हवाएँ अपनी गति दिशा तापमान गंध एवं स्वाद आदि समय समय पर बदलती रहती हैं ये बदलाव निरर्थक नहीं हो रहे होते हैं अपितु इन परिवर्तनों के माध्यम से हवाएँ भविष्य में घटित होने वाली कुछ प्राकृतिक घटनाओं की सूचनाएँ दे रही होती हैं !वायु के आधीन सारा चराचर संसार है हवाओं के बदलाव का असर सब पर पड़ता है प्राकृतिक घटनाएँ भी उससे प्रभावित होती है!
भूकंपों के समय पृथ्वी में होने वाले कंपनों में उस क्षेत्र से संबंधित अनेकों प्रकार की सूचनाएँ छिपी होती हैं !अक्सर वो उस क्षेत्र में घटित होने वाली भविष्य संबंधी किसी दूसरी घटना की सूचना देने आते हैं !कई बार उस क्षेत्र में निकट भविष्य में घटित होने वाली संभावित किसी बीमारी महामारी आदि की सूचना दे रहे होते हैं! कुछ लोगों के स्वास्थ्य,चिंतन आदि विषयों से संबंधित होती हैं !कई बार कुछ भूकंप बम विस्फोट जैसी आतंकी घटनाओं की सूचनाएँ दे रहे होते हैं!दो देशों में एक साथ आने वाले संयुक्त भूकंप उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के बनने या बिगड़ने की सूचनाएँ दे रहे होते हैं ! कई बार कहीं अतिवर्षा बाढ़ सूखा या हिंसक आँधी तूफानों की सूचना दे रहे होते हैं !इस प्रकार से तमाम तरह की सूचनाएँ देने के लिए ही तो भूकंप अपनी तीव्रता केंद्र समय स्थान आदि बदलते रहते हैं इन परिवर्तनों में उस क्षेत्र से संबंधित कुछ सूचनाएँ प्रकृति के द्वारा दी जा रही होती हैं !भूकंपों से संबंधित सभी प्रकार के बदलाव हमेंशा निरर्थक नहीं हुआ करते हैं !जैसे तबला बजाने वाले लोग तबला बजाते समय अलग अलग भागों में भिन्न भिन्न प्रकार की थाप देते हैं जो निरर्थक एवं निरुद्देश्य नहीं होता है उस हर थाप से अलग अलग प्रकार के स्वर निकल रहे होते हैं उसी प्रकार से भूकंपों से भी अलग अलग प्रकार की स्वर सूचनाएँ निकल रही होती हैं जिन संकेतों को समझने वाले वैज्ञानिक चाहिए !भूकंपों को खोजने के लिए रिसर्च के नाम पर गड्ढे खोदने और मिट्टी भरते रहने वाले रिसर्चरों के बश का कुछ नहीं है !जिस प्रकार से किसी तबला बजाने वाले के विषय में इस बात का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है कि वह अगली थाप तबले के ऊपर कहाँ किस प्रकार से मारेगा उसी प्रकार से भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है यह तो प्रकृति का संगीत है !भारत का प्राचीन विजान तो लाखों वर्ष पहले यह घोषित कर चुका था कि भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है !ऐसी बातों पर जिन्हें विश्वास नहीं है उन्होंने ऐसे रिसर्चों पर अभी तो सौ पचास वर्ष ही बर्बाद किए हैं ऐसे रिसर्च यदि वे आगामी हजारों वर्ष तक भी करते रहेंगे तो भी भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाना तो दूर सामान्य संकेत भी हासिल कर पाने में असफल रहेंगे !ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है !
इसी प्रकार से बादलों के आकार प्रकार रंग गर्जन गति समय एवं उनका उस समय चल रही वायु के साथ का आपसी तालमेल आदि जो हमेंशा बदलता रहता है !बिजली कड़कने का शब्द उसके आकृति रंग दिशा शब्द समय आदि में बदलाव होता रहता है ऐसे सभी बदलाव निकट भविष्य में घटित होने वाली प्रकृति या जीवन से संबंधित कोई न कोई सूचना दे रहे होते हैं !
ऐसे ही सूर्य चंद्र का उदय अस्त होते समय आकाश के रंगों में बदलाव ,सूर्य और चंद्र की आकृतियों रंगों प्रभाव आदि में समय समय पर होने वाला बदलाव, उनमें प्रकट होने वाले चिन्हों में बदलाव ,चंद्र का श्रृंग परिवर्तन,बदलते हुए अन्य आकाशीय लक्षण ,ग्रहण आदि घटनाओं में समय समय पर होते रहने वाले बदलाओं से भविष्य संबंधी बहुत सारी सूचनाएँ प्रकट हो रही होती हैं जो प्रकृति और मानव जीवन से संबंधित होती हैं !
इसके अलावा आकाशीय ग्रहों नक्षत्रों उनकी गतियों युतियों एवं पारस्परिक संचार संबंधों का प्रकृति और जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है जिससे प्रभावित होकर प्रकृति और जीवन में अनेकों प्रकार के बदलाव होते देखे जाते हैं !जिनके कारण प्रकृति में बहुत सारी घटनाएँ घटित होती रहती हैं !वर्षा आदि प्राकृतिक घटनाओं पर भी उन बदलाओं का प्रभाव होता है!प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएँ भी ऐसे परिवर्तनों से प्रकट हो रही होती हैं !
प्रत्येक समय में प्रतिपल बदलाव हो रहे होते हैं समय का अपना स्वाद होता है समय मीठा होता है खट्टा होता है समय में सभी रस विद्यमान रहते हैं जो बदलते समय के साथ साथ बदल रहे होते हैं!किंतु समय अकेला कभी नहीं बदलता है अपितु समय के साथ साथ सारा संसार एवं संसार की प्रत्येक वस्तु समय की गति के साथ ही साथ उसी प्रकार की लय में बदल रही होती है ,जिस प्रकार से नौका में बैठे कई लोग नदी की धारा के अनुशार नौका के हिलने के साथ साथ एक जैसे हिलते रहते हैं !उसी प्रकार से समय की भी वेगवती धारा है जिसमें सारा संसार सवार है समय में होने वाले छोटे बड़े बदलावों का असर सभी में एक साथ दिखाई देता है !
इसलिए यदि समय को समझ लिया जाए तो समय के साथ होने वाले सभी प्रकार के प्राकृतिक बदलावों को समझा जा सकता है !इससे प्रकृति और मानव जीवन में घटित होने वाली प्रायः बहुत सारी घटनाओं को न केवल जाना जा सकता है अपितु उनका पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है क्योंकि संसार के सभी बदलाव समय के आधीन हैं !कुल मिलाकर समय को समझ लिया जाए तो सभी कुछ समझा जा सकता है !
ऐसे सभी प्रकार के बदलावों को समझने वाले उनका अनुभव रखने वाले प्रकृति प्रेमी लोग जिनका रहन सहन निरंतर कृषि से संबंधित क्षेत्रों में गाँवों में जंगलों में होता है वे ही ऐसे सूक्ष्म बदलावों से संबंधित सूचनाओं का अनुभव कर पाते हैं एवं उनके अनुभव के आधार पर प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा पाते हैं !
प्रकृति एवं जीवन से संबंधित ज्ञान विज्ञान को समझने एवं उससे प्राप्त अनुभवों का अनुसंधान करने वाले लोग प्रकृति या मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लेते हैं !
चूँकि प्रकृति और मानव जीवन में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाएँ समय के आधीन होती हैं समय कभी एक जैसा नहीं रहता है ये हमेंशा बदलता रहता है जिसके साथ साथ संसार की प्रत्येक वस्तु में होने वाले बदलाव देखकर लगता है कि समय बदल रहा है !संपूर्ण सृष्टिचक्र ही समय का अनुगमन करता है !समय कब कैसा चलेगा इसका ज्ञान करने के लिए ग्रहनक्षत्र विद्या के अतिरिक्त संसार में और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है !'कालज्ञानंग्रहाधीनं' ऐसा समझकर ही पूर्वजों ने समय को समझने के लिए ग्रहनक्षत्र विद्या का आविष्कार किया था जिसके सहयोग से गणित के द्वारा हजारों वर्ष पहले के खगोलीय परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगा पाने में वे सक्षम हुए थे !जिस गणित के द्वारा वे ग्रहण आदि आकाशीय घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान ग्रहण घटित होने के हजारों वर्ष पहले लगा लिया करते थे उस गणित के द्वारा यदि पृथ्वी पर घटित होने वाली वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें क्या आश्चर्य होगा !
मानव जीवन के लिए आवश्यक है पूर्वानुमान -
ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाने की भारत में अत्यंत प्राचीन परंपरा रही है! उस विधा को जानने वाले किसान आदिवासी या जंगलों में रहने वाले लोग केवल वर्षा ही नहीं अपितु प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान भी पहले से लगा लेते देखे जाते हैं ऐसे अनेकों संकेत मिलते रहे हैं जब भूकंप या सुनामी आने से पहले जंगल में रहने वाले लोग अपना स्थान परिवर्तन करते देखे सुने गए हैं!
ऐसा असंभव भी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने से पूर्व कई पशु पक्षियों जीव जंतुओं के स्वभाव व्यवहार एवं उनकी बोलियों आदि में बदलाव होते देखे जाते रहे हैं !वस्तुतः बदलाव निकट भविष्य में संभावित प्राकृतिक घटनाओं के अनुशार हो रहे होते हैं या यूँ कह लें कि ऐसे बदलावों के द्वारा भविष्य में संभावित प्राकृतिक घटनाओं के विषय में कुछ सूचनाएँ मिल रही होती हैं !
इसके अतिरिक्त पेड़ों पौधों में समय समय पर होने वाले अस्वाभाविक बदलावों में तथा उनके फूलने फलने संबंधी समय असमय में आकारों प्रकारों में एवं प्राकृतिक पदार्थों के स्वाद और सुगंध आदि की विविधता में निकट भविष्य में घटित होने वाली संभावित प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित कुछ सूचनाएँ छिपी होती हैं !
ऐसे ही नदियों तालाबों पर्वतों आदि के आकार प्रकार एवं दर्शन आदि में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तन भी निकट भविष्य में घटित होने वाली संभावित प्राकृतिकघटनाओं की सूचना दे रहे होते हैं !
सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने में हवाओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है हवाएँ कभी भी केवल एक ही प्रकार से नहीं चलती हैं !उनके प्रकार बदलने में ही प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित सूचनाएँ छिपी होती हैं !अपने प्रवाह में अलग अलग प्रकार से निरंतर बहने वाली हवाएँ अपनी गति दिशा तापमान गंध एवं स्वाद आदि समय समय पर बदलती रहती हैं ये बदलाव निरर्थक नहीं हो रहे होते हैं अपितु इन परिवर्तनों के माध्यम से हवाएँ भविष्य में घटित होने वाली कुछ प्राकृतिक घटनाओं की सूचनाएँ दे रही होती हैं !वायु के आधीन सारा चराचर संसार है हवाओं के बदलाव का असर सब पर पड़ता है प्राकृतिक घटनाएँ भी उससे प्रभावित होती है!
भूकंपों के समय पृथ्वी में होने वाले कंपनों में उस क्षेत्र से संबंधित अनेकों प्रकार की सूचनाएँ छिपी होती हैं !अक्सर वो उस क्षेत्र में घटित होने वाली भविष्य संबंधी किसी दूसरी घटना की सूचना देने आते हैं !कई बार उस क्षेत्र में निकट भविष्य में घटित होने वाली संभावित किसी बीमारी महामारी आदि की सूचना दे रहे होते हैं! कुछ लोगों के स्वास्थ्य,चिंतन आदि विषयों से संबंधित होती हैं !कई बार कुछ भूकंप बम विस्फोट जैसी आतंकी घटनाओं की सूचनाएँ दे रहे होते हैं!दो देशों में एक साथ आने वाले संयुक्त भूकंप उन दोनों देशों के आपसी संबंधों के बनने या बिगड़ने की सूचनाएँ दे रहे होते हैं ! कई बार कहीं अतिवर्षा बाढ़ सूखा या हिंसक आँधी तूफानों की सूचना दे रहे होते हैं !इस प्रकार से तमाम तरह की सूचनाएँ देने के लिए ही तो भूकंप अपनी तीव्रता केंद्र समय स्थान आदि बदलते रहते हैं इन परिवर्तनों में उस क्षेत्र से संबंधित कुछ सूचनाएँ प्रकृति के द्वारा दी जा रही होती हैं !भूकंपों से संबंधित सभी प्रकार के बदलाव हमेंशा निरर्थक नहीं हुआ करते हैं !जैसे तबला बजाने वाले लोग तबला बजाते समय अलग अलग भागों में भिन्न भिन्न प्रकार की थाप देते हैं जो निरर्थक एवं निरुद्देश्य नहीं होता है उस हर थाप से अलग अलग प्रकार के स्वर निकल रहे होते हैं उसी प्रकार से भूकंपों से भी अलग अलग प्रकार की स्वर सूचनाएँ निकल रही होती हैं जिन संकेतों को समझने वाले वैज्ञानिक चाहिए !भूकंपों को खोजने के लिए रिसर्च के नाम पर गड्ढे खोदने और मिट्टी भरते रहने वाले रिसर्चरों के बश का कुछ नहीं है !जिस प्रकार से किसी तबला बजाने वाले के विषय में इस बात का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है कि वह अगली थाप तबले के ऊपर कहाँ किस प्रकार से मारेगा उसी प्रकार से भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है यह तो प्रकृति का संगीत है !भारत का प्राचीन विजान तो लाखों वर्ष पहले यह घोषित कर चुका था कि भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है !ऐसी बातों पर जिन्हें विश्वास नहीं है उन्होंने ऐसे रिसर्चों पर अभी तो सौ पचास वर्ष ही बर्बाद किए हैं ऐसे रिसर्च यदि वे आगामी हजारों वर्ष तक भी करते रहेंगे तो भी भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाना तो दूर सामान्य संकेत भी हासिल कर पाने में असफल रहेंगे !ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है !
