आदरणीय प्रधानमंत्री जी
सादर नमस्कार !
विषय :मानसून एवं मौसम संबंधी गलत होने वाले दीर्घावधि पूर्वानुमानों को सही करने के विषय में -
महोदय,
1. वर्षा का सही एवं सटीक पूर्वानुमान न मिलने के कारण किसानों के द्वारा की जाने वाली आत्महत्या की दुखद घटनाएँ देखने को मिल रही हैं कृषि कार्यों के लिए जिन दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है उन्हें उपलब्ध करवा पाने में भारतीय मौसम विभाग अभी तक असफल रहा है |ऐसी परिस्थिति में सरकार के द्वारा किसी क्या किसी अन्य विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है यदि हाँ तो क्या ?
2. वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान लगाने की जो विधि ज्योतिषशास्त्र में बताई गई है उसके द्वारा अनुसंधान पूर्वक महीनों वर्षों पहले का मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है ऐसा हमेंशा से होता रहा है तो अब ऐसा करने में कठिनाई क्या है ?
3. सरकार ने संस्कृतविश्वविद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र के शिक्षण के लिए जिन विद्वानों को नियुक्त कर रखा है जिनकी सैलरी समेत सारी सुख सुविधाओं का खर्च जनता से प्राप्त टैक्स के धन से सरकार वहन करती है वर्षा आदि के पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए सरकार ऐसे विद्वानों का उपयोग क्यों नहीं करती है इसका कारण क्या है ?
4. सरकार के द्वारा संचालित मौसमविज्ञान यदि मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर प्रकाशित करता है तो उसी मौसम संबंधी घटनाओंका पूर्वानुमान लगाने की विधि ज्योतिष शास्त्र में भी है उसे भी सरकार अपने खर्च से ही संचालित करती है उससे सरकार ऐसी अपेक्षा क्यों नहीं करती है इसका कारण क्या है ?
5. आरटीआई के माध्यम से सरकार से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में यदि सरकार के द्वारा यह बताया जाता है कि संस्कृतविश्वविद्यालयों के ज्योतिष विभागों में मानसून और प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान जानने के विषय में कोई शोध कार्यक्रम संचालित ही नहीं किया गया है तो इसका कारण क्या है और ऐसे अनुभव विहीन निरर्थक अध्ययन अध्यापन का उद्देश्य क्या है ?
सादर नमस्कार !
विषय :मानसून एवं मौसम संबंधी गलत होने वाले दीर्घावधि पूर्वानुमानों को सही करने के विषय में -
महोदय,
1. वर्षा का सही एवं सटीक पूर्वानुमान न मिलने के कारण किसानों के द्वारा की जाने वाली आत्महत्या की दुखद घटनाएँ देखने को मिल रही हैं कृषि कार्यों के लिए जिन दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमानों की आवश्यकता होती है उन्हें उपलब्ध करवा पाने में भारतीय मौसम विभाग अभी तक असफल रहा है |ऐसी परिस्थिति में सरकार के द्वारा किसी क्या किसी अन्य विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है यदि हाँ तो क्या ?
2. वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान लगाने की जो विधि ज्योतिषशास्त्र में बताई गई है उसके द्वारा अनुसंधान पूर्वक महीनों वर्षों पहले का मौसम संबंधी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है ऐसा हमेंशा से होता रहा है तो अब ऐसा करने में कठिनाई क्या है ?
3. सरकार ने संस्कृतविश्वविद्यालयों में ज्योतिष शास्त्र के शिक्षण के लिए जिन विद्वानों को नियुक्त कर रखा है जिनकी सैलरी समेत सारी सुख सुविधाओं का खर्च जनता से प्राप्त टैक्स के धन से सरकार वहन करती है वर्षा आदि के पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए सरकार ऐसे विद्वानों का उपयोग क्यों नहीं करती है इसका कारण क्या है ?
4. सरकार के द्वारा संचालित मौसमविज्ञान यदि मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर प्रकाशित करता है तो उसी मौसम संबंधी घटनाओंका पूर्वानुमान लगाने की विधि ज्योतिष शास्त्र में भी है उसे भी सरकार अपने खर्च से ही संचालित करती है उससे सरकार ऐसी अपेक्षा क्यों नहीं करती है इसका कारण क्या है ?
5. आरटीआई के माध्यम से सरकार से पूछे गए प्रश्न के उत्तर में यदि सरकार के द्वारा यह बताया जाता है कि संस्कृतविश्वविद्यालयों के ज्योतिष विभागों में मानसून और प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान जानने के विषय में कोई शोध कार्यक्रम संचालित ही नहीं किया गया है तो इसका कारण क्या है और ऐसे अनुभव विहीन निरर्थक अध्ययन अध्यापन का उद्देश्य क्या है ?