Thursday, 16 July 2015

यदि जाति सूचक शब्द बोलना अपराध है तो जातिगत जनगणना क्यों ?

 जातियों को  मानना है तो ठीक से मानिए अन्यथा पूरी तरह से भूल जाइए जातियाँ  !जब अपमान हो तब जातियाँ गलत हैं जब लाभ हो तो सहीं हैं आखिर ये कहाँ  तक ठीक है !
   बंधुओ !महान जाति वैज्ञानिक महर्षि मनु ने लाखों वर्ष पहले किस आधार पर वर्गीकरण किया होगा कि इन इन जातियों के लोग प्रतिभा विहीन होंगे ये मानकर ही इन जातियों की उपेक्षा की गई होगी और आज भी जातियों के आधार पर किए जा रहे भेद भाव को अप्रत्यक्ष रूप से मनु के उसी मत का समर्थन माना जाना चाहिए !ये भी तो बिना आरक्षण के विकास नहीं कर पा रहे हैं जबकि सवर्णों में भी तो गरीब होते हैं वो संघर्ष पूर्वक अपनी तरक्की करते हैं किंतु जो लोग नहीं कर सकते उनके शरीरों में ऐसी कमी क्या होती है जो सरकारों को आरक्षण जैसी अतिरिक्त सुविधा देनी जरूरी होती है । 
      इसलिए यदि सबका मानना है कि जातिवाद गलत है तो इसे भूलना चाहिए भूलने के लिए सबको कमाने खाने शादी विवाह में स्वतंत्र छोड़ा जाना चाहिए ! जातियों की जनगणना हो या जातिगत सुख सुविधा की योजनाएं सब पर लगाम लगनी चाहिए भले ही वो जातिगत आरक्षण ही क्यों न हो, सरकार भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का अपना वायदा तो निभा नहीं पा रही है फिर लोगों के निजी जीवन में क्यों घुसी घूम रही है सरकार ?
आप सवर्ण हैं तो बेकार हैं आपके लिए न कोई सुविधा न कोई रोजगार !   फिर भी हम जाति सम्प्रदायवाद मिटाने पर तुले हुए हैं ज्ज्वलित आग की ज्वाला को घी डालकर बुझाना चाहते हैं ऐसा कोई मूर्ख ही कर सकता है केवल फायदे के लिए जातियाँ !यदि आप सवर्ण हैं इसका मतलब आपने शोषण जरूर किया होगा बिना शोषण के आप सवर्ण नहीं हो सकते !भारत सरकार ऐसा मानकर ही अपनी सारी योजनाएँ चलाती है! ऐसे कैसे चलेगा लोकतंत्र एक वर्ग की उपेक्षा सरकार करे !गुणवान लोगों की पहचान उनके गुणों से होती है जबकि गुणहीन लोग जातियों से पहचाने जाते हैं !जातियाँ तो पहले भी थीं किन्तु गुणों की प्रधानता थी पहले गुणों से लोग कमाते थे अब जातियों से कमाते हैं गुण घटबढ़ भी सकते थे जबकि जातियाँ फिक्स्ड हैं !

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