इसी प्रकार से बादलों के आकार प्रकार रंग गर्जन गति समय एवं उनका उस समय चल रही वायु के साथ का आपसी तालमेल आदि जो हमेंशा बदलता रहता है !बिजली कड़कने का शब्द उसके आकृति रंग दिशा शब्द समय आदि में बदलाव होता रहता है ऐसे सभी बदलाव निकट भविष्य में घटित होने वाली प्रकृति या जीवन से संबंधित कोई न कोई सूचना दे रहे होते हैं !
ऐसे ही सूर्य चंद्र का उदय अस्त होते समय आकाश के रंगों में बदलाव ,सूर्य और चंद्र की आकृतियों रंगों प्रभाव आदि में समय समय पर होने वाला बदलाव, उनमें प्रकट होने वाले चिन्हों में बदलाव ,चंद्र का श्रृंग परिवर्तन,बदलते हुए अन्य आकाशीय लक्षण ,ग्रहण आदि घटनाओं में समय समय पर होते रहने वाले बदलाओं से भविष्य संबंधी बहुत सारी सूचनाएँ प्रकट हो रही होती हैं जो प्रकृति और मानव जीवन से संबंधित होती हैं !
इसके अलावा आकाशीय ग्रहों नक्षत्रों उनकी गतियों युतियों एवं पारस्परिक संचार संबंधों का प्रकृति और जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है जिससे प्रभावित होकर प्रकृति और जीवन में अनेकों प्रकार के बदलाव होते देखे जाते हैं !जिनके कारण प्रकृति में बहुत सारी घटनाएँ घटित होती रहती हैं !वर्षा आदि प्राकृतिक घटनाओं पर भी उन बदलाओं का प्रभाव होता है!प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएँ भी ऐसे परिवर्तनों से प्रकट हो रही होती हैं !
प्रत्येक समय में प्रतिपल बदलाव हो रहे होते हैं समय का अपना स्वाद होता है समय मीठा होता है खट्टा होता है समय में सभी रस विद्यमान रहते हैं जो बदलते समय के साथ साथ बदल रहे होते हैं!किंतु समय अकेला कभी नहीं बदलता है अपितु समय के साथ साथ सारा संसार एवं संसार की प्रत्येक वस्तु समय की गति के साथ ही साथ उसी प्रकार की लय में बदल रही होती है ,जिस प्रकार से नौका में बैठे कई लोग नदी की धारा के अनुशार नौका के हिलने के साथ साथ एक जैसे हिलते रहते हैं !उसी प्रकार से समय की भी वेगवती धारा है जिसमें सारा संसार सवार है समय में होने वाले छोटे बड़े बदलावों का असर सभी में एक साथ दिखाई देता है !
इसलिए यदि समय को समझ लिया जाए तो समय के साथ होने वाले सभी प्रकार के प्राकृतिक बदलावों को समझा जा सकता है !इससे प्रकृति और मानव जीवन में घटित होने वाली प्रायः बहुत सारी घटनाओं को न केवल जाना जा सकता है अपितु उनका पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है क्योंकि संसार के सभी बदलाव समय के आधीन हैं !कुल मिलाकर समय को समझ लिया जाए तो सभी कुछ समझा जा सकता है !
ऐसे सभी प्रकार के बदलावों को समझने वाले उनका अनुभव रखने वाले प्रकृति प्रेमी लोग जिनका रहन सहन निरंतर कृषि से संबंधित क्षेत्रों में गाँवों में जंगलों में होता है वे ही ऐसे सूक्ष्म बदलावों से संबंधित सूचनाओं का अनुभव कर पाते हैं एवं उनके अनुभव के आधार पर प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा पाते हैं !
प्रकृति एवं जीवन से संबंधित ज्ञान विज्ञान को समझने एवं उससे प्राप्त अनुभवों का अनुसंधान करने वाले लोग प्रकृति या मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लेते हैं !
चूँकि प्रकृति और मानव जीवन में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाएँ समय के आधीन होती हैं समय कभी एक जैसा नहीं रहता है ये हमेंशा बदलता रहता है जिसके साथ साथ संसार की प्रत्येक वस्तु में होने वाले बदलाव देखकर लगता है कि समय बदल रहा है !संपूर्ण सृष्टिचक्र ही समय का अनुगमन करता है !समय कब कैसा चलेगा इसका ज्ञान करने के लिए ग्रहनक्षत्र विद्या के अतिरिक्त संसार में और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है !'कालज्ञानंग्रहाधीनं' ऐसा समझकर ही पूर्वजों ने समय को समझने के लिए ग्रहनक्षत्र विद्या का आविष्कार किया था जिसके सहयोग से गणित के द्वारा हजारों वर्ष पहले के खगोलीय परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगा पाने में वे सक्षम हुए थे !जिस गणित के द्वारा वे ग्रहण आदि आकाशीय घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान ग्रहण घटित होने के हजारों वर्ष पहले लगा लिया करते थे उस गणित के द्वारा यदि पृथ्वी पर घटित होने वाली वर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो इसमें क्या आश्चर्य होगा !
मानव जीवन के लिए आवश्यक है पूर्वानुमान -
प्रकृति की तरह ही मानवजीवन भी महत्वपूर्ण है जीवन सुरक्षित रहेगा तभी तो प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान का लाभ उठाया जा सकेगा और यदि जीवन ही नहीं रहेगा तो किस काम आ पाएगा मौसम पूर्वानुमान !इसलिए नियमानुसार तो जीवन संबंधी घटनाओं के पूर्वानुमानों की आवश्यकता पहले होती है और प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान की आवश्यकता उसके बाद में पड़ती है !
"यत्पिंडेतत्ब्रह्मांडे" अर्थात जो शरीर में घटित हो रहा है वही ब्रह्मांड में घटित होता है! प्राकृतिक घटनाओं की तरह ही मानव जीवन में भी अच्छी बुरी बहुत सारी घटनाएँ घटित होती हैं उनमें से अच्छी घटनाओं के घटित होने का पूर्वानुमान यदि पहले से पता लगा लिया जाए तो उसका अधिक उपयोग करके जीवन को और अधिक खुशहाल बनाया जा सकता है !अच्छी संभावनाएँ देखकर ऐसे समय में आगे से आगे अच्छे निर्णय लेकर प्रयास पूर्वक और अधिक उन्नति की जा सकती है !जिस प्रकार के कार्यों में विकास की संभावनाएँ अच्छी लग रही हों उस प्रकार के कार्य प्रारंभ किए जा सकते हैं !जिस प्रकार के लोगों से मिलकर उनके साथ कार्य करने से सफलता मिलने की संभावना हो उस प्रकार के लोगों को साथ लेकर कार्य किया जा सकता है !ये सब तभी संभव है जब जीवन में घटित होने वाली अच्छी घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान लगाना आगे से आगे संभव हो !
इसी प्रकार से प्राकृतिक आपदाओं की तरह ही जीवन में बुरी घटनाएँ भी घटित होती हैं जिनके विषय में यदि पहले से पूर्वानुमान लगाना संभव हो पावे तो उनसे बचाव के लिए रास्ते खोजे जा सकते हैं दूसरों से मदद माँगी जा सकती है सावधानी बरती जा सकती है !उस प्रकार की संभावित परिस्थितियों को सहने की हिम्मत जुटाई जा सकती है !पूर्वानुमान पता लगते ही बचाव के लिए हर संभव प्रयास किए जा सकते हैं !यह भी तभी संभव है जब किसी के जीवन में ऐसी घटनाएँ घटित होने की संभावनाओं का आगे से आगे पूर्वानुमान लगाया जा सके !पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में अनेकों निर्णय गलत कर लिए जाते हैं जिनके परिणाम भी गलत ही होते हैं !
समय संबंधी सभी बदलाव संपूर्ण ब्रह्मांड में एक साथ होते हैं जिसमें ग्रहनक्षत्रों से लेकर प्राकृतिक वातावरण आदि सब कुछ बदलता है उसी बदलाव के अनुरूप ही बनौषधियाँ पेड़ पौधे उनके सुकोमल पत्ते फूल फल आदि के आकार प्रकार रंग रूप स्वाद गंध आदि में भी उसी प्रकार का बदलाव आता है इसी प्रकार के बदलाव मनुष्य पशु पक्षी आदि सभी जीव जंतुओं में भी आते हैं ऐसे ही बदलाव मनुष्य जीवन में भी आने लगते हैं!जिन्हें देखकर भविष्य की प्राकृतिक एवं जीवन संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है भारत की प्राचीन परम्परा में लोग ऐसे पूर्वानुमान विज्ञान को शकुन अपशकुन के स्वरूप में परिभाषित करते रहे हैं !
वैसे भी जब किसी का स्वास्थ्य बिगड़ने वाला होता है तब शुरुआत अक्सर धीमी होती है इसीलिए धीरे धीरे रोग बढ़ता चला जाता है उस समय लापरवाही हो जाती है जिससे रोग बढ़ता चला जाता है और बाद में बिकराल स्वरूप धारण कर लेता है चिकित्सा की दृष्टि से तब तक देर हो चुकी होती है !ऐसी परिस्थिति में पूर्वानुमान यदि पहले से पता होते तो प्रारंभिक समय से ही चिकित्सा संपूर्ण रूप से सतर्कता पूर्वक प्रारंभ की जाए तो उस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है !
कई बार कोई चिकित्सक कुछ एक जैसे रोगियों की चिकित्सा एक जैसी प्रक्रिया से करता है जिसके परिणाम स्वरूप कुछ रोगी स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं ऐसे में जो रोगी स्वस्थ हुए इसे यदि चिकित्सा का फल माना जाए तो जो अस्वस्थ हुए या मर गए उन पर उसी चिकित्सा का वैसा असर हुआ क्यों ?इससे संबंधित परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो पाता तो उन अस्वस्थ बने रहे या मर गए रोगियों के लिए कुछ अतिरिक्त अधिक असरकारी प्रयास करके उन्हें भी रोग मुक्ति दिलाने या बचाने का प्रयास तो किया जा सकता है !
कई बार सेना के किसी जवान का स्वास्थ्य खराब होने वाला होता है या मानसिक तनाव बढ़ने वाला होता है ऐसे समय में उसे मानसिक वा शारीरिक सहयोग की आवश्यकता होती है क्योंकि वो पूर्णतः कमजोर होता है किंतु उसके स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में उसी समय उसकी तैनाती देश के किसी ऐसे बार्डर पर कर दी जाती है जहाँ तनाव तैयार होने या युद्ध की संभावनाएँ अधिक होती हैं या वहाँ का प्राकृतिक वातावरण स्वास्थ्य के विरुद्ध होता है !ऐसी परिस्थिति में वह न तो अपनी रक्षा करने की स्थिति में होता है और न ही बार्डर की !अपने स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में पता न होने के कारण वह देश भक्त मजबूरी में ड्यूटी निभाते हुए अपने जीवन के साथ खेल जाता है !जिससे देश के किसी सैनिक का बहुमूल्य जीवन अकारण नष्ट हो जाता है जिसे बचाने के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकते थे ! सैनिक के साथ ऐसा होने का पूर्वानुमान यदि पहले से पता होता तो उसके बचाव के लिए संभावित विकल्पों पर बिचार किया जा सकता है !
किसी व्यक्ति के तनाव बढ़ने के समय का यदि पूर्वानुमान लगाना संभव हो तो उस समय ऐसे निर्णय लेने या कार्य प्रारंभ करने से बचा जा सकता है जिनसे तनाव बढ़ने की संभावना हो !
ऐसे ही किसी समय में छात्र के अध्ययनरूचि एवं बौद्धिक क्षमता का पूर्वानुमान लगाना यदि पहले से संभव हो तो छात्र की रूचि के विरुद्ध विषय का चयन न किया जाए एवं उसकी बौद्धिक क्षमता के स्तर से अधिक कठिन विषयबोझ उस पर न डाला जाए !इस प्रकार से उसे तनाव आदि से बचाया जा सकता है !
किसी व्यक्ति को जब जिस प्रकार के काम में हानि होने की संभावना हो उस विषय का पूर्वानुमान लगाना पहले से यदि संभव हो तो उस समय उस प्रकार का काम करने से बचा जा सकता है !
किसी व्यक्ति से मित्रता करते समय यदि इस बात का पूर्वानुमान लगाना संभव हो कि इसके साथ मित्रता कब तक चल सकती है ! यह किस विषय में कितन साथ और किस विषय में कितना धोखा दे सकता है एवं किस किस प्रकार की बातें और व्यवहार यह व्यक्ति सह नहीं पाएगा और संबंध तोड़ लेगा !आदि ऐसी बातों का पूर्वानुमान पहले से पता होने पर मित्रता के कारण होने वाले कई प्रकार के संकटों से बचा जा सकता है !
किसी परिवार व्यापार संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल में जहाँ कुछ लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करना होता है इसके लिए आवश्यक है कि उन सभी लोगों को उनकी रुचि के अनुरूप कार्य सौंपा जाए किसकी रुचि कैसी होगी इस बात का पूर्वानुमान लगाना संभव हो !दूसरी बात कौन व्यक्ति अपने साथ काम करने वाले लोगों के साथ स्वयं कैसा वर्ताव करेगा एवं उनमें से किस व्यक्ति से अपने प्रति कैसे वर्ताव की आशा रखेगा !इसी प्रकार से उन लोगों का इसके प्रति चिंतन कैसा रहेगा इस बात का पूर्वानुमान लगाना यदि पहले से संभव हो तो उस परिवार व्यापार संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल आदि में कभी विघटन पैदा नहीं होगा !कुछ राजनैतिकदलों को मिलाकर बनाए जाने वाले गठबंधनों के विषय में भी पूर्वानुमान यदि पहले से पता हो तो सावधानी पूर्वक गठबंधनों को टूटने से बचा जा सकता है !
