Thursday, 31 July 2014

सनातन धर्म शास्त्रों से बाहर जाकर साईं समझौता करने वाले सनातन धर्मी किस बात के ?

   आर्थिकपूजन से प्रभावित कुछ सनातनी साधुओं के द्वारा साईं लीला मंडली का समर्थन कितना विश्वसनीय हो सकता है ?

     हमारा किसी साईं से कोई विरोध नहीं है किन्तु जैसे किसी घर में किसी देश में या किसी प्रकार की संपत्ति में या किसी धर्म में घुस पैठ करना किसी सभ्य समाज में कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकता !चूँकि साईं सनातन धर्म के अंग हैं इसके बारे में चोंच लड़ाने के अलावा और अभी तक कोई मजबूत प्रमाण नहीं हैं साईं की मूर्तियाँ स्थापित करने से लेकर उनकी पूजा विधि तक में वेद मन्त्रों का प्रयोग धर्म शास्त्र के किस नियम से किया जा रहा है इसका भी कोई शास्त्रीय प्रमाण उपस्थित नहीं किया जा सका है ।

    ऐसी परिस्थिति में किसी अनाम फकीर को सनातन धर्म शास्त्रों के विरुद्ध सनातन धर्म के मंदिरों में कैसे पूजने दिया जाए कल को विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की मान्यता,प्रामाणिकता और शास्त्रीय सैद्धांतिकता पर प्रश्न उठेंगे तो किन प्रमाणों का सहारा लेकर साईं को प्रमाणित किया जाएगा !साईं के अनुयायी जब साईं को आज प्रमाणित नहीं कर पा रहे हैं तो विश्व धर्म मंच की सभाओं में इनकी कौन सुनेगा ये तो खदेड़ दिए जाएँगे इनका क्या ये तो कोई नया भगवान खोज लेंगे और उसे पूजने लगेंगे किन्तु बात पढ़े लिखे विद्वान सनातन धर्मियों की है ,स्वाभिमानी सनातन धर्मियों की है वो अप्रमाणित साईं पूजा को अपने शास्त्रों से कैसे प्रमाणित कर देंगे ?वहाँ तो प्रमाण चलते हैं साईं चरित्र में लिखी गपोड़ बातों को प्रमाण नहीं माना जा सकता हाँ इनके विषय में समकालीन इतिहास में कुछ प्रमाणित तथ्य  मिल रहे होते तो इन्हें भी संत माना जा सकता था किन्तु अभी तक तो इनके सनातन धर्मी होने पर ही विद्वानों को शक है ऐसी परिस्थिति में आगे की बात करना ही आधारहीन  है एवं अप्रासंगिक है ।

    यदि साईं मूर्ति प्रतिष्ठा एवं पूजा को सनातनधर्मी अपने सनातन धर्म शास्त्रीय प्रमाणों से प्रमाणित नहीं कर सके तो क्या रह जाएगा सनातन धर्म का आस्तित्व !और किस मुख से वो किसी और को रोक सकेंगे  सनातन धर्म के मंदिरों  में घुसपैठ करने से ! कल लोग अपने अपने धर्मों की किताबें मूर्तियाँ आदि जो भी कुछ भी उनके यहाँ इफरात  होगा वो धर्म के नाम पर रख जाएँगे सनातन धर्म के मंदिरों में और अपने अपने धर्मों के हिसाब से आरती इबादत करेंगे  सनातन धर्म के मंदिरों में कैसे रोका जाएगा उन्हें ! और जो रोकेगा उससे वो पूछ सकते हैं कि साईं नाम के पत्थरों को किस नियम से रख रखा है और हमें किस नियम से बाहर कर रहे हो !यदि मैं तुम्हारे धर्म का नहीं हूँ तो साईं तुम्हारे धर्म के  कहाँ से हो गए !दूसरी बात कानून की आएगी कानून में तो जो परंपरा चली आ रही है वही मानी जाएगी वहाँ भी वही सवाल होगा कि यदि आपके धर्मशास्त्रों से बिना प्रमाणित हुए भी नियम विरुद्ध ढंग से साईं को पुजवा सकते हो तो ईसामसीह या किसी और को क्यों नहीं ? तो क्या जवाब देंगे सनातन धर्मी !क्या वास्तव में सनातन धर्म को नष्ट भ्रष्ट करने की साजिश की जा रही है !

        कुछ लोग कह रहे हैं कि यदि साईं का विरोध किया जाएगा तो सनातन धर्म बँट जाएगा ! इसे अजीब सी धमकी कहें या क्या ब्लैक मेल! हाँ ,यदि वो लोग भी अपने को सनातन धर्मी मानते हैं तो सनातन धर्म शास्त्रों से बाहर जाकर साईं समझौता वो कैसे कर सकते हैं उन्हें भी सनातन धर्म शास्त्रों की परिधि में ही रहकर बात करनी होगी और यदि वो सनातन धर्म शास्त्रों की सीमा से बाहर जाकर स्वच्छंदता पूर्वक अपने धार्मिक नियम  अपने हिसाब से बनाते हैं तो वो सनातन धर्मी किस बात  के और सनातन धर्मियों से उनका सम्बन्ध ही क्या रह जाता है जिसके बँट जाने की चिंता की जाए आखिर बँट तो वो पहले ही चुके हैं अर्थात उनका जो मन आ रहा है वो तो वो कर ही रहे हैं सनातन धर्मियों को हजार बार गर्ज हो तो वो सनातन धर्म की रक्षा के नाम पर स्वेच्छाचारी साईंयों से चिपक कर चलें !यह कौन सी बात है और  शर्तें मानने की मजबूरी भी क्या है ! 

    हम यदि सनातन धर्म की परम्पराओं एवं पूजास्थलों को साईं घुस पैठ से मुक्त रखने जैसे अपने कर्तव्य का पालन करना चाहते हैं तो किसी को आपत्ति क्यों है ? आखिर अन्यधर्मों के मत्थे क्यों नहीं मढ़े जाते हैं साईं ?सनातन धर्म पर ही इनकी नियत क्यों ख़राब है !आखिर क्यों थोपे जा रहे हैं साईं सनातन धर्मियों पर ?इसीलिए न कि सनातन धर्मी ढुलमुल हैं इन्हें मना लिया जाएगा या इनके पंडितों बाबाओं को समझा  समझू कर शिरड़ी ले जाया  जाएगा और उन लोगों  का आर्थिक पूजन करके उनसे करवा लिया जाएगा साईं समर्थन !किन्तु वो लोग हिन्दू धर्मशास्त्र तो नहीं है आखिर शास्त्र विरुद्ध बात उनकी भी क्यों मान ली जाएगी ?


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