Wednesday, 30 July 2014

साईं पर श्रद्धा कैसी !

साईं पर श्रद्धा कैसी !

दूर रहे इच्छा ऐसी !!

साईं कोई संत नहीं हैं !

मूर्खों के भगवंत वही हैं।

साईं के क्या कर्म महान !

क्यों उनको मानो भगवान !!

राम कृष्ण शिव की संतानें  !

किसी साईं को हम क्यों मानें !!

तैंतीस कोटि देवता मेरे !

ऋषि मुनि साधु सिद्ध बहुतेरे ॥

कवि अनंत संत सुर सज्जन ।

पितृ पूज्य ,गुरुदेव ,वृद्ध जन ॥

गो पूजन की विधि विस्तारी ।

माँगब मनोकामना सारी ॥

सर सरिता सागर की पूजा ।

 तीर्थ पुरी  सम ठाउँ न दूजा ॥

बट तुलसी पीपल पद लागउँ ।

इन्हतें सकल कामना मागउँ ॥

साँपों को भी दूध पिलाऊँ ।

कबहुँ न साईं सदन को जाऊँ ॥ 

          लेखक - डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

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