किस देश प्रदेश शहर गाँव या घर आदि में रहने या काम करने से किस व्यक्ति को कितना लाभ या हानि हो सकती है इसका पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो कोई व्यक्ति सतर्कता पूर्वक अपने रहने या काम लायक उचित स्थान का चयन करके उस विषय से संबंधित बाद में होने वाली अनेकों प्रकार की परेशानियों से बच सकता है !
किसी घर में नए सदस्य का जन्म होने से या विवाह होकर किसी नए सदस्य का अपने घर में प्रवेश होने से या किसी व्यवस्थित चल रहे परिवार व्यापार संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल में जुड़ने से उसका उस परिवार आदि पर कितना किस प्रकार का असर होगा इसका पूर्वानुमान पहले से लगाना यदि संभव हो तो बाद में घटित होने वाली परेशानियों से सावधानी पूर्वक बचा जा सकता है !
जो लड़के लड़कियाँ एक दूसरे से विवाह करते हैं उन दोनों के जीवन पति या पत्नी के सुख की चाहत एक जैसी कभी नहीं होती है और न ही उन दोनों में बासना की इच्छा और शारीरिकशक्ति एक जैसी होती है न उन दोनों की स्वास्थ्यस्थिति वा मनस्थिति ही एक जैसी होती है और न ही उन दोनों की परिस्थितियाँ एक जैसी होती हैं उन दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि चिंतन योग्यता आदि भी अलग अलग होती है !उन दोनों के जीवन में चलने वाला दोनों का समय अलग अलग होता है !इसलिए दोनों की सोच समेत सब कुछ हमेंशा बदलता रहता है !ऐसी परिस्थिति में संभावित उस प्रकार के बदलावों का पूर्वानुमान यदि उन दोनों को पता हो तो उन दोनों के जीवन में संयम पूर्वक संबंधों को भविष्य में टूटने से बचाया जा सकता है ! उन दोनों के चिंतन में समय समय पर आने वाले बदलाव कब एक दूसरे के विरुद्ध हो जाएँ और दोनों एक दूसरे के शत्रु बनकर लड़ जाएँ संतानों की परवाह किए बिना ही विवाह विच्छेद करने को उतावले हो जाएँ कहा नहीं जा सकता है !ऐसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो उन दोनों को एक दूसरे के प्रति समय समय पर सावधान किया जा सकता है और उस जोड़े को तलाक जैसी दुखद परिस्थितियों से बचाया जा सकता है उनके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है !
कई बार कुछ लड़के लड़कियाँ अपनी शिक्षा पूरी करने या कैरियर बनाने के कारण उनके जीवन में उनका विवाह का समय आने पर वे अपना विवाह टालते जाते हैं और जब विवाह का समय निकल जाता है तब उनका कैरियर बन पाता है उसके बाद उनकी पसंद का विवाह हो पाना कठिन हो जाता है!ऐसी परिस्थिति में ये लोग अक्सर मजबूरीबश जैसा कुछ हो सके तब तो वैसा विवाह कर लेते हैं किंतु उसके बाद घुट घुट कर जीवन व्यतीत किया करते हैं या फिर प्रेम प्यार का खेल किसी तीसरे के साथ खेलते हैं योग्यता ,ओहदा एवं धन आदि के बलपर किसी पर दबाव बनाकर उसका शोषण किया करते हैं !
इसीप्रकार से कुछ विवाहित जोड़े विवाह के तुरंत बाद कुछ वर्षों तक संतान नहीं करना चाहते हैं उसके लिए संतान प्रतिरोधक औषधियों आदि का सेवन करके संतान होने की प्रक्रिया को रोक कर रखते हैं इसके बाद जब वे संतान चाहते हैं तब उन्हें संतान नहीं होती !ऐसी परिस्थिति में कब किसका विवाह होगा और कब किसको संतान होगी इस बात का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो पाता तो ऐसे लोगों को विवाह और संतान संबंधी संकट में फँसने से बचाया जा सकता है !
विशेष बात यह है कि किसी वृक्ष में कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु उस वृक्ष में फूल फल बिना ऋतु अर्थात उसके अपने समय के बिना नहीं आते हैं !आम का वृक्ष बसंत में ही फूलता फलता है ये सभी लोगों को पता है ऐसे ही मनुष्य का विवाह कब होगा संतान कब होगी इसका भी समय निश्चित है जिसे अपनी इच्छा के अनुशार टाला नहीं जा सकता है !बसंत में यदि कोई आम का वृक्ष बौर(फूल)देने लगे और माली वो बौर यह कह कर तोड़ दे कि अभी हमें फल नहीं चाहिए इसके बाद आम के वृक्ष से फल पाने की लालसा में वही माली शरद ऋतु में आम के पेड़ में खूब खाद और पानी देने लगे तो क्या उस आम के वृक्ष में फूल फल लगने की आशा की जानी चाहिए !
इसप्रकार से प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक में प्रत्येक घटना अपनी अपनी ऋतु अर्थात समय पर घटित हो रही होती है जिनसे संबंधित पूर्वानुमान यदि लोगों को उपलब्ध कराए जा सकें कि तुम्हारे जीवन में किस प्रकार की घटना कब घटित होगी!अपने जीवन के विषय में ऐसे पूर्वानुमान जानने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र की सीमाएँ पता होंगी इसके साथ साथ उसे यह भी पता होगा कि इन सीमाओं में रहने से उसे तनाव नहीं होगा !ऐसी परिस्थिति में वो अपने सुख दुःख की सीमाएँ याद रखेगा तो तनाव मुक्त जीवन जीने का अभ्यास करता रह सकता है !
पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में होते हैं अपराध -
"यत्पिंडेतत्ब्रह्मांडे" अर्थात जो शरीर में घटित हो रहा है वही ब्रह्मांड में घटित होता है! प्राकृतिक घटनाओं की तरह ही मानव जीवन में भी अच्छी बुरी बहुत सारी घटनाएँ घटित होती हैं उनमें से अच्छी घटनाओं के घटित होने का पूर्वानुमान यदि पहले से पता लगा लिया जाए तो उसका अधिक उपयोग करके जीवन को और अधिक खुशहाल बनाया जा सकता है !अच्छी संभावनाएँ देखकर ऐसे समय में आगे से आगे अच्छे निर्णय लेकर प्रयास पूर्वक और अधिक उन्नति की जा सकती है !जिस प्रकार के कार्यों में विकास की संभावनाएँ अच्छी लग रही हों उस प्रकार के कार्य प्रारंभ किए जा सकते हैं !जिस प्रकार के लोगों से मिलकर उनके साथ कार्य करने से सफलता मिलने की संभावना हो उस प्रकार के लोगों को साथ लेकर कार्य किया जा सकता है !ये सब तभी संभव है जब जीवन में घटित होने वाली अच्छी घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान लगाना आगे से आगे संभव हो !
इसी प्रकार से प्राकृतिक आपदाओं की तरह ही जीवन में बुरी घटनाएँ भी घटित होती हैं जिनके विषय में यदि पहले से पूर्वानुमान लगाना संभव हो पावे तो उनसे बचाव के लिए रास्ते खोजे जा सकते हैं दूसरों से मदद माँगी जा सकती है सावधानी बरती जा सकती है !उस प्रकार की संभावित परिस्थितियों को सहने की हिम्मत जुटाई जा सकती है !पूर्वानुमान पता लगते ही बचाव के लिए हर संभव प्रयास किए जा सकते हैं !यह भी तभी संभव है जब किसी के जीवन में ऐसी घटनाएँ घटित होने की संभावनाओं का आगे से आगे पूर्वानुमान लगाया जा सके !पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में अनेकों निर्णय गलत कर लिए जाते हैं जिनके परिणाम भी गलत ही होते हैं !
समय संबंधी सभी बदलाव संपूर्ण ब्रह्मांड में एक साथ होते हैं जिसमें ग्रहनक्षत्रों से लेकर प्राकृतिक वातावरण आदि सब कुछ बदलता है उसी बदलाव के अनुरूप ही बनौषधियाँ पेड़ पौधे उनके सुकोमल पत्ते फूल फल आदि के आकार प्रकार रंग रूप स्वाद गंध आदि में भी उसी प्रकार का बदलाव आता है इसी प्रकार के बदलाव मनुष्य पशु पक्षी आदि सभी जीव जंतुओं में भी आते हैं ऐसे ही बदलाव मनुष्य जीवन में भी आने लगते हैं!जिन्हें देखकर भविष्य की प्राकृतिक एवं जीवन संबंधी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है भारत की प्राचीन परम्परा में लोग ऐसे पूर्वानुमान विज्ञान को शकुन अपशकुन के स्वरूप में परिभाषित करते रहे हैं !
वैसे भी जब किसी का स्वास्थ्य बिगड़ने वाला होता है तब शुरुआत अक्सर धीमी होती है इसीलिए धीरे धीरे रोग बढ़ता चला जाता है उस समय लापरवाही हो जाती है जिससे रोग बढ़ता चला जाता है और बाद में बिकराल स्वरूप धारण कर लेता है चिकित्सा की दृष्टि से तब तक देर हो चुकी होती है !ऐसी परिस्थिति में पूर्वानुमान यदि पहले से पता होते तो प्रारंभिक समय से ही चिकित्सा संपूर्ण रूप से सतर्कता पूर्वक प्रारंभ की जाए तो उस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है !
कई बार कोई चिकित्सक कुछ एक जैसे रोगियों की चिकित्सा एक जैसी प्रक्रिया से करता है जिसके परिणाम स्वरूप कुछ रोगी स्वस्थ होते हैं कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं ऐसे में जो रोगी स्वस्थ हुए इसे यदि चिकित्सा का फल माना जाए तो जो अस्वस्थ हुए या मर गए उन पर उसी चिकित्सा का वैसा असर हुआ क्यों ?इससे संबंधित परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो पाता तो उन अस्वस्थ बने रहे या मर गए रोगियों के लिए कुछ अतिरिक्त अधिक असरकारी प्रयास करके उन्हें भी रोग मुक्ति दिलाने या बचाने का प्रयास तो किया जा सकता है !
कई बार सेना के किसी जवान का स्वास्थ्य खराब होने वाला होता है या मानसिक तनाव बढ़ने वाला होता है ऐसे समय में उसे मानसिक वा शारीरिक सहयोग की आवश्यकता होती है क्योंकि वो पूर्णतः कमजोर होता है किंतु उसके स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में उसी समय उसकी तैनाती देश के किसी ऐसे बार्डर पर कर दी जाती है जहाँ तनाव तैयार होने या युद्ध की संभावनाएँ अधिक होती हैं या वहाँ का प्राकृतिक वातावरण स्वास्थ्य के विरुद्ध होता है !ऐसी परिस्थिति में वह न तो अपनी रक्षा करने की स्थिति में होता है और न ही बार्डर की !अपने स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में पता न होने के कारण वह देश भक्त मजबूरी में ड्यूटी निभाते हुए अपने जीवन के साथ खेल जाता है !जिससे देश के किसी सैनिक का बहुमूल्य जीवन अकारण नष्ट हो जाता है जिसे बचाने के लिए और अधिक प्रयास किए जा सकते थे ! सैनिक के साथ ऐसा होने का पूर्वानुमान यदि पहले से पता होता तो उसके बचाव के लिए संभावित विकल्पों पर बिचार किया जा सकता है !
किसी व्यक्ति के तनाव बढ़ने के समय का यदि पूर्वानुमान लगाना संभव हो तो उस समय ऐसे निर्णय लेने या कार्य प्रारंभ करने से बचा जा सकता है जिनसे तनाव बढ़ने की संभावना हो !
ऐसे ही किसी समय में छात्र के अध्ययनरूचि एवं बौद्धिक क्षमता का पूर्वानुमान लगाना यदि पहले से संभव हो तो छात्र की रूचि के विरुद्ध विषय का चयन न किया जाए एवं उसकी बौद्धिक क्षमता के स्तर से अधिक कठिन विषयबोझ उस पर न डाला जाए !इस प्रकार से उसे तनाव आदि से बचाया जा सकता है !
किसी व्यक्ति को जब जिस प्रकार के काम में हानि होने की संभावना हो उस विषय का पूर्वानुमान लगाना पहले से यदि संभव हो तो उस समय उस प्रकार का काम करने से बचा जा सकता है !
किसी व्यक्ति से मित्रता करते समय यदि इस बात का पूर्वानुमान लगाना संभव हो कि इसके साथ मित्रता कब तक चल सकती है ! यह किस विषय में कितन साथ और किस विषय में कितना धोखा दे सकता है एवं किस किस प्रकार की बातें और व्यवहार यह व्यक्ति सह नहीं पाएगा और संबंध तोड़ लेगा !आदि ऐसी बातों का पूर्वानुमान पहले से पता होने पर मित्रता के कारण होने वाले कई प्रकार के संकटों से बचा जा सकता है !
किसी परिवार व्यापार संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल में जहाँ कुछ लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करना होता है इसके लिए आवश्यक है कि उन सभी लोगों को उनकी रुचि के अनुरूप कार्य सौंपा जाए किसकी रुचि कैसी होगी इस बात का पूर्वानुमान लगाना संभव हो !दूसरी बात कौन व्यक्ति अपने साथ काम करने वाले लोगों के साथ स्वयं कैसा वर्ताव करेगा एवं उनमें से किस व्यक्ति से अपने प्रति कैसे वर्ताव की आशा रखेगा !इसी प्रकार से उन लोगों का इसके प्रति चिंतन कैसा रहेगा इस बात का पूर्वानुमान लगाना यदि पहले से संभव हो तो उस परिवार व्यापार संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल आदि में कभी विघटन पैदा नहीं होगा !कुछ राजनैतिकदलों को मिलाकर बनाए जाने वाले गठबंधनों के विषय में भी पूर्वानुमान यदि पहले से पता हो तो सावधानी पूर्वक गठबंधनों को टूटने से बचा जा सकता है !
किस देश प्रदेश शहर गाँव या घर आदि में रहने या काम करने से किस व्यक्ति को कितना लाभ या हानि हो सकती है इसका पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो कोई व्यक्ति सतर्कता पूर्वक अपने रहने या काम लायक उचित स्थान का चयन करके उस विषय से संबंधित बाद में होने वाली अनेकों प्रकार की परेशानियों से बच सकता है !
किसी घर में नए सदस्य का जन्म होने से या विवाह होकर किसी नए सदस्य का अपने घर में प्रवेश होने से या किसी व्यवस्थित चल रहे परिवार व्यापार संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल में जुड़ने से उसका उस परिवार आदि पर कितना किस प्रकार का असर होगा इसका पूर्वानुमान पहले से लगाना यदि संभव हो तो बाद में घटित होने वाली परेशानियों से सावधानी पूर्वक बचा जा सकता है !
जो लड़के लड़कियाँ एक दूसरे से विवाह करते हैं उन दोनों के जीवन पति या पत्नी के सुख की चाहत एक जैसी कभी नहीं होती है और न ही उन दोनों में बासना की इच्छा और शारीरिकशक्ति एक जैसी होती है न उन दोनों की स्वास्थ्यस्थिति वा मनस्थिति ही एक जैसी होती है और न ही उन दोनों की परिस्थितियाँ एक जैसी होती हैं उन दोनों की पारिवारिक पृष्ठभूमि चिंतन योग्यता आदि भी अलग अलग होती है !उन दोनों के जीवन में चलने वाला दोनों का समय अलग अलग होता है !इसलिए दोनों की सोच समेत सब कुछ हमेंशा बदलता रहता है !ऐसी परिस्थिति में संभावित उस प्रकार के बदलावों का पूर्वानुमान यदि उन दोनों को पता हो तो उन दोनों के जीवन में संयम पूर्वक संबंधों को भविष्य में टूटने से बचाया जा सकता है ! उन दोनों के चिंतन में समय समय पर आने वाले बदलाव कब एक दूसरे के विरुद्ध हो जाएँ और दोनों एक दूसरे के शत्रु बनकर लड़ जाएँ संतानों की परवाह किए बिना ही विवाह विच्छेद करने को उतावले हो जाएँ कहा नहीं जा सकता है !ऐसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो तो उन दोनों को एक दूसरे के प्रति समय समय पर सावधान किया जा सकता है और उस जोड़े को तलाक जैसी दुखद परिस्थितियों से बचाया जा सकता है उनके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है !
कई बार कुछ लड़के लड़कियाँ अपनी शिक्षा पूरी करने या कैरियर बनाने के कारण उनके जीवन में उनका विवाह का समय आने पर वे अपना विवाह टालते जाते हैं और जब विवाह का समय निकल जाता है तब उनका कैरियर बन पाता है उसके बाद उनकी पसंद का विवाह हो पाना कठिन हो जाता है!ऐसी परिस्थिति में ये लोग अक्सर मजबूरीबश जैसा कुछ हो सके तब तो वैसा विवाह कर लेते हैं किंतु उसके बाद घुट घुट कर जीवन व्यतीत किया करते हैं या फिर प्रेम प्यार का खेल किसी तीसरे के साथ खेलते हैं योग्यता ,ओहदा एवं धन आदि के बलपर किसी पर दबाव बनाकर उसका शोषण किया करते हैं !
इसीप्रकार से कुछ विवाहित जोड़े विवाह के तुरंत बाद कुछ वर्षों तक संतान नहीं करना चाहते हैं उसके लिए संतान प्रतिरोधक औषधियों आदि का सेवन करके संतान होने की प्रक्रिया को रोक कर रखते हैं इसके बाद जब वे संतान चाहते हैं तब उन्हें संतान नहीं होती !ऐसी परिस्थिति में कब किसका विवाह होगा और कब किसको संतान होगी इस बात का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो पाता तो ऐसे लोगों को विवाह और संतान संबंधी संकट में फँसने से बचाया जा सकता है !
विशेष बात यह है कि किसी वृक्ष में कितना भी खाद पानी क्यों न दिया जाए किंतु उस वृक्ष में फूल फल बिना ऋतु अर्थात उसके अपने समय के बिना नहीं आते हैं !आम का वृक्ष बसंत में ही फूलता फलता है ये सभी लोगों को पता है ऐसे ही मनुष्य का विवाह कब होगा संतान कब होगी इसका भी समय निश्चित है जिसे अपनी इच्छा के अनुशार टाला नहीं जा सकता है !बसंत में यदि कोई आम का वृक्ष बौर(फूल)देने लगे और माली वो बौर यह कह कर तोड़ दे कि अभी हमें फल नहीं चाहिए इसके बाद आम के वृक्ष से फल पाने की लालसा में वही माली शरद ऋतु में आम के पेड़ में खूब खाद और पानी देने लगे तो क्या उस आम के वृक्ष में फूल फल लगने की आशा की जानी चाहिए !
इसप्रकार से प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक में प्रत्येक घटना अपनी अपनी ऋतु अर्थात समय पर घटित हो रही होती है जिनसे संबंधित पूर्वानुमान यदि लोगों को उपलब्ध कराए जा सकें कि तुम्हारे जीवन में किस प्रकार की घटना कब घटित होगी!अपने जीवन के विषय में ऐसे पूर्वानुमान जानने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र की सीमाएँ पता होंगी इसके साथ साथ उसे यह भी पता होगा कि इन सीमाओं में रहने से उसे तनाव नहीं होगा !ऐसी परिस्थिति में वो अपने सुख दुःख की सीमाएँ याद रखेगा तो तनाव मुक्त जीवन जीने का अभ्यास करता रह सकता है !
कुछ लोगों के जीवन में कभी एक दो
वर्ष का बुरा समय आ जाता है जिसके कारण वे परेशानियों में फँस जाते हैं तनाव
ग्रस्त होकर किसी नशे आदि के आदि हो जाते हैं या फिर उन परिस्थितियों में
कुसंगति में पड़ जाते हैं अपराधियों के संग साथ के कारण वे आपराधिक कृत्यों
में सम्मिलित हो जाते हैं !पकड़े जाने पर केस चलता है सजा होती है जिसमें वे
दसों बीसों वर्ष जेल में पड़े पड़े निरर्थक बीत जाते हैं जबकि उनका बुरा समय
तो एक दो वर्ष ही होता है किंतु बुरे समय में किए गए कृत्यों का भोग इतने
लंबे समय तक भोगना पड़ता है !जिस कारण से बुरा समय तो बुरा बीतता ही है उसके
बाद में आने वाला जो अच्छा समय भी होता है वह भी बुरे समय की तरह ही निकल
जाता है !जिसमें वे अगर जेल से बाहर होते तो अपने जीवन परिवार समाज एवं देश
के सृजन के लिए कुछ महत्वपूर्ण कार्य कर सकते थे !ऐसे लोगों को यदि उनके
बुरे समय का पूर्वानुमान पहले से पता होता तो वो सहनशीलता, संयम के बलपर वो अपना बुरा समय पार कर सकते थे जिससे उनका बाद वाला शुभ समय उनके एवं समाज के अच्छे कामों में लग सकता था !
ऐसे ही साधु संतों के प्रति समाज हमेंशा से ही
असीम आस्था रखता आया है आस्थावान गृहस्थ लोग साधु संतों को सर्वोच्च सम्मान
का अधिकारी समझते हैं इसीलिए वे अपने पति - पत्नी बच्चों सहित उनके चरणों
में समर्पित होते जाते हैं ! उनसे सलाह या आशीर्वाद लेने के लिए अपने जीवन
की अधिकाँश बातें उन पर विश्वास करके उन्हें बता देते हैं ! आशा होती है कि कोई रास्ता मिलेगा ! साधू संत ऐसी परिस्थिति में समाज की मदद करते भी रहें
हैं तभी तो उनके प्रति समाज का सम्मान बना एवं बढ़ा है ! किंतु दुविधा यह
है की साधू संत भी दो प्रकार के होते हैं , एक तो स्वाभाव से साधू होते हैं दूसरे अभाव से ! जो स्वभावसे साधू होते हैं उनके मन में कभी विकार नहीं
आते उनका विश्वास किया ही जाना चाहिए किन्तु जो अभाव से साधू बनते हैं उनके पास जो कुछ नहीं होता है उसे पाने के लिए वे साधू बनते हैं जैसे ही उन्हें वो मिलता दिखता है उनका वैराग्य बहता चला जाता है और वह बिना परिश्रम किए ही धनइकट्ठा करने के लिए साधू संतों जैसा वेष
तो धारण कर लेते हैं किन्तु वे साधू बनकर भी अपने लक्ष्य साधन में ही मन
गढ़ाए रहते हैं ! धन मिला तो धन लूट लिया स्त्री मिली तो उसके जीवन के साथ खेलने लगे !इस प्रकार से जिन - जिन प्रपंचों से दूर भागे थे धीरे - धीरे वे सभी अपना लेते हैं ! ऐसे अभावग्रस्त बाबाओं का विश्वास नहीं किया जाना चाहिए !ऐसी परिस्थिति में इस बात का भी पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए की कौन सा साधू विश्वसनीय है और कौन सा नहीं !पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में होते हैं अपराध -
पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में लोग अक्सर कर्मवाद के शिकार हो जाते हैं उन्हें लगने लगता है कि संसार में कर्म ही प्रधान है अर्थात कर्म के बलपर वो संसार की प्रत्येक वस्तु प्राप्त कर सकते हैं !वो कहने लगते हैं कि यदि सच्ची निष्ठा से प्रयास किया जाए तो लक्ष्य कितना ही बड़ा क्यों न हो उसे हासिल अवश्य किया जा सकता है !इस प्रकार से अपने विषय में वे बहुत बड़े भ्रम का शिकार हो जाते हैं और अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मन माने लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं फिर उन्हें पाने का प्रयास करने लगते हैं !जब वो लक्ष्य प्राप्त करने की लालषा से कोई प्रयास परिश्रम आदि करते हैं और उसमें असफल हो जाते हैं !ऐसे समय कुछ लोग निराश हताश होकर चुप बैठ जाते हैं और कुछ तनाव अवसाद आदि के शिकार होकर बोझ की तरह अपने जीवन को ढोने लगते हैं जबकि कुछ अपराधी बनकर अपनी लक्ष्य साधना के लिए निकल पड़ते हैं !
ऐसा असफल एक वर्ग ऐसा भी है जो अपनी असफलता के लिए किसी को जिम्मेदार मानने लगता है और वो उसका शत्रु बन बैठता है और उसे मरने मारने को तैयार हो जाता है !
ऐसे कुछ कर्मवादी लोग बड़ी बड़ी सुख सुविधाओं से युक्त बिलासिता पूर्ण जीवन जीने के सपने पाल लेते हैं बड़ी बड़ी कोठियों में रहने एवं महँगी महँगी गाड़ियों पर चलने के सपने पाल लेते हैं और उन्हें पूरे करने के प्रयास में लग जाते हैं !आमदनी के साधन सीमित होने के कारण सही रास्ते से वो अपने सपने पूरे नहीं कर पाते हैं !इसलिए अक्सर ऐसे लोग धन इकठ्ठा करने के लिए अपराध जगत की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं !
इसी प्रकार से कोई लड़का या लड़की जिस किसी से प्रेम या विवाह करने की ठान लेता है उसे समझाने मनाने प्रभावित करने के लिए वे संपूर्णरूप से समर्पित हो जाते हैं !अपना सारा कामधंधा पढ़ाई लिखाई आदि छोड़कर उसके पीछे अपने को बर्बाद कर लेते हैं फिर भी उसके साथ विवाह न करने के लिए वे उसे दोषी मानकर उससे बदला लेने के लिए उतावले हो जाते हैं ! रेप अपहरण हत्या आत्महत्या एसिड अटैक से लेकर वो सब कुछ करते हैं जो उन्हें ठीक लगता है भले वो कितना भी गलत क्यों न हो !
ऐसी परिस्थिति में पूर्वानुमान विज्ञान के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को उससे संबंधित सीमाओं से अवगत कराया जा सकता है जिससे वो सपने बुनते समय अपनी सीमाओं का ध्यान रखे !इस प्रकार से पूर्वानुमान विज्ञान के द्वारा बढ़ते सभी प्रकार के अपराधों पर लगाम लगाई जा सकती है !
पूर्वानुमान विज्ञान की आवश्यकता-
इस प्रकार से यह तो निश्चित हो ही चुका है कि प्रकृति से लेकर जीवन तक प्रायः सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमान की बहुत बड़ी आवश्यकता होती है जीवन में घटित हो रहीं अधिकाँश अप्रिय घटनाएँ चोरी डकैती अपहरण हत्या आत्महत्या जैसी अधिकाँश घटनाएँ पूर्वानुमानों की जानकारी न होने के कारण घटित होती हैं !अच्छा बुरा समय तो हर किसी के जीवन में आता जाता रहता है किंतु पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में अक्सर लोग बुरा समय आने पर भयंकर तनाव में होकर कुछ ऐसा गलत कर बैठते हैं जिसकी सजा उसके बाद वाले अच्छे समय में भी मिला करती है !बुरे समय में लोग अक्सर सोचा करते हैं कि यदि ऐसा अभी है तो आगे क्या होगा अभी तो इतना जीवन पड़ा है आदि सोचकर तनाव में चले जाते हैं अत्यंत पढ़े लिखे बड़े बड़े डॉक्टर इंजीनियर अधिकारी आदि सुशिक्षित लोग भी आत्महत्या करते देखे जाते हैं !ऐसी परिस्थिति में उन्हें यदि इस बात का पूर्वानुमान उपलब्ध करवाया गया होता कि तुम्हारा यह तनाव केवल इतने समय तक रहेगा इसके बाद परिस्थितियाँ अनुकूल होने लगेंगी तो संभव था कि वो उन विपरीत परिस्थितियों को इस आशा में धैर्यपूर्वक सह जाता कि इसके बाद तो ठीक हो ही जाएगा !किंतु उन्हें पूर्वानुमान उपलब्ध नहीं करवाए जा सके !
पति पत्नी का समय जब ख़राब आता है तो वो दोनों तनाव में रहने लगते हैं खराब समय के प्रभाव से वो अपने सबसे अधिक हितैषी अपने जीवन साथी को ही अपनी समस्याओं के लिए जिम्मेदार मानने लगते हैं लड़ते झगड़ते रहते हैं अंत में विवाह विच्छेद कर लेते हैं !उनके छोटे छोटे बच्चे भटकते फिरने लगते हैं ऐसे हैरान परेशान लोगों को यदि इस बात का पूर्वानुमान पता लगता कि यह तनाव समाप्त कब होगा तो उतने समय तक वे दोनों शांत बने रहते इसके बाद उनका अच्छा समय आ जाता और वही दोनों तनावमुक्त होकर एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रहने लगते !
कुछ लड़के लड़कियाँ प्रेम या विवाह करने के लिए किसी लड़की या लड़के को पसंद करके उसके लिए समर्पित हो जाते हैं और उन्हीं के पीछे अपना सब कुछ कुर्वान करने को तैयार हो जाते हैं !इसके बाद जब उन्हें उनसे ठेस मिलती हैं तब वे मरने मरने पर उतारू हो जाते हैं ऐसे लड़के लड़कियों को यदि इस बात का पूर्वानुमान पहले से पता हो कि हम जिसके पीछे भाग रहे हैं!उससे हमारा संबंध बन ही नहीं सकता तो संभव है कि वो अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करते !इस प्रकार से उन दोनों के जीवन में घटित होने वाली ऐसी दुर्घटनाएँ प्रयासपूर्वक टाली भी जा सकती थीं !
इसी प्रकार से जीवन में और भी बहुत सारे क्षेत्र हैं जिनसे संबंधित पूर्वानुमान यदि पहले से पता हों तो जीवन में घटित होने वाली बहुत सारी संभावित दुर्घटनाओं को प्रयास पूर्वक कम किया जा सकता है तनाव को घटाया जा सकता है !स्वास्थ्य को सतर्कता पूर्वक सुरक्षित रखा है !व्यवसाय आदि में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है किंतु सबसे बड़ी समस्या यह है कि जीवन से संबंधित ऐसे सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक ऐसी कोई विधा दिखाई सुनाई ही नहीं पड़ती है !
जीवन से संबंधित ऐसे पूर्वानुमानों को आवश्यक समझकर ही अपने पूर्वजों ने प्राचीनविज्ञान में इसके लिए रमलशास्त्र ,स्वरशास्त्र, शकुनशास्त्र ,सामुद्रिकशास्त्र, स्वप्नशास्त्र,प्रश्नशास्त्र, समयशास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र आदि !अनेकों विज्ञानविधाओं का आविष्कार किया था जिनके द्वारा जीवन संबंधी पूर्वानुमान जब तक लगाए जाते रहे तब तक लोगों को न तो इतना तनाव होता था न इतने रोगी होते थे !समाज में एक दूसरे के प्रति घृणा की भावना वर्तमान समय की तरह नहीं थी !लोग छोटे बड़े को स्नेह एवं सम्मान देते थे !सारा समाज एक परिवार की तरह एक दूसरे के सुखदुःख में सम्मिलित हुआ करता था !बड़े बड़े संयुक्त परिवार हो जाया करते थे सब एक दूसरे के साथ प्रसन्नता पूर्वक रह लिया करते थे ! पति पत्नी के बीच विवाह विच्छेद जैसी घटनाएँ तो सुनी ही नहीं जाती थीं !दूसरों की बधू बेटियों का सम्मान करने की परंपरा थी !तब इतनी दुर्घटनाएँ नहीं घटित होती थीं !परिवार खुशहाल होते थे समाज प्रसन्न होता था तब देश विश्वगुरु एवं सोने की चिड़िया जैसे शब्दों से समलंकृत हुआ करता था !यह इस देश के समृद्ध पूर्वानुमान विज्ञान की ही देन थी जिसके द्वारा प्रत्येक व्यक्ति अपने सुख दुःख का जिम्मेदार स्वयं को मानता था क्योंकि उसे पहले से पता होता था कि भविष्य में मेरे साथ ऐसा अच्छा या बुरा घटित होना है यही कारण है कि वो इसके लिए किसी दूसरे को दोषी नहीं मानता था !
परतंत्रता के समय में भारत की ऐसी विधाओं का आक्रांताओं ने हरण किया और जो बची उसे नष्ट करने का प्रयास निरंतर करते रहे !उसके बाद आवश्यकता थी कि भारत की पूर्वानुमान विज्ञान संपदा के भग्नावशेषों को संगृहीत करके अनुसंधान पूर्वक उन्हें क्रमबद्ध किया जाता तो इसके विलुप्त अंशों को भी प्राप्त किया जा सकता था !उसके बाद जीवन आदि से संबंधित पूर्वानुमानों की सुविधा भारत को पुनः उपलब्ध करवाई जा सकती थी किंतु ऐसा करने का कोई प्रयास नहीं किया गया !
दुर्भाग्य से अत्याधुनिक भारतीय लोग भी इस पूर्वानुमान विज्ञान को उन्हीं आक्रांताओं की दृष्टि से देखने लगे और भारत की पूर्वानुमान विज्ञानसंपदा की निंदा करने लगे उपहास उड़ाने लगे इसपर संशय करने लगे इसे अंध विश्वास बताने लगे !संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसे विषयों के पठन पाठन की प्रक्रिया चलाई गई किंतु वहाँ भी केवल खानापूर्ति मात्र होती रही !यही कारण है कि समाज में पनप रहे इस प्रकार के भ्रम का निवारण नहीं किया जा सका !वेद विज्ञान पर लोगों के द्वारा बड़े बड़े भाषण दिए जाते रहे शोधप्रबंध लिखे और लिखवाए जाते रहे किंतु वेद विज्ञान की क्षमता को प्रस्तुत करने का कोई विश्वसनीय कार्य नहीं किया जा सका !
सरकारों के द्वारा भी ऐसे विषयों की वैज्ञानिकता पर विश्वास न करने वाले लोगों को ही अक्सर इन्हें विज्ञान सिद्ध करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती रही है ! जिसे आजीविका के लोभ से वे ढोते तो रहे किंतु विज्ञानभावना से बिहीन होने के कारण ऐसे लोग वेदविज्ञान के उत्थान के लिए कुछ कर नहीं सके ! वे केवल भाषण देते रहे किंतु इसके वैज्ञानिक पक्ष को उभार पाने की योग्यता उनमें थी ही नहीं!ऐसे लोग भारत के अत्यंत प्राचीन पूर्वानुमान विज्ञान को केवल धार्मिक कर्मकांडों से जोड़कर परोसते रहे जो इस विज्ञान के साथ सबसे बड़ा अन्याय हुआ है !
इस विषय में आज मेरा निवेदन मात्र इतना है कि जीवन से संबंधित पूर्वानुमान निकालने के लिए जरूरी नहीं कि केवल ज्योतिष जैसे वैज्ञानिक शास्त्रों की ही शरण में ही जाया जाए अपितु इसके अतिरिक्त भी जीवन संबंधी पूर्वानुमान खोजने के लिए आधुनिक वैज्ञानिकों के पास जो भी विकल्प हों उन पर भी विचार किया जाए और जनता को जीवन से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान उपलब्ध अवश्य करवाया जाना चाहिए !
पति पत्नी का समय जब ख़राब आता है तो वो दोनों तनाव में रहने लगते हैं खराब समय के प्रभाव से वो अपने सबसे अधिक हितैषी अपने जीवन साथी को ही अपनी समस्याओं के लिए जिम्मेदार मानने लगते हैं लड़ते झगड़ते रहते हैं अंत में विवाह विच्छेद कर लेते हैं !उनके छोटे छोटे बच्चे भटकते फिरने लगते हैं ऐसे हैरान परेशान लोगों को यदि इस बात का पूर्वानुमान पता लगता कि यह तनाव समाप्त कब होगा तो उतने समय तक वे दोनों शांत बने रहते इसके बाद उनका अच्छा समय आ जाता और वही दोनों तनावमुक्त होकर एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्वक रहने लगते !
कुछ लड़के लड़कियाँ प्रेम या विवाह करने के लिए किसी लड़की या लड़के को पसंद करके उसके लिए समर्पित हो जाते हैं और उन्हीं के पीछे अपना सब कुछ कुर्वान करने को तैयार हो जाते हैं !इसके बाद जब उन्हें उनसे ठेस मिलती हैं तब वे मरने मरने पर उतारू हो जाते हैं ऐसे लड़के लड़कियों को यदि इस बात का पूर्वानुमान पहले से पता हो कि हम जिसके पीछे भाग रहे हैं!उससे हमारा संबंध बन ही नहीं सकता तो संभव है कि वो अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने का प्रयास करते !इस प्रकार से उन दोनों के जीवन में घटित होने वाली ऐसी दुर्घटनाएँ प्रयासपूर्वक टाली भी जा सकती थीं !
इसी प्रकार से जीवन में और भी बहुत सारे क्षेत्र हैं जिनसे संबंधित पूर्वानुमान यदि पहले से पता हों तो जीवन में घटित होने वाली बहुत सारी संभावित दुर्घटनाओं को प्रयास पूर्वक कम किया जा सकता है तनाव को घटाया जा सकता है !स्वास्थ्य को सतर्कता पूर्वक सुरक्षित रखा है !व्यवसाय आदि में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है किंतु सबसे बड़ी समस्या यह है कि जीवन से संबंधित ऐसे सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक ऐसी कोई विधा दिखाई सुनाई ही नहीं पड़ती है !
जीवन से संबंधित ऐसे पूर्वानुमानों को आवश्यक समझकर ही अपने पूर्वजों ने प्राचीनविज्ञान में इसके लिए रमलशास्त्र ,स्वरशास्त्र, शकुनशास्त्र ,सामुद्रिकशास्त्र, स्वप्नशास्त्र,प्रश्नशास्त्र, समयशास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र आदि !अनेकों विज्ञानविधाओं का आविष्कार किया था जिनके द्वारा जीवन संबंधी पूर्वानुमान जब तक लगाए जाते रहे तब तक लोगों को न तो इतना तनाव होता था न इतने रोगी होते थे !समाज में एक दूसरे के प्रति घृणा की भावना वर्तमान समय की तरह नहीं थी !लोग छोटे बड़े को स्नेह एवं सम्मान देते थे !सारा समाज एक परिवार की तरह एक दूसरे के सुखदुःख में सम्मिलित हुआ करता था !बड़े बड़े संयुक्त परिवार हो जाया करते थे सब एक दूसरे के साथ प्रसन्नता पूर्वक रह लिया करते थे ! पति पत्नी के बीच विवाह विच्छेद जैसी घटनाएँ तो सुनी ही नहीं जाती थीं !दूसरों की बधू बेटियों का सम्मान करने की परंपरा थी !तब इतनी दुर्घटनाएँ नहीं घटित होती थीं !परिवार खुशहाल होते थे समाज प्रसन्न होता था तब देश विश्वगुरु एवं सोने की चिड़िया जैसे शब्दों से समलंकृत हुआ करता था !यह इस देश के समृद्ध पूर्वानुमान विज्ञान की ही देन थी जिसके द्वारा प्रत्येक व्यक्ति अपने सुख दुःख का जिम्मेदार स्वयं को मानता था क्योंकि उसे पहले से पता होता था कि भविष्य में मेरे साथ ऐसा अच्छा या बुरा घटित होना है यही कारण है कि वो इसके लिए किसी दूसरे को दोषी नहीं मानता था !
परतंत्रता के समय में भारत की ऐसी विधाओं का आक्रांताओं ने हरण किया और जो बची उसे नष्ट करने का प्रयास निरंतर करते रहे !उसके बाद आवश्यकता थी कि भारत की पूर्वानुमान विज्ञान संपदा के भग्नावशेषों को संगृहीत करके अनुसंधान पूर्वक उन्हें क्रमबद्ध किया जाता तो इसके विलुप्त अंशों को भी प्राप्त किया जा सकता था !उसके बाद जीवन आदि से संबंधित पूर्वानुमानों की सुविधा भारत को पुनः उपलब्ध करवाई जा सकती थी किंतु ऐसा करने का कोई प्रयास नहीं किया गया !
दुर्भाग्य से अत्याधुनिक भारतीय लोग भी इस पूर्वानुमान विज्ञान को उन्हीं आक्रांताओं की दृष्टि से देखने लगे और भारत की पूर्वानुमान विज्ञानसंपदा की निंदा करने लगे उपहास उड़ाने लगे इसपर संशय करने लगे इसे अंध विश्वास बताने लगे !संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसे विषयों के पठन पाठन की प्रक्रिया चलाई गई किंतु वहाँ भी केवल खानापूर्ति मात्र होती रही !यही कारण है कि समाज में पनप रहे इस प्रकार के भ्रम का निवारण नहीं किया जा सका !वेद विज्ञान पर लोगों के द्वारा बड़े बड़े भाषण दिए जाते रहे शोधप्रबंध लिखे और लिखवाए जाते रहे किंतु वेद विज्ञान की क्षमता को प्रस्तुत करने का कोई विश्वसनीय कार्य नहीं किया जा सका !
सरकारों के द्वारा भी ऐसे विषयों की वैज्ञानिकता पर विश्वास न करने वाले लोगों को ही अक्सर इन्हें विज्ञान सिद्ध करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती रही है ! जिसे आजीविका के लोभ से वे ढोते तो रहे किंतु विज्ञानभावना से बिहीन होने के कारण ऐसे लोग वेदविज्ञान के उत्थान के लिए कुछ कर नहीं सके ! वे केवल भाषण देते रहे किंतु इसके वैज्ञानिक पक्ष को उभार पाने की योग्यता उनमें थी ही नहीं!ऐसे लोग भारत के अत्यंत प्राचीन पूर्वानुमान विज्ञान को केवल धार्मिक कर्मकांडों से जोड़कर परोसते रहे जो इस विज्ञान के साथ सबसे बड़ा अन्याय हुआ है !
इस विषय में आज मेरा निवेदन मात्र इतना है कि जीवन से संबंधित पूर्वानुमान निकालने के लिए जरूरी नहीं कि केवल ज्योतिष जैसे वैज्ञानिक शास्त्रों की ही शरण में ही जाया जाए अपितु इसके अतिरिक्त भी जीवन संबंधी पूर्वानुमान खोजने के लिए आधुनिक वैज्ञानिकों के पास जो भी विकल्प हों उन पर भी विचार किया जाए और जनता को जीवन से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान उपलब्ध अवश्य करवाया जाना चाहिए !
पूर्वानुमान विज्ञान की विशेषता -
पूर्वानुमान जानने की ललक सब में होती है इसलिए स्वदेश से लेकर विदेश तक पूर्वानुमान पूछने और बताने वालों का मेला लगा रहता है !पूर्वानुमान बताने वालों की अपेक्षा पूछने वालों की संख्या अधिक होती है !इतना ही नहीं अपितु पूर्वानुमान पूछने वाले लोग इतने अधिक समर्पित होते हैं कि वे कभी भी कहीं भी किसी भी स्त्री पुरुष पशु पक्षी आदि से अपने जीवन से संबंधित भविष्य पूछने के लिए उतावले रहते हैं !कुल मिलाकर हर कोई अपने अपने जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जान लेना चाहता है !
प्राचीन काल में सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था थी यहाँ तक कि आयुर्वेद के ग्रंथों में भी स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमानों की चर्चा मिलती है !किसी रोगी के आने पर वैद्यलोग पहले रोगी की परीक्षा करते थे उसके आधार पर रोगी की आयु एवं उस पर होने वाले चिकित्सा के असर का पूर्वानुमान लगाते थे !उसके बाद यदि उचित लगता था तो चिकित्सा प्रारंभ करते थे !क्योंकि जब तक आयु होती है चकित्सा का असर तभी तक हो पाता है जिनकी आयु समाप्त हो चुकी हो चिकित्सा उन्हें कोई लाभ नहीं पहुँचा सकती है !जिस दीपक में तेल ही समाप्त हो गया हो उसे बिना तेल के कब तक और कैसे जला कर रखा जा सकता है !इसी प्रकार से जिनका कोई रोग स्थाई अवस्था में प्राप्त हो चुका हो ऐसे रोगियों पर बड़े से बड़े चिकित्सक चिकित्सा एवं औषधियों को कोई असर नहीं होता है !चिकित्सा संबंधी पूर्वानुमानों का ही प्रभाव था कि प्राचीन काल में किसी वैद्य के यहाँ किसी रोगी की मृत्यु होते नहीं देखी जाती थी!जबकि गंभीर रोगियों की चिकित्सा वैद्यों के सान्निध्य में रख कर किए जाने का वर्णन भी मिलता है !
पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में ही तो वर्तमान समय में चिकित्सालयों में ही शवगृह भी बनाने पड़ते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का पूर्वानुमान पता ही नहीं होता है कि वे जिसकी चिकित्सा कर रहे हैं वो जीवित बचेगा या नहीं !इसलिए उन्हें दोनों प्रकार के ही इंतिजाम एक साथ करके चलना पड़ता है ! एक ओर रोगियों को स्वास्थ्य लाभ करवाने के लिए चिकित्साकक्ष बने होते हैं जिनमें रोगियों को भर्ती करके गंभीर रोगियों की चिकित्सा की जाती है जिससे रोगी स्वस्थ होते देखे जाते हैं !वहीँ दूसरी ओर शवगृह बने होते हैं जो चिकित्सालयों को मुख चिढ़ा रहे होते हैं क्योंकि चिकित्सालयों का लक्ष्य चिकित्सा करके स्वस्थ करना होता है शव तैयार करना नहीं !इसलिए चिकित्सालयों में शव कक्षों की परिकल्पना ही क्यों ? ये चिकित्सा धर्म के विरुद्ध है !रोग संबंधी पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में ही ऐसी परिस्थिति पैदा होती है !आखिर रोगी के मरने के पूर्व यह पूर्वानुमान क्यों नहीं हो पाता है कि यह रोगी अब बचेगा नहीं !वैसे भी कोई रोगी कभी अचानक नहीं मरता है महीनों पहले से उसकी मृत्यु प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी होती है !जिसके चिन्ह उसके शरीर स्वभाव बात व्यवहार आदि में प्रकट होने लगते हैं !
केवल वैद्य ही नहीं अपितु रोगियों की भी स्वास्थ्य पूर्वानुमान जानने की इच्छा होती है! आजकल तरह तरह के रोग चले हैं जो अत्यंत शीघ्र भयानक स्वरूप धारण कर लेते हैं !जिसमें रोग लक्षण पता लगते लगते अत्यंत देर हो चुकी होती है !उसके बाद चिकित्सा के लिए समय कम मिल पाता है ऐसी परिस्थिति में हर कोई स्वास्थ्य को लेकर चिंतित होता है इसलिए वह उसके विषय में पूर्वानुमान जान लेना चाहता है !
मानसिक तनाव के इस युग की सबसे बड़ी समस्या है डिप्रेशन तनाव अवसाद आदि न जाने कितने नामों से यह लोगों को परेशान करता है !कई बार तो तनाव के कारण होते हैं और कई बार अकारण भी बढ़ता है तनाव !जो व्यक्ति जिन परिस्थितियों में एक समय प्रसन्न रह लिया करता था वही व्यक्ति उन्हीं परिस्थितियों में दूसरे समय में तनाव में रहने लगता है !क्योंकि अच्छे समय में वो उन परिस्थितियों के विषय में कुछ अच्छा सोच रहा होता है और बाद में बुरा समय आने पर कुछ दूसरा अर्थात बिपरीत सोचने लगता है इसी कारण तब तनाव नहीं हो रहा था और बाद में तनाव होने लगता है !सोच में ऐसे बदलाव क्यों होते हैं और किसी को तनाव कब होगा इसका पूर्वानुमान तो हर कोई जानना चाहता है !
वर्तमान परिस्थितियों में व्यापार करना बहुत आसान तो नहीं है ऐसी परिस्थिति में हर कोई जानना चाहता है कि हमने जो व्यापार किया है उसमें लाभ कैसे और कितना होगा कहीं नुक्सान तो नहीं हो जाएगा !ये चिंता होनी स्वाभाविक है उसमें भी अक्सर कर्जा लेकर व्यापार करने वाले लोग भी होते हैं जिन्हें ब्याज आदि देना पड़ता है !ऐसी परिस्थिति में उन्हें पूर्वानुमानों की आवश्यकता विशेष अधिक होती है !क्योंकि उन्हें कर्जा लेने से पहले उसे वापस करने के विषय में सोचना होता है !व्यापार से कमाई होगी तभी वे वापस कर सकते हैं !कमाई होगी ऐसा सोच करके ही लोग कर्जा लेते हैं किंतु कई बार उनका अंदाजा उल्टा पड़ जाता है और घाटा हो जाता है ऐसी परिस्थिति में उनका तनाव बढ़ जाना स्वाभाविक ही है !
प्राचीन काल में सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था थी यहाँ तक कि आयुर्वेद के ग्रंथों में भी स्वास्थ्य संबंधी पूर्वानुमानों की चर्चा मिलती है !किसी रोगी के आने पर वैद्यलोग पहले रोगी की परीक्षा करते थे उसके आधार पर रोगी की आयु एवं उस पर होने वाले चिकित्सा के असर का पूर्वानुमान लगाते थे !उसके बाद यदि उचित लगता था तो चिकित्सा प्रारंभ करते थे !क्योंकि जब तक आयु होती है चकित्सा का असर तभी तक हो पाता है जिनकी आयु समाप्त हो चुकी हो चिकित्सा उन्हें कोई लाभ नहीं पहुँचा सकती है !जिस दीपक में तेल ही समाप्त हो गया हो उसे बिना तेल के कब तक और कैसे जला कर रखा जा सकता है !इसी प्रकार से जिनका कोई रोग स्थाई अवस्था में प्राप्त हो चुका हो ऐसे रोगियों पर बड़े से बड़े चिकित्सक चिकित्सा एवं औषधियों को कोई असर नहीं होता है !चिकित्सा संबंधी पूर्वानुमानों का ही प्रभाव था कि प्राचीन काल में किसी वैद्य के यहाँ किसी रोगी की मृत्यु होते नहीं देखी जाती थी!जबकि गंभीर रोगियों की चिकित्सा वैद्यों के सान्निध्य में रख कर किए जाने का वर्णन भी मिलता है !
पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में ही तो वर्तमान समय में चिकित्सालयों में ही शवगृह भी बनाने पड़ते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का पूर्वानुमान पता ही नहीं होता है कि वे जिसकी चिकित्सा कर रहे हैं वो जीवित बचेगा या नहीं !इसलिए उन्हें दोनों प्रकार के ही इंतिजाम एक साथ करके चलना पड़ता है ! एक ओर रोगियों को स्वास्थ्य लाभ करवाने के लिए चिकित्साकक्ष बने होते हैं जिनमें रोगियों को भर्ती करके गंभीर रोगियों की चिकित्सा की जाती है जिससे रोगी स्वस्थ होते देखे जाते हैं !वहीँ दूसरी ओर शवगृह बने होते हैं जो चिकित्सालयों को मुख चिढ़ा रहे होते हैं क्योंकि चिकित्सालयों का लक्ष्य चिकित्सा करके स्वस्थ करना होता है शव तैयार करना नहीं !इसलिए चिकित्सालयों में शव कक्षों की परिकल्पना ही क्यों ? ये चिकित्सा धर्म के विरुद्ध है !रोग संबंधी पूर्वानुमानों की जानकारी के अभाव में ही ऐसी परिस्थिति पैदा होती है !आखिर रोगी के मरने के पूर्व यह पूर्वानुमान क्यों नहीं हो पाता है कि यह रोगी अब बचेगा नहीं !वैसे भी कोई रोगी कभी अचानक नहीं मरता है महीनों पहले से उसकी मृत्यु प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी होती है !जिसके चिन्ह उसके शरीर स्वभाव बात व्यवहार आदि में प्रकट होने लगते हैं !
केवल वैद्य ही नहीं अपितु रोगियों की भी स्वास्थ्य पूर्वानुमान जानने की इच्छा होती है! आजकल तरह तरह के रोग चले हैं जो अत्यंत शीघ्र भयानक स्वरूप धारण कर लेते हैं !जिसमें रोग लक्षण पता लगते लगते अत्यंत देर हो चुकी होती है !उसके बाद चिकित्सा के लिए समय कम मिल पाता है ऐसी परिस्थिति में हर कोई स्वास्थ्य को लेकर चिंतित होता है इसलिए वह उसके विषय में पूर्वानुमान जान लेना चाहता है !
मानसिक तनाव के इस युग की सबसे बड़ी समस्या है डिप्रेशन तनाव अवसाद आदि न जाने कितने नामों से यह लोगों को परेशान करता है !कई बार तो तनाव के कारण होते हैं और कई बार अकारण भी बढ़ता है तनाव !जो व्यक्ति जिन परिस्थितियों में एक समय प्रसन्न रह लिया करता था वही व्यक्ति उन्हीं परिस्थितियों में दूसरे समय में तनाव में रहने लगता है !क्योंकि अच्छे समय में वो उन परिस्थितियों के विषय में कुछ अच्छा सोच रहा होता है और बाद में बुरा समय आने पर कुछ दूसरा अर्थात बिपरीत सोचने लगता है इसी कारण तब तनाव नहीं हो रहा था और बाद में तनाव होने लगता है !सोच में ऐसे बदलाव क्यों होते हैं और किसी को तनाव कब होगा इसका पूर्वानुमान तो हर कोई जानना चाहता है !
वर्तमान परिस्थितियों में व्यापार करना बहुत आसान तो नहीं है ऐसी परिस्थिति में हर कोई जानना चाहता है कि हमने जो व्यापार किया है उसमें लाभ कैसे और कितना होगा कहीं नुक्सान तो नहीं हो जाएगा !ये चिंता होनी स्वाभाविक है उसमें भी अक्सर कर्जा लेकर व्यापार करने वाले लोग भी होते हैं जिन्हें ब्याज आदि देना पड़ता है !ऐसी परिस्थिति में उन्हें पूर्वानुमानों की आवश्यकता विशेष अधिक होती है !क्योंकि उन्हें कर्जा लेने से पहले उसे वापस करने के विषय में सोचना होता है !व्यापार से कमाई होगी तभी वे वापस कर सकते हैं !कमाई होगी ऐसा सोच करके ही लोग कर्जा लेते हैं किंतु कई बार उनका अंदाजा उल्टा पड़ जाता है और घाटा हो जाता है ऐसी परिस्थिति में उनका तनाव बढ़ जाना स्वाभाविक ही है !
इसी प्रकार से विवाह करना आजकल खतरे से खाली नहीं माना जाता है समाज में अक्सर घटित होने वाली विवाह संबंधी अप्रिय घटनाओं को सुन सुन कर लोगों के मन में अपने एवं अपने बच्चों तथा सगे संबंधियों के वैवाहिक विषय में सोच कर मन परेशान होना स्वाभाविक है ऐसी परिस्थिति में हर कोई अपने एवं अपने प्रियजनों के वैवाहिक जीवन के विषय में पूर्वानुमान जान लेना चाहता है कि किसका किसके साथ विवाह किया जाए तो कोई वैवाहिक समस्या नहीं तैयार होगी !
ऐसे अनेकों विषय हैं जिनके पूर्वानुमान जानने की हर किसी को आवश्यक आवश्यकता होती है जो मिलने ही चाहिए ! जीवन जीने के लिए ऐसे पूर्वानुमानों को जान लेने से बड़ी मदद मिलती है इससे कई प्रकार की समस्याओं का समाधान सामान्य प्रयासों सहनशीलता संयम एवं सावधानियों से निकल जाता है !
पूर्वानुमानविज्ञान संबंधी सेवाओं की सुलभता -
मौसम विज्ञान संबंधी पूर्वानुमान की अपेक्षा जीवन से संबंधित पूर्वानुमान के प्रति समाज का बहुत अधिक लगाव है क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति के अपने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित होता है !हरकोई जान लेना चाहता है कि उसके भविष्य में कब क्या कुछ होना संभव है !
जीवन में खाली बैठे रहने से किसी का काम चलता नहीं है इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ करना अवश्य पड़ता है !कोई भी व्यक्ति जब कुछ करना प्रारंभ करता है तो उसके लिए सभी परिणाम शुभ शुभ एवं अपने पक्ष में ही सोचकर योजना बना लेता है और उसी के अनुशार चल पड़ता है ,किंतु परिणाम अच्छे बुरे दोनों प्रकार के निकलते देखे जाते हैं !ऐसे उसकी इच्छा के विरुद्ध परिणाम निकलते ही उसे तनाव होना स्वाभाविक ही है !
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जानने की इच्छा रखता है किंतु इसके लिए वो संपर्क कहाँ और किससे करे और विश्वास किस पर करे !सरकार के द्वारा इसके लिए कोई उपयुक्त संस्थान नहीं बनाया गया है !जहाँ संपर्क करके लोग पूर्वानुमानों से संबंधित अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें !
अत्याधुनिक वर्ग भारतीयों के विज्ञान को बकवास बताता रहा है अंधविश्वास कहता रहा है जबकि विदेशी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों को उद्धृत करते देखा जाता है !भारत के प्राचीन विज्ञान को गलत करने के लिए उसके पास न कोई जानकारी होती है और न ही कोई आधार या तर्क आदि होते हैं इसके बाद भी वो वैदिकविज्ञान की निंदा करता रहता है !जो गलत है !
पूर्वानुमानों पर विश्वास करने वाले लोग प्रायः प्रत्येक वर्ग में होते हैं इसके लिए कुछ लोग तो खुले तौर पर स्वीकार करते हैं जबकि कुछ लोग चोरी चुपके से ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं और पूर्वानुमानविज्ञान का लाभ लेना चाहते हैं !
ऐसी परिस्थिति में पूर्वानुमान बताने वालों की मंडी में एक प्रतिशत लोग भी ऐसे नहीं होते हैं जिन्होंने इस विज्ञान को पढ़ा भी हो और इसे समझते हों वे केवल झूठ साँच बोलकर नेताओं अभिनेताओं से संपर्क बनाकर अपने को प्रसिद्ध कर लेते हैं उसी प्रसिद्धि के बलपर वे जो कुछ बकते हैं उन्हें मानने वाले लोग उसी को भविष्यवाणी मानकर उसी दिशा में चल पड़ते हैं !जिससे नुक्सान होने की संभावना अधिक रहती है और पूर्वानुमान विज्ञान भी बदनाम होता है !
मौसम विज्ञान संबंधी पूर्वानुमान की अपेक्षा जीवन से संबंधित पूर्वानुमान के प्रति समाज का बहुत अधिक लगाव है क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति के अपने व्यक्तिगत जीवन से संबंधित होता है !हरकोई जान लेना चाहता है कि उसके भविष्य में कब क्या कुछ होना संभव है !
जीवन में खाली बैठे रहने से किसी का काम चलता नहीं है इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ करना अवश्य पड़ता है !कोई भी व्यक्ति जब कुछ करना प्रारंभ करता है तो उसके लिए सभी परिणाम शुभ शुभ एवं अपने पक्ष में ही सोचकर योजना बना लेता है और उसी के अनुशार चल पड़ता है ,किंतु परिणाम अच्छे बुरे दोनों प्रकार के निकलते देखे जाते हैं !ऐसे उसकी इच्छा के विरुद्ध परिणाम निकलते ही उसे तनाव होना स्वाभाविक ही है !
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जानने की इच्छा रखता है किंतु इसके लिए वो संपर्क कहाँ और किससे करे और विश्वास किस पर करे !सरकार के द्वारा इसके लिए कोई उपयुक्त संस्थान नहीं बनाया गया है !जहाँ संपर्क करके लोग पूर्वानुमानों से संबंधित अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें !
अत्याधुनिक वर्ग भारतीयों के विज्ञान को बकवास बताता रहा है अंधविश्वास कहता रहा है जबकि विदेशी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों को उद्धृत करते देखा जाता है !भारत के प्राचीन विज्ञान को गलत करने के लिए उसके पास न कोई जानकारी होती है और न ही कोई आधार या तर्क आदि होते हैं इसके बाद भी वो वैदिकविज्ञान की निंदा करता रहता है !जो गलत है !
पूर्वानुमानों पर विश्वास करने वाले लोग प्रायः प्रत्येक वर्ग में होते हैं इसके लिए कुछ लोग तो खुले तौर पर स्वीकार करते हैं जबकि कुछ लोग चोरी चुपके से ऐसे लोगों से संपर्क करते हैं और पूर्वानुमानविज्ञान का लाभ लेना चाहते हैं !
ऐसी परिस्थिति में पूर्वानुमान बताने वालों की मंडी में एक प्रतिशत लोग भी ऐसे नहीं होते हैं जिन्होंने इस विज्ञान को पढ़ा भी हो और इसे समझते हों वे केवल झूठ साँच बोलकर नेताओं अभिनेताओं से संपर्क बनाकर अपने को प्रसिद्ध कर लेते हैं उसी प्रसिद्धि के बलपर वे जो कुछ बकते हैं उन्हें मानने वाले लोग उसी को भविष्यवाणी मानकर उसी दिशा में चल पड़ते हैं !जिससे नुक्सान होने की संभावना अधिक रहती है और पूर्वानुमान विज्ञान भी बदनाम होता है !
पूर्वानुमान बताने वालों में एक वर्ग ऐसा भी सम्मिलित हो चुका है जिसका पूर्वानुमानों से तो कोई लेना देना नहीं होता है किंतु इस नाम पर स्त्री पुरुषों के मन की बातें उनसे पूछ लेता है इसके बाद उन्हीं का भयदोहन किया करता है !ऐसे अतिवाद से कई स्त्री पुरुषों का जीवन बर्बाद हो जाता है कई लोग बड़े बड़े बहमों के शिकार हो जाते हैं !इसलिए पूर्वानुमान संबंधी जिज्ञासाओं की शांति के लिए सरकार को उत्तम एवं पारदर्शी व्यवस्था करनी चाहिए ! क्योंकि इसे जानने के लिए इच्छुक लोगों की संख्या बहुत अधिक है जिसे लाभ हानि भोगने के लिए ऐसे हवा में नहीं छोड़ा जा सकता है ! ऐसी परिस्थितियों में सरकारों को जिस किसी भी विधि विज्ञान से लोगों को उनके जीवन से संबंधित पूर्वानुमान उपलब्ध करवाने के विश्वसनीय पारदर्शी विकल्प प्रस्तुत करने चाहिए !
पूर्वानुमान विज्ञान की खोज-
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्वानुमानों की बहुत बड़ी भूमिका होती है
इसका क्षेत्र इतना बड़ा है कि इसकी सीमाएँ निश्चित कर पाना बहुत कठिन है
!कोई व्यक्ति जो कुछ करता है जहाँ कहीं जाता है जिस किसी से मिलता है जिस
किसी से संबंध बनाता या नाते रिस्तेदारी स्थापित करता है उसके परिणाम कैसे
रहेंगे इसका काल्पनिक अनुमान लगाकर उसके अनुसार आगे बढ़ता है !ऐसा कर लेने
से वो हानि लाभ या अनुकूल प्रतिकूल आदि दोनों प्रकार की परिस्थितियों के
लिए अपने को पहले से तैयार कर लिया करता है !भविष्य में आने वाली अनुकूल
परिस्थितियों का अधिक से अधिक लाभ उठाने का प्रयास करता है जबकि संभावित
प्रतिकूल परिस्थितियों से हर संभव बचने का प्रयास करता है उससे सतर्क
सावधान रहता है उस संदर्भ में बचाव के रास्ते पहले ही सोच कर चलता है !
इस प्रकार से सावधानी बरत कर चलने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि ऐसा व्यक्ति तनाव अवसाद आदि परिस्थितियों से बच जाता है !क्योंकि जीवन में अचानक जब कुछ ऐसा हो जाता है जो हमारे लिए हानिकर या दुखद होता है उस समय व्यक्ति को सबसे अधिक तनाव इस बात का हो जाता है कि उससे बचाव के लिए जो उपाय किए जा सकते थे वे नहीं किए जा सके क्योंकि उसके लिए समय ही नहीं मिल पाता है !इसलिए पूर्वानुमानों की आवश्यकता अधिक होती है ताकि ऐसी परिस्थितियों में बचाव हो न हो कम से कम बचाव के लिए प्रयास तो किए जा सकें !जिससे बाद में पछतावा न हो !
इस प्रकार से स्वास्थ्य शिक्षा संबंध संतान संपत्ति परिवार व्यापार नौकरी भवन आदि से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र में पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है !स्वास्थ्य कब कैसा रहेगा ?चिकित्सा से कब कितना लाभ होगा ?शिक्षा के लिए कौन सा वर्ष कैसा रहेगा ?कब किस विषय से संबंधित शिक्षा में सफलता मिलेगी ?विवाह मित्रता नाते रिस्तेदारी आदि किसके साथ कितने समय तक चल पाएगी !संतान प्राप्त होने का समय कब होगा ?किस प्रकार की संपत्ति किसके पास कब तक स्थिर रह पाएगी ?कौन परिवार ,संगठन,संस्था,राजनैतिक दल आदि के कौन कौन सदस्य कब तक किस किस के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार कर पाएँगे किस पर कितना विश्वास किया जा सकता है ?किस प्रकार का व्यापार कौन व्यक्ति किस समय तक करेगा तो लाभ होगा ,किसके साथ करेगा तो लाभ होगा ? कौन सा व्यक्ति किस प्रकार की नौकरी कब तक कर सकेगा ?कौन व्यक्ति किस मकान में सुख शांति पूर्वक कब तक रह सकेगा किस दूकान में काम करके कब तक तरक्की कर सकेगा ?ऐसी ही और बहुत सारी चिंताएँ मनुष्य जीवन को खोखला किया करती हैं !
इसलिए प्रायः प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के सभी पक्षों के प्रति आशान्वित रहता है !किंतु जब कोई कार्य अचानक बिगड़ जाता है तब वह उसे सह नहीं पता है और तनाव में चला जाता है !वैसे भी प्रत्येक व्यक्ति को पता होता है कि वो जैसा सोचता है या जैसा चाहता है अत्यंत प्रयास करने के बाद भी सारे कार्य वैसे नहीं हो पाएँगे !कुछ अच्छे होंगे तो कुछ बिगड़ेंगे भी !कुछ समय अच्छा रहेगा तो कुछ समय बिगड़ेगा भी किंतु किस प्रकार के कार्य किस वर्ष अच्छे होने की संभावना होगी और किस प्रकार के कार्य किस वर्ष बिगड़ सकते हैं !ऐसी बातों के पूर्वानुमान प्रायः प्रत्येक व्यक्ति जानना चाहता है !इससे अच्छे समय में वो सभी प्रकार से प्रयास करके उस समय की अच्छाई का अधिक से अधिक लाभ उठा लेना चाहता है !इसी प्रकार से बुरे समय की संभावना होने पर उसमें अपना बचाव करने के लिए वो अधिक से अधिक प्रयास कर लेना चाहता है !ऐसे प्रयास करने से लाभ तो उतना ही होगा जितना जिसे होना है और बचाव भी उतना ही हो पाएगा जितना जिसका होना है !किंतु अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए प्रयास कर लेने के बाद भी लाभ न हो पाने का पछतावा नहीं रहेगा !ऐसे ही संभावित हानि से बचाव के लिए अधिक से अधिक प्रयास कर लेने के बाद भी जो होना है बचाव के प्रयास करने के बाद भी वो तो होगा ही किंतु बचाव न कर पाने के लिए मन में मलाल नहीं रह जाएगा इसलिए उसका तनाव नहीं होगा !
इस प्रकार से सावधानी बरत कर चलने से सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि ऐसा व्यक्ति तनाव अवसाद आदि परिस्थितियों से बच जाता है !क्योंकि जीवन में अचानक जब कुछ ऐसा हो जाता है जो हमारे लिए हानिकर या दुखद होता है उस समय व्यक्ति को सबसे अधिक तनाव इस बात का हो जाता है कि उससे बचाव के लिए जो उपाय किए जा सकते थे वे नहीं किए जा सके क्योंकि उसके लिए समय ही नहीं मिल पाता है !इसलिए पूर्वानुमानों की आवश्यकता अधिक होती है ताकि ऐसी परिस्थितियों में बचाव हो न हो कम से कम बचाव के लिए प्रयास तो किए जा सकें !जिससे बाद में पछतावा न हो !
इस प्रकार से स्वास्थ्य शिक्षा संबंध संतान संपत्ति परिवार व्यापार नौकरी भवन आदि से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र में पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है !स्वास्थ्य कब कैसा रहेगा ?चिकित्सा से कब कितना लाभ होगा ?शिक्षा के लिए कौन सा वर्ष कैसा रहेगा ?कब किस विषय से संबंधित शिक्षा में सफलता मिलेगी ?विवाह मित्रता नाते रिस्तेदारी आदि किसके साथ कितने समय तक चल पाएगी !संतान प्राप्त होने का समय कब होगा ?किस प्रकार की संपत्ति किसके पास कब तक स्थिर रह पाएगी ?कौन परिवार ,संगठन,संस्था,राजनैतिक दल आदि के कौन कौन सदस्य कब तक किस किस के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार कर पाएँगे किस पर कितना विश्वास किया जा सकता है ?किस प्रकार का व्यापार कौन व्यक्ति किस समय तक करेगा तो लाभ होगा ,किसके साथ करेगा तो लाभ होगा ? कौन सा व्यक्ति किस प्रकार की नौकरी कब तक कर सकेगा ?कौन व्यक्ति किस मकान में सुख शांति पूर्वक कब तक रह सकेगा किस दूकान में काम करके कब तक तरक्की कर सकेगा ?ऐसी ही और बहुत सारी चिंताएँ मनुष्य जीवन को खोखला किया करती हैं !
इसलिए प्रायः प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के सभी पक्षों के प्रति आशान्वित रहता है !किंतु जब कोई कार्य अचानक बिगड़ जाता है तब वह उसे सह नहीं पता है और तनाव में चला जाता है !वैसे भी प्रत्येक व्यक्ति को पता होता है कि वो जैसा सोचता है या जैसा चाहता है अत्यंत प्रयास करने के बाद भी सारे कार्य वैसे नहीं हो पाएँगे !कुछ अच्छे होंगे तो कुछ बिगड़ेंगे भी !कुछ समय अच्छा रहेगा तो कुछ समय बिगड़ेगा भी किंतु किस प्रकार के कार्य किस वर्ष अच्छे होने की संभावना होगी और किस प्रकार के कार्य किस वर्ष बिगड़ सकते हैं !ऐसी बातों के पूर्वानुमान प्रायः प्रत्येक व्यक्ति जानना चाहता है !इससे अच्छे समय में वो सभी प्रकार से प्रयास करके उस समय की अच्छाई का अधिक से अधिक लाभ उठा लेना चाहता है !इसी प्रकार से बुरे समय की संभावना होने पर उसमें अपना बचाव करने के लिए वो अधिक से अधिक प्रयास कर लेना चाहता है !ऐसे प्रयास करने से लाभ तो उतना ही होगा जितना जिसे होना है और बचाव भी उतना ही हो पाएगा जितना जिसका होना है !किंतु अधिक से अधिक लाभ पाने के लिए प्रयास कर लेने के बाद भी लाभ न हो पाने का पछतावा नहीं रहेगा !ऐसे ही संभावित हानि से बचाव के लिए अधिक से अधिक प्रयास कर लेने के बाद भी जो होना है बचाव के प्रयास करने के बाद भी वो तो होगा ही किंतु बचाव न कर पाने के लिए मन में मलाल नहीं रह जाएगा इसलिए उसका तनाव नहीं होगा !
इसी
प्रकार से प्राकृतिक क्षेत्र में है वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि
प्राकृतिक घटनाएँ हैं !इन में से वर्षा और सूखा इन दो विषयों से संबंधित
पूर्वानुमानों की आवश्यकता कृषि कार्यों के लिए किसानों को होती है!जैसी
वर्षा होने की संभावना होती है वैसी फसल बोने की योजना बनानी होती है
क्योंकि कुछ फसलों के लिए बहुत अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है कुछ फसलों
का काम मध्यम वर्षा से भी चल जाता है जबकि अरहर आदि कुछ फसलें अत्यंत कम
बारिश में भी तैयार होते देखी जाती हैं !धान आदि के लिए अधिक वर्षा की
आवश्यकता होती है इसलिए यदि किसानों को पता हो कि इस वर्ष वर्षा कम होगी तो
वो धान की जगह अरहर बो सकते हैं फसल तैयार होने पर वे अरहर बेचकर धान खरीद
सकते हैं किंतु ऐसा होना तभी संभव है जब वर्षा संबंधी पूर्वानुमान कुछ
महीने पहले से पता होंगे क्योंकि किसानों को प्रत्येक फसल के लिए कुछ
महीने पहले फसल योजना बनानी पड़ती है !या यूँ कह लें कि एक फसल कटते ही
दूसरी फसल की योजना बना लेनी पड़ती है !ऐसी परिस्थिति में रवि की फसल तैयार
होते ही उन्हें यदि पता हो कि इस वर्ष वर्षा कैसी होगी तो वो उसी हिसाब से
अपनी उपज का अन्न एवं पशुओं के चारे के लिए भूसा आदि का संरक्षण करेंगे !इसके साथ ही अगली फसल बोने के
लिए यहीं से योजना बनाना प्रारंभ कर देते हैं !
इसी प्रकार से बाढ़ ,तूफ़ान चक्रवात भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं से जनधन की अत्यधिक हानि हो जाती है !यदि ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान समय रहते लगा लिया जाए तो लोग कुछ अपने आप से बचाव के लिए प्रयास कर सकते हैं और कुछ सरकारें उनकी मदद कर देती हैं इसके लिए भी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी अधिक पहले से पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है !
इसके अलावा अतिवर्षा अतिसर्दी अतिगर्मी किसी वर्ष होती है या किसी वर्ष अल्पवर्षा अल्पसर्दी अल्पगर्मी होती है ऋतु के प्रभाव में ऐसी बिषमता होने से अनेकों प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा होती हैं महामारियाँ फैलने लगती हैं !ऋतु वैषम्यता का यही दुष्प्रभाव बनौषधियों पर भी पड़ता है जिसके कारण वे बनौषधियाँ गुण रहित एवं विकारवती हो जाती हैं !इसलिए जिस रोग से मुक्ति दिलाने के लिए उन बनौषधियों को सक्षम माना जाता है वही बनौषधियाँ उन्हीं रोगों पर असर करना बंद कर देती हैं !अतएव कुछ रोग तो ऋतु वैषम्यता के कारण बढ़ते हैं और कुछ उस समय उन रोगों पर अंकुश लगाने वाली औषधियों के निष्प्रभावी हो जाने से उन रोगों की भयंकरता और अधिक बढ़ती जाती है अर्थात रोग निरंकुश हो जाते हैं !ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक इसे नया रोग मान लेते हैं !जबकि रोग होता पुराना ही है किंतु रोगों से संबंधित औषधियों के असर न करने के कारण चिकित्सकों को ऐसा भ्रम हो जाता है !
चिकित्सा शास्त्र में इसका समाधान बताते हुए कहा गया है कि जिस वर्ष ऋतु बिषमता होने की संभावना लगती हो उस वर्ष ऋतु विषमता प्रारंभ होने के कुछ समय पहले ही बनौषधियाँ यदि उखाड़ कर संग्रहीत करके रख ली जाएँ तो ऋतु वैषम्यता का असर उन पर उतना अधिक नहीं पड़ने पाता है जिससे वे बनौषधियाँ गुण रहित एवं विकारवती होने से बच जाती हैं इससे ऋतु वैषम्यता से होने वाले रोगों से मुक्ति दिलाने में वे सक्षम बनी रहती हैं !
ऐसी परिस्थिति में बनौषधियों के संग्रह की आवश्यकता किस वर्ष होगी और किस वर्ष नहीं होगी इसका अंदाजा कैसे लगाया जाए !इसके लिए इस बात का पूर्वानुमान लगाना आवश्यक है कि ऋतुओं में विषमता किस वर्ष होगी और किस वर्ष नहीं होगी !
ऐसे ही प्रकृति और जीवन से जुड़े अनेकों विषय हैं जिनके विषय में यदि पूर्वानुमान लगा पाना संभव हो तो कई प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है किंतु पूर्वानुमान लगा पाना भी तो इतना आसान नहीं होता है !
इसी प्रकार से बाढ़ ,तूफ़ान चक्रवात भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं से जनधन की अत्यधिक हानि हो जाती है !यदि ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान समय रहते लगा लिया जाए तो लोग कुछ अपने आप से बचाव के लिए प्रयास कर सकते हैं और कुछ सरकारें उनकी मदद कर देती हैं इसके लिए भी प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी अधिक पहले से पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है !
इसके अलावा अतिवर्षा अतिसर्दी अतिगर्मी किसी वर्ष होती है या किसी वर्ष अल्पवर्षा अल्पसर्दी अल्पगर्मी होती है ऋतु के प्रभाव में ऐसी बिषमता होने से अनेकों प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा होती हैं महामारियाँ फैलने लगती हैं !ऋतु वैषम्यता का यही दुष्प्रभाव बनौषधियों पर भी पड़ता है जिसके कारण वे बनौषधियाँ गुण रहित एवं विकारवती हो जाती हैं !इसलिए जिस रोग से मुक्ति दिलाने के लिए उन बनौषधियों को सक्षम माना जाता है वही बनौषधियाँ उन्हीं रोगों पर असर करना बंद कर देती हैं !अतएव कुछ रोग तो ऋतु वैषम्यता के कारण बढ़ते हैं और कुछ उस समय उन रोगों पर अंकुश लगाने वाली औषधियों के निष्प्रभावी हो जाने से उन रोगों की भयंकरता और अधिक बढ़ती जाती है अर्थात रोग निरंकुश हो जाते हैं !ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक इसे नया रोग मान लेते हैं !जबकि रोग होता पुराना ही है किंतु रोगों से संबंधित औषधियों के असर न करने के कारण चिकित्सकों को ऐसा भ्रम हो जाता है !
चिकित्सा शास्त्र में इसका समाधान बताते हुए कहा गया है कि जिस वर्ष ऋतु बिषमता होने की संभावना लगती हो उस वर्ष ऋतु विषमता प्रारंभ होने के कुछ समय पहले ही बनौषधियाँ यदि उखाड़ कर संग्रहीत करके रख ली जाएँ तो ऋतु वैषम्यता का असर उन पर उतना अधिक नहीं पड़ने पाता है जिससे वे बनौषधियाँ गुण रहित एवं विकारवती होने से बच जाती हैं इससे ऋतु वैषम्यता से होने वाले रोगों से मुक्ति दिलाने में वे सक्षम बनी रहती हैं !
ऐसी परिस्थिति में बनौषधियों के संग्रह की आवश्यकता किस वर्ष होगी और किस वर्ष नहीं होगी इसका अंदाजा कैसे लगाया जाए !इसके लिए इस बात का पूर्वानुमान लगाना आवश्यक है कि ऋतुओं में विषमता किस वर्ष होगी और किस वर्ष नहीं होगी !
ऐसे ही प्रकृति और जीवन से जुड़े अनेकों विषय हैं जिनके विषय में यदि पूर्वानुमान लगा पाना संभव हो तो कई प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है किंतु पूर्वानुमान लगा पाना भी तो इतना आसान नहीं होता है !
प्राचीन काल में भारत के ऋषियों मुनियों ने प्रकृति और जीवन की रक्षा हेतु इससे संबंधित घटनाओं के पूर्वानुमान के लिए बड़ी सारी विधियाँ खोजी थीं वे उन्हीं के आधार पर ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे और एक सीमा तक पूर्वानुमान से संबंधित अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर लिया करते थे !
उन्होंने इसके लिए शकुन शास्त्र ,सामुद्रिक, पेड़ पौधों से संबंधित
शास्त्र ,पशु पक्षियों आदि समस्त जीव जंतुओं से संबंधित ज्ञान विज्ञान को
विकसित किया !जिनकी समय समय पर बदलते रहने वाली वाली आकृतियों व्यवहारों
भावों आदि के आधार पर प्रकृति और जीवन से संबंधित अनेकों घटनाओं का सटीक
पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !वर्तमान विज्ञान के विद्वान लोग जिस प्रकार
से यंत्रों के संकेतों पर विश्वास करते हैं एवं उसके आधार पर कुछ घटनाओं का
पूर्वानुमान लगा लेते हैं ! उसी प्रकार से प्राचीन वैज्ञानिक पेड़
पौधों एवं पशु पक्षियों आदि से प्राप्त संकेतों के आधार पर अनेकों
प्रकार की भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया करते
थे ! उनका मानना था कि समस्त चराचर संसार समय के साथ बँधा हुआ है !समय जैसे
जैसे आगे बढ़ता जाता है वैसे वैसे बदलाव होते जाते हैं !ये बदलाव सभी
जीवजंतुओं पशु पक्षियों एवं पेड़ पौधों आदि के साथ साथ मनुष्य जीवन में भी होते हैं !इसलिए जीवजंतुओं
पशु पक्षियों एवं पेड़ पौधों आदि में दिखाई देने वाले बदलाव के चिन्हों के
आधार पर प्रकृति और जीवन से संबंधित पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं !उनका मानना था कि आधुनिक वैज्ञानिकों के यंत्र कभी भी बिगड़ सकते हैं जिससे उनके द्वारा दिए जाने वाले संकेतों के मानक बदल भी सकते हैं किंतु वृक्षों बनौषधियों जीव जंतुओं आदि से प्राप्त संकेतों में कभी विकार नहीं आते हैं क्योंकि उनका स्वभाव नहीं बदला जा सकता है !
ऋषियों की मान्यता थी कि समय बीतने के साथ साथ आकाशीय ग्रह नक्षत्रों आदि
में भी बदलाव होता है उनका असर भी प्रकृति एवं जीवन को प्रभावित करता है
!इसलिए आकाशीय ग्रह नक्षत्रों आदि में कब
कब और कैसे कैसे बदलाव होते हैं यह जानने के लिए उन्होंने गणित शास्त्र
की रचना की थी !जिसके आधार पर इस बात का पूर्वानुमान पहले ही लगा लेना संभव हो पाया कि
भविष्य में कौन सा ग्रह नक्षत्र कब कहाँ जाएगा उस समय किसकी गति कितनी
होगी !उसके प्रभाव से प्रकृति और जीवन में किस किस प्रकार के बदलाव हो सकते
हैं ! इस पद्धति से प्रकृति
और जीवन में हजारों वर्ष बाद में होने वाले परिवर्तनों का पूर्वानुमान आज
ही लगा लेना संभव हो पाया !ग्रहण आदि से संबंधित घटनाओं के पूर्वानुमान
इसी पद्धति से लगाने में सफलता मिली थी !